जल्द जारी होगा अधूरी परियोजनाओं के लिए बजटःसीएम त्रिवेंद्र
ड्रग्स और भू माफिया पर शिकंजा कसने पर दिया जाए बलःसीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
सत्ता में आते ही भूल जाते है पलायन की बात
उत्तराखंड में सत्ता की सियायत करने वाली हर राजनीतिक पार्टियां चुनाव के समय पहाड़ से पलायन करने जैसी गंभीर समस्याओं को उठाती है लेकिन जैसे ही सत्ता में आती है तो पलायन की बात भूल जाती है। टिहरी के ग्रामीणों का कहना है कि पहले किरासू गांव में 15 परिवार रहते थे, लेकिन सुविधाओं के अभाव के कारण आठ परिवार पलायन कर गए।
उत्तराखण्ड में पलायन की बात पिछले कई वर्षों से की जाती है लेकिन अब तक इसका असर नहीं दिखा और पलायन जारी है। चुनाव से पहले हर राजनीतिक दल इस मुद्दे को जोरों शोरों से उठाते है लेकिन सत्ता के लोभ में इस विषय को पद आसीन होते ही भूल जाते हैं।
पलायन को रोकने के नाम पर सियासतदां, अधिकारी और कथित समाजसेवी सभी मौके के हिसाब से आलाप-प्रलाप करते रहे, लेकिन इस पलायन की तह तक जाकर उसका निदान करने की ठोस कार्ययोजना आज तक बनाया ही नही गई। अपने घरबार की आजाद हवा छोड़कर शहरों के संकुचित क्षेत्र में आ बसने के पीछे के दर्द को समझा तक नहीं गया।
प्रदेश में बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधा से आज भी पहाड़ के लोग कोसो दूर हैं। हालांकि कुछ क्षेत्रों ये सुविधाओं मिल रही है लेकिन संतोषजनक नहीं है। यहीं नही यहां लोगों को घर परिवार चलाने के लिए रोजी रोजगार की समस्यायें बनी रहती है। इस कारण यहां के लोग दूसरें राज्यों में नौकरी पेशा के लिए जाना बेहतर समझ रहे है।
पहाड़वासियों को अलग राज्य तो मिल गया, पर विरासत में वह संस्कार और सोच नहीं मिल पाए जो ‘कालापानी’ को देवभूमि बना पाते। उत्तर प्रदेश से राज्य को मिले अधिकारी-कर्मचारी पहाड़ चढ़ने को राजी नहीं हुए। यहां तक कि जो मुलाजिम पहाड़ी मूल के भी थे, उन्होंने राज्य के मैदानी हिस्सों में ही पांव जमाए और पहाड़ से संबंध सिर्फ मूल निवास-जाति प्रमाण पत्र लेने या फिर किसी ‘दैवी कृपा’ की चाह में अपने कुल देवी-देवता के दरबार में एक-आध घंटा जाकर मत्था टेकने तक ही सीमित रहा।
धनौल्टी के ग्रामीणों का कहना है कि उनकी ग्राम सभा किरासू में 15 परिवार रहते थे, लेकिन सुविधा नहीं होने से आठ परिवार पलायन कर गए। राजस्व गांव कुरियाणा में छह परिवार थे तीन परिवार पलायन कर गये। डाडांगांव में बिजली नहीं होने से लोग आज भी परेशान है।
21 वीं सदी में आज भी पहाड़ के लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए पहाड़ छोड़कर पलायन करने को मजबूर हैं।
भाजपा कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय पार्टियां है और राज्य से लेकर केन्द्र की सत्ता पर इनकी पकड़ रहती है। उत्तराखण्ड में बारी-बारी से इन दोनों की सरकार बनती है। फिर भी पलायन जैसी गंभीर मुद्रा को दूर करने में विफल साबित हो रहे है।
पलायन रोकने के लिए स्वावलंबन और रोजगारपरक शिक्षा की बातें तो हर सरकार और उनके मंत्री करते है लेकिन जमीन पर उतरता दिखाई नही दे रहा है।
बीजेपी की प्रचंड बहुमत से बनी सरकार के नए सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी पहली प्रेस कांफ्रेंस में पलायन मुद्दे पर बात की और कहा कि सरकार पूरी कोशिश करेगी की पलायन को रोक सके और युवाओं को सारी सुविधाएं मिल सके।अभी ते शुरुआती दौर है लेकिन क्या सच में यह सरकार पलायन के लिए कुछ करेगी यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।
अल्मोड़ा के गांव में पेड़ काटने वाले को 5 लाख जुर्माने के साथ लगाने पड़ेगें 270 पेड़
एनजीटी के नए आदेश के मद्देनज़र अल्मोड़ा जिले के एक गांव चौकुनी में पेड़ काटने वाले हर मामले पर पांच लाख का जुर्माना लगाया है।जुर्माना देने के साथ ही संबधित भूमि पर आरोपी को 270 तरह के प्रजाति के पौधे लगाने के आदेश दिये हैं।एनजीटी ने एक बात साफ कह दी है कि पर्यावरण संरक्षण में पेड़ों की भूमिका सबसे अहम है और ऐसे में अगर कोइ अपनी निजी भूमि पर भी पेड़ काटने का अपराध करेगा तो उसे यह दंड भुगतना पड़ेगा।
आपको बता दैं कि गांव चौकुनी में रहने वाले विजय शील उपाध्याय और वंदना उपाध्याय के खिलाफ की गई थी जो निजी जमीन की आड़ में वन भूमि के पेड़ों को भी एक एक करके काट रहे थे।जबकि गांव वालों का कहना है जिस जमीन के पेड़ काटे गए हैं वह जमीन आज से 35 साल पहले वन विभाग को दे दी गई थी।इस केस के जवाब में न्यायाधीश स्वतंत्र कुमार ने आरोपी विजय और वंदना पर 27 पेड़ों को काटने पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।एनजीटी ने साफ कर दिया है कि यह जुर्माना सीधे वन विभाग के खाते में जाएगा जिससे फारेस्ट डिर्पाटमेंट एर बार उस जमीन पर वनीकरण करेगा।इसके साथ ही आरोपियों को एनजीटी ने आदेश दिया है कि 270 तरह के पौधे भी उस जमीन पर लगाए जाऐंगे जो विजय और वंदना लेकर आऐंगे और इन पौधों का चुनाव एनजीटी करेगा।
एनजीटी का यह फैसला अभी अल्मोड़ा जिला के लिए है लेकिन अगर यह फैसला पूरे प्रदेश के लिए हो जाए तो आए दिन पेड़ काटने वालों पर लगाम लग जाएगा। अल्मोड़ क्षेत्र आपदा के लिहाज से बहुत संवेदनशील है जिसको रोकथाम की बागडोर सरकार के हाथ में है।एनजीटी के इस फैसले से कहीं ना कहीं पैड़ों की कटौती पर रोक लगेगी।
हौसलों से कायम की मिसाल,अपनी कमजोरी को बनाई अपनी ताकत
कहते है अगर हौसले मजबूत हो और कुछ करने की ललक मन में हो तो कुछ भी नामुमकिन नही है। कुछ ऐसा ही देखने को मिला है धर्मनगरी ऋषिकेश में, यहाँ अंजना नाम की एक लड़की रोज गंगा किनारे बैठती है और अपने परिवार के पालन पोषण के लिए पेंटिंग बनाती है , पर आपको जानकर आश्चर्य होगा की ये अंजना माली पेंटिंग्स को अपने हाथ से नही बल्कि पांव से बनाती है ।
बचपन से ही प्रकृति का चेलेंज झेल रही अंजना के दोनों हाथ नही है और कमर में प्रॉब्लम होने के कारण झुक कर चलती है। एक बेहत गरीब परिवार से होने के कारण आर्धिक मदद का तो सवाल ही नही होता,अंजना ने खुद ही पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठाने की सोची ,और अपने पैर से पेंटिंग करनी शुरु की , आज न केवल उसके द्वारा बनाई गई पेंटिंग लोगों को पसंद आती है बल्कि लोग उन पेंटिंग को खरीदते भी है। जिससे अंजना का घर चलता है।अंजना का सपना है कि एक दिन वो अपनी एक पेटिंग को प्रधानमंत्री जी को भेंट करें। अंजना माली बताती है कि अगर हम कोशिश करे और हिम्मत से काम करें तो कोई भी काम नामुमकिन नही।आज अंजना उन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा है जो प्रकृति का चेलेंज झेल रहे है । अंजजना सबको सीख दे रही है की चाहे कोई भी परिस्थिति क्यूँ न हो हमें उनका सामना करना चाहिए।
काशीपुर शहर को हादसों का इन्तजार
उत्तराखण्ड का डबल इंजन अब करेगा काम
नैनीताल हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला,गंगा और यमुना नदी को दिए जीवित मनुष्य के समान अधिकार
अगर आप गंगा में प्रदुषण करते है तो चेत जाईये क्योंकि आने वाले दिनों में आपको सजा भी हो सकती है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक गंगा निर्मल और स्वच्छ नही हो आई है ऐसे में अब उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने गंगा के प्रति एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए गंगा को जीवित मनुष्य के समान अधिकार देने का फैसला किया है जो की गंगा माँ के लिए एक एहम कदम माना जा रहा है।
धरती की सबसे पावन नदी गंगा जिसके एक आचमन से ही जन्मों-जन्मों के पाप धुल जाते है आज खुद बेहद मैली हो चुकी है। जिनके लिए इस पावन नदी को धरती पर आना पड़ा उन्ही ने इसकी कदर नहीं की जिसके चलते आज गंगा अपने ही घर में मैली हो चुकी है। गंगा में बढ़ते प्रदूषण को रोकने में जहाँ सरकार नाकाम दिखती आई है तो वहीँ अब उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने गंगा के लिए बेहद खास कदम उठाया है।
नैनीताल कोर्ट ने गंगा नदी को भारत की पहली जीवित मानव की संज्ञा दी है यानि की गंगा और युमना नदी को जीवित मानव के समान अधिकार दिए जाने को कहा है। ये मैली होती गंगा नदी के लिए अहम कदम माना जा रहा है। देश में पहली बार किसी अदालत ने गंगा और युमना नदी के लिए ऐसा ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। न्यायालय ने केंद्र सरकार को 8 सप्ताह में गंगा मैनेजमेंट बोर्ड बनाने के निर्देश दिए है और जल्द से जल्द इसपर काम करने को कहा गया है।
आपको बता दे की विश्व में अभी तक सिर्फ न्यूजीलैंड की वानकुई नदी को ही जीवित मनुष्य के समान अधिकार दिए गए है ऐसे में नैनीताल हाई कोर्ट का गंगा-युमना के प्रति लिया गया ये फैसला काफी सराहनीय है। गंगा प्रेमी मानते है कि इस फैसले का गंगा पर बेहद अच्छा असर पड़ेगा और गंगा एक बार फिर साफ़ और स्वच्छ हो सकेगी। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के इस कदम से जहाँ लोगों में गंगा के प्रति जागरूकता बढ़ेगी तो वहीँ लगातार मैली होती गंगा को स्वच्छ बनाया जा सकेगा।
हल्द्वानी में पकड़ा गया फर्जी कागज़ बनाने वाला गैंग
जिलाधिकारी दीपक रावत ने इन्द्रा नगर में जियाउद्दीन कुरैशी के घर पर आधार सेवा केन्द्र में ई जनसेवा केन्द्र मे फर्जी अभिलेखों के आधार पर स्थायी, आय, चरित्र, जाति प्रमाण पत्र, राशनकार्ड आवेदन, जन्ममृत्यु प्रमाण पत्र, आधारकार्ड आदि बनाए जाने का गोरखधंधा पकड़ा।
प्राप्त शिकायत के अनुसार जिलाधिकारी ने इन्द्रानगर जियाउद्दीन कुरैशी के घर पर चलाए जा रहे आधार सेवा केन्द्र के साथ ही ई जनसेवा केन्द्र चलाया जा रहा है। जहां पर फर्जी अभिलेखों के आधार पर प्रमाण पत्र निर्गत किये जा रहे हैं। जिलाधिकारी रावत ने इन्द्रा नगर जाकर जियाउद्दीन के घर पर चलाए जा रहे ई जनसेवा केन्द्र पर औचक छापा मारा। पाया गया कि मयंक मास्क के नाम से अवैध रूप से ई जनसेवा केन्द्र चलाया जा रहा है जिसमें अवैध रूप से फर्जी अभिलेखों के आधार पर स्थायी, आय, चरित्र, जाति प्रमाण पत्र, राशनकार्ड आवेदन, जन्ममृत्यु आदि प्रमाण पत्र बनाये जा रहे हैं। स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए एक ही विद्युत बिल में नाम परिर्वतन कर अलग अलग छह लोगों के नाम से स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाए गये। ई जनसेवा केन्द्र का लाईसेन्स मयंक निवासी ग्राम नाई तहसील धारी के नाम से जारी किया गया है जो कि मानकों के अनुसार उसी ग्राम सभा में चलाया जा सकता है। इस लाइसेन्स पर अवैध रूप से इन्द्रा नगर में ई जनसेवा केन्द्र चलाया जा रहा था।
जिलाधिकारी द्वारा ई जनसेवा केन्द्र के कम्प्यूटर्स सीपीयू, प्रिन्टर्स के साथ ही सभी दस्तावेज जब्त कर, ई सेवा केन्द्र को सील कर दिया गया। जिलाधिकारी ने कहा कि इस प्रकार के ई सेवा केन्द्र अवैध रूप से चल रहे है उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने जनपद के उपजिलाधिकारियों से कहा है कि वे स्वयं भी अपने क्षेत्र में चल रहे ई सेवा केन्द्रों का निरीक्षण करेें।
छापेमारी में सिटी मजिस्टेट केके मिश्रा, उपजिलाधिकारी एपी बाजपेई, तहसीलदार डीआर आर्या, सहायक नगर आयुक्त दिलीप कपूर, बिजेन्द्र सिंह चौहान आदि मौजूद थे।
ईडब्लूएस निवासी युवती को शादी का झांसा देकर युवक ने रुद्रपुर के होटल में दुराचार किया
महानगर की आवास विकास कालोनी में ईडब्लूएस निवासी युवती को शादी का झांसा देकर नोएडा के युवक ने रुद्रपुर के होटल में दुराचार किया। विरोध करने पर रिश्ता तोडऩे की धमकी दी। बाद में युवक और उसके माता पिता ने शादी से इंकार कर दिया, युवती ने कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी तो रेप का आरोपी विदेश भाग गया। युवती ने महानगर कोतवाली में नोएडा के सेक्टर 20 ई 36 निवासी परिवार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
आवास विकास कालानी में ईडब्लूएस निवासी गंगा (काल्पनिक नाम) का कहना है कि मैट्रोमोनियम वैबसाइड जीवन साथी पर उसका संपर्क नोएडा के सेक्टर 20 ई 36 निवासी सौरभ डोभाल पुत्र रमेश चंद्र डोभाल से हुआ। इसके बाद दोनों ने अपने मोबाइल नंबर एक दूसरे को दे दिए और लगातार बात करने लगे। गंगा का कहना है कि सौरभ ने उसे बताया था कि वह पुणे की कग्रिजेट कंपनी के आईटी विभाग में काम करता है। वह इन दिनों यूएसए में कंपनी के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। पिछले साल 27 जनवरी को दोनों की मुलाकात लखनऊ में हुई जहां सौरभ ने उसे बताया कि उसने गंगा के साथ शादी करने का प्रस्ताव अपने परिवार के सामने रखा तो वह मान गए। साथ ही उसने गंगा से अपने माता पिता को नोएडा भेजकर शादी की बात करने का कहा था। सौरभ के प्रस्ताव पर गंगा ने अपने परिवार को नोएडा भेज दिया जहां दोनों परिवारों के बीच शादी की तारीख 16 नवंबर 2016 तय कर दी गई। गंगा के परिवार ने शादी की तैयारी शुरू कर दी। शादी से कुछ दिन पहले 22 अक्तूबर को सौरभ शादी की खरीदारी करने के बहाने रुद्रपुर आया। उसने रुद्र कांटिनेंटल होटल में कमरा लिया और उसे होटल में बुला लिया। सौरभ ने उस पर रात को होटल ने ही रुकने का दबाव बनाया। वह मंगेतर के झांसे में आ गई और सौरभ के साथ होटल में ही रुक गई। गंगा का कहना है कि रात को सौरभ ने उसकी मर्जी के खिलाफ उससे शारीरिक संबंध बनाए। 23 अक्तूबर को वह नोएडा लौट गया।
गंगा का कहना है कि इसके कुछ दिन बाद सौरभ ने पंडित का हवाला देते हुए शादी तीन महीने के टाल दी। इसके बाद उसने फोन करना बंद कर दिया। उसके परिवार ने भी गंगा का फोन रिसीव करना बंद कर दिया। नोएडा जाककर उसके परिजनों ने बात करनी चाही तो उसके परिवार ने शादी से इंकार कर दिया। उन्हें जलील भी किया। इस बीच सौरभ डोभाल विदेश भाग गया। उसने गंगा से संपर्क समाप्त कर दिया। बदनामी के डर से उसके परिवार ने इस साल जनवरी में फिर नोएडा जाककर बात करने की कोशिश की तो गंगा के परिवार को फिर अपमानित किया और शादी से साफ इंकार कर दिया। साथ ही कहा कि गंगा का परिवार उनकी मांग पूरी नहीं कर सकेगा। इस तरह शादी के झांसे में ठगी गई गंगा ने अब महानगर कोतवाली में सौरभ डोभाल, उसके पिता रमेश चंद्र डोभाल और मां सुधा डोभाल के खिलाफ एफआईआर लिखाई है।