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अब पीपीपी मोड पर उठेगा घरों का कूड़ा

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नगर निगम की विभागीय समीक्षा बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। बैठक में निगम के कई फैसलों के धरातल पर उतरने से दूनवासियों को बड़ी राहत मिलेगी। बैठक में कई योजनाओं पर पीपीपी मोड पर देने को लेकर भी सहमति बनी। अब तक शहर के डोर टू डोर कूड़ा उठाने को लेकर जहां नगर निगम को विरोध झेलना पड़ रहा था। वहीं अब निगम बाहरी एजेंसी के साथ इसे लेकर अनुबंध करेगा। इस योजना की स्वीकृति के लिए निगम शासन को प्रस्ताव भेजेगा। 31 जुलाई तक सहस्त्रधारा ट्रंचिंग ग्राउंड का कूड़ा शीशमबाड़ा में हर हालत में शिफ्ट किया जाना है। इसके लिए मेयर ने सभी वाहनों व सफाई कर्मचारियों व डीपीआर की सूची अधिकारियों को उपलब्ध कराने को निर्देशित किया है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि व्यापारी, ठेली, सब्जी विक्रेताओं को निगम की ओर से सड़क पर कूड़ा न बिखेरने को लेकर सूचित किया जाएगा। यदि किसी विक्रेता की दुकान पर कूड़ेदान नहीं पाया जाता है तो उसे मोटा जुर्माना वसूला जाएगा। जुर्माने के रूप में निगम पांच सौ से पांच हजार तक की राशि वसूलेगा। इसके अलावा समीक्षा बैठक में यह भी तय किया गया कि निगम पलटन बाजार, धामावाला, गांधी रोड पर अवैध ठेलियों के खिलाफ अभियान चलाएगा। यदि नियम के विरुद्ध कोई ठेली रेहड़ी लगाते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं, तय वेंडर जोन पर ही ठेलियों को लगाने की अनुमति दी जाएगी।
बैठक में यह भी फैसला हुआ कि होटल, मॉल, रेजिडेंसी, ढाबा, हॉस्टल आदि से यदि एक दिन में सौ किलो से अधिक का कूड़ा निकलता है तो उन्हें कूड़े का निस्तारण खुद करना होगाय़ यदि निरीक्षण के दौरान कोई पकड़ में आता है। तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा जिन स्थानों पर रात्रि को नियमित कूड़ा डाला जाएगा उन स्थानों पर सीपी विन्स लगाए जाएंगे ताकि कूड़ा जमीन पर न बिखरे।

प्रॉपर्टी का टैक्स होगा ऑनलाइन
अभी तक प्रापर्टी टैक्स जमा करने के लिए कोई अतिरिक्त व्यवस्थित नहीं थी लेकिन, अब निगम द्वारा आॅनलाइन मोड में भुगतान करने की सुविधा दी जाएगी। इसके साथ निगम ने टैक्स कलेक्शन का कार्य भी पीपीपी मोड पर किए जाने का शासन को प्रस्ताव भेजा है।
रवनीत चीमा, मुख्य नगर आयुक्त ने बताया कि दूनवासियों को समस्या से जल्द बाहर निकालने को लेकर समीक्षा बैठक की गई जिसमें अहम फैसले लिये गए। जल्द योजना को धरातल पर उतारा जाएगा।

बाढ़ से निपटने को हरिद्वार डीएम सख्त

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जिले में बारिश व बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए अब जिलाधिकारी ने सख्त रुख अख्तियार किया है। जिलाधिकारी ने सभी तहसीलों के उपजिलाधिकारियों व तहसीलदारों को चेताया कि उनके तहसील क्षेत्र में बाढ़ व आपदा से निपटने में लापरवाही साबित हुई तो प्रतिकूल प्रविष्टि देंगे।

जिलाधिकारी दीपक रावत ने बताया कि आपदा से निपटने के लिए धन की कमी कतई आड़े नहीं आएगी। बारिश से संपत्ति के नुकसान पर दोबारा निर्माण के लिए तत्काल धनराशि दी जाएगी। प्राथमिक स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्रों की छत गिरने पर डेढ़-डेढ़ लाख, एक किलोमीटर तक की सड़क मरम्मत के लिए एक लाख रुपये तत्काल दिए जाएंगे। आपदा से निपटने के लिए सभी तहसीलों में इंतजाम किए हैं। जहां भी उपकरणों की कमी होगी, वहां के उपजिलाधिकारी तीन लाख रुपये तक की खरीददारी बगैर टेंडर निकाले सीधे बाजार से क्रय कर कंट्रोल रूम या बाढ़ चौकी पर रखवा सकते हैं। किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन के पास दो करोड़ रुपये हैं। बाद में धन के खर्च करने का सत्यापन भी कराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसके बाद भी आपदा से निपटने में लापरवाही हुई तो संबंधित को बख्शेंगे नहीं।उन्होंने कहा कि हम खुद बाढ़ चौकियों का निरीक्षण करेंगे, किसी के अकारण अनुपस्थित रहने पर उस पर कार्रवाई होगी। उन्होंने बताया कि जहां भी सड़क टूटी होने या गढ्ढे होने से दुर्घटना में जनधन हानि हुई तो संबंधित विभाग के जिम्मेदार के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराएंगे।

सरकार की मंशा पर अफसरों की लेटलतीफी

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सरकार भले ही लोगों को एक मंच पर समस्याओं के समाधान देने के लिए तहसील दिवस आयोजित करने को लेकर गंभीरता दिखा रही हो, लेकिन अधिकारी इसे लेकर गंभीर नहीं हैं। नई सरकार के पहले तहसील दिवस में ही अफसरों की लेटलतीफी नजर आई। दो-चार विभागों को छोड़कर बाकी के अफसर साढ़े दस बजे शुरू होने वाले तहसील दिवस में ग्यारह बजे के बाद हाथ हिलाते हुए पहुंचे और खानापूर्ति कर पल्ला झाड़कर निकल लिए।

सुबह साढ़े दस बजे उपजिलाधिकारी प्रत्युष सिंह व तहसीलदार एमसी रमोला की अध्यक्षता में तहसील दिवस शुरू हुआ, तब तक परिसर में सिर्फ कृषि, आरडब्ल्यूडी, सेवायोजन व समाज कल्याण विभाग के अधिकारी मौजूद थे। इसके बाद धीरे-धीरे अधिकारियों का आना शुरू हुआ और दो बजे तक चलने वाले कार्यक्रम में पौने बारह बजे तक तक रायपुर ब्लॉक, सहकारिता, लोनिवि, जिला प्रोबेशन, जल निगम, जिला पूर्ति, जल संस्थान, उद्योग, बाल विकास, मुख्य उद्यान अधिकारी, उद्यान सचल, आयुर्वेद, सूचना व आर्येश के अधिकारी पहुंचे। जबकि, सिंचाई, लघु सिंचाई, स्वजल, शिक्षा विभाग व एमडीडीए के अधिकारी तो 12 बजे के बाद पहुंचे।

अधिकांश अफसर जहां तहसील दिवस जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम में देरी से पहुंचे वहीं 12 विभाग तो ऐसे हैं, जिनके अधिकारियों ने तहसील दिवस में आना भी जरुरी नहीं समझा। जबकि, तहसील प्रशासन की ओर से उक्त विभागों को पहले ही इस संबंध में सूचित किया जा चुका था। तहसील दिवस में आने वाले विभागों में कृषि विभाग, आरडब्ल्यूडी, सेवायोजन, समाज कल्याण, रायपुर ब्लाक, सहकारिता, लोनिवि, जिला प्रोबेशन, जल निगम, जिला पूर्ति, जल संस्थान, उद्योग, बाल विकास, उद्यान विभाग, उद्यान सचल दल केंद्र, आयुर्वेद, आर्येश, राजस्व विभाग, जिला सूचना, सिंचाई, लोनिवि, लघु सिंचाई, पुलिस, स्वजल, शिक्षा विभाग, एमडीडीए शामिल थे, जबकि पशुपालन, अल्पसंख्यक कल्याण, स्वास्थ्य विभाग, बंदोबस्त विभाग, परिवहन, गन्ना विभाग, वन विभाग, यूपीसीएल, बाढ़ नियंत्रण, डीआरडीए, डीआईसीडी, नगर निगम के अधिकारी इस मौके पर नहीं पहुंचे।

तहसील दिवस में शिकायतों की स्थिति पर गौर करें तो राजस्व विभाग की कुल 53 शिकायतें आई और इनमे से 51 का निस्तारण कर दिया गया। समाज कल्याण विभाग की सभी 25 शिकायतें निस्तारित की गई। विकास विभाग और पुलिस विभाग के एक-एक मामले आए और निस्तारित किए गए।

शराब की दुकान के विरोध में धरने पर बैठे बीजेपी विधायक

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शराब का ठेका खोले जाने के विरोध में स्थानीय विधायक प्रदीप बत्रा और भाजपाई गांधी वाटिका मार्केट में धरने पर बैठ गए हालांकि, प्रशासन ने ठेके को बंद करा दिया।

मंगलवार को चंद्रशेखर चौक के पास गांधी वाटिका मार्केट में भाजपा के मंडल कार्यालय के नीचे गांधी वाटिका में अंग्रेजी शराब के विरोध में मंगलवार को भाजपाईयों ने ठेके के बाहर धरना प्रदर्शन करते हुए ठेके को बंद कराने की मांग की। भाजपाइयों ने सिविल लाइंस कोतवाली दारोगा से ठेका बंद कराने को कहा जिस दारोगा ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताया। भाजपाइयों की सेल्स मैनों और दारोगा से तीखी झड़प हो गयी।

 विरोध कर रहे भाजपाई सड़क के बीचों-बीच पहुंच गए और जाम लगाने की कोशिश की। कुछ पदाधिकारियों के समझाने पर वह वापस लौट आए। इस दौरान सड़क पर हंगामे के चलते जाम की स्थिति बनी रही। 

खबरदारः दून में 90 प्रतिशत पानी का सैंपल पाया गया दूषित

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मंगलवार को देहरादून स्थित एक संगठन ने दावा किया है कि गुणवत्ता विश्लेषण के लिए इकट्ठा किए गए 90 प्रतिशत से ज्यादा पानी के नमूने जिनमें वीआईपी क्षेत्रों से लिए गए सैंपल भी है वह दूषित पाए गए हैं।

गैर सरकारी संगठन की रिपोर्ट शहर के सभी 60 नगरपालिका वार्डों से एकत्र किए गए 76 नमूनों पर आधारित है।इसमें झुग्गी,क्लस्टरों और कम से कम चार वीआईपी क्षेत्रों को भी शामिल किया गया हैं, जिनमें एक क्षेत्र में राज्य मंत्री का आवास है, एक विधायक आवास वाला क्षेत्र, एक जिला मजिस्ट्रेट का क्षेत्र और एक जिला न्यायाधीश का क्षेत्र भी शामिल हैं।

लेकिन जल संस्थान, सरकार की जल आपूर्ति इकाई, ने रिपोर्ट के निष्कर्षों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।”जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक एस के गुप्ता ने कहा कि “हम न तो रिपोर्ट के दावों को पहचानते हैं और न ही प्रयोगशाला जहां परीक्षण किया गया था। यह (रिपोर्ट) केवल भ्रामक नहीं है बल्कि चीजों को सनसनीखेज बनाने का भी प्रयास है। हम जो पानी उपलब्ध कराते हैं वह बिल्कुल साफ और स्वच्छ है।

गैर-सरकारी संगठन ‘सोसाइटी ऑफ पोल्यूशन एंड एनवायरनमेंट कंज़र्वेशन साइंटिस्ट्स’ (एसपीईसीएस) द्वारा जारी किए गए देहरादून की जल रिपोर्ट गुणवत्ता स्थिति के अनुसार अधिकांश नमूने में अतिरिक्त क्लोरीन या फिकल कॉलिफॉर्म (बैक्टीरिया जो जल प्रदूषण के संकेत देता है) पाया गया है। दो नमूनों में तेल और ग्रीस के निशान भी पाए गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां अतिरिक्त क्लोरीन त्वचा और बालों लिए हानिकारक माना जाता है और इसके प्रयोग से अल्सर का डर भी होता है।पीने के पानी में फीकल कोलीफाॅर पाए जाने से फेफड़े के रोग के साथ अन्य रोगों जैसे डायरिया, दस्त और गैस्ट्रोएन्ट्रोएनटाइटिस जैसे बीमारियां पैदा हो सकती है। । रिपोर्ट के अनुसार, एसपीईसीएस द्वारा अध्ययन किए गए कुल 76 नमूनों में से 74 नमूने को पीने के लिए सही नहीं पाया गया है और इनमें विभिन्न संदूषण भी मौजूद हैं।

अवशिष्ट क्लोरीन 24 स्थानों पर पाया गया था, जिसमें से 22 नमूनों में ‘सुपर (या उच्च) क्लोरिनेशन’ स्तर बताए गए थे जो खतरनाक माना जाता है। अवशिष्ट क्लोरीन के लिए मानक मूल्य 0.2 एमजी/लीटर है, लेकिन यह रीटा मंडी, राजपुर रोड और सय्यद मोहल्ला में 1 एमजी/लीटर के बराबर है।

कुल कॉलीफॉर्म – जिनकी मानक मूल्य पीने योग्य पानी में 10 एमपीएन/100 एमएल से अधिक नहीं होना चाहिए – उनको 39 नमूनों में पाया गया। उच्चतम जीएमएस रोड (68 एमपीएन/100 एमएल) में था। इसी तरह, पीले रंग का पानी – जो पीने योग्य पानी होना नहीं चाहिए – शिलाब बाग में सबसे अधिक 32 एमपीएन/100 मिलीलीटर के साथ, 39 नमूनों में मौजूद था।

वहीं एसपीईसीएस के सेक्रेटरी बृज मोहन शर्मा का कहना है कि हमारा एनजीओ पिछले 18 सालों से देहरादून के पानी की जांच कर रहा है।पिछले सालों में पानी की गुणवत्ता खराब हुई है इसमें कोई दो राय नहीं है लेकिन परेशानी की बात यह है कि इसपर जल संस्थान कोई ठास कदम उठाने को तैयार नहीं है।बृज मोहन शर्मा ने कहा कि अगर जल संस्थान को लगता है कि पानी साफ और स्वच्छ है तो जल संस्थान और हर डिर्पाटमेंट में फिल्टर लगाने का क्या मतलब है।शर्मा ने कहा कि हम पिछले 18 साल से बरसात के मौसम में अपनी रिपोर्ट निकालते है और आज तक जल संस्थान की तरफ से कभी भी दोबारा जांच नहीं कि गई है।शहर में बढ़ते डायरिया,पेट की बीमारियों का कारण भी प्रदूषित पानी ही है।

अधिकारियों को उचित कार्रवाई करने के लिए आग्रह करते हुए शर्मा ने कहा कि उप-मानक जल आपूर्ति में लघु और दीर्घकालिक सामाजिक-आर्थिक प्रभाव दोनों हैं। शर्मा ने दावा किया कि “इस वर्ष, हमने 41% से अधिक दून के निवासियों को ऐसा पानी प्राप्त करते देखा है जो राष्ट्रीय जल गुणवत्ता मानकों से नीचे स्तर पर है”, उन्होंने दावा किया कि यह “पानी की आपूर्ति प्रणाली में लीकेज” और पानी की आपूर्ति के साथ गंदे पानी मिलावट भी इसका एक बड़ कारण हो सकता है।

फिर ना हो रोपवे से दुर्घटना: मनोज रावत

उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश से ना केवल लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा बल्कि आए दिन होने वाले दुर्घटनाओं से भी रुबरु होना पड़ रहा है। ऐसी घटना फिर ना हों जिसके लिये केदारनाथ विधायक मनोज रावत ने उत्तराखंड सरकार का ध्यान विजयनगर-अगस्त्यमुनि निमार्णधीन पुल की अोर आकर्षित किया है।

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इस पत्र के माध्यम से ना केवल पुल के हालात बयां की है बल्कि इसकी वजह से होने वाली लोगों को परेशानी उजागर की है। रावत ने पत्र में स्पष्ट किया है कि पुल के दोनों तरफ लगी रोपवे ट्रालियों से स्कूल खुलने और बंद होने के समय काफी भीड़ होती है और इसकी वजह से पूर्व में कई घटनाएं  बारिश के मौसम में हो चुकी है।

मनोज रावत ने स्पष्ट किया है कि मंदाकिनी नदी तट क्षेत्र में एक बस की आवश्यकता है लोगों को अार पार ले जाने के लिये और अगर सरकार चाहें तो इस क्षेत्र में सीएसआईआर के लिए काम करने वाली कंपनियों से बस की मदद ले सकती है। इसके अलावा मनोज रावत ने कहा कि अगर सरकार के पास इसका बजट नहीं हो तो वह अपने विधायक निधि से इसका बजट देंगे।

इसके अलावा रावत ने कहा कि विजयनगर में सुबह-शाम मंदाकिनी के पार चाका, गदनु, जाखिनयल गाओं, अम्रपुरी से लगभग 250 स्कूली बच्चों के लिये रोप-वे से समय पर आना जाना संभव नही है, इसलिये 2 महीनों के लिये बस लगानी पड़ेगी अावा जाहीं के लिये।

देखना यह है क्या सरकार विधायक मनोज रावत की इस चिट्ठी से हरकत में आती है या  फिर किसी अनहोनी का इंतजार करती है।यह केवल अगस्त्यमुनि क्षेत्र के हालात नहीं उत्तराखंड के बहुत से दुर्गम क्षेत्रों में रोपवे ट्रालियों का उपयोग नदी पार करने के लिए किया जाता है।

दून के शंकर थापा का दक्षिण अफ्रीका में धमाल

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दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुई आयरन मैन प्रतियोगिता में आयरन मैन का खिताब जीत चुके शंकर थापा अब मलेशिया में होने वाली आयरन मैन प्रतियोगिता की तैयारी में है। यह एक ऐसी प्रतियोगिता है जिसमें शारीरिक शक्ति के साथ मानसिक शक्ति की भी परीक्षा होती है। स्विमिंग, साइकिलिंग और मैराथन दौड़ के मिश्रण वाली इस प्रतियोगिता में शंकर थापा ने वेटरन वर्ग में पहला स्थान हासिल किया था।

दून के पंडितवाड़ी निवासी शंकर थापा ने पोर्ट एलिजाबेथ दक्षिण अफ्रीका में आयरन मैन प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व किया। इसमें भारत से 14 लोगों ने भाग लिया था। प्रतियोगिता 3.8 किमी स्विमिंग से शुरू होकर 180 किमी साइकिलिंग दौड़ और 42.2 किमी मैराथन के बाद समाप्त होती है।

45 प्लस आयु वर्ग में शंकर थापा ने कुल 226 किमी की इस स्पर्धा को 13.55 घंटे में पूरा करते हुए प्रथम स्थान हासिल किया। शुरू से ही कुशल तैराक रहे शंकर थापा मुंबई में गहरे समुद्र में गोतखोरी का कार्य करते हैं। शंकर थापा ने बताया कि पांच साल पहले उन्हें मैराथन दौड़ में भाग लेने शुरू किया। धीरे-धीरे वह इसमें भी निपुण हो गए।

आयरन मैन की तैयारी के लिए उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले कई प्रतियोगिता में भाग लिया। आयरन मैन की लंबी और थकान भरी स्पर्धा में जब आयरन मैन का खिताब जीता तो खुशी की लहर दौड़ गई। अब वह नवंबर में मलेशिया के लकांवी में होने वाली आयरन मैन प्रतियोगिता में भाग लेंगे। इसके लिए वह तैयारी में जुटे हैं।

टिहरी के कई गांवों में डायरिया का प्रकोप

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टिहरी झील में जलस्तर बढ़ने से झील से सटे ग्रामीण इलाके में डेंगू, मलेरिया और डायरिया के बढ़ते प्रभाव से ग्रामीण चिंतित हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से बीमारी के रोकथाम के लिए दवाइयां बांटी जा रही हैं।

झील से सटे थौलधार और प्रतापनगर के कई गांवों में इन दिनों डायरिया का प्रकोप चल रहा है, जिसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांवों में दवाइयां बंटवाई जा रही हैं। स्वास्थ्य महकमे ने लोगों से साफ पानी पीने की अपील भी की है, ताकि बीमारी से बचाव किया जा सके।

सीएमओ का कहना है कि टीएचडीसी द्वारा झील के किनारे कीटनाशक का छिड़काव नहीं कराया जा रहा है, जिससे कई तरह की बीमारी फैलने का खतरा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से बीमारी के प्रकोप में आये गांवों में दवा वितरित की जा रही है।

यशराज की नई फिल्म ‘सुई धागा’ में वरुण व अनुष्का की जोड़ी

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यशराज में एक और नई फिल्म की घोषणा की गई है, जिसकी प्रमुख भूमिकाएं निभाने के लिए वरुण धवन और अनुष्का शर्मा का चयन किया गया है। फिल्म का टाइटल ‘सुई धागा- मेड इन इंडिया’ रखा गया है। यशराज में बनने वाली इस फिल्म के निर्माता मनीष शर्मा और निर्देशक शरत कटारिया होंगे। मनीष शर्मा और शरत कटारिया की टीम इससे पहले यशराज के लिए ‘दम लगाके हईंसा’ बना चुकी है, जिसकी प्रमुख भूमिकाएं आयुष्मान खुराना और भूमि पेडनेकर ने निभाई थी और बॉक्स ऑफिस पर ये फिल्म काफी सफल साबित हुई थी।

वरुण धवन और अनुष्का शर्मा ने दिलचस्प अंदाज में सोशल मीडिया पर इस फिल्म के निर्माण की औपचारिक घोषणा की। वरुण धवन और अनुष्का की जोड़ी पहली बार किसी फिल्म में काम करने जा रही है। इस फिल्म के साथ ही वरुण पहली बार यशराज में एंट्री करने जा रहे हैं। इस फिल्म को लेकर वरुण धवन का कहना है कि इस फिल्म की कहानी देसी कारोबार की जरूरत और महत्व पर फोकस करेगी, साथ ही दर्शकों का मनोरंजन भी करेगी। इस फिल्म को लेकर यशराज की ओर से जारी मीडिया बयान में कहा गया है कि ये फिल्म देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेड इन इंडिया अभियान’ को समर्पित की जाएगी।
बयान में कहा गया है कि ये फिल्म अगले साल जनवरी में शुरू होगी और 2018 में महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्टूबर को इसे रिलीज कर दिया जाएगा। वरुण धवन इन दिनों सितम्बर में रिलीज होने जा रही अपने पापा की फिल्म ‘जुड़वां 2’ की शूटिंग निपटाने में बिजी हैं, तो अनुष्का इन दिनों शाहरुख के साथ अपनी दो फिल्मों को लेकर बिजी हैं।
चार अगस्त को रिलीज होने जा रही शाहरुख-अनुष्का की जोड़ी वाली फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ का प्रमोशन शुरू हो गया है और आनद एल राय की फिल्म की शूटिंग शुरू हो रही है, जिसमें शाहरुख और अनुष्का के अलावा कटरीना कैफ हैं। इन दो फिल्मों के अलावा अनुष्का की एक और फिल्म ‘परी’ शुरू हुई है। अपनी पहली फिल्म ‘रब ने बना दी जोड़ी’ के बाद अनुष्का शर्मा ने यशराज की ‘लेडीज वर्सेज रिकी बहल’, ‘बैंड बाजा बरात’, ‘जब तक है जान’ और सलमान के साथ ‘सुलतान’ फिल्मों में काम किया है।

‘हाउसफुल 4’ से अलग हुए अक्षय कुमार

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अब ये लगभग साफ हो गया है कि फिल्म हाउसफुल की चौथी कड़ी का अक्षय कुमार हिस्सा नहीं होंगे। पिछले साल ‘हाउसफुल 3’ रिलीज हुई थी, जिसमें अक्षय कुमार हिस्सा थे और बॉक्स ऑफिस पर इस फिल्म ने सौ करोड़ से ज्यादा का कारोबार किया था।

अक्षय कुमार की ओर से कहा गया है कि वक्त की कमी और दूसरी फिल्मों में व्यस्तता के चलते वे ‘हाउसफुल 4’ का हिस्सा नहीं बना पाएंगे। चौथी कड़ी के निर्देशन के लिए एक बार फिर साजिद खान को लाया गया है, जिन्होंने इस सीरीज की पहली दो फिल्मों का निर्देशन किया था, लेकिन अजय देवगन के साथ ‘हिम्मतवाला’ और सैफ-रितेश के साथ ‘हमशक्ल’ के बॉक्स ऑफिस पर डिब्बागुल होने के बाद तीसरी कड़ी से उनको निर्देशन से हटा दिया गया था।

साजिद खान के मुताबिक, ‘हाउसफुल 4’ की कहानी बनकर तैयार हो गई है और कास्टिंग पर काम शरू होने जा रहा है। इस बार भी फिल्म की कहानी पिछली तीन फिल्मों की तरह लंदन में केंद्रीत होगी। इस बार भी साजिद नडियाडवाला की प्रोडक्शन कंपनी इसका निर्माण करेगी। अक्षय कुमार की ओर से ये भी कहा गया है कि फिल्म की टीम से उनके मतभेद की खबरें गलत हैं। वे साजिद नडियाडवाला की कंपनी की एक फिल्म में काम करेंगे, जिसका निर्देशन फरहाद समी करेंगे।
फरहाद ने अपने भाई साजिद के साथ मिलकर ‘हाउसफुल 3’ का निर्देशन किया था।

इसी टीम ने अक्षय कुमार की फिल्म ‘एंटरटेनमेंट’ का भी निर्देशन किया था। ये टीम बतौर लेखकर रोहित शेट्टी की सभी फिल्मों का लेखन करती आई है, लेकिन अब दोनों भाईयो के रास्ते अलग-अलग हो रहे हैं। फरहाद की नई फिल्म साजिद नडियाडवाला के बैनर में होगी, तो साजिद की फिल्म का निर्माण अजय देवगन की कंपनी में होगा।