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रुद्रपुर भूमि घोटाले के मामले में आया नया मोड़

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एनएच – 74 के चौड़ीकारण भूमि लेंड का यूज बदलकर सरकार को 118 करोड़ के राजस्व के नुकसान पहुचाने के मामले में ऊधम सिंह नगर में विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी पद पर तैनात डॉ डी०पी० सिंह पर गिरी गाज। डीपी सिंह को त्तकाल प्रभाव से एसएलओ पद से हटा द्या गया है।

118 करोड़ के भूमि घोटाले के मामले में परत दर परत खुलती जा रही है। जंहा घोटाले को लेकर जाँच की आंच कई अधिकारियो पर गिरती नजर आ रही है वहीं घोटाले के मास्टर माइंड माने जा रहे भूमि अध्यापित अधिकारी डीपी सिंह को शासन के निर्देशों पर पद मुक्त कर दिया गया है।

इससे पहले आयकर विभाग की छापेमारी में डीपी सिंह के पास बेनामी संपत्ति का होना पाया गया। वहीं 143 के 118 करोड़ के घोटाले में संलिप्तता के साथ ही कई अधिकारियों की भी मिलीभगत पाई गई है। जिलाधिकारी उधमसिंघनगर ने शासन के निर्देशों पर डीपी सिंह को पदमुक्त करने के आदेश दिए है। इसके पीछे कारण ये बताया गया कि उनके खिलाफ होने वाली जाँच प्रभावित न हो सके।

गौरतलब है कि दबंग और रसिक मिजाज डीपी सिंह हमेशा ही चर्चाओं में रहे हैं। कभी प्रेमप्रसंग के चलते तो कभी अवैध खनन में मिली भगत। वहीं अब बिल्डरों के साथ मिलकर करोड़ों की खरीदफरोख्त डीपी सिंह के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है।

कांग्रेस को लगा एक और चुनावी झटका, बीजेपी ने जीती लोहाधाट सीट

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बीजेपी ने लोहाधाट सीट जीत कर मौजूदा विधानसभा में अपने विधायकों की संख्या 57 कर ली है। यहां से बीजेपी के उम्मीदवार पूरण सिंह फर्त्याल ने कांग्रेस के कुशल सिंह को 839 वोटों से हरा दिया। फर्त्याल को 27685  मिलें वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार को 26851 वोट ही मिल सके। विधानसभा चुनाव में लोहाघाट सीट की कर्णकरायत बूथ संख्या 128 पर एक इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के नहीं खुलने से यहां के परिणाम का एलान नहीं हो सका था। जब ईवीएम बंद हुई तो भाजपा प्रत्याशी पूरन सिंह फर्त्याल अपनी करीबी प्रतिद्वंदी कांग्रेस के खुशाल सिंह से 450 मतों से आगे चल रहे थे।इसके चलते चुनाव आयोग ने यहां बुधवार को दोबारा मतदान कराया गया। इसके बाद आधिकारिक नतीजों का ऐलान हुआ। हांलाकि जिस तरह से सारे राज्य में बीजपी ने कांग्रेस के किले को ध्वस्त कर दिया था उसके चलते ये ही उम्मीद की जा रही थी कि इस सीट पर जीत भी पार्टी के लिये आसान रहेगी। हांलाकि जीत का अंतर कम रहा लेकिन इस जीत से बीजेपी ने कांग्रेस के चुनावी ज़्खमों पर और नमक लगा दिया है।

जेटली ने कहा निरामयम है रोग से मुक्ति का केंद्र

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केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने निरामयम चिकित्सा केन्द्र का उदघाटन किया। निरामयम चिकित्सा केंद्र स्थित प्राकृत-पंचकर्म-चिकित्सा केंद्र है। मड थेरेपी कक्ष और योग व ध्यान केंद्र का भ्रमण करने के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि यह दवा, सर्जरी और रोग से मुक्ति का केंद्र है। वहीं बाबा रामदेव ने कहा कि लोगो को निस्वार्थ भाव से चिकित्सा सेवाएं प्रदान करना ही निरामयम का उद्देश्य है। उन्होंने निरामयम की वेबसाइट का भी विमोचन किया।
उद्धघाटन के अवसर पर अरुण जेटली ने कहा कि दुनिया के विकसित देशों में इस प्रकार की चिकित्सा सेवाएं बहुत अधिक खर्च पर प्रदान की जा रही है। योगग्राम कि चिकित्सा सेवाएं के माध्यम से लोगो को महंगी दवाओं तथा सर्जरी से निजात मिलेगी। जेटली ने पतंजलि फूड एवं हर्बल पार्क पदार्थां का भी भ्रमण किया। उन्होंने कहा कि देश में ऐसे बहुत कम फूड पार्क है, जो सफल साबित हुए हैं। और यह भी कहा कि देश में ऐसे फूड पार्क और बनने चाहिए, जिससे किसान और जनता दोनों को लाभ हो सके। इस दौरान बाबा रामदेव ने कहा कि निस्वार्थ भाव से लोगो को चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराना ही निरामयम का उद्देश्य है। साथ ही आचार्य बाल कृष्ण ने कहा कि योगग्राम में चिकित्सा सेवाओं का विस्तार देश के लोगो के लिए उपहार है।
 ये है निरामयम:
योगगुरु बाबा रामदेव ने निरामयम के विषय में विस्तृत जानकारी दी और कहा कि योगग्राम में पहले करीब 400 लोगो के उपचार,आवास, भोजन सहित सभी प्रकार की यथा-योग, आर्युवेद, पंचकर्म और पष्टकर्म चिकित्सा की व्यवस्था थी। उसमें करीब 100 लोगो की व्यवस्था का विस्तार किया गया है। यह पूरा परिसर लगभग 100 एकड़ में फैला हुआ है। पतंजलि योगपीठ ने पिछले आठ सालों में योगग्राम में करीब 100 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इसमें 4 अतिविशिष्ट श्रेणी, 12 विशिष्ट क्षेणी और 16 एकल व्यवस्था के कक्ष बनाए गए हैं।
बाबा रामदेव ने दिया था नोटबंदी का सुझाव: जेटली
पतंजलि में अरुण जेटली ने योगगुरु बाबा रामदेव की खुलकर तारीफ की और उन्होंने यह भी कहा कि नोटबंदी के फैसले को लेकर उनकी बाबा रामदेव से वार्ता हुई थी। उन्होंने ही देश में एक टैक्स और प्लास्टिक मनी को बढ़ावा देने का सुझाव दिया था। रामदेव ने कहा था की बड़े नोट तुरन्त बंद कर दें। दूसरा देश में एक टैक्स लगना चाहिए और तीसरा पेपर करेंसी के स्थान पर प्लास्टिक करेंसी को बढ़ावा दिया जाए। वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार तीनो बिंदुओं पर काम कर रही हैं। इससे देश में भ्र्ष्टाचार और भ्रष्ट व्यवस्थाओं पर रोक लगी है।

बच्चों ने राजभवन के आंगन में मनाई फूल देई

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आज प्रातः राजभवन में ‘फूल-संक्राति’/‘फूल देई’ मनाई गई। प्रकृति के साथ सुख-शान्ति और समृद्धि की शुभकामनाएं लेकर राजभवन की दहलीज पर बच्चों ने फूल बरसाये। राज्यपाल डाॅ.कृष्ण कान्त पाल ने बालक एवं बालिकाओं का अत्यन्त प्रसन्न मन से स्वागत किया और परम्परानुसार उन्हें चावल व मिष्ठान्न देकर शुभकामनाओं के लिए उनका आभार व्यक्त किया।

राज्यपाल ने उत्तराखण्ड के लोक पर्व फूल संक्राति/फूल देई के अवसर पर कहा कि हमारे पर्व ही हमारी संस्कृति के संरक्षक होते है । भारतीय समाज में मनाये जाने वाले पर्वों का किसी न किसी ऋतु से सीधा सम्बन्ध होता है, जो हमारी नयी पीढ़ियों को हमारी संस्कृति से परिचित कराने में संवाहक की भूमिका निभाते हैं। इसलिए पर्वाे को संस्कृति का संरक्षक कहा जा सकता है।

प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य में चैत्र मास में मनाया जाने वाला फूल देई पर्व प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है। यह पर्व विशेष रूप से बच्चों द्वारा मनाया जाता है इससे हर बच्चा अपने लोक पर्व के महत्व व भूमिका से सरल रूप से परिचित हो जाता है और बचपन से ही अपनी संस्कृति से जुड जाता है।

राधा रतूड़ी ने निर्वाचन अधिकारी पद छोड़ने की इच्छा जताई

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प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने अपने पद को छोड़ने की इच्छा जताई है।उन्होंने पत्र लिखकर मुख्य सचिव एस रामास्वामी को नए मुख्य निर्वाचन अधिकारी के चुनाव के लिए तीन नाम देने का अनुरोध किया है।

उन्होंने मुख्य सचिव एस रामास्वामी को पत्र लिखकर यह इच्छा जताई है। मुख्य सचिव को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि दस वर्षो से उनके पास यह पद है। वर्तमान में उत्तराखंड विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। ऐसे में वे अब यह पद छोड़ना चाहती है।भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी राधा रतूड़ी वर्ष 2007 में प्रमुख सचिव एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी बनी थी। तब से ही वे इस पद पर बनी हुई हैं। अब उन्हें इस पद पर बने दस साल हो चुके हैं। इतना लंबा कार्यकाल संभालने के बाद वे अब इस पद को छोड़ना चाह रही हैं। उन्होंने पत्र में अनुरोध किया है कि नए मुख्य अधिकारी का चयन करने के लिए शासन की ओर से तीन नामों का पैनल भारत निर्वाचन आयोग को भेजा जाता है। उन्हें इस पदभार से अवमुक्त करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग को तीन अधिकारियों का पैनल भेजा जाए। सूत्रों की मानें तो प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी के इस पत्र के बाद मुख्य सचिव ने कार्मिक विभाग से इस संबंध में पत्रावली तलब की है ताकि आगे की कार्यवाही की जा सके। माना जा रहा है कि नई सरकार में यह कार्यवाही आगे बढ़ाई जाएगी।

मिस एशिया पैसेफिक अनुकृति गुसाईं ने उड़ान स्कूल में मनाया फूलदेई त्यौहार

चैत के आगमन पर उत्तराखंड में फूलदेई त्यौहार को बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। धीरे धीरे परंपरा शहरीकरण के चलते विलुप्ति की कगार पर पहुँच गयी है। एक बार फिर इस त्यौहार को बचाने के लिए बुद्धिजीवी लोगों ने और समाजसेवियों ने अपने प्रयास शुरू किये है। उड़ान स्कूल में भी ये त्यौहार मनाया गया जिसमें मिस पैसेफिक ने शिरकत की।

चैत के आगमन पर उत्तराखंड में फूलों की बयार आ जाती है, जंगल और वनों में बुरांस, फ्यूंली अपने रंग बिखेरने लगते है। ये महीना चैत के आगमन का महीना होता है जिसमे कई लोक-गीत और कविताएं भी शामिल होती हैं और ये लोकगीत हमारी परंपरा से जुड़ी होती है। ऐसे में लोक गायक नई गीतों की रचना करते हैं। और नई कविताएं जन्म लेती है और प्रकृति फूलों के श्रंगार से सज जाती है ऐसे में फूलदेई त्यौहार मनाया जाता है।

ऋषिकेश स्थित निःशुल्क संस्थान उड़ान में भी फूलदेई का त्यौहार बड़े धूम-धाम से मनाया गया जिसमें छोटे-छोटे बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में मिस एशिया पैसेफिक अनुकृति गुसाई ने शिरकत की और बच्चों के साथ फूलदेई त्यौहार मनाय। साथ ही उन्होंने बच्चों को मुफ्त कॉपी-किताब बांटी। मीडिया से बात करते हुए अनुकृति गुसाईं ने बताया कि वो उड़ान स्कूल से 2013 से जुडी हुई है और हर बार यहाँ बच्चों के साथ वक्त बिताकर उन्हें बेहद अच्छा लगता है। जहाँ बेहतर शिक्षा और रोजगार की तलाश में लोग शहरों का रुख कर रहे है ऐसे में लोग अपनी संस्कृति से भी दूर होते जा रहे हैं। जिससे आने वाली  पीढ़ी अपनी गढ़वाल की संस्कृति से अछूती रह जाती है।  लगातार पहाड़ो से हो रहे पलायन के साथ कहीं न कहीं हमारी संस्कृति भी पलायन कर रही है ऐसे में समाजसेवी द्वारा ऐसे कार्यक्रम का आयोजन करना उस संस्कृति में जीवन डालने जैसा प्रतीत होता है,जिससे हमारी संस्कृति को हम बाकी लोगों के साथ भी साझा कर सकते है और  आने वाली पीढ़ी भी अपनी संस्कृति  से रूबरू हो सकेगी।

उर्वशी रौतेला को मिला टीसी मिस यूनिर्वस का खिताब

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पूर्व मिस यूनिवर्स इंडिया और अभिनेत्री उर्वशी को टीसी कैलेंडर पोल ने ब्रह्मांड की सबसे खूबसूरत महिला के खिताब से नवाजा है। अभिनेत्री उर्वशी रौतेला को यह खिताब मिलने से देश के साथ ही उत्तराखंड का मान भी बढ़ा है। अभिनेत्री उर्वशी रौतेला ने बॉलीवुड में अपने कैरियर की शुरुआत अनिल शर्मा की एक्सन रोमांच फ़िल्म ‘’सिंह साब द ग्रेट’’ से की थी।टीसी कैलेंडर इससे पहले यह खिताब अभिनेत्री ऐश्वर्या राय को भी दे चुका है। बता दें कि उर्वशी रौतेला फिल्म अभिनेत्री के साथ-साथ मॉडलिंग भी कर चुकी हैं और 2012 में उर्वशी रौतेला मिस इंडिया बनी थी। अभिनेत्री उर्वशी रौतेला 2016 में फिल्म सनम रे में नजर आई थी।

टीसी कैलेंडर की ओर से प्रतिस्पर्धा में दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, जर्मनी समेत 40 देशों की 100 सुंदरियों को शामिल किया था। इन 100 सुंदरियों में से 22 वर्षीय सिने अभिनेत्री उर्वशी रौतेला 2016 में गूगल में सबसे ज्यादा सर्च की गईं। टीसी कैलेंडर की 27वीं बैठक में उर्वशी रौतेला को ब्रह्मांड में सबसे कम उम्र की सबसे खूबसूरत महिला के रूप में वोट मिला।

उर्वशी रौतेला को यह खिताब जीतने की जानकारी तब हुई, जब उन्हें लोगों की बधाइयां आनी शुरू हुईं। बकौल उर्वशी जब उन्हें टीसी कैलेंडर का यह खिताब मिलने की जानकारी हुई तो पल भर के लिए यकीन ही नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि टीसी कैलेंडर की सूची में नाम दर्ज होने पर गर्व की अनुभूति हो रही है।उर्वशी ने बताया कि जब उन्हें टीसी कैलेंडर का यह खिताब मिलने की जानकारी हुई तो पलभर के लिए यकीन ही नहीं हुआउर्वशी ने बताया कि इस साल उनके कई प्रोजेक्ट आने वाले हैं। उम्मीद है कि इनमें लोगों को उनका अभिनय पसंद आएगा। गौरतलब है कि पूर्व मिस यूनिवर्स इंडिया और अभिनेत्री उर्वशी रौतेला उत्तराखंड के कोटद्वार की रहने वाली हैं। अभिनेत्री उर्वशी रौतेला को यह खिताब मिलने पर उनके गृहक्षेत्र  कोटद्वार में खुशी का माहौल है।

सीएम की दौड़ में सतपाल,त्रिवेंद्र के साथ प्रकाश पंत भी हुए शामिल

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चुनावों में भारी जीत दर्ज कर बीजेपी ने एक पड़ाव तो पार कर लिया है। बीजेपी ने राज्य में कोई मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया और मोदी के नाम पर लड़ा चुनाव। अब पार्टी के अंदर कौन बनेगा मुख्यमंत्री को लेकर च्रचाएं तेज़ हो गई हैं। बीजेपी चुनाव जीतने के बाद किस चेहरे को मुख्यमंत्री बनायेगी, यह बात लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी में ऐसे नेताओं की एक लंबी कतार है जो मुख्यमंत्री के दावेदार है। चुनाव के वक्त भाजपा विवादों पर विराम लगाते हुए मोदी के नाम पर प्रदेश में चुनाव लड़ा।वैसे भाजपा में सतपाल महाराज को सीएम बनने को लेकर चर्चा जोरों पर है लेकिन पार्टी की ओर से अभी कुछ कहा नही जा रहा है।उत्तराखंड गठन के बाद से अब तक तीन विधानसभाओं में एक को छोड़ दिया जाये तो राज्य में विधायक से पहले सीधे मुख्यमंत्री बनने की परंपरा चली आ रही है।झारखण्ड के प्रभारी व डोईवाला से भाजपा विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम भी सीएम की रेस में चल रहा है और उन्हें भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का नजदीकी माना जाता है।उत्तराखण्ड के चुनाव प्रभारी जेपी नड़्डा ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को एक चुनावी सभा में सीएम पद के दावेदार होने के संकेत दिए थे। इसके अलावा प्रकाश पंत को भी सीएम की रेस में माना जाता है। बात करें पिछले तीन विधानसभा चुनावों की तो वर्तमान में हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को छोड़ दिया जाए तो कोई भी मुख्यमंत्री 16 सालों में सीएम बनने के बाद ही उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुए। चौथी विधानसभा के चुनाव के बीच एक बार फिर लोगों में इस बात की चर्चा बनी हुआ कि भाजपा से कौन नेता मुख्यमंत्री होगा।

2017 के चुनाव में पिथौरागढ़ विधानसभा सीट पर प्रकाश पंत ने केवल अपनी-अपनी साख बचाने में सफल रहे बल्कि कांग्रेस के मयूख महर की जमीन भी खिसका दी है। वह भी तब जब जिला पंचायत, नगरपालिका, विकासखंड में कांग्रेस का कब्जा है। ऊपर से मयूख महर के नाम कई विकास कार्याे की फेहरिस्त है।

प्रकाश पंत के पिता का नाम श्री मोहन चन्द्र पंत तथा माता का नाम श्रीमती कमला पंत है। 11 नवम्बर 1969 को उनका जन्म हुआ। उनका स्थाई पता ग्राम खडकोट, पिथौरागढ है। उनकी राजनीतिक यात्रा 1977 में रा.स्वा.महाविद्यालय पिथौरागढ में सैन्य विज्ञान परिशद में महासचिव बनने से शुरु हुई। 1988 में नगर पालिका पिथौरागढ में सभासद बने। 1988 में स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य निर्वाचित हुए। 2001 में अंतरिम विधानसभा उत्तरांचल के अध्यक्ष निर्वाचित हुए तथा कॉमनवैल्थ देशों में सर्वाधिक कम उम्र के विधान सभा अध्यक्ष निर्वाचित होने का गौरव प्राप्त हुआ। वर्ष 2002 में उत्तरांचल विधान सभा में पिथौरागढ विधान सभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए। 8-3-2007 को द्वितीय निर्वाचित उत्तराखण्ड सरकार की मंत्रि परिषद में संसदीय कार्य, पर्यटन, संस्कृति मंत्री बनाये गये। वहीं संसदीय कार्यमंत्री के रुप में आपने विधानसभा में भी अपनी एक अलग छाप छोडी हैं। संस्कृति मंत्री के रुप में उन्होंने बेजोड़ कार्य किया है।पिथौरागढ़ में भाजपा प्रत्याशी प्रकाश पंत ने शक्ति प्रदर्शन व रोड शो के बिना सीधे नामांकन कराया। इस दौरान डीडीहाट विधायक विशन सिंह चुफाल सहित कई भाजपा नेता उनके साथ मौजूद रहे। भाजपा प्रत्याशी व पूर्व विधान सभा अध्यक्ष पंत इससे पूर्व के सभी चुनावों में शक्ति प्रदर्शन के साथ नामांकन कराते रहे हैं। इस बार उनके बिना किसी रोड शो व समर्थकों के साथ सीधे नामांकन को लोग बदली चुनावी रणनीति से जोड़ रहे हैं। 

आने वाले दो दिन में उत्तराखंड सीएम के नाम से पर्दा तो उठ जाएगा लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उत्तराखंड में चली आ रही परंपरा एक बार फिर दोहराई जाएगी या इस चुनाव के नतीजों की तरह सीएम के नाम की घोषणा भी हट कर होगी।उत्तराखंड गठन के बाद से अब तक तीन विधानसभाओं में एक को छोड़ दिया जाये तो राज्य में विधायक से पहले सीधे मुख्यमंत्री बनने की परंपरा चली आ रही है।

लोहाघाट बूथ पर मतदान जारी,शाम तक नतीजे होंगे सबके सामने

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कर्णकरायत बूथ संख्या 128 में मतदान जारी हो चुका है। 856 मतदाता करेंगे मतदान।शाम 5 बजे तक बूथ पर होगा मतदानय़आज शाम 6 बजे तक आयेगा परिणाम।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में लोहाघाट सीट की एक इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के नहीं खुलने से यहां के परिणाम का एलान नहीं हो सका है। निर्वाचन आयोग ने लोहाघाट सीट के एक मतदान केन्द्र पर फिर से  वोटिंग कराये जाने के आदेश दिये थे। यहां ईवीएम में गड़बड़ी के कारण बीच में ही मतगणना रोकनी पड़ी थी। राज्य के निर्वाचन कार्यालय ने कहा था कि कर्णकरायत में गवर्नमेंट इंटर कॉलेज में मतदान केन्द्र संख्या 128 पर पुन: मतदान कराया जाए। यहां तकनीकी खामी के कारण ईवीएम ने नतीजे दिखाना बंद कर दिया था जिससे प्रशासन को मतगणना रोकनी पड़ी थी।

15 मार्च यानी बुधवार को मतदान होगा। उसी शाम को मतगणना की जाएगी और नतीजे घोषित किये जाएंगे। जब ईवीएम बंद हुई तो भाजपा प्रत्याशी पूरन सिंह फर्त्याल अपनी करीबी प्रतिद्वंदी कांग्रेस के खुशाल सिंह से 450 मतों से आगे चल रहे थे। भाजपा ने उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज करते हुये 70 में से 56 सीटों पर कब्जा किया है जबकि कांग्रेस केवल 11 सीटों पर सिमट गयी।

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में दो तिहाई बहुमत के साथ भाजपा ने रिकॉर्ड जीत दर्ज की है। वहीं चंपावत जिले की दो विधानसभा सीटों में से एक लोहाघाट का नतीजा घोषित नहीं हो सका है। लोहाघाट सीट की एक ईवीएम को छोड़कर भाजपा को अभी यहां 489 वोटों की बढ़त है।

उत्तराखंड में कौन बनेगा मुख्यमंत्री की चर्चा जोरों पर

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उत्तराखंड गठन के बाद से अब तक तीन विधानसभाओं में एक को छोड़ दिया जाये तो राज्य में विधायक से पहले सीधे मुख्यमंत्री बनने की परंपरा चली आ रही है। प्रदेश में चौथी आम विधानसभा चुनाव में 70 में से 69 सीटों पर चुनाव संपन्न हो चुका है जबकि एक सीट कर्णप्रयाग पर नौ मार्च को चुनाव होना है।
बात करें पिछले तीन विधानसभा चुनावों की तो वर्तमान में हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को छोड़ दिया जाए तो कोई भी मुख्यमंत्री 16 सालों में सीएम बनने के बाद ही उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुए। चौथी विधानसभा के चुनाव के बीच एक बार फिर लोगों में इस बात की चर्चा बनी हुआ कि कांग्रेस भाजपा के कौन नेता मुख्यमंत्री होगा। हालांकि कांग्रेस में हरीश रावत को ही सीएम का दावेदार माना जा रहा है लेकिन भाजपा में नाम को लेकर संस्पेंश बना हुआ है। उत्तराखण्ड में कई बार सत्तासीन मुख्यमंत्री को राजनीतिक अंकगणित में पद से हाथ धोना पड़ा है।
उत्तराखण्ड गठन के बाद प्रथम मुख्यमंत्री बने नित्यानंद स्वामी 09 नवम्बर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक सीएम तक रहें। भगत सिंह कोश्यारी 30 अक्टूबर 2001 से 01 मार्च 2002 तक सीएम रहे इस दौरान राज्य में अंतरिम विधानसभा थी और आम चुनाव नहीं हुए थे। वर्ष 2002 में पहली बार विधानसभा के आम चुनाव हुए, लेकिन सीएम बनने वाले एनडी तिवारी रामनगर सीट पर उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुए।
भुवन चन्द्र खंडूड़ी मार्च 2007 से 26 जून 2009 तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन वे भी विधानसभा चुनाव में विधायक नहीं बन पाए थे और वे धूमाकोट विधानसभा सीट से उपचुनाव में विधायक बने। रमेश पोखरियाल निशंक 27 जून 2009 से 10 सितम्बर 2011 तक सीएम रहे जो अकेले ऐसे विधायक हैं जो मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2012 में भाजपा से सत्ता छीनकर कांग्रेस के विजय बहुगुणा भी पहले सीएम बने और बाद में सितारगंज से उपचुनाव में विधायक बने।
वर्तमान सीएम हरीश रावत भी सांसद रहने के बाद 01 फरवरी 2014 को सीएम बने तो वह भी धारचुला विधानसभा सीट से उप चुनाव में विधायक बने। प्रदेश में चौथी विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद ही राज्य की नई तस्वीर स्पष्ट हो पायेगा।