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आने वाले दिनों में सताएगी दिल्ली की दौड़

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आगामी दिनों में उत्तराखंड से दिल्ली की दौड़ काफी मुश्किल भरी होगी। कावड़ यात्रा के चलते राज्य के परिवहन निगम ने रूट डायवर्ट करने का फैसला किया है। जिसके चलते न सिर्फ गंतव्यों तक पहुंचने में समय अधिक लगेगा बल्कि आर्थिक रूप से भी यात्रियों की जेब पर भार पड़ेगा। 15 जुलाई से रूट डायवर्ट कर दिया जाएगा।

राज्य में श्रावण मास शुरू होने को है, इसके साथ कावड़ यात्रा भी शुरू होनी है। प्रदेश के विभिन्न विभागों ने कावड़ को लेकर तैयारियां भी शुरू कर दी है। पुलिस विभाग की ओर से जहां अतिरिक्त पुलिस बल को यात्रा में सुरक्षा के लिए तैनात किया जाना है, वहीं स्वास्थ्य विभाग की टीमों को भी अलर्ट मोड में रहने के निर्देश दिए जा रहे हैं। इसी क्रम में परिवहन निगम भी यात्रा को लेकर बसों के रूट आदि को लेकर कार्ययोजना तैयार कर रहा है। निगम की ओर से विभिन्न राज्यों के जाने वाली बसों के रूटों को डायवर्ट किया जाने का निर्णय लिया गया है। राज्य से सटे उत्तरप्रदेश व हिमाचल प्रदेश के कई जिलों के साथ ही हरियाणा, पंजाब व अन्य प्रदेशों के लिए किए जाने बसों के संचालन व उनके रूट को बदला गया है। निगम 15 जुलाई से रूट डायवर्ट प्लान को लागू करेगा।

जेब पर पड़ेगा आर्थिक बोझ
कावड़ यात्रा में होने वाले रूट डायवर्जन से बसों को लंबी दूरी तय कर अपने गंतव्यों तक पहुंचना पड़ेगा। इसमें एक से दो घंटे का समय अतिरिक्त लगेगा। इसके अलावा, बसों को इसके लिए 70 से 80 किलोमीटर की कर दूरी भी अतिरिक्त रूप से तय करन होगी। जिसमें ईंधन की खपत भी अधिक होना तय है। इसके लिए निगम ने किराए में भी बढ़ोत्तरी करने का फैसला किया है। परिवहन निगम के महाप्रबंधक आॅपरेशन दीपक जैन ने बताया कि वोल्वो, एसी, हाई-टेक व साधारण श्रेणी की सभी बस सेवाओं को कावड़ यात्रा में संचालित करने में निगम को किसी प्रकार की परेशानी न हो इसके लिए रूट डायवर्ट किए जाने हैं। रूट डायवर्ट होने से दिल्ली से देहरादून जाने में लगने वाले समय में तकरीबन दो घंटे का समय अधिक लगेगा। बसों को करनाल रूट से डायवर्ट किया जाएगा, यानि बस पांच घंटे की बजाय सात घंटे दिल्ली तक पहुंचने में लेगी। दूरी को देखते हुए हुए निगम ने किराए में बढ़ोत्तरी की है। कावड़ यात्रा के बाद पुन: निर्धारित मार्ग व किराए दर पर बसें संचालित होंगी।

रूट डायवर्ट से किराए में बढ़ोत्तरी
सेवा- किराए में अंतर

वोल्वो- 70 से 80 रुपये
एसी बस- 55 से 60 रुपये
हाई-टेक बस- 50 रुपये
साधारण बस- 40 रुपये

लोन वापसी के नोटिस से किसान की हुई मौत

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नानकमत्ता क्षेत्र, रुद्रपुर के ग्राम बिरिया भूड़ का एक किसान बैंक वालों के ऋण जमा करने के दबाव के आगे इस कदर टूट गया कि पूरी रात रोया। बैंक कार्रवाई होने के सदमे से उसकी मौत हो गई।

क्षेत्र के ग्राम बिरिया भूड़, निवासी मस्सा सिंह, ने उत्तराखंड ग्रामीण बैंक की सितारगंज शाखा से क्राप लोन लिया था। बाद में उस लोन को ट्राली के नाम ट्रांसफर कर दिया गया। दो दिन पहले सितारगंज से बैंक के अधिकारी उसके घर पहुंचे तथा लोन जमा करने के लिए न सिर्फ मौखिक दबाव डाला, बल्कि नोटिस थमा कर 15 दिन में पूरी रकम जमा करने को कहा। साथ ही लोन जमा न करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई। उसे बैंक का एक लाख इक्यानवें हजार एक सौ बाइस रुपये जमा करने थे, वह 15 दिन में इतनी रकम जुटा पाने में असमर्थ था। बैंक वालों के जाने के बाद से ही मस्सा सिंह के चेहरे पर तनाव आ गया। किसान के पास सिर्फ दो एकड़ जमीन है। मस्सा सिंह के भतीजे जगदीश सिंह ने बताया कि मस्सा सिंह रात भर रोता रहा। परिवार वालों के समझाने के बाद भी उसका तनाव कम नहीं हुआ। कार्रवाई की चेतावनी के सदमे से उसकी गत दिवस मौत हो गई, जिससे परिवार में कोहराम मच गया।

जगदीश सिंह का आरोप  है कि मस्सा सिंह की मौत के लिए बैंक प्रबंधन जिम्मेदार है। घटना के बाद अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष त्रिलोचन सिंह ने कहा कि उत्तराखंड का किसान कर्ज में डूबा हुआ है। प्रदेश सरकार को किसानों का कर्ज माफ करना चाहिए। कर्ज से डूबे किसानों की लगातार मौत हो रही है, जो बेहद शर्मनाक है। जिलाधिकारी नीरज खैरवाल ने कहा कि उनकी परिवार के साथ सहानुभूति है। वह अफसरों को गांव भेजेंगे, परिवार को किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। परिवार को कृषि योजनाओं से लाभांवित किया जाएगा।

नैनीताल के पार्किंग स्पेस ना होने वाले 50 फीसदी होटलों के कमरे होंगे बंद

हाई कोर्ट ने नैनीताल में पर्यटन सीजन के दौरान जाम और वाहनों के अंधाधुंध प्रवेश पर गंभीर चिंता जताते हुए पार्किंग विहीन होटलों में 50 फीसदी कमरे बंद करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने अवैध गेस्ट हाउस तथा पर्यटन सीजन में होटल के तौर पर किराये में दिए जा रहे भवनों को चिह्नित करने तथा नए टैक्सी परमिट जारी नहीं करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जोड़ा है कि यदि परमिट जारी हो तो संबंधित वाहन नैनीताल को प्रवेश ना दिया जाए।

न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया व न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की खंडपीठ में नैनीताल निवासी प्रो. अजय रावत की शहर में अतिक्रमण को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट के आदेश पर डीएम दीपेंद्र चौधरी, एसएसपी जन्मेजय खंडूरी, आरटीओ राजीव मेहरा, पालिका ईओ रोहिताश शर्मा कोर्ट में पेश हुए।

एसएसपी ने कोर्ट के समक्ष बताया कि नैनीताल शहर में अधिकतम डेढ़ हजार वाहनों के पार्किंग की व्यवस्था है मगर पीक सीजन में एक दिन में हल्द्वानी-भवाली मार्ग से आठ हजार वाहन पहुंचे, जबकि कालाढूंगी रोड से आने वाले वाहनों की संख्या अलग है। इसके अलावा ईद के अगले दिन शहर में हजारों बाइकर्स पर्यटक नैनीताल पहुंच गए।

खंडपीठ ने पर्यटन सीजन की अवधि के दौरान नैनीताल में पर्यटकों की भारी भीड़ व क्षमता से कई गुना अधिक भीड़ के नियंत्रण के लिए विशेषज्ञों से राय लेने को कहा है। साथ ही तल्लीताल रिक्शा स्टैंड के समीप संचालित लेक ब्रिज चुंगी को हल्द्वानी, भवाली रोड, कालाढूंगी रोड में शिफ्ट करने के आदेश दिए। अदालत ने कहा कि नैनीताल के अधिकांश होटलों के पास पार्किंग नहीं है।

इसके बावजूद होटल संचालक क्षमता से अधिक पर्यटकों को ठहराते हैं। इसलिए भीड़ को कम करने के लिए बिना पार्किंग वाले होटलों में 50 फीसद से अधिक कमरे ना लगाए  जाएं। कोर्ट ने बारापत्थर में अवैध घोड़ा संचालन पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश भी दिए।

खंडपीठ ने कहा कि शासन नए परमिट जारी नहीं करे, परमिट जारी करने पर उस वाहन को नैनीताल में प्रवेश नहीं दिया जाए। जिला एवं पुलिस प्रशासन समेत अन्य से कोर्ट के आदेश के अनुपालन की कार्रवाई रिपोर्ट देने को कहा है।

वहीं होटल व्यापार मंडल के अध्यक्ष संदीप साहनी का कहना है कि,  ”ये एक छोटा समाधान है। पर्यटक स्थलों पर ट्रैफिक की समस्या के समाधान के लिये मूल मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है। हिल स्टेशन अपनी क्षमता से ज्यादा बढ़ गये हैं, वहीं पर्यटन राज्य की जीडीपी का करीब 30 प्रतिशत है और राज्य के करीब एक तिहाई लोग इससे सीधे तौर पर जुड़े हैं। सरकार को यहां की मूल भूत सुविघाओं के विकास पर तेजी से ध्यान देने की जरूरत है।”

लोकगायक नेगी दा के स्वास्थ्य में सुधार, खाया दलिया

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उत्तराखण्ड के लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे है और वह आज अपने परिजनों संग बातचीत कर प्रशंसकों व अपनों के चेहरे पर मुस्कान ला दी। वहीं अस्पताल चिकित्सकों का कहना है कि नेगी दा के स्वास्थ्य में लगातार सुधार हो रहा है।

मंगलवार को नेगी दा ने अस्पताल में परिवार के सदस्यों से बातचीत करते हुए दलिया भी खाया। बीते सोमवार को उन्होंने पहाड़ देखने की इच्छा जताई तो उनका बेड खिसकाया गया। जहां से वह हरे पेड़ और पहाड़ देख सकें। पहाड़ों को देखकर उनके चेहरे पर मुस्कान लौट आई।
लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी पिछले कई दिनों से मैक्स अस्पताल में भर्ती हैं। पौड़ी के बीरोंखाल से एक कार्यक्रम से लौटते वक्त उन्हें हार्ट अटैक पड़ा था। यह खबर सुनते ही नेगी दा के देश-विदेश में मौजूद प्रशंसक चिंतित हो गए थे और कहर कोई उनके लिए दुआ मागने लगा। दुआओं का ही असर रहा कि धीरे-धीरे उनके स्वास्थ्य में सुधार देखने को मिल रहा है।

ये हैं वो विधायक जिन्होने अपनी ही सरकार पर उठाई उंगली

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कभी विपक्ष में होने का हवाला देकर विकास कार्य ना होने का रोना रोने वाले विधायक अब अपनी ही सरकार में बजट ना होने की दुहाई देकर विकास कार्य ना होने की बात कहकर अपनी ही सरकार पर उंगली ऊठा रहे हैं। जिसमें से एक है काशीपुर के विधायक हरभजन सिंह चीमा, जिनके अनुसार काशीपुर की सड़कें बदहाल हैं मगर बनाने के लिए बजट नहीं है। उनका कहना है कि पिछली कांग्रेस सरकार ने भाजपा का विधायक होने के नाते काशीपुर क्षेत्र की पुरी तरह से अंदेखी की, मगर अब भाजपा की सरकार में भी जितने धन की जरुरत थी वो नहीं मिल पाया है जिससे क्षेत्र की सडकों कि स्थिती बदहाल बनी है।
विधायक चीमा ने तो यहां तक कह दिया कि उन्ही की सरकार में मिला बजट उनके लिए उंठ के मुंह में जीरे के बराबर है, लिहाजा जहां काशीपुर विधानसभा क्षेत्र में सडकों की लगातार हो रही बदहाली से जहां आम जनता त्रस्त है वहीं क्षेत्रीय विधायक धन का रोना रोकर सडकों के निर्माण ना होने की बात कह रहे हैं। वहीं अब हरभजन सिंह चीमा के इस बयान ने अपनी ही सरकार पर उंगली उठाकर विपक्ष को घर बैठे एक मुद्दा जरुर दे दिया है।

स्कूल में घुसा मलबा, हादसा टला

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रात गिरीश चंद बडोनी, प्रधानाचार्य एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, कालसी ने थाना कालसी को फोन से सूचना दी कि भारी बारिश के कारण उनके स्कूल के प्रशासनिक भवन के भूतल, खेल मैदान तथा मुख्य गेट पर भारी मात्रा में मलबा आ गया है।एसङीअारएफ देहरादून ने तुरंत मौका पर जाकर रिलीफ अौर रेस्क्यू काम शुरु किया।

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प्रशासनिक भवन से कुछ दूरी पर उनका छात्रावास स्थित है, जिसमें कुल 343 छात्र रह रहे हैं। जिनमें से 329 छात्र वर्तमान में उपस्थित थे। उक्त विद्यालय, समाज कल्याण विभाग द्वारा जनजातीय बच्चों के लिए संचालित किया जाता है। पुलिस द्वारा मौके पर पहुंचकर बच्चों को स्कूल परिसर से सुरक्षित बाहर निकाला गया।  मलबे से स्कूल के छात्रावास को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुँची है, केवल प्रशासनिक भवन में धनहानि हुई है।⁠⁠⁠⁠

पहाड़ के युवाओं को नया जीवन दे रहे ये कर्नल साहब

इस कहानी उन में से एक की हैं जिन होने अपने आसपास की जिंदगी बदल दी हैं और कर्नल कोठियाल इस बात का जीता जागता उदाहरण है। सन 2013 में कर्नल अजय कोठियाल ने एनआईएच, उत्तरकाशी के प्रिंसिपल का कार्यभार संभाला था।जून 2013 में उत्तराखंड में आई दैविक आपदा ने पूरे प्रदेश में कहर ढाया, एनआईएच देश का माउंटेयरिंग इंस्टीट्यूट होने के कारण रिलीफ और रेस्क्यू आपरेशन में लग गया। कर्नल कोठियाल ने 30-32 लोकल युवाओं की मदद से टीम बनाई अौर रेस्क्यू आपरेशन में काम किया, जब खत्म हुआ तो उत्तरकाशी जिले के युवाओं, जिन्होंने कोठियाल की टीम बनाकर उनकी मदद की, उन्होंने कर्नल कोठियाल से बोला कि हमें फौज में भर्ती करवा दिजीए।

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इस बात पर कर्नल कोठियाल ने उनकी पुकार सुनी और अपने खर्चे पर एनआईएच में फौज की भर्ती  के लिये ट्रेनिंग देने को तैयार हो गए। इसके बाद, गौचर में आर्मी में भर्ती होने के लिये कैंप लगा जहाँ 28  युवक चुने गए। यह देखकर कर्नल कोठियाल को थोड़ा ताज्जुब तो हुआ लेकिन यह भी सोचा जगी कि अगर थोड़ा मार्गदर्शन और मेहनत करके आर्मी में हमारे बच्चे चुने जा सकते हैं तो हमारे उत्तराखंड से लोगों का पलायन रुकेगा और राज्य की आर्थिक स्थिति में  धीरे धीरे सुधार आयेगा।

इसी सोच के साथ, 2013 नवंबर-दिसंबर में पहला कर्नल कोठियाल की तनख्वाह और मैडल से मिलने वाली राशि से बड़कोट में शुरु किया गया, जिसके बाद 2015 तक उत्तरकाशी,श्रीनगर,अगस्त्यमुनि,पिथौरागड़ और देहरादून में रिले कैंप लगाए गए।

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29 मई 2015 को यूथ फाउंडेशन एक रजिस्टर्ड एनजीओ बनाया गया, जिससे केवल डोनेशन राशि से शुरु किया गया, आज तक यूथ फाउंडेशन ने तकरीबन 2,220 जवान आर्मी, बीएसएफ, सीआरपीएफ, असम राईफल्स, पैरामिलिट्री फोर्स अौर उत्तराखंड पुलिस को दिए है, जिसमें उत्तराखंड पुलिस की 53 लड़कियां भी शामिल हैं।

कर्नल अजय का मानना है कि अगर किसी भी रुप में देखें तो जो पैसें यह नौजवान युवक और युवतियों कमायेंगे, वह यहीं प्रदेश में लगेगा, चाहें बच्चों की पढ़ाई, घर-खेती, राज्य सरकार का बजट तो बढ़ेगा ही, हमारे बच्चे भी आगे निकलेंगे।

सुरज सिंह नेगी, यूथ फाउंडेशन के कोआर्डिनेटर, बताते है कि, ‘जो बच्चे नहीं निकलते तो हम चाह रहे हैं कि एक सेक्योरिटी ऐजेंसी खोलेंगे और कोशिश करेंगे कि उन्हें इसके लिए ट्रेनिंग दे सके, इसके अलावा किसी और से टाईअप करेंगे तो कमीशन बेस्ड होगा जो हमारे उसूलों के खिलाफ है।’

कर्नल कोठियाल ने आज कई घरों में  अाशा की किरण जलाई  है, उनकी एक छोटी सी पहल ना जाने कितनी जिंदगियां बदल दी है।टीम न्यूज़पोस्ट उनके इस जज्बे को सलाम करती है।

बायोमेट्रिक हाजिरी के विरोध में उतरा इंजीनियर्स महासंघ

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इंजीनियर्स महासंघ, बायोमेट्रिक मशीन से उपस्थिति दर्ज करने के शासन के फरमान को स्वीकार नहीं करेगा। इसके लिए मंडलीय अध्यक्ष को ज्ञापन भेजकर इस बाध्यता को खत्म करने की मांग की है। महासंघ का साफ कहना है कि अभियंताओं का काम अधिकांश समय क्षेत्र में गुजरता है ऐसे में कार्यालय समय से पहुंच कर हाजिरी लगाना संभव नहीं है। अगर हाजिरी लगानी है तो कामों की गुणवत्ता में कमी आयेगी। उन्होंने बताया कि साइड पर काम करने वाले मजदूर सुबह ही काम पर जाते हैं जो देर शाम तक काम करते हैं। ऐसे में उपस्थिति दर्ज कराने को लेकर अभियंता के काम में परेशानी आ सकती है।
महासंघ के जिलाध्यक्ष इं. आरपी टम्टा ने कहा कि बायोमेट्रिक से उपस्थिति की बाध्यता से कार्यों की गुणवत्ता ओर सीधे असर पड़ेगा। हाजिरी के मामले में शासन की ओर से राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए मानसून और आपदा काल में फील्ड कर्मचारियों और अधिकारियों को 24 घंटे कार्य के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में बायोमेट्रिक मशीन से उपस्थिति दर्ज करना और मूवमेंट रजिस्टर को भर पाना संभव नहीं होगा। उन्होंने मंडलीय अध्यक्ष से इस बाध्यता को समाप्त करवाने के लिए अपने स्तर से प्रयास करवाने की गुहार लगाई।

सब्जियों ने बिगाड़ा थाली का स्वाद

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बरसात की वजह से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। इस वजह से गरीबों की थाली से सब्जियां गायब होने लगी हैं।प्रदेश तथा सीमा के साथ लगते उत्तर प्रदेश में अनेक स्थानों पर सब्जी उत्पादक बाहुल्य क्षेत्र है। बरसात होने के कारण इन क्षेत्रों में सब्जी की पालेज खराब हो गई जिसका सीधा असर सब्जियों की पैदावार पर हुआ है।

रुद्रपुर में सब्जियों का उत्पादन कम होने की वजह से बाजार में सब्जियों के दाम अचानक आसमान छूने लगे हैं। कल तक 10 व 15 रुपये किग्रा में बिकने वाले टमाटर के दाम 60 रुपये हो गए हैं जिसको सुनकर लोगों को विश्वास ही नहीं हो रहा है। वहीं फूल गोभी 50 से 60, खीरा देशी, कद्दू 30 रुपये, अदरक 120 रुपये, नीबू 80 से 90 रुपये में बिक रहा है। इसी प्रकार तोरई, लौकी, शिमला मिर्च आदि के दामों में भी काफी उछाल आ गया है।

सब्जियों के दामों में बढ़ोत्तरी होने से यह धीरे-धीरे गरीबों की रसोई से खिसकने लगी है। यही कारण है कि सब्जी बाजार में पहुंचने वाला गरीब वर्ग सब्जियों के दाम सुन कर खाली हाथ वापस लौटने को मजबूर हो रहा है। वहीं विक्रेताओं का कहना है कि सब्जी की फसलें खराब होने से उनको भी आढ़त व अन्य स्थानों से महंगी सब्जी खरीदनी पड़ रही है।

जारी है एसआईटी की पुछताछ

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एसआइटी के समक्ष पूछताछ के लिए जसपुर के पूर्व एसडीएम एचएस मर्तोलिया पेश हुए। इस दौरान उनसे लंबी पूछताछ की गई और उनके बयान दर्ज किए गए। उनसे भू प्रयोग बदले जाने के संबंध में जानकारी हासिल की गई।

एसआइटी ने अब तक साठ से अधिक अधिकारियों से पूछताछ की है। इस दौरान एसआइटी के सामने पेश हुए किसान, अधिकारियों से लेकर राजस्व कर्मियों के बयान दर्ज कर उसकी रिकार्डिग कराई गई। एएसपी क्राइम कमलेश उपाध्याय ने पूर्व एसडीएम जसपुर एचएस मर्तोलिया से पूछताछ की। वह सुबह लगभग साढ़े ग्यारह बजे ही पुलिस ऑफिस पहुंच गए थे। एसएसपी डॉ. सदानंद एस दाते ने पूछताछ के बाद एएसपी क्राइम से उसके संबंध में जानकारी हासिल की। लगभग पांच घंटे तक उनसे सघन पूछताछ एसआइटी टीम ने की जिसमें उनके द्वारा भूमि को कृषक से अकृषक करने संबंधित मामलों में की गई कार्रवाई की जानकारी ले उसे रिकार्ड किया गया।