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कांग्रेस का हाथ अब नहीं है मल्ल के साथ,धनौल्टी में पार्टी देगी प्रीतम का साथ

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कांग्रेस हाईकमान ने शुक्रवार को दिल्ली में एक बैठक कर अपने धनौल्टी सीट पर उम्मीदवार वापस लेने का फ़ैसला किया। धनौल्टी सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रीतम पंवार को कांग्रेस ने समर्थन करने का फ़ैसला किया है। गौरतलब है कि इस सीट पर कांग्रेस ने मसूरी नगर पालिका चेयरमैन मनमोहन सिंह मल्ल को टिकट दिया था। मुख्यमंत्री हरीश रावत पहले से ही प्रीतम पंवार को बाहर से समर्थन करने और पार्टी का उम्मीदवार की तरह खड़ा करने की वकालत कर रहे थे। इसका साफ़ कारण था कि प्रीतम ने मुश्किल के वक़्त हरीश रावत का साथ दिया था। और ये रावत की तरफ़ से दूरगामी राजनीतिक चाल भी थी। लेकिन पार्टी के अंदर और ख़ासतौर पर प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय इसके पक्ष में नही थे। इसी वजह से पार्टी मे धनौल्टी में अपना उम्मीदवार मैदान में उतारा था। लेकिन अब पार्टी के इस फ़ैसले से ये साफ़ है कि उत्तराखंड कांग्रेस में हरीश रावत खेमा बाक़ी बचे सभी नेताओं के साथ साथ कांग्रेस हाईकमान पर भी भारी पड़ रहा है।
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पार्टी हाईकमान नें धनौल्टी सीट पर प्रीतम पंवार को समर्थन देने का फैसला किया है जिसके कारण नामांकन के आखिरी दिन मनमोहन सिंह मल्ल का टिकट काट दिया गया है।वहीं मामला अब और दिलचस्प हो गया है क्योंकि मनमोहन मल्ल ने शुक्रवार को अपना नामांकन दाख़िल कर दिया। इससे साफ़ है कि इस फ़ैसले पर मल्ल को भरोसे में नही लिया गया है।
कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता आर.पी रजूड़ी ने कहा कि मल्ल कांग्रेस के एक अच्छे और मजबूत प्रत्याशी थे और वह पार्टी के इस फैसले को समझेंगें और कांग्रेस का साथ देंगें।उन्होंने कहा कि मल्ल पार्टी के समर्पित प्रत्याशी है और इसके नाते मैं उम्मीद करता हूं कि वह इस फैसले में पार्टी का साथ देंगें।उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि मल्ल इस फैसले से आहत होंगें क्योंकि कांग्रेस ने उन्हें बहुत सम्मान दिया है।और कभी कभी कुछ कारणों से कड़वा घूंट भी लेना पड़ता है क्योंकि कुछ इलाज की दवा कड़वी होती है और मल्ल खुद को इसके मुताबिक ढाल लेंगें।
अब देखने वाली बात यह होगी कि मनमोहन मल्ल का इस फ़ैसले पर क्या प्रतिक्रिया होती है? क्या वो पार्टी के फ़ैसले को मानेंगें या निर्दलीय मैदान में उतरेंगे?

बीजेपी नेता मातवर सिंह कंडारी ने थामा कांग्रेस का हाथ

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मातवर सिंह कंडारी ने बीजेपी का दामन छोड़ कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। शनिवार को मुख्यमंत्री हरीश रावत और पार्टी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय की मौजूदगी में उन्होने पार्टी ज्वाइन की। कंडारी ने कहा कि बीजेपी पिछले कुछ सालों में बहुत बदल गई है और सत्ता की लोभी हो गई है। कंडारी के मुताबिक जो हालात राज्य में पिछले साल मार्च में हुए उससे वो काफी आहत हुए और इसके लिये वो पूरी तरह बीजेपी को ही दोशी मानते हैं।कंडारी बीजेपी के वरिष्ठ नेता थे ऐर पूर्व में बीजेपी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं।

कंडारी के साथ रुद्रप्रयाग के जिला अध्यक्ष आनंद बोहरा ने भी बीजेपी छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया। इनके अलावा राजीव कंडारी और किसान मोर्चा के अध्यक्ष दरमियान सिंह रावत ने भी कांग्रेस का साथ पा लिया है।

प्रेस कांफ्रेंस में मुख्यमंत्री हरीश रावत और प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के साथ मनमोहन मल्ल भी मौजूद थे। गौरतलब है कि मल्ल धनौल्टी सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार थे लेकिन शुक्रवार को अचानक पार्टी ने धनौल्टी सीट से अपना उम्मीदवार वापस लेने और प्रीतम सिंह पंवार को समर्थन देने का फैसला कर लिया। मल्ल तब तक अपना नामांकन दाखिल कर चुके थे। मल्ल के यहां मौजूद रहने से ये कयास लग रहे हैं कि क्या मल्ल् को मनाने में पार्टी कामयाब रही है। हांलाकि मल्ल फिलहाल पार्टी केफैसले से नाराज़ दिख रहे हैं।

 

यमकेश्वर में ऋतु खंडूरी का मुक़ाबला बीजेपी बनाम बीजेपी

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यमकेश्वर से मैदान में उतरी पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी की बेटा ऋतु खंडूरी के लिये चुनाव काफ़ी चुनौती पूर्ण हो गया है। ये चुनौती अन्य उम्मीदवारों से कम और पार्टी के बाग़ी और असंतुष्ट पूर्व नेताओं से ज़्यादा है। बीजेपी के दोनों बाग़ी नेता शैलेंन्द्र सिंह रावत जिन्होंने कुछ दिनों पहले ही कांग्रेस का दामन थामा और यमकेश्वर से बीजेपी की मौजूदा विधायक विजया बर्थवाल ऋतु खंडूरी के लिये परेशानी का सबब बन सकते हैं। रावत और बर्थवाल दोनों को ही ज़मीन से जुड़ा नेता माना जाता हैं और क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ भी है। ऋतु खंडूरी जो कि एक एनजीओ चलाती हैं चुनावों में अपने पिता की साफ़ छवि को कैश कराने की कोशिश करेंगी। वहीं रावत और बर्थवाल दोनों ही ऋतु को बाहरी और अपने को वंशवाद की राजनीति का शिकार बता कर चुनावी माहौल अपनी तरफ़ करने की कोशिश करेंगे।  लेकिन इस मुक़ाबले को रोचक ये बात बनाती है कि ये तीनों ही उम्मीदवार उसी वोटर बेस को अपनी ओर खींचने का प्रयास करेंगे जो पारंपरिक तौर पर बीजेपी को मानता है।

तकरीबन 83000 वोटरों वाली इस सीट में 230 गाँव आते हैं जिनमें अधिकतर ठाकुर और ब्राह्मण समुदाय हैं। पिछले चुनावों में विजया बर्थवाल ने इस सीट पर तक़रीबन 13842 वोट हासिल किये थे। शैलेंद्र रावत का भी इस सीट पर खास दबदबा रहा है और वो भुवन चंद्र खंडूरी लंबे समय से विरोधी रहे हैं।

ऋतु खंडूरी पिछले कुछ समय से अपना एनजीओ के जरिये इस इलाके में सामाजिक सरोकार से जुड़े कामों में सक्रिय रही हैं। उनका मानना है कि लोग आजकल उस उम्मीदवार को पसंद करते हैं जो उन्हें विकास दे सके। जात औहर बाहरी जैसे मुद्दे बेमानी हो जाते हैं।

कहते हैं इश्क और जंग में सब जायज़ होता है। बीजेपी ने कांग्रेस के सभी बागियों को टिकट के तोहफे से नवाज़ा औऱ प्रदेश प्रभारी मंत्री जे पी नड्डा ने भी साफ कर दिया कि हमने चुनाव जीतना है और इसलिये जीतने वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया है।इससे एक बात तो साफ है कि बीजेपी उत्तराखंड में इसी फार्मूले पर काम कर रही है।

प्रशांत किशोर ने दिया “रावत संग दावत” का फार्मूला

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उत्तराखंड सीएम हरीश रावत अपने राज्य स्तरीय यात्रा में कांग्रेस पार्टी के कार्यकताओं के साथ लंच और डिनर करेंगें जिससे वह आने वाले चुनावों के मद्देनजर पार्टी में काम करने वाले कiडर से जुड़ सकें। रावत का अपने कार्यकताओं के साथ खाना खाने का आइडिया चुनाव के कूटनितिज्ञ प्रशांत किशोर का है जिसके जरिए सीएम रावत पार्टी के कार्यकताओं को प्रेरित कर सकें और अपने आप को 69 साल होने के बाद भी एक कर्मठ नेता कि छवि में रख सकें।
लंच और डिनर का कार्यक्रम उत्तराखंड स्वाभिमान यात्रा का हिस्सा है जो सीएम रावत नें बुधवार को अपने विधानसभा चुनाव के नामांकन के बाद किच्छा से शरु की। रावत के कैंपेन टीम से जुड़े लोगों ने बताया कि रावत की दावत,पार्टी कार्यकर्ता के घर पर होगी,जन भोज-रात का खाना भी पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ होगा जब तक चुनाव नहीं होते।
गौरतलब है कि प्रशांत किशोर अपने नये चुनावी अंदाज़ों के लिये जाने जाते हैं। इससे पहले वो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के चर्चित चाय पे चर्चा के भी सूत्रधार रहे हैं। इसके बाद वो बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के लिये भी सफल चुनावी रणनीति बना चुके हैं। अब देखना ये होगी कि प्रशांत किशोर का हरीश रावत के लिये “रावत संग दावत” का फार्मूला कितना काम आता है।

चुनाव प्रचार पर मौसम की मार

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चुनावी रण में उतरे प्रत्याशियों के लिये प्रदेश में लगातार हो रही बारिश और बर्फ़बारी परेशानी का सबब बन गई है। पल-पल बदलते मौसम ने नेताओं के साथ साथ प्रशासन को भी मुश्किल में डाल दिया है।उत्तराखंड में मौसम की मार का खासा असर जनसंपर्क और चुनावी प्रचार पर पड़ रहा है। मौसम विभाग अभी आने वाले कुछ दिनों तक इस तरह के हालात बने रहने की आशंका जाता रहा है, लेकिन प्रत्याशियों की मानें तो यह कोई बाधा नहीँ है। बीजेपी के सुबोध उनियाल ने कहा-“देखिए बारिश हो रही है और इतनी बारिश में ढालवाला से चौदह बिघा तक जन सैलाब ने मेरा समर्थन देने का काम किया है इससे साफ पता चलता है कि जनता क्या चाहती है और आगे आगे देखिए होता है क्या”
ज्यादा उचाई वाले क्षेत्रों और सीमांत विधानसभाओं में प्रसाशन को चुनावी तैयारी के लिए मुश्किल हालात का सामना करना पड़ रहा है, भाजपा, कांग्रेस और क्षेत्रिय दल अपनी आपत्ति आयोग में दर्ज करा चुके हैं, ऐसे मे राज्य निर्वाचन आयोग भी पल-पल की रिपोर्ट पर नजर रखे हुए है। राज्य चुनाव आयुक्त राधा रतूड़ी का कहना है कि, “उत्तराखंड में इस मौसम में चुनाव प्रचार पर निगाह रखना और मतदान का आयोजन हमेशा ही चुनौतीपूर्ण रहा है। इस दौरान राज्य के उपरी हिस्सों में बर्फ और जबरदस्त ठंड पड़ती है,इसलिए पोलिंग पार्टी को कहीं-कहीं तो दो दिन तक बर्फ में पैदल चलकर मतदान केंद्र पहुचती है।यह बात अलग है कि सरकार उनके रहने-खाने और आने-जाने का पूरा इंतजाम करती है। निकलते तो वोटर भी ठंड में ही हैं मतदान करने मगर हर दो किमी पर मतदान केंद्र होने से उन्हें ज्यादा नहीं चलना पड़ता और फिर वे अपने घर लौट ही जाते हैं।”
मौसम से होने वाली परेशानियें पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पहले से ही चुनावों की तारीखों पर आयोग से अपनी आपत्ति जता चुके हैं। बहरहाल ये तो तय ै कि अगर नेताओं को जो परेशानी हो वो माने न माने लेकिन अगर मतदान के दिन इस तरह का मौसम रहा तो मतदान के प्रतिशत में फर्क ज़रूर पड़ सकता है।

उधम सिंह नगर में पकड़ा गया चुनाव में सप्लाई होने वाला अवैध चरस

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शुक्रवार को स्पेशल टास्क फोर्स उत्तराखण्ड की टीम ने गोपनीय सूचना के आधार पर कोतवाली खटीमा जनपद उधमसिंहनगर में अवैध चरस की तस्करी करते हुये एक दोषी सुखविन्दर सिंह को मोटर साईकिल यू.के 06आर.5234 और  04 किलो चरस के साथ गिरफ्तार किया है। बरामद मोटर साईकिल सीट के कवर के अन्दर जगह बनाई गई थी जिसमें दोषी ने चरस को छिपा रखा था। बरामद चरस की अंतराष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 20 लाख रुपये है। जिस सम्बन्ध में कोतवाली खटीमा में मु.अ.स.  42/17 धारा 8/20एन0डी0पी0एस0एक्ट के तहत रिर्पोट दर्ज की गई है।
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पूछताछ पर  आरोपी ने बताया गया कि पकड़ा गया चरस चुनाव में इस्तेमाल और लोगों में बांटने के लिए नेपाल से लाकर उधमसिंहनगर में सप्लाई करना था। इस चरस की सप्लाई में काम कर रहे और आरोपियों के बारे में पुलिस जानकारी इकट्ठा करने में जुट गई है। पुलिस के इस सराहनीय कार्य पर पुलिस महानिरीक्षक एस0टी0एफ0 उत्तराखण्ड ने  टीम को 10,000 रूपये का पुरस्कार देने की घोषणा की है।
इस कार्यवाही में एस.टी.एफ के उपनिरीक्षक के.पी टम्टा ,आरक्षी विरेन्द्र सिंह चैहान, आरक्षी गोविन्द सिंह, आरक्षी किशोर कुमार,आरक्षी महेन्द्र गिरी, आरक्षी चालक सलमान मौजूद थे।

सहसपुर से आर्येंद्र रोकेंगे किशोर उपाध्याय को, भरा निर्दलीय नामांकन

शुक्रवार को कांग्रेस के बागी और प्रदेश कांग्रेस के पूर्व महसचिव आर्येंद्र शर्मा ने सहसपुर विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भरा।

गौरतलब है कि आर्येंद्र शर्मा ने 2012 में भी कांग्रेस के टिकट पर सहसपुर से पहली बार चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें बीजेपी के उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा था। उस समय भी मुख्यमंत्री हरीश रावत के करीबी माने जाने वाले गुलज़ार ने वहां से निर्दलीय खड़ा हो कर शर्मा का खेल बिगाड़ा था। पिछले पांच सालों से शर्मा इस सीट पर सक्रीय हैं और लोगों के बीच जा कर काम कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें यहां से अपना टिकट पक्का लग रहा था। लेकिन राजनीति अनिश्चताओं का खेल है और ऐसा ही कुछ आर्येंद्र के साथ भी हुआ। न सिर्फ पार्टी ने उनका टिकट काटा बल्कि प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को सहसपुर से उम्मीदवार बना दिया। किसोर खुद ही पहले चुनाव न लड़ने की बात कह चुके हैं साथ साथ उनका कहना था कि सहसपुर सीट उनकी पहली पसंद नही थी लेकिन पार्टी के आदेश पर उन्होने तैयारी की है। अब देखना दिलचस्प होगा कि सहसपुर के लोग यहां से सिटिंग विधायक, बागी उम्मीदवार या सीट पर न लड़ने के इच्छुक नेता में से किस को चुनते हैं।

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आर्येंद्र के निर्दलीय चुनाव लड़ने पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आर पी  रतूड़ी ने कहा कि “आर्येन्द्र शर्मा ने 2012 मे ही देहरादून में कदम रखा था,इससे पहले वे ऍन डी तिवारी के विशेष कार्ये अधिकारी थे तिवारी तमिल नाडू के राज्यपाल थे और जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे। आर पी रतूड़ी ने साफ़ तौर पर यही जाहिर किया है कि आर्येन्द्र शर्मा का सिर्फ 5 साल से काम करने में जीत हासिल नहीं हो सकती और 5 साल की राजनीति से आर्येंद्र की उम्मीदें ज्यादा है।” एक तरफ पार्टी जहां आर्येंद्र को खतरा नहीं मान रही है वहीं खुद मुख्यमंत्री हरीश रावत और पार्टी अध्यक्ष किशोर उपाध्याय आर्येंद्र को सहसपुर टिकट पर समझाने के लिए उन्हें मनाने गए थे।लेकिन आज पार्टी के तेवर बदले हुए से हैं शायद गुलजार के समर्थन ने कांग्रेस को सहसपुर से जीत की उम्मीद दिला दी है।

किशोर उपाध्याय के समर्थन में आये गुलज़ार, सहसपुर में जीत का यकीन

शुक्रवार को किशोर उपाध्याय ने प्रेस कांफ्रेस में एक बात साफ कर दी है कि वह इस विधानसभा चुनाव में वो ऐड़ी चोटी का ज़ोर लगा देंगे।किशोर उपाध्याय की प्रेस वार्ता में सहसपुर के निर्दलीय प्रत्याशी गुलज़ार अहमद भी मौजूद थे।किशोर ने कांफ्रेस में डंके की चोट पर एक घोषण कर दी है कि सहसपुर से उन्हें गुलजार अहमद का समर्थन मिलेगा।

ज्ञात हो कि गुलज़ार अहमद के समर्थकों ने टिकट घोषणा के समय कांग्रेस पार्टी से गुलजार को सहसपुर से टिकट देने की मांग कि थी लेकिन हाईकमान ने किशोर उपाध्याय को सहसपुर से टिकट दिया।गुलजार ने 2012 में सहसपुर से निर्दलीय पार्टी से चुनाव लड़ा और उन्हें 10,000 से ज्यादा वोट भी मिले, इतना ही नही माना यह जाता हे कि गुलजार की वजह से कांग्रेस प्रत्याशी आर्येंद्र शर्मा को अपनी सीट से हाथ धोना पड़ा था।

पुरानी गलती दोबारा ना दोहराते हुए सहसपुर क्षेत्र के प्रत्याशी किशोर ने पहले ही गुलजार अहमद से बातचीत करके कांफ्रेंस में इस बात की घोषणा कर दी कि इस चुनाव में गुलजार कांग्रेस का समर्थन करेंगें।गुलजार ने कहा कि मैं हमेशा से किशोर के साथ हूं और यह तीन चार दिन का समय मुझे अपने समर्थकों को समझाने में लगा,उन्होंने कहा कि हम 8 क्षेत्रीय दावेदारों ने किशोर उपाध्याय को समर्थन देने का फैसला लिया है और मैं उम्मीद करता हूं कि सहसपुर की जनता भी किशोर उपाध्याय का समर्थन करेगी।गुलजार ने कहा कि चुनाव हमेशा ही मुश्किल होता है लेकिन मुश्किल के बाद ही जीत मिलती है और मैं आशा करता हूं कि किशोर उपाध्याय भी भारी मतों से विजयी होंगें।

राजनितिक दावं पेंच में उलझी कांग्रेस ने निर्दलीय पार्टी उम्मीदवार गुलजार को तो अपने साथ मिला लिया लेकिन सहसपुर में शुरु से उलझा आर्येंद्र का पेंच कांग्रेस कैसे सुलझाएगी यह देखना ज्यादा दिलचस्प होगा।

प्रदेश कांग्रेस आॅफिस पर फिर लगे कांग्रेस सोनिया और राहुल के पोस्टर

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गणतंत्र दिवस के मौके पर एक बार फिर उत्तराखंड  के प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर कांग्रेस पार्टी का कब्ज़ा हो गया। राहुल और सोनिया गांधी का पोस्टर और बैनर फिर से पार्टी कार्यालयकी दीवारों पर लगा दिये गये। गौरतलब है कि बीते रविवार को टिकट घोषणा के बाद से ही पार्टी में बगावत के सुर ने अपना हल्ला बोल कर दिया था।कभी सहसपुर तो कभी टिहरी इन दोनों सीटों पर उम्मीदवार घोषणा के बाद मानो संकट के काले बादल आ गए थे। सहसपुर की सीट पर आर्येंद्र शर्मा के समर्थकों ने लगभग कांग्रेस भवन पर अपना कब्जा ही कर लिया था। पहले हंगामा,फिर तोड़फोड़ और फिर अंत में आर्येंद्र के समर्थकों ने आॅफिस के बैनर भी बदल दिए। कांग्रेस अध्यक्ष की जगह आर्येंद्र के बैनर टांग दिए जिसपर मोटे अक्षरों में लिखा था सोनिया राहुल बात सुनो जो सही है उसे चुनो।

IMG_0663इतने हो हंगामों के बाद भी पार्टी हाईकमान ने अपना फैसला नहीं बदला और सहसपुर से किशोर उपाध्याय ने शक्ति प्रदर्शन के साथ अपना नामांकन बुधवार को कर दिया। इधर उपाध्याय ने अपना नामांकन भरा उधर आर्येंद्र ने अपना इस्तीफा पत्र भेजा।इस इस्तीफा पत्र में आर्येंद्र ने खुद को कांग्रेस की सभी सेवाओं से मुक्त करने की एलान कर दिया।आर्येंद्र शर्मा अब सहसपुर क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगें जिसका नामांकन वह शुक्रवार को करेंगें।

इस चुनावी उठापटक से यह बात तो साफ हो गई है कि समर्थक चाहें जो कर लें होता वहीं है जो पार्टी हाईकमान चाहती है।पिछले दिनों माहौल यह था कि कयास लगाए जा रहे थे कि हाईकमान सहसपुर को लेकर अपना फैसला बदल लेगी लेकिन किशोर उपाध्याय के नामांकन ने सभी किंतु परंतु पर विराम लगा दिया है।खैर चुनावी नतीजा जो हो लेकिन बागियें के कब्ज़े से कांग्रेस आॅफिस को छुड़ा कर खुद पार्टी के नेता भी चैन की सांस ले रहै हैं। गुरुवार को पार्टी कार्यालय पर झंडा भी फहराया गया।

उत्तराखंड की बसंती देवी बिष्ट को मिला पदमश्री अवार्ड

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उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोक गायिका बसंती बिष्ट को इस साल का पद्मश्री पुरस्कार मिलेगा। बुधवार को हुए पद्म पुरस्कारों की घोषणा में इसका ऐलान किया गया।63 साल की बसंती बिष्ट पिछले कई साल पद्म पुरस्कारों के लिये शॉर्ट लिस्ट की गई लेकिन उन्हें येदियुरप्पा पुरस्कार आख़िरकार इस साल मिला।

बसंती देवी बिष्ट को अपनी भावपूर्ण जागर के लिए न केवल उत्तराखंड में बल्कि विदेशों में भी बहुत पुरस्कार मिले है। जागर शैली का गायन देवी देवताओं को जगाने के लिये पारंपरिक तौर पर पुरुषों द्वारा गाया जाता रहा है। बसंती पहली और अकेली ऐसी महिला है जिन्होंने इस प्रथा को दरकिनार कर जागर सीखा और सालों से इस प्राचीन जागर के माध्यम से लोगों को जागृत करती रही हैं। इस कला को इन्होंने अपनी मां से सीखा। चमोली ज़िले केंद्र लुआनी गाँव में जन्मी बसंती ने बचपन से अपनी माँ को घर में जागर गाते सुना था। लेकिन घर ग्रहस्ती के चलते बसंती का जागर गायिका के रूप में करियर उनके 50 के हो जाने के बाद शुरू हो सका। शादी करके चंडीगढ़ जाने के बाद बसंती ने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा चंडीगढ़ के प्राचीन कला केंद्र से ली। और वापस देहरादून आने के बाद बसंती ने अपने करियर की शुरुआत की। बसंती का कहना है कि देवभूमि के सांस्कृतिक जादू ने हमेशा उन्हे प्रेरित किया है।

बसंती देवी बिष्ट ने आल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर भी अपनी प्रस्तुतियां दी है।इनकी भावपूर्ण आवाज श्रोताओं को भावविभोर कर देती हैं और श्रोता के मन में इनको सुनने की इच्छा बार बार होती है। उत्तराखंड के पारंपरिक परिधान में सजी बसंती जब स्टेज पर आती हैं तो उनके गाने के साथ साथ उतनी ही तादाद में लोग उनकी तस्वीरें भी खींचते हैं।

बसंती उत्तराखंड से पद्म पुरस्कार पाने वाली 36वीं व्यक्ति होंगी। निश्चित तौर पर बसंती ने जागर जैसी लोक कला को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान दिलाई है और अब पद्दम पुरस्कार के साथ उन्होने राज्य का भी नाम रौशन किया है।