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रामनगर में बाघ ने दो लोगों को मौत के घाट उतार दिया

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रामनगर, तराई पश्चिम वन प्रभाग के बैलपड़ाव रेंज में एक बाघ ने दो लोगों को मौत के घाट उतार दिया। हमला करने के बाद बाघ दोनों शवों के पास रहा। सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची और बाघ को भगाने के लिए कई राउंड हवाई फायरिंग भी की लेकिन वह नहीं भागा।

बता दें कि बैलपड़ाव क्षेत्र के कादिराबाद गांव निवासी भगवती (33 वर्ष) कुछ महिलाओं के साथ सुबह करीब नौ बजे जंगल में लकड़ी बीनने गई थी कि बाघ ने अचानक पीछे से भगवती पर हमला कर दिया और उसे घसीटकर ले गया। उसके साथ गई महिलाओं ने जब इसकी सूचना ग्रामीणों को दी तो वे ढोल नगाड़े बजाते,  हो हल्ला करते हुए जंगल की ओर दौड़ पड़े। इसी बीच बाघ ने ग्रामीणों पर भी हमला बोल दिया और नदी में चुगान का कार्य करने वाले लखपत को भी घसीट कर ले गया। बाघ के हमले से दहशत में आए ग्रामीण वहां से भाग खड़े हुए।

घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग में हड़कंप मच गया। मौके पर पहुंचे बैलपड़ाव रेंज अधिकारी शेखर तिवारी और एसडीओ बलवंत सिंह शाही ने डीएफओ तराई पश्चिमी कहकशा नसीम को इसकी सूचना दी। इसके बाद वनकर्मी बंद जेसीबी लेकर मौके पर पहुंचे तो बाघ ने उनपर भी हमले की कोशिश की। उसके बाद वनकर्मियों ने कई राउंड हवाई फायरिंग भी की लेकिन बाघ टस से मस न हो सका।

जिसके बाद वनकर्मी वापस लौट आए। वन कर्मियों ने बताया कि बाघ घायल है और काफी गुस्से में है। इसीलिए वनकर्मी भी मौके पर जाने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। फिलहाल वनकर्मियों ने ग्रामीणों से घटनास्थल के आसपास जुटे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है। साथ वन विभाग की टीम बाघ को पकडऩे के लिए रणनीति तैयार कर रही है। डीएफ ओ कहकशा नसीम के मुताबिक नैनीताल से रेस्क्यू टीम बुलाई गयी है जिससे बाघ को ट्रैंकुलर किया जाएगा। दोनों मृतक ससुर और बहु हैं तथा नदी में चुगान का कार्य करते हैं। बताया जाता है कि आज नदी में छुट्टी का दिन होने की वजह से वह सुबह ही लकड़ी लेने जंगल चली गयी थी कि बाघ ने उसपर अचानक से हमला बोल दिया। इस दौरान तराई पश्चिमी वन प्रभाग की पूरी टीम रामनगर वन प्रभाग की डीएफओ नेहा वर्मा, एसआई विपिन जोशी, सिपाही गणेश व कालाढूंगी के एसओ कमल हसन आदि सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।

राज्य में आज से शुरु हो गई बोर्ड परीक्षाएं

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उत्तराखंड में बोर्ड की परीक्षाएं कल से शुरू हो रही हैं। उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद ने परीक्षा की सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। शिक्षा निदेशक आरके कुंवर के अनुसार हाईस्कूल में एक लाख 53 हजार 814 और इंटरमीडिएट में एक लाख 33 हजार 417 परीक्षार्थी परीक्षा देंगे। उन्होंने कहा कि परीक्षार्थी तनाव मुक्त और तरोताजा होकर परीक्षा दें। परीक्षा के लिए प्रदेश भर में लगभग 319 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं।

प्रदेश में विभिन्न केंद्रों को संवेदनशील और अति संवेदनशील घोषित किया गया है। जहां विशेष रूप से निगरानी रखी जाएगी। बता दें कि प्रदेश में बोर्ड की परीक्षाएं मार्च पहले सप्ताह से होनी थी लेकिन चुनाव के चलते बोर्ड परीक्षाओं की तिथि आगे बढ़ानी पड़ी थी। मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी की ओर से इस पर सहमति दी गई थी कि रामनगर बोर्ड 11 मार्च के बाद कभी भी परीक्षाएं करा सकता है।

शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने कहा कि उम्मीद है परीक्षार्थी पूर्ण मनोयोग और लगन से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे। वहीं, अभिभावक परीक्षा अवधि में बच्चों के लिए उचित शैक्षिक वातावरण तैयार करेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों, शिक्षकों और कर्मचारियों से अपेक्षा है कि वह परीक्षा के सफल संचालन में अपना पूर्ण सहयोग देंगे।उन्होंने बताया कि परीक्षा को नकल विहीन बनाने के लिए सचल दल गठित किए गए हैं।

यह भी कहा जा रहा था कि चुनाव में बड़ी संख्या में टीचरों की ड्यूटी लगने और स्कूलों को मतदान केंद्र बनाए जाने से परीक्षा तिथि प्रभावित हो रही है। जिसे देखते हुए निर्वाचन आयोग की ओर से रामनगर बोर्ड को निर्देशित किया गया था कि बगैर निर्वाचन आयोग की सहमति के बाद ही बोर्ड परीक्षाओं की तिथि निर्धारित की।वही लिखित परीक्षा के लिए संभावित परीक्षा समय सारणी तय कर इसे सहमति के लिए निर्वाचन आयोग को भेजा गया था।

हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट परीक्षा केन्द्रों के 200 मीटर परिधि में धारा-144 लागू कर दी गई है जो 16 मार्च से 10 अप्रैल तक प्रभावी रहेगी।जिलाधिकारी ने धारा-144 के अन्तर्गत आदेश पारित किये हैं कि कोई भी व्यक्ति परीक्षा केन्द्र की 200 मीटर परिधि के भीतर लाठी, चाकू आदि किसी भी प्रकार का हथियार एवं विस्फोटक पदार्थ लेकर नहीं चलेगा, न ही ईंट पत्थर एकत्रित करेगा और न ही किसी प्रकार के अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग करेगा।

उन्होंने कहा है कि परीक्षा केन्द्र के क्षेत्रान्तर्गत कोई भी व्यक्ति ध्वनि विस्तारक यन्त्रों का प्रयोग भी नहीं करेगा, न ही ऐसे उत्तेजनात्मक नारे लगायेगा जिससे शान्ति व्यवस्था भंग होने की सम्भावना हो। साथ ही किसी भी व्यक्ति को ऐसे कार्य भी नहीं करने हैं जिससे सार्वजनिक एवं राजकीय सम्पत्ति को नुकसान पहुंचे।
उन्होंने कहा है कि यह आदेश पुलिस बल, पीएसी व ड्यूटी पर तैनात अधिकारियों/कर्मचारियों एवं आवश्यक सेवाओं पर प्रभावी नहीं होगा। जिलाधिकारी ने जनता से कहा है कि इस आदेश का कड़ाई से अनुपालन किया जाए अन्यथा आदेश की अवहेलना करने वाले व्यक्ति के विरुद्व धारा-188 के अन्तर्गत दण्डात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

डिजिटल पेमेंट की दिशा में आगे बढ़ा उत्तराखंड

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केंद्र सरकार की ओर से ड‌िज‌िटल इंड‌िया की शुरुआत करने के बाद उत्तराखंड में भी लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं। यही कारण है क‌ि इन दो सालों में जो बदलाव हुए हैं वह हैरतअंगेज कर देने वाले हैं।
डिजिटल पेमेंट की दिशा में उत्तराखंड ने तेज दौड़ लगा दी है। इस लिहाज से हुए तमाम कार्यों के संबंध में मुख्य सचिव एस. रामास्वामी ने केन्द्रीय कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अवगत कराया।
 सचिवालय में आधार और मोबाईल सीडिंग के बारे में मुख्य सचिव ने बताया कि 1.47 करोड़ बैंक खातों को आधार से जोड़ दिया गया है। इनमें से 51 लाख खातों की सीडिंग भी हो गई है। प्रधानमंत्री जनधन योजना में 22 लाख खाते खोले गए हैं, जिनमें से 11 लाख खातों की आधार सीडिंग हो गई है। इसके साथ ही बैंकों द्वारा बल्क एसएमएस भेजे जा रहे हैं। साथ ही हर जिले में जागरुकता कैम्प भी लगाए गए हैं।
कैबिनेट सचिव ने किराना दुकानों, सफल, मदर डेयरी आदि और आवश्यक वस्तुओं को डिजिटल प्लेटफार्म पर बिक्री के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि 24,000 पीओएस प्वाइंट ऑफ  सेल की मांग के सापेक्ष अब तक 1403 पीओएस यानी स्वाइप मशीन जारी किए गए हैं। शेष के लिए कार्रवाई की जा रही है बताया गया है कि 18 लाख कार्ड जारी किए गए हैं। इनमें से 12 लाख कार्ड को सक्रिय कर दिया गया है।
हर वर्ग के लोग और हर आयु के लोगो ने डिजिटल पेमेंट को अपना लिया है यही वजह है कि अब नोटबंदी के बावजूद स्थिति काबू में आ गई है।

नमामि गंगे प्रोजेक्ट से गंगा होगी प्रदुषण मुक्त,ऋषिकेश में 158 करोड़ की बड़ी परियोजना

उत्तराखंड और यूपी फतह के बाद अब केंद्र सरकार एक्शन में आ गयी है।गंगा को लेकर केंद्र सरकार ने नमामि गंगे प्रोजेक्ट के लिए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लिए 19 अरब रुपये की 20 परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है जिसमे से  13 परियोजनाएं उत्तराखंड में शुरू हो रही है।  ऋषिकेश में 158 करोड़ की बड़ी परियोजना  को अनुमोदित किया गया है जिस से श्रद्धालुओ और गंगा प्रेमियो में  ख़ुशी की लहर है।
 गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार गंगा किनारे बसे उत्तराखंड समेत पांच राज्यो में नयी शुरुवात करने जा रही है। नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए  सर्वे और प्लानिंग लगभग पूरी हो चुकी है। इंतज़ार है इस प्रोजेक्ट का धरातल में उतरने का जिसके लिए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लिए 19 अरब रुपये की 20 परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है जिस से आने वाले दिनों में गंगा जल बदलाव साफ़ देखा जायेगा। जिसमें इस प्रोजेक्ट के लिए एसटीपी ,जलीय जीव ब्रीडिंग सेंटर और  जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा सके और गंगा के तट अपने पुराने स्वरुप में लौट सके। गंगा प्रेमी और तीर्थ यात्री इसका बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे केंद्र सरकार द्वारा धरातल में उतारने के लिए 19 अरब रुपये की राशि से बनने वाली परियोजनाओं को लेकर ख़ुशी की लहर है।
आबादी का बोझ उठाते उठाते गंगा में प्रदूषण की मात्रा जिस कदर बड़ रही है उससे आने वाले समय में गंगा आचमन के योग्य भी नहीं रह पायेगी, इसलिए इसे जल्द ही स्वत्छ करने की जरूरत है। वहीँ नमामि गंगे प्रोजेक्ट के उत्तराखंड प्रभारी राघव लंगर का कहना है कि ये परियोजना काफी बड़ी है जिसके लिए अब गंगा तटो पर कई योजनाओ को  शुरू किया जा रहा है। जिसके तहत सीवर ट्रीटमेंट प्लांट और गंदे नालो की टेपिंग के साथ साथ धरातल पर कई काम शुरू किये जा रहे है।गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए नमामिगंगे प्रोजेक्ट रिसर्च के बाद अपनी योजनाओ को धरातल पर उतारने के लिए प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।जिसके लिए उत्तराखंड में १३ बड़ी परियोजना को हरी  झंडी मिल गयी है ऋषिकेश में सबसे बड़ी योजना के लिए 158 करोड़ अनुमोदित कर दिए है।जिस से स्थानीय निवासियों में उम्मीद बंधी है जल्द ही नमामि गंगे प्रोजेक्ट का लाभ गंगा को मिलना शुरू हो जायेगा।

एफआरआई में आयोजित होगी जरुरी पौधों के संरक्षण की कार्यशाला

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वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में दिनांक 17 मार्च, 2017 को ‘‘औषधीय पौधेः कृषिकरण एवं विपणन’’ पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य किसानों, सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों, वन विभागों, स्वयं सहायता समूहों, औषधीय पौधों के क्रेता-विक्रेताओ, उद्यमियों, अनुसंधान कर्ताओं एवं अन्य हितग्राहियों की औषधीय पौधों से जुड़ी हुई समस्याओं के निराकरण हेतु एक मंच उपलब्ध कराना है, जिससे औषधीय पौधों की खेती को लाभकारी बनाकर उनका उत्पादन बढ़ाया जा सके। साथ ही उनकी उपज को बाजार उपलब्ध कराया जा सके। सम्मेलन में औषधीय पौधों के संरक्षण, कृषिकरण, विपणन एवं गुणवत्ता निर्धारण आदि के बारे में सार्थक विचार-विमर्श किया जाएगा। डा0 सविता, निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि इस सम्मेलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, हरियाणा एवं पंजाब के किसान, गैर सरकारी संगठन, औषधीय पौधों से जुड़े उद्योगों के प्रतिनिधि, अनुसंधानकर्ता एवं अन्य हितग्राहियों के लगभग 80-100 प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है।

दुल्हे का पता नहीं, तैयार है बारात और मंडप

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मुख्यमंत्री को लेकर अभी सस्पेंस कायम है। कई न्यूज़ चैनल में तो त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम मुख्यमंत्री के लिए फ़्लैश भी हो गया है। प्रशासन ने अपनी तरफ से परेड ग्राउंड में शपथ ग्रहण समारोह के लिए बैरिकेडिंग लगाने के साथ ही कुर्सियां लगाना भी शुरु कर दिया है।
मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही गठजोड़ के बीच प्रशासन भी शपथ ग्रहण की तैयारियों को लेकर उलझन में है। अब हालात ऐसे बन रहे हैं कि शायद शपथ ग्रहण की तैयारी के लिए कम ही समय मिले ऐसे में प्रशासन ने परेड ग्राउंड को साफ करवा कर वहां बल्लियां लगाने और कुर्सियां लगाने का काम शुरू कर दिया है। हांलाकि शपथ कब और कहां पर होना है, यह नए मुख्यमंत्री को ही तय करना है। लेकिन पहले से तैयार रहने के क्रम में बुधवार सुबह डीएम रविनाथ रमन ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट से बात कर परेड ग्राउंड में शपथ ग्रहण की तैयारियों को लेकर चर्चा की। इस पर अजय भट्ट ने सहमति जताई है।
इसके बाद प्रशासन  ने यहां तैयारियां तेज कर दी है। प्रशासन ने समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य वी वी आई पी की मौजूदगी की संभावना को लेकर तैयारी कर रहा है।
लोकतंत्र के महा पर्व के अंतिम चरण में राजयोग की चाबी किसके हाथ लगी है इसके जवाब के लिए भले इंतज़ार करना पड़े,लेकिन उसके लिए शपथ का सही समय क्या हो। ये जानना राजनितिक रणनीतिकारों के लिए भी जरूरी है। ज्योतिषाचार्यो की नजर में 17 और 20 मार्च शपथ ग्रहण के लिहाज से बेहद शुभ तारीखें मानी जा रही हैं।

नजूल भूमि को फ्री होल्ड कर मालिकाना हक की मांग को लेकर प्रदर्शन

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रुद्रपुर, नजूल भूमि पर रहने वालों लोगों को फ्री होल्ड कर मालिकाना हक देने की मांग को लेकर लोगों ने नजूल भूमि संघर्ष समिति के बैनर तले कलक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। उन्होंने मुख्यमंत्री मंत्रों को संबोधित ज्ञापन एसडीएम को सौंपकर जल्द समस्या को दूर कराए जाने की मांग की।

कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन के दौरान लोगों ने कहा कि महानगर में नजूल भूमि पर विगत 40 वर्षों से हजारों परिवार रह रहे हैं। इतना ही नहीं लोग नगर निगम को गृहकर आदि का भी भुगतान करते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गरीब लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना व अन्य तरह से आवास देने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि नजूल भूमि पर रहने वाले लोगों को अभी तक मालिकाना हक नहीं मिल पाया है।

अब उच्च न्यायालय के आदेश के तहत नगर निगम नजूल भूमि पर बसे लोगों को हटाने के लिए नोटिस दे रहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग 40 वर्षों से यहां रह रहे हैं, वह लोग अपने घरों को छोड़कर कहां जाएं। नोटिस के चलते लोग परेशान हैं। उन्होंने कहा कि अगर उनका आशियाना ही छिन जाएगा तो वह सड़क पर आ जाएंगे। उन्होंने जनहित में नजूल भूमि पर बसे लोगों को फ्री होलेड कर मालिकाना हक देने की मांग की।

काशीपुर हमले के आरोपियों पर मामूली धाराएं लगाने पर भड़के

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काशीपुर, एक अधिवक्ता व उसके भाई पर हुए जानलेवा हमले के मामले में पुलिस द्वारा मामूली धाराएं लगाए जाने एवं आरोपियों की गिरफ्तारी न किये जाने के विरोध में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आनन्द स्वरूप रस्तोगी के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने कोतवाली पहुंच पुलिस के विरूद्ध नारेबाजी करते हुए धरना प्रदर्शन किया।

बता दें कि प्रभात कॉलोनी निवासी नरेश चन्द्र पुत्र हजारी सिंह ने पुलिस को तहरीर देते हुए कहा है कि उसके पुत्रा मोहित काम्बोज एड. अपने भाई मोहन काम्बोज के साथ बीती 12 मार्च की रात्रि बाइक द्वारा अपने घर लौट रहे थे कि कालोनी के पास विशाल कांबोज पुत्र विजय सिंह, संदीप बाबू, पुत्र ईश्वर चन्द्र व एक अन्य व्यक्ति ने उनके पुत्रों को घेर कर उन पर लाठी डण्डों व कांच की बोतलों से जानलेवा हमला कर उन्हें लहूलुहान कर दिया।

पुलिस ने घायल अधिवक्ता मोहित के पिता नरेश चन्द्र काम्बोज की तहरीर के आधार पर आरोपियों के विरूद्व धारा 323,504,506 आइपीसी के तहत नामजद रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच एसआई प्रशिक्षु भावना कर्णवाल को सौंपी थी। इधर आज अधिवक्ताओं ने उक्त मामले में मामूली धाराएं लगाए जाने व आरोपियों के खुले आम घूमने के विरोध में कोतवाली पहुंच पुलिस के विरूद्ध नारेबाजी कर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।

अधिवक्ताओं की मांग थी कि पुलिस जांच में हीलाहवाली बरत रही है तथा आरोपी खुलेआम घूमकर लगातार पीडि़तों को धमकी दे रहे हैं। अधिवक्ताओं ने मामले को धारा 307 या 308 आईपीसी में भी तरमीम करने की मांग की। इस दौरान एसएसआई व प्रभारी कोतवाल लाखन सिंह ने अधिवक्ताओं को बताया कि पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है तथा घायल अधिवक्ता का मेडिकल आने पर मेडिकल के आधार पर धाराएं बढ़ा दी जाएंगी। उन्होंने आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी का भी आश्वासन दिया।

रोज़गार की मीठी उड़ान है मधुमक्खी पालन

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उत्तराखंड प्रकृति से सराबोर एक ऐसा राज्य है जहां बाग बागानों और उद्यानों की कोई कमी नहीं है। ऐसे में बहुत से लोग अपनी जीविका के लिए इन बागों पर निर्भर रहते हैं। जी हां इन्हीं बागों पर निर्भर है उन व्यापारियों की कहानी जो अपनी रोजी रोटी के लिए हर साल देहरादून के अलग अलग जगहों पर अपना टैंट लगाकर अपने व्यापार को आगे बढाते हैं।

अगर आपको तो अच्छी बात,नहीं तो हम आपको बता दें कि देहरादून की मीठी लीची दुनियाभर में मशहूर है। इन्हीं लीची के बागानों में आजकल मधुमक्खियों के व्यापारी अपनी मधुमक्खियों के घर लेकर रह रहे हैं और मधुमक्खी पालन उद्योग इसमें उनकी भरपूर मदद कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों से न सिर्फ लोगों का रुझान इसकी तरफ बढ़ा है, बल्कि खादी ग्राम उद्योग भी अपनी तरफ से कई सुविधाएं प्राप्त करा रहा है। मधुमक्खी पालन एक लघु व्यवसाय है, जिससे शहद एवं मोम प्राप्त होता है। यह एक ऐसा व्यवसाय है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का पर्याय बनता जा रहा है। फिलहाल शहद उत्पादन के मामले में भारत पांचवें स्थान पर है।

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देहरादून के अलग अलग क्षेत्र बिंदाल पुल, रायपुर, वसंत विहार, डालनवाला, अजबपुर, राजपुर के बागान और उनके फुलों पर मधुमक्खियां ही नज़र आएंगी।बिंदाल के पास लीची के बाग में अपनी मधुमक्खियां लेकर आए व्यापारी रामकुमार बताते हैं कि सन 1992 से वह अपनी मधुमक्खी लेकर यहां आते हैं और शहद बनने तक यहीं रहते हैं।इस समय रामकुमार लगभग 1000 मधुमक्खी के बक्से के साथ यहां रह रहे हैं।रामकुमार कहते हैं कि लीची के फुलों से मधुमक्खियों को ज्यादा मात्रा में रस मिलता है जिससे शहद भी ज्यादा स्वादिष्ट और सेहतमंद निकलता है।सहारनपुर के यह व्यापारी हर साल अपना रुख देहरादून की तरफ मोड़ते हैं और शहद निकलने के बाद लाखों का व्यापार करते हैं।रामकुमार ने बताया कि इतना ही नहीं इस दौरान वह मधुमक्खी पालन के लिए वर्कशाप का आयोजन भी करते हैं।

मधुमक्खी पालन से संबंधित कुछ जरुरी सवालों के जवाब इस प्रकार हैः

  • कब शुरू करें मधुमक्खी पालन?
    मधुमक्खी पालन के लिए जनवरी से मार्च का समय सबसे उपयुक्त है, लेकिन नवंबर से फरवरी का समय तो इस व्यवसाय के लिए वरदान है।
  • यह व्यवसाय कितनी लागत से शुरू किया जाना चाहिए?
    शुरू में यह व्यवसाय कम लागत से छोटे पैमाने पर आरंभ करना चाहिए। मधुमक्खी की प्रमुख किस्में छोटी मधुमक्खी, सारंग मधुमक्खी, भारतीय मधुमक्खी तथा इटेलियन मधुमक्खी का इस्तेमाल करना चाहिए। इन मधुमक्खियों से शहद अधिक प्राप्त होगा और मुनाफा भी ज्यादा होगा।
  • इसके लिए सबसे उपयुक्त मौसम कौन-सा है?
    सबसे उपयुक्त मौसम नवम्बर से फरवरी तक का है। यह समय मधुमक्खियों के लिए तापमान के हिसाब से सबसे उपयुक्त है और इसी मौसम में ही रानी मक्खी अधिक संख्या में अंडे देती है।
  • बचाव
    जहां मधुमक्खियां पाली जाएं, उसके आसपास की जमीन साफ-सुथरी होनी चाहिए। बड़े चींटे, मोमभझी कीड़े, छिपकली, चूहे, गिरगिट तथा भालू मधुमक्खियों के दुश्मन हैं, इनसे बचाव के पूरे इंतजाम होने चाहिए।

मधुमक्खी पालन ना केवल एक आसान बल्कि अच्छी आमदनी वाला व्यवसाय भी है।अगर इसके कुछ बिंदुओं पर ध्यान दिया जाए तो बिना किसी प्रशिक्षण के भी लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं और अच्छा कर रहें हैं।खासकर प्रकृति के करीब शहर देहरादून जो फरवरी से लेकर मार्च के महीनों में मधुमक्खी पालन का केंद्र रहता है।

कौन करेगा उत्तराखंड विधानसभा में कांग्रेस का नेतृत्व

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2017 के चुनाव में तगड़ी शिक्स्त मिलने के बाद अब कांग्रेस के लिए यह तय कर पाना थोड़ा मुश्किल होगा कि कौन होगा कांग्रेस पार्टी का विधान दल का नेता। एक तरफ हरीश रावत अपनी दोनों सीटों से चुनाव हार चुके हैं वहीं पार्टी प्रदेश अध्यक्ष भी अपनी सीट गवां चुके हैं। प्रदेश की सत्ता से हटकर विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई कांग्रेस के खाते में केवल 11 विधायक आए हैं।इनमें से भी कुछ नए हैं और कुछ का अनुभव कम है।सारी गणित लगाने के बाद जो नाम ज़हन में आते हैं वो है
  • इंदिरा हृदयेश
  • गोविंद सिंह कुंजवाल और
  • प्रीतम सिंह
अब से पहले तक कांग्रेस की बागडोर प्रदेश के सीएम रावत और अध्यक्ष का कार्यभार किशोर उपाध्याय के हाथ में था लेकिन दोनो ही दिग्गज नेताओं की अपनी सीटों पर करारी हार के बाद कांग्रेस संगठन में बदलाव के आसार नज़र आ रहे हैं। प्रदेश में अब तक हर तरह से कांग्रेस की बागडोर हरीश रावत के हाथ में थी जिसके चलते लंबे समय से संगठन और सरकार में तनातनी बनी हुई थी। संगठन में बदलाव के साथ ही नई विधानसभा में कांग्रेस विपक्ष की भूमिका महत्तवपूर्ण रहेगी। ऐसे में पार्टी के भीतर नए नेतृत्व को लेकर चर्चाएं जोरो पर हैं। इन चर्चाओं में मुख्य तरह से पिछली सरकार के वरिष्ठ नेताओं में जो दो नाम हैं वह हैं इंदिरा हृदयेश और प्रीतम सिंह। इसके अलावा जागेश्वर से जीतने वाले वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह कुंजवाल को भी इस रेस में माना जा रहा है।
अब तक हुए चार विधानसभा चुनाव में पहली बार कांग्रेस की इतनी दुर्गति हुई है अब इसका ठीकरा कौन किसके सर फूड़ोगा यह तो वक्त ही बताएगा। 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश की बागडोर हरीश रावत के हाथ में दी थी, लेकिन चाहे रावत हो या फिर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर कोई भी मोदी लहर के सामने ठहर नहीं पाया। अब जब चुनाव में ये पूरी कवायद धरी रही गई तब चुनाव प्रबंधन और रणनीति पर सवाल उठना लाज़मी है।