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उत्तराखंड बोर्ड का परिणाम घोषित, फिर लड़कियों ने मारी बाजी

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रुद्रपुर। दसवीं में रुद्रप्रयाग की आयशा गौरी प्रथम, जसपुर का हर्षवर्धन द्वितीय स्थान पर।बाहरवीं में पौड़ी गढ़वाल से प्रथम स्थान, जसपुर का आकाशदीप वत्सल द्वितीय स्थान पर

उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद की ओर से आज हाइस्कूल और इंटरमीडिएट का परीक्षा परिणाम घोषित हो चुका है। सुबह 11 बजे बोर्ड के सभापति आरके कुंवर रिजल्ट जारी कर द‌िया।

  • इस बार दसवीं का रिजल्ट 73.6 प्रतिशत रहा। जबकि 12 वीं का ‌रिजल्ट 78.89 प्रतिशत रहा।
  • दसवीं में रुद्रप्रयाग की आयशा गौरी ने 492 अंक प्राप्त कर उत्तराखंड टॉप किया। वहीं, जसपुर हर्षवर्धन 98. 2 प्रतिशत के साथ दूसरा स्‍थान प्राप्त किया।

वहीं, 12वीं में पौड़ी गढ़वाल के एसवीएमआईसी श्रीकोट गंगनाली इंटर कॉलेज ने 475 अंक के साथ 95 प्रतिशत लाकर उत्तराखंड टॉप किया। वहीं, जसपुर के आकाशदीप वत्सल ने 94.8 प्रतिशत के साथ प्रदेश में दूसरा स्‍थान प्राप्‍त किया।

  • बोर्ड के सचिव वीपी सिमल्टी ने बताया कि इस वर्ष हाइस्कूल में 1,53,814 विद्यार्थी पंजीकृत थे।
  • इनमें संस्थागत 1,48,231 जबकि व्यक्तिगत 5583 थे। इसी तरह इंटरमीडिएट में 1,33,417 विद्यार्थी पंजीकृत थे।
  • इनमें संस्थागत 1,25,087 जबकि व्यक्तिगत 8330 परीक्षार्थी शामिल थे।

परीक्षा 17 मार्च से शुरू हुई थी और 10 अप्रैल को संपन्न हुई थी। हाइस्कूल की परीक्षा में 4054 परीक्षार्थी जबकि इंटर में 2595 परीक्षार्थी अनुपस्थित रहे थे। सिमल्टी ने बच्चों से अपील की है कि उनका परीक्षा परिणाम कैसा भी रहे, उसका सामना करें, कोई भी गलत कदम न उठाएं। साथ ही अभिभावकों से भी अपील की है कि बच्चों पर विश्वास जताएं, उन्हें प्रेरित करें कि परीक्षा परिणाम जैसा भी हो घबराएं नहीं।

Year            Overall Pass %        Pass % for Boys     Pass % for Girls     No. of students

2014         87.1                          85                          87                       1,52,496

2015         88.23                       89                         90                          1,60,005

2016         92.45                       92                          94                        1,67,352

2017  92.85 (Expected)       93.25 (Expected)      94.95 (Expected)               1,71,220

कानून के कसते शिकंजे से बढ़ी डीपी की मुश्किलें

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रुद्रपुर। पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही हैं। एसपी क्राइम कमलेश उपाध्याय व सीओ सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह ने डीपी सिंह के सरकारी आवास पर कुर्की का नोटिस चस्पा कर दिया है। हालांकि डीपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में फिर से एसएलपी दाखिल कर रखी है, जिस पर सुनवाई अभी होनी बाकी है। कुर्की नोटिस चस्पा होने के बाद भी डीपी सिंह समर्पण नहीं करते हैं तो न्यायालय से आदेश लेकर कुर्की की कार्यवाही की जाएगी।

एसआईटी ने नैनीताल स्थित भ्रष्टाचार निवारण अदालत से धारा 82 का आदेश लेकर डीपी सिंह के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। शनिवार को एसपी क्राइम कमलेश उपाध्याय व सीओ सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह ने डीपी सिंह के रुद्रपुर स्थित सरकारी आवास पर कुर्की का नोटिस चस्पा कर दिया। सीओ सिटी ने बताया कि डीपी सिंह के देहरादून स्थित निजी आवास एवं सीतापुर जनपद में स्थित पैत्रिक आवास पर कुर्की नोटिस चस्पा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यदि डीपी सिंह आत्म समर्पण नहीं करते हैं तो एसआईटी उनके आवासों की कुर्की के लिए न्यायालय से आदेश हासिल करके कार्रवाई करेगी। उधर, एनएच 74 मुआवजा घोटाले में मुख्य आरोपी बनाए गए पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में फिर एसएलपी दायर की है, जिस पर सुनवाई 24 नवंबर को होनी बाकी है।

एसएसपी से की गई मामले की शिकायत

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रुद्रपुर। जनपद गुरदासपुर (पंजाब) के गांव ध्यानपुर निवासी सुरेंद्र कुमार पुत्र पूरन चंद्र ने एसएसपी को दी तहरीर में कहा कि वो ट्रक (केएडी0592) का चालक है। वो ट्रक को पंजाब प्रांत से लाया था। इस ट्रक को वो हाजी पार्किंग किच्छा रोड लालपुर में खड़ी करता चला आ रहा है। जिसकी पार्किंग शुल्क की रसीद भी उसके पास मौजूद है। बताया कि बीते दिवस 16 नवंबर को उसने ट्रक को पार्किंग में डीजल टंकी भराकर खड़ा किया था।  टंकी में करीब 450 लीटर डीजल डलवाया गया था। जब वो ट्रक लेने पहुंचा तो उसके ट्रक से करीब 400 लीटर डीजल चोरी हो गया। जिसकी कीमत तकरीबन 25 हजार रुपये है। जब इस बावत उसने पार्किंग के ठेकेदार से तेल चोरी की सूचना दी तो उसने कहा कि इसकी जिम्मेदारी उसकी नहीं है। जबकि ठेकेदार द्वारा दी गई पार्किंग शुल्क की रसीद उसके पास मौजूद है। सुरेंद्र कुमार ने बताया कि पार्किंग में वाहन खड़ा करने के बाद जिम्मेदारी पार्किंग वाले की होती है। मामले की तहरीर लालपुर पुलिस को दी गई। पुलिस ने कोई सुनवाई नहीं की। इस मामले में एसएसपी डा. सदानंद दाते से भी तहरीर देकर शिकायत की है कि उसकी रिपोर्ट दर्ज कराई जाए। एसएसपी ने पीडि़त को कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

नदी में डूबकर दिव्यांग बच्चे की मौत

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किच्छा। गत देर ग्राम बण्डिया निवासी एक दिव्यांग की नदी में डूब कर मौत हो गई। बच्चे के नदी में डूबने की जानकारी मिलते ही आनन फानन में परिजनों ने कोतवाली पुलिस से दिव्यांग बच्चे की खोजबीन की मांग की। कोतवाली पुलिस ने देर रात्रि से बच्चे की खोजबीन शुरू कर दी। आज सुबह दोबार पुलिस ने बच्चे की खोजबीन गोताखोरों द्वारा कराई गई तो कड़ी मसक्कत के बाद गोताखोरों ने दिव्यांग बच्चे का शव खोज निकाला। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर शव का पंचनामा भरकर पीएम के लिए भेज दिया। वहीं पुत्र की मौत पर परिवार में कोहराम मचा गया।

कोतवाली क्षेत्रार्तगत ग्राम बण्डिया निवासी दिव्यांग विशाल पुत्र राकेश जोकि घूमते घूमते पुरानी गल्ला मंडी स्थित नदी किनारे पहुंच गया। इसी दौरान विशाल का पैर फिसलने के कारण वह नदी में डूब गया, जिससे उसकी मौत हो गई। विशाल के परिजनों ने उसके घर न पहुंचने पर देर शाम कोतवाली पहुंचकर पुलिस से विशाल की खोजबीन की मांग की।

मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस ने विशाल की खोजबीन शुरू कर दी, लेकिन रात हो जाने के कारण पुलिस को कामयाबी हासिल नहीं हो सकी। आज सुबह जब दोबार कोतवाली पुलिस ने ग्राम नाजिमाबाद निवासी गोताखोर राजू कोली और विजय कोली से खोजबीन शुरू कराई तब जाकर विशाल का शव मिल पाया। पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

बेटी की पुकार: उन्हें भी मिले अधिकार

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रुद्रपुर। होली चाइल्ड स्कूल में हुए वार्षिकोत्सव स्पंदन. द बीट्स के मौके बच्चों द्वारा प्रस्तुत बेटी की पुकार नृत्य नाटिका प्रस्तुत कर मौजूद लोगों के मन को झकझोर दिया। उन्होंने दिखाया कि कन्या भ्रूण हत्या कानून से नहीं बल्कि समाज का नजरिया बदलने से थमेगी। बताया कि कानून भले ही कितना भी कड़ा क्यों न हो। समाज बेटे और बेटी को एक नजर से नहीं देखेगा। दोनों को बराबर स्नेह सम्मान और अवसर नहीं देगा, तब तक लड़कियों का गर्भ में यूं ही कत्ल होता रहेगा।

बच्चों ने नाटक के जरिए बताया कि जहां जैन एवं वैदिक शास्त्रों में सौभाग्यवती पतिव्रता नारी तथा कुमारी कन्याओं को महान पवित्रता तथा व्यवहारिक मंगल का प्रतीक माना गया है, वहीं वैदिक पुराणों में भी नारी को देवी के रूप में स्वीकार किया गया है। मनुस्मृति में तो यहां तक कह दिया है कि, एक आचार्य दस अध्यापकों से श्रेष्ठ हैं, एक पिता सौ आचार्यों से श्रेष्ठ है और एक माता एक हजार पिताओं से श्रेष्ठ है। इतनी सारी विशेषताओं से समन्वित एक समाज अब अपनी स्वाभाविक ममता का गला घोंटकर गर्भपात जैसे क्रूर कर्म की ओर आगे बढ़ता है तब उसे वर्तमान युग में क्या संज्ञा प्रदान की जाए, इसके बारे में आप स्वयं चिंतन करें। आज विश्व में 10 से 15 प्रतिशत विवाहित जोड़े सन्तानहीन हैं। विभिन्न सर्वेक्षणों से यह ज्ञात हुआ है कि सन्तानहीनता की यह व्याधि दिनों दिन तेजी से बढ़ रही है तथा दूसरी ओर गर्भपात का प्रचलन भी तेजी से बढ़ रहा है जो हमारे लिए लिए सबसे अधिक विचारणीय विषय बन गया है।

जैसे जैसे विज्ञान प्रगति कर रहा है, मानव के विचार व व्यवहार पतन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। मानव मानव का भक्षक वैसे बन सकता है यह तथ्य गर्भपात करवाने की इच्छा से ही स्पष्ट हो जाता है। उन्होंने कहा कि आज बेटी बेटों से कम नहीं हैं। जहां वह घर की देखभाल करती हैं, वहीं देश की रक्षा के लिए भी शरहद पर तैनात है। हमें आज अपनी सोच बदलनी होगी, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब शादियों के लिए लड़कियां नहीं बचेंगी।

बच्ची पर खौलता पानी फेंकना अमानवीयः रेखा

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देहरादून। बाल एवं महिला विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य ने शिशु निकेतन मामले में बाल आयोग की सक्रियता की सराहना की है। उन्होंने कहा कि अगर बाल आयोग रिपोर्ट पर मुख्य सचिव को आदेश नहीं देता तो शायद शिशु निकेतन प्रकरण नजरों में नहीं आता। साथ ही उन्होंने शिशु निकेतन में व्यवस्थाओं को सख्त और जवाबदेही बनाने पर जोर दिया।

शुक्रवार को एक कार्यक्रम से इतर राज्यमंत्री रेखा आर्य ने शिशु निकेतन प्रकरण पर पूछे सवाल पर कहा कि चार वर्ष की छोटी बच्ची पर गरम पानी फेंकना अमानवीय घटना है। साथ ही पीड़ित बच्ची का इलाज न कराना और भी शर्मनाक है। करीब तीन साल से घटना का किसी को पता न लगने पर भी उन्होंने हैरानी जताई। उन्होंने शिशु निकेतन की व्यवस्थाओं में पाई तमाम खामियों को भी गंभीर माना है। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने उक्त प्रकरण में बाल आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र खंडूड़ी के हस्तक्षेप को सराहा। उन्होंने कहा कि अगर आयोग अपर सचिव की रिपोर्ट पर तुरंत संज्ञान नहीं लेता तो शायद मामला दबकर रह जाता।
गौरतलब है कि समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन अपर सचिव ने बाल आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र खंडूड़ी को शिशु निकेतन प्रकरण के संबंध में गोपनीय रिपोर्ट भेजी थी। इस गोपनीय रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए खंडूड़ी ने तुरंत मुख्य सचिव को जांच के आदेश दिए। जिसके बाद मामला उजागर हो पाया था। आयोग के अध्यक्ष की ओर से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को उक्त प्रकरण की भेजी रिपोर्ट में भी इस गोपनीय रिपोर्ट का उल्लेख है। कहा गया कि अपर सचिव ने उक्त जांच रिपोर्ट को सरकार को भी भेजा था। लेकिन संज्ञान नहीं लिया गया। इसके बाद उन्होंने आयोग को गोपनीय रिपोर्ट भेजी थी।

22 लाख परिवारों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराएगी सरकार

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देहरादून। राज्य सरकार कम आय वाले परिवारों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करने की योजना तैयार कर रही है। यह बात शुक्रवार को प्रदेश के वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने कही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 22 लाख परिवारों को नि:शुल्क स्वास्थ्य सुविधा का लाभ देने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। इस दायरे में उन परिवारों को शामिल किया जाएगा जिनकी सालाना आय पांच लाख से कम है। उन्होंने यह बात भी स्वीकार की है कि सूबे की आधे से अधिक आबादी स्वास्थ्य सुविधाआें के लिए प्राइवेट सेक्टर पर निर्भर है। एेसें में सरकारी अस्पतालों में सुविधाआें में और इजाफा किया जा रहा है ताकि मरीजों को सरकारी अस्पतालों में ही इलाज की उचित सुविधा मिल सके।

यह बात प्रकाश पंत ने मैक्स अस्पताल में डे केयर सर्जरी का शुभारंभ करते हुए कही। इस प्रक्रिया में मरीज सर्जरी के 24 घंटे के अंदर घर वापस जा सकते हैं। काबीना मंत्री ने अस्पताल के इस प्रयास की सराहना की। अस्पताल के सीनीयर कंसलटेंट डॉ मोहम्मद आतिख खान ने बताया कि डे केयर सर्जरी आधुनिक तकनीक है। इसका लाभ मरीजों को मिलेगा। मरीज सर्जरी के बाद चौबीस घंटे के अंदर ही अपने घर वापस लौट सकता है। इस तरह की शल्यक्रिया में शरीर के प्रभावित हिस्से पर छोटा चीरा लगाया जाता है। इससे खून का ज्यादा बहाव भी नहीं होता और दर्द भी नहीं। साथ ही मरीज पर खर्च का बोझ भी कम पड़ता है। अस्पताल के वाइस प्रेसीडेंट डॉ संदीप सिंह तंवर, मैक्स इंस्टीट्यूट आफ न्यूरो साइंसेज के चेयरमैन डॉ एके सिंह आदि भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।

यूपीसीएल समेत तीनों निगमों में नई भर्ती पर रोक

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देहरादून। उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) समेत तीनों निगमों में नई भर्ती पर रोक है और यूपीसीएल रिक्त अधिकांश पद फील्ड कार्मिकों के हैं, लेकिन फिर भी यूपीसीएल प्रबंधन मुख्यालय में एक और आलीशान बिल्डिंग बना रहा है। इस पर करीब एक करोड़ से भी ज्यादा का खर्च आएगा। घूम-फिरकर यह पैसा भी उपभोक्ताओं से वसूला जाना है क्योंकि प्रबंधन वार्षिक राजस्व रिपोर्ट में इस खर्च को शामिल करेगा, जिसके हिसाब से ही बिजली की दरों में वृद्धि होती है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर ये बिल्डिंग किसके लिए और क्यों बनाई जा रही है। इसके अलावा भी पिछले छह महीने में बड़े पैमाने पर फिजूलखर्ची हुई है और शायद ही उपभोक्ताओं के हित में कोई काम हुआ हो।

वहीं, यूपीसीएल का पक्ष रखते हुए मुख्य अभियंता एवं प्रवक्ता एके सिंह का कहना है कि कक्षों की कमी महसूस की गई तो मुख्य भवन के ऊपर एक बिल्डिंग बनाई जा रही है। अब कितने कक्षों की कमी है या कितने कर्मचारियों को कक्षों से बाहर बैठकर काम करना पड़ रहा है, इसका जवाब किसी के पास नहीं और हकीकत में ऐसा है भी नहीं। खैर, सवाल उठने इसलिए भी लाजिमी हैं, क्योंकि उपभोक्ताओं को मिलने वाली सुविधाएं और सेवाएं दोयम दर्जे की हैं। बिल संग्रह केंद्रों की कमी और केंद्रों पर बुनियादी सुविधाओं के अभाव की वजह से ऊर्जा निगम पर वर्ष 2005 से रोजाना ढाई हजार रुपये का जुर्माना लग रहा है। यह रकम एक करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। सूबे में कुल 160 बिल संग्रह केंद्र हैं, जबकि उपभोक्ता हैं 20 लाख। निगम ने केंद्रों पर शेड, पेयजल, पंखे-कूलर, टॉयलेट, बैठने आदि का समुचित प्रबंध करने के लिए 11 करोड़ रुपये की कार्ययोजना तो बनाई है लेकिन अभी शायद ही कहीं कोई सुविधा दी गई हो। इसके अलावा कनेक्शन लेने से लेकर तमाम सेवाओं और शिकायतों के निस्तारण के लिए उपभोक्ताओं को कितनी फजीहत झेलनी पड़ती हैं, ये बात भी किसी से छिपी नहीं है।

पलायन को रोकने को पतंजलि बड़ी पोखरी में तैयार कर रहा कृषि मॉडल

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हरिद्वार। उत्तराखंड से पलायन को रोकने, उत्तराखंडवासियों के जीवन को बेहतर बनाने एवं प्रांत के कृषक समाज को उनकी सीमाओं में कृषि उत्पाद तैयार करा उसे आर्थिक समृद्धि दिलाने के संकल्प के साथ पतंजलि योगपीठ अपने विविध केंद्रों पर विशेष कृषि मॉडल विकसित कर रहा है। इन कृषि माडलों का उत्तराखंड की हस्तियों से लेकर देश-विदेश विशिष्ट कृषि वैज्ञानिकों का दल अवलोकन करने पहुंच रहा है।

इसी क्रम में जैविक कृषि एवं वातावरण परिशोधन पर कार्य कर रहीं डाॅ. वदना शिवा अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, जापान, इंडोनेशिया, कोरिया के विशिष्ठ वैज्ञानिकों के दल के साथ पतंजलि के बड़ी पोखरी के विशेष कृषि मॉडल केंद्र पहुची। उन्होंने वहां तैयार किए गए नींबू, मिर्च, आडू, खूबानी, पल्म, सफेद चन्दन के सैकड़ों पेड़ों का अवलोकन किया और पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण से मुलाकात कर जैविक कृषि एवं उत्तराखण्ड के पलायन से जुड़ी समस्याओं पर अनेक जिज्ञासाओं का समाधन प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के पलायन को रोकने के लिए पतंजलि बड़ी पोखरी में तैयार हो रहे इस कृषि मॉडल से किसानों में अपनी कृषि के प्रति विश्वास जगाने का अभियान चलाएगा। उन्होंने बताया कि यहां तीन किमी. नीचे से बड़ीपोखरी तक पानी पहुंचाना पतंजलि का विशिष्ट प्रयोग कहा जा सकता है।
आचार्य ने कहा यह उत्तराखण्ड का सबसे बड़ा ड्रिप ऐरिगेशन कहा जा सकता है। इस विधि से इस परिसर में तैयार सैकड़ों की संख्या में नींबू, मिर्च, आडू, खूबानी, पल्म, सफेद चन्दन आदि के सैकड़ों पेड़ किसानों को समृद्धि की प्रेरणा दे रहे हैं। कहा उत्तराखण्ड का प्रत्येक किसान अपनी भूमि पर विशेष कृषि विधि से खेती करे और अपने को समृद्धशाली बनाये, युवाओं का रोजगार मिले और उत्तराखण्ड से युवाओं का पलायन रुके यही पतंजलि का संकल्प है।

स्कूलों में चार माह से एनसीईआरटी की किताबें मुहैया नहीं करा पाया विभाग

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देहरादून। प्रदेश में क्लास एक से बारह तक शिक्षा विभाग के निर्देशन में चल रहे स्कूलों में अगले सत्र तक किताबें उपलब्ध कराना शिक्षा विभाग के लिए चुनौती साबित हो रहा है। दरअसल जुलाई में शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने प्रदेश में सभी स्कूलों में एनसीईआरटी का सिलेबस लागू करने और किताबें उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद सिलेबस तैयार कर सीएमओ में फाइल पहुंचाई गई लेकिन सीएमओ से अब तक इस मामले में मुहर नहीं लगी है। ऐसे में 4 माह में प्रदेश के सभी स्कूलों के लिए किताबें छापने के लिए टेंडरिंग प्रक्रिया, किताबें छपवाने और स्कूलों को उपलब्ध कराने की बड़ी चुनौती शिक्षा विभाग के लिए खड़ी हो गई है।

नवम्बर में अब तक नहीं शुरू हुई प्रक्रिया 
बता दें कि अब तक प्रदेश में एससीईआरटी किताबें छपवाने का काम करती थी। जिसके लिए प्रक्रिया नवंबर से शुरू हो जाती थी। इसके बाद फरवरी मार्च तक किताबें डिस्ट्रीब्यूट कर दी जाती थी लेकिन इस साल शिक्षा मंत्री ने एनसीईआरटी की किताबें छपवाने के निर्देश दिए हैं। जिससे अब एससीईआरटी ने किताबें छापनी बंद कर दी है। मामला सीएम ऑफिस में लटका पड़ा है, जिसके पास होने के बाद टेडरिंग प्रक्रिया भी होगी। जिसमें एक माह से ऊपर का समय लगेगा। इसके बाद किताबों को छपवाने में भी समय लगेगा। फिर जिलों के माध्यम से स्कूलों को किताबें उपलब्ध होंगी, जो 4 माह में किसी भी सूरत में नहीं हो पाएंगी।
सूत्रों का दावा है कि विभाग को करोड़ों की संख्या में किताबें छपवानी है। हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारी सीएम कार्यालय से जल्द ही सहमति मिलने की बात कह रहे हैं। साथ ही अप्रैल तक किताबें भी उपलब्ध कराने की बात कर रहे हैं। मामले में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने बताया कि सीएम कार्यालय से फाइल पर मुहर लगते ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अप्रैल तक किताबें हर हाल मेें स्कूलों में उपलब्ध कराने का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।