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हाई कोर्ट मे सरकार से टिहरी बाँध प्रभावितो के लिये जल्द क़दम उठाने को कहा

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उच्च न्यायालय ने आज टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिती की मांगों पर उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव को टिहरी जिलाधिकारी की संस्तुति के आधार पर जल्द समाधान करने को कहा है ।

टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिती ने यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य के खिलाफ याचिका दायर करते हुए मांग रखी थी कि प्रतापनगर और गांजडा क्षेत्र के 15,500 लोगों को डैम बनने के बाद 80 किलोमीटर अधिक यात्रा करनी पड़ रही है जिसके कारण उन्हें एक लाख पच्चीस हजार रुपये प्रति परिवार 2010 से प्रतिपूर्ति के रूप में भुगतान किया जाए । समिति ने मांग की है कि तोलजीशेड, गांजडा व हुलाड़ी क्षेत्र के बीच एक एक आई.आई.टी.संस्थान खोले जाए । इसके अलावा अपनी आखिरी मांग में समिति ने गांजडा क्षेत्र की जनता के लिए धेन्तरी में 50 बैड का चिकित्सालय खोलने की मांग की है ।

समिति की इन मांगों पर टिहरी के जिलाधिकारी ने 26 फरवरी 2009 में प्रमुख सचिव और सरकार को संस्तुति भेजी थी ।आज उच्च न्यायालय में वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा की एकलपीठ ने मामले में जिलाधिकारी द्वारा की गई संस्तुति पर मुख्य सचिव से त्वरिय निर्णय लेने को कहा है । न्यायालय ने इसी के साथ मामले को निस्तारित कर दिया है ।

धरना जारी, ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं बंट पा रही है डाक

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ग्रामीण डाक सेवक संघ के आह्वान पर ग्रामीण क्षेत्रों के तमाम डाक कर्मचारी बुधवार को आठवें दिन भी हड़ताल पर रहे। स्वर्गाश्रम, श्याम पुर, मुनि की रेती, रायवाला, आईडपीएल, क्षेत्र के डाक घरों मे कार्यरत डाक कर्मचारी सातवें वेतनमान को लागू किये जाने की मांग को लेकर पिछले सात दिनो से अपने-अपने डाक घरों के बाहर धरना दे रहे हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में डाक नहीं बंट पा रही है।

आज आठवें दिन धरना देने वाले डक कर्मचारियों मे सुंदरलाल कंडवाल, केदार सिंह बिष्ट ,सत्य सिह चौहान, मोहन सिंह बिष्ट, डबल सिंह चौहान, हुकुम सिंह बिष्ट कर्मचारी नेता राजाराम पांडे व सुभाष पवार ने इस अवसर पर कहा कि जब तक उन्हें अन्य विभागों मे दिये जा रहे, सातवें वेतनमान की तरह वेतन का भुगतान व ग्रामीण डाक सेवकों को विभागीय कर्मचारी का दर्जा नहीं दिया जायेगा, तब तक उनका धरना जारी रहेगा।

‘मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग’

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भारतीय सम्राट सुभाष सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरुचरण सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की मृत्यु से संबधित मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट को सर्वाजनिक करने तथा आजादी से संबंधित दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग की है।

पत्र में चौहान ने कहा कि देश में सम्पर्ण शिक्षा नीति को लागू किया जाए जिससे सभी युवाओं को नौकरियों में समान अवसर प्राप्त हो सकें। देश में किसानों की हालत को सुदृढ़ करने के लिए उत्पादित फसलों का लाभकारी मूल्य व गरीब व सीमांत किसानों को किराaए पर कृषि यंत्र दिलाने की मांग की।
अर्द्धसैनिक बलों व कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए पेंशन योजना को लागू किए जाने की मांग की। उन्होंने सांसदों व विधायकों के मनमाने तरीके से वेतन भत्तों में वृद्धि करने पर भी रोक लगाने की मांग की।

‘कूड़ा लाओ इनाम पाओ’ योजना के तहत मिले इनाम

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स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) को लेकर डीएम उत्तरकाशी द्वारा शुरू की गई नई पहल ‘कूड़ा लाओ इनाम पाओ’ अभियान के तहत बुधवार को उत्तरकाशी में साप्ताहिक लक्की ड्रॉ निकाला गया। इसमें वार्ड नंबर-चार के शिवम बघियाल का लकी ड्रॉ में एंड्रॉयड मोबाइल निकला। जबकि अपने वार्ड में सबसे ज्यादा कूपन इकट्ठे करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्री संगीता सेमवाल को 500 रुपये इनाम में दिए जाएंगे।

बुधवार को जिला सभागार में स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) को लेकर कूड़ा लाओ इनाम पाओ अभियान के तहत सप्ताह का पहला लकी ड्रॉ निकाला गया। डीएम डॉ. अशीष कुमार की मौजूदगी में पांचवी कक्षा की संध्या ना‌ैटियाल ने लकी ड्रॉ बॉक्स से पर्ची निकाली। जिसमें वार्ड नंबर-चार के शिवम बघियाल का नाम निकला। शिवम को 10 हजार रुपये तक एंड्रॉयड मोबाइल ईनाम में दिया जाएगा। जबकि वार्ड नंबर-दो में सबसे अधिक 200 कूपन एकत्रित करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकत्री संगीता सेमवाल को 500 रुपये इनाम में दिए जाएंगे।
यह इनाम 26 अगस्त को उत्तरकाशी में शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के हाथों दिए जाएंगे। एक सप्ताह के तहत नौ वार्ड में चलाए गए इस अभियान के तहत 623 कूपन इकठ्ठे किये गए। इसमें लोगों ने करीब साढ़े तेरह कुंतल जैविक व अजैविक कूड़ा एकत्रित किया गया। डीएम ने बताया कि जैविक कूड़े की खाद बनाकर 20 किलो तक के पैकेट बनाकर उत्तरा ब्रांड नाम से बेचे जाएंगे। जबकि अजैविक कूड़े को नष्ट किया जाएगा। इस अभियान के तहत एक किलो जैविक कूड़े पर और 300 ग्राम अजैविक कूड़े पर एक कूपन दिया जाएगा।
डीएम के अनुसार अपने वार्ड में लोगों को इस अभियान के तहत अधिक प्रेरित करने वाले सफाई कार्यकर्ता को भी 500 रुपये देकर सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नगर क्षेत्र के अलावा अब आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों जोशियाड़ा, लदाड़ी में भी यह अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने ने कहा कि जिला कार्यक्रम व बाल विकास अधिकारी को निर्देश दिए कि बेहतर काम करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को शासन में सचिव राधा रतूड़ी और महिला बाल विकास सचिव भारत सरकार को बाकायदा चिट्ठी भेजी जाए।

जीरो टोलरेन्स की सरकार में घोटालों की खुल रही परत

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राज्य में सत्ता संभालने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जीरो टॉलरेंस का दावा किया था, लेकिन प्रदेश के सिस्टम पर इस दावे का कोई असर नहीं दिख रहा। परिवहन निगम को देखें तो दो माह पूर्व जिन टायरों की खरीद की गई थी, उनमें से घोटाले की बू आने लगी है। टायरों की गुणवत्ता ऐसी कि 40 से 60 हजार किमी तक चलने वाले टायर दस हजार किमी चलने के बाद ही उतर गए। भ्रष्टाचार की इस बू के बीच कर्मचारी यूनियनों में भी आक्रोश पनपने लगा है।

उत्तराखंड परिवहन निगम एक तरफ बजट का रोना रो रहा है और दूसरी तरफ निगम के अधिकारी मौज कर रहे हैं। परिवहन निगम साउथ की जेके टायर कंपनी से टायरों की खरीद करता है। लंबे समय से भुगतान न होने से कंपनी ने टायरों को भेजने से मना कर दिया था। दो माह पूर्व मुख्यालय ने करीब एक करोड़ रुपये का भुगतान कर 150 नए टायर मंगाए थे। ये टायर कुमाऊं रीजन को भेजे गए। कुमाऊं रीजन ने उधारी चुकाते हुए 50 टायर टनकपुर रीजन को भेज दिए तथा बचे टायर आठ डिपो में जरूरत के मुताबिक वितरित कर दिए। टायरों की गुणवत्ता इतनी खराब रही कि दस हजार किमी चलने के बाद ही ये घिस गए और बसों से उतार दिए गए। जबकि मानकों के अनुसार एक टायर पर्वतीय मार्ग पर 40 हजार व मैदानी मार्ग पर 60 हजार किमी चलता है। कारण यह कि पर्वतीय मार्ग पर मोड़ अधिक होने के कारण टायर जल्दी घिसते हैं। इधर, कर्मचारियों ने अधिकारियों पर टायर खरीद में घोटाले करने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग उठाई है।

जब टायरों की गुणवत्ता के बारे में मंडलीय प्रबंधक तकनीकी अनूप रावत से पूछा गया तो यह मानक बदल गए। उन्होंने कहा कि पर्वतीय मार्ग पर अमूमन यह टायर 15 से 20 हजार और मैदानी मार्ग पर 40 से 50 हजार किमी चलते हैं। कुमाऊं रीजन में टायरों का टोटा शुरू हो गया है। मंडलीय प्रबंधक तकनीकी अनूप रावत ने बताया कि रीजन के आठ डिपो में टायरों के अभाव में पांच से आठ बसें खड़ी हो गई है। अगर एक-दो दिन में टायर नहीं आए तो स्थिति और बिगड़ जाएगी। ऐसे में बसों का संचालन करना मुश्किल हो जाएगा। मुख्यालय को 150 टायरों की डिमांड भेजी गई है।

राजाजी पार्क के गांव आज भी महरूम है मूलभूत सुविधाओं से

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 उत्तराखंड के राजा जी पार्क कि परधि में आने वाले कई गाँव वन अधिनियम कानून के चलते कई सालो से मुलभुत सुविधाओ से वंचित है। समय-समय पर ये ग्रामीण अपनी आवाज उठाते रहे लेकिन पार्क प्रशासन ने उनकी एक नहीं सुनी, अब राजा जी पार्क को टाईगर रिजर्व फारेस्ट बनाने के बाद विकास की अवधारणा ख़त्म होने का डर ग्रामीणो को सता रहा है। एनजीटी ने ग्रामीणों की परेशानी को ध्यान में रख कर उत्तराखंड सरकार को हलफनामा दाखिल करने के निर्देश दिए जिस से यहाँ रह रहे ग्रामीणों में एक उम्मीद जगी है।

यम्केस्वर विधान सभा के कोठार ग्राम सभा के कुनाऊ गोठ तोक, ग्रामसभा जोंक के धोतिया, गरुड चट्टी गावो के लोग दशकों  से अपने गाव में मूलभूत सुविधाओ कि मांग करते हुए पार्क प्रशासन, जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के चौखट पर गुहार लगा कर थक गए है लेकिन सिर्फ वादों के सिवा उनको कुछ भी नहीं मिला, पार्क प्रसाशन के वन अधिनियम कानून के डर ने इन गावो को विकास से कोसो दूर कर दिया। पीढियों से यहाँ निवास कर रहे ग्रामीणों को चुनाव से पहले सरकार से ठोस वायदे किये ,लेकिन सरकारी वादे कभी जमीं पे नहीं उतरे ग्रमीण आज भी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है।

चंद्रमोहन सिंह नेगी, ग्रामीण का कहना है कि, ‘राजा जी नेशनल पार्क होने की वजह से हम सालो से अपने मुलभुत सुविधाओं के लिए लड़ाई लड़ रहे है, न सड़क है न बिजली और हम लोगो का गाँव काफी पहले से बसा हुआ है ऐसे में हमारे लिए विस्थापन की और जाना सम्भव नहीं है। उत्तराखंड निर्माण  के 17 साल  बाद भी यमकेश्वर ब्लाक के राजा जी नेशनल रिजर्व पार्क के ये गाव आज भी मूलभूत सुविधाव से वंचित है।’

यहाँ के ग्रामीण राजा जी नेशनल पार्क के बनने के बाद वन कानून के दायरे में ऐसे फसे की आज तक विकास की कोई भी उमीद इनके काम नहीं आई , न सड़के है, न मूलभूत सुविधा है ऐसे में जीये  तो जीये  केसे ये सवाल अभी तक बना हुआ है। ऐसे में पार्क के अंतर्गत आने वाले  गाव के ग्रमीणों का गुस्सा वन क़ानून अधिनियम के विरुद्ध बना हुआ है। सालों से निवास कर रहे सत्य प्रकाश पयाल, ग्रामीण ने कहा कि, “हमने प्रदेश सरकार से कई बार अपनी बुनियादी सुविधाओं के लिए गुहार लगाई लेकिन सरकार का हमरी तरफ कोई फैसला नहीं रहा राजा जी पार्क होने की वजह से गाँव के बच्चों और महिलाओ को जंगली जानवरो के हमले भी कई बार हुए है एनजीटी ने इस मामले में गाँव वालो की समस्या को लेकर सरकार को हलफनामा के आदेश दिये है  पुनर्वास की निगरानी के लिए गाँव वालो ने समिति की मांग की है और  मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को होगी।”

राजा जी नेशनल पार्क की स्थापना के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 1983 में अधिसूचना जारी की थी जिसमे इसकी सीमा में आने वाले ग्रामो लेकर कोई बात नहीं की गयी थी। आज तक ये गांव अपने हक़ हकूक की लड़ाई के लिए सरकार से उम्मीद लगाए बैठे है लेकिन अभी तक यहाँ निवास कर रहे लोगो की समस्या न केंद्र और न ही राज्य सरकार कोई ठोस कदम उठा पायी है ।

डीएवी के चुनाव पर टिकी है एबीवीपी की साख

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एमकेपी में लगातार सात साल से जीत के बाद हार, एसजीआर से ज्ञी सभी पदों से हाथ थोने के बाद अब एबीवीपी की साख दांव पर लग गई है। राजधानी के चार कॉलेजों में से दो में हार के बाद अब संगठन डीबीएस को लेकर गंभीर है। इसके अलावा राज्य के सबसे बड़े कॉलेज डीएवी पीजी कॉलेज में लगातार दस सालों की जीत के बाद अब बाकी कॉलेजों में करारी शिकस्त से संगठन की साख डीएवी चुनाव पर टिकी है।

केंद्र से लेकर राज्य की भाजपा सरकार व अन्य समर्थित संगठनों को पूरा फोकस इस वक्त साल 2019 में आयोजित होने वाले लोक सभा चुनावों को लेकर तैयारियों में जुटे हैं। ऐसे में उत्तराखंड में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का लगातार दो कॉलेजों में एक भी पद पर जीत हासिल करने में नाकामयाब रहना संगठन को बड़ा झटका है। दरअसल, एमकेपी पीजी कॉलेज में छात्र संघ चुनावों में संगठन ने पिछले सात सालों से कब्जा रहा है। लेकिन इस बार इतिहास बदलते हुए एनएसयूआई ने कॉलेज के सभी पदों पर अधिकार जमाया। इसके बाद एसजीआरआर पीजी कॉलेज में बीते साल एबीवीपी का छात्र संघ पर कब्जा था। लेकिन, इसके बाद इस साल यहां भी एनएसयूआई ने सभी पदों पर क्लीन स्वीप लगाकार एबीवीपी के लिए परेशानी खड़ी कर दी।

अब 26 अगस्त को डीबीएस का छात्र संघ चुनाव होना है। यहां के बाद छात्र संख्या के लिहाज से राज्य के सबसे बड़े कॉलेज डीएवी पीजी कॉलेज में 31 अगस्त को मतदान होगा। डीएवी में एबीवीपी ने बीते 10 सालों से लगातार जीत का रिकॉर्ड बनाया है। हालांकि बीते साल चुनाव में जीत हार का अंतर बेहद कम रहने के कारण इस बार यहा भी संगठन जीत को लेकर बेहद गंभीर है। ऐसे में अब बाकी बचे दो कॉलेजों मे चुनाव संगठन के लिए नाक का सवाल बन गया है।

दुनियाभर के पैंक्रियाटाइटिस मरीजों को उम्मीद दिलाते हैं दून के ये वैद्य

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टर्नर रोड निवासी ,अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पदमश्री वैद्य बालेंदु प्रकाश का दावा है कि उनके स्वर्गीय पिता वैद्य चंद्र प्रकाश द्वारा 70 के दशक में अायुर्वेद के रस शास्र पर आधारित औषधियों के युवाओं में होने वाली घातक तथा जानलेवा बीमारी  पैंक्रियाटाइटिस को  ठीक किया जा सकता है। उन्होंने अपने दावे की पुष्टि के लिए राज्य के आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों के एक बड़े समूह के बीच में उनके द्वारा विगत 20 वर्षो में प्राप्त 400 मरीजो का आंकड़ा पेश किया। वैद्य बालेन्दु प्रकाश इससे पूर्व 250 मरीजो की चिकित्सा के आंकड़ों का शोध पत्र के रूप में अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल में प्रकशित कर चुके हैं। राजपुर रोड स्थित एक आॅडिटोरियम में आयोजित हुए इस समारोह की अध्यक्ष्ता केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान अनुसंधान परिषद की वैज्ञानिक परिषद बोर्ड के अध्यक्ष और दिल्ली स्थित चौधरी ब्रह्म प्रकाश आयुर्वेद चरक संस्था के भूतपूर्व निदेशक डॉ हरि मोहन चंदोला द्वारा की गई। देहरादून के प्रसिद्ध रेडियोलाजिस्ट डॉ (कॉल) हरीश भाटिया ने पैंक्रियाटाइटिस की डायग्नोसिस एवं ट्रीटमेन्ट में रेडियोलोजी की भूमिका का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि एमआरसीपी नामक टेस्ट से इस बीमारी की डायग्नोसिस तथा किसी भी चिकित्सा का प्रभाव सबसे अधिक प्रामाणिक माना जाता है।

उन्होंने बताया कि वैद्य बालेन्दु प्रकाश के पास आने वाले सभी रोगियों की जांच विगत ढाई वर्ष से उनके द्वारा की जा रही है तथा उनका एक वर्ष का इलाज खत्म होने के बाद प्रतिवर्ष वो ऐसे मरीजो को देखते रहे है।  वैद्यजी द्वारा की गई आयुर्वेदिक चिकित्सा से लाभान्वित किसी भी रोगी में रोग की वृद्धि नही देखी गई है जो कि अपने आप में बेहद सराहनीय एवं प्रशंसनीय है। इस अवसर पर वैद्यजी की चिकिस्ता से लाभ लेने वाले दीपक नागलिया, नीरू तलवार, मनीष गुप्ता, अनुष्का मित्तल, स्वर्ण सिंह और जितेन्द्र कुमार उपस्थित चिकित्सक समूह के बीच में अपने अनुभव बाटें।

 पैंक्रियाटाइटिस अर्थात पैंक्रियास (अग्नाशय) में सूजन; आकस्मिक रूप से होने वाला यह रोग पेट के ऊपरी हिस्से में तेज दर्द जो पीठ की ओर जाता है और उल्टी के साथ होता है। ऐसी असहनीय अवस्था में इमरजेंसी होस्पिटलिजेशन  की आवश्यकता होती है, जहाँ पर इसके रोगियों को लगभग एक सप्ताह तक मुँह से पानी भी नही दिया जाता और पेनकिलर, एन्टी बायोटिक, मल्टी विटामिन इत्यादि ड्रिप के सहारे दिए जाते है।

महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में अधिकता से पाया जाने वाला यह रोग औसतन 24 वर्ष की उम्र से शुरू होता है। विश्व भर में पाए जाने वाले इस रोग के होने का कारण अल्कोहल और आनुवंशिकी माना जाता है और इस रोग की विश्वभर में दर एक लाख में 27 लोगो से ज्यादा नही है। परंतु भारत वर्ष के दक्षिण राज्यों में यह रोग एक लाख  में 200 लोगो तक पाया जाता है।  इसकी बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस रोग के 30% रोगी बीस वर्षों में ही मर जाते हैं। जबकि 90% को डायबिटीज हो जाती है। शरीर और मन को प्रभावित करने वाली यह बीमारी आर्थिक रूप से भी मरीज एवं उसके परिवार की कमर तोड़ देती है। वैद्य बालेन्दु प्रकाश ने बताया कि उनके द्वारा इस संदर्भ में जो आंकड़ा इकट्ठा (no-281) किया गया उससे पता चलता है कि औसतन प्रति व्यक्ति उनके आयुर्वेदिक इलाज से पहले का खर्च 6 लाख 70 हजार रुपये आता है।

वैद्य बालेंदु प्रकाश ने बताया कि हिन्दुस्तान में होने वाली  पैनक्रियाटिस को वैज्ञानिकों ने ट्रॉपिकल क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस का नाम दिया है, जिसकी संख्या कुल रोगीयों की 60% है। ऐसे रोगियों में अल्कोहल एवं जेनेटिकली कोई पुराना इतिहास नहीं है, उन्होंने बताया कि विगत तीन वर्षों में उनके पास आने वाले रोगी की संख्या में देश के कोने कोने से लागातार बढ़ोतरी हो रही है और प्रतिवर्ष करीब डेढ़ सौ मरिजों का इलाज उनके चिकित्सा केंद्र में किया जाता है और वर्तमान में उनकी सुविधा जनवरी तक ही है। इसके मद्देनजर उधम सिंह नगर के ग्रामीण क्षेत्र में मरीजों की क्षमता को दस गुणा बढ़ाने के लिए अस्पताल का निर्माण कर रहे है। यहा यह उल्लेखनीय है कि पैंक्रियाटाइटिस के मरीजों को दूध, दूध से बने पदार्थ, घी, चिकनाई बंद करा दी जाती है परंतु वैध जी के चिकित्सा में पहले दिन से सभी एलोपैथिक दवाइयां बंद कर दूध दही घी व पनीर दिया जाता है जो मरीजो से आयुर्वेदिक उपचार के साथ बखूबी हजम हो जाता है। वैधजी के आकड़ो से स्पष्ट है कि पारद, ताँबा और गंधक के योग से बनी यह औषधि पैंक्रियाटाइटिस  की चिकित्सा में विलक्षण प्रभाव देती है, जो विश्व के लिए एक नया आविष्कार हो सकता है इसी आशा का पत्र राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जी ने प्रधानमंत्री, विज्ञान एवं तकनीकी मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री तथा आयुष मंत्री, भारत सरकार को भेजा है कि वैद्यजी के पिता जी द्वारा आविष्कृत इस औषधि को केंद्र सरकार एक राष्ट्रीय नोबेल पुरस्कार मिशन के रूप में चलायें।

संघ ने ली उत्तराखंड सरकार की क्लास, कांग्रेस ने किया बीजेपी पर हमला

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उत्तराखंड सरकार के पांच माह के कामकाज की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की एक टीम बुधवार को दून पहुंची। सरकार के पांच माह के कार्यकाल में सरकार एजेंडे पर कितना खरी उतरी और कहां खामियां रहीं, इसकी समीक्षा संगठन, सरकार और संघ के प्रमख नेताओं की मौजूदगी में की गई। ये बैठक देर शाम तक चलने की उम्मीद है। बैठक से पहले बात करते हुए संघ के पदाधिकारियों ने कहा कि उत्तराखंड सरकरा के कामकाज पर अभी से टिप्णी करना जल्दबाजी होगी।

यह दूसरा मौका होगा, जब कि सरकार के कार्य की समीक्षा संघ ने की। इससे पहले उत्तराखंड में सरकार गठन के एक माह बाद मुख्यमंत्री आवास में हुई बैठक में संघ ने एजेंडा रखा था। इसमें सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने के साथ गाय और गंगा पर विशेष फोकस करने के निर्देश दिए गए थे। संघ की ओर से सरकार को सामाजिक सुरक्षा और समरसता पर भी काम करने को कहा हया था।
बुधवार को होने वाली बैठक में इन तमाम बिंदुओं पर चर्चा हुई। बैठक में सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और डॉ. कृष्ण गोपाल के साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल, सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक आलोक, प्रांत प्रचारक युद्धवीर और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट मौजूद रहें।

वहीं कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार और बीजेपी को घेरा। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि “संघ का सरकार से कोई लेना देना नहीं होना चाहिये।लेकिन इसके उलट देश में और राज्य में जहां बीजेपी सरकार है वहां संघ उसे चलाता है। इन सब जगह तो नाम के लिये ही बीजेपी सरकार है।”

साइबर क्राइम रोकने को गठित होगा अलग सेल : रतूड़ी

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उत्तराखण्ड के पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने कहा कि, “राज्य बनने के बाद गम्भीर अपराधों में कमी आयी है, लेकिन छोटे अपराधों में व्रद्धि हुई जिसे रोकने के लिए पुलिस परंपरागत तरीके से कार्य करेगी।” उन्होंने लम्बित विवेचनाओं का शीघ्र निस्तारण करने को निर्देश दिए। प्रदेश में साइबर क्राइम को रोकने के लिए अलग से सेल गठित करने की बात भी कही।

रोशनाबाद स्थित जिला मुख्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने अपराध समीक्षा बैठक की जानकारी दी। बैठक में मौजूद अधिकरियों को जनपद में अपराधों पर अंकुश लगाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक थाना क्षेत्र में बाहर से आकर रहने वाले हर व्यक्ति के पुलिस सत्यापन में कोताही न बरतें इसके अलावा लम्बित विवेचनाओं का शीघ्र निस्तारण होने से पीड़ित को समय पर न्याय मिलेगा।

रतूड़ी ने अधिकरियों को चोरी, डकैती और लूट की घटनाओं की रिपोर्ट तुरन्त दर्ज करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने अवैध खनन की बाबत पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि अवैध खनन करने वालों के खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी।
बैठक में आईजी कानून व्यवस्था दीपम सेठ, आईजी मुख्यालय जीएस मर्तोलिया, डीआईजी गढ़वाल पुष्पक ज्योति, एसएसपी कृष्णकुमार वीके एवं जनपद के सभी पुलिस अधीक्षक, क्षेत्राधिकारी, इंस्पेक्टर के अलावा सभी थानाध्यक्ष मौजूद रहे।