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कानून व्यवस्था में बेहतर प्रदर्शन के बाद भी बिजली चोरी में उत्तराखंड का स्थान 7वां, वन-वन्यजीव तस्करी में दसवां

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(देहरादून) कुल अपराध में भले ही उत्तराखंड देश के सबसे शांत टॉप पांच राज्य में शुमार हो, लेकिन कई गंभीर अपराधों के मामले में राज्य की स्थिति पर अधिक संतोषजनक नहीं हैं। इसकी वजह यह है कि बलात्कार, हत्या, डकैती, लूट जैसे अपराधों में देश के 36 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों में हम टॉप 20 राज्यों में जरूर शामिल हैं। जबकि बिजली चोरी, वन एवं वन्य तस्करी के मामले में उत्तराखंड का नाम सर्वाधिक अपराध वाले टॉप टेन राज्यों में है। नेशनल क्राइम रिकॉडर्स ब्यूरो के हाल में जारी वर्ष 2016 के आंकड़ों में प्रदेश में अपराध की यह तस्वीर निकलकर सामने आई है।
शस्त्रों के अनाधिकृत प्रयोग की बात करें तो हमारा राज्य सर्वाधिक अपराध वाले टॉप 11 में शुमार है। शराब तस्करी व नशे की अन्य वस्तुओं के प्रयोग की स्थिति भी राज्य के हित में नजर नहीं आती। इस श्रेणी के अपराध में उत्तराखंड का स्थान सभी 36 राज्यों में टॉप 16 में शामिल है। हालांकि सुकून की बात यह जरूर है कि वर्ष 2016 में राष्ट्र के खिलाफ किसी भी तरह के अपराध में राज्य का आंकड़ा शून्य है। जबकि वर्ष 2016 में प्रिवेंशन ऑफ इंसल्ट टु नेशनल ऑनर एक्ट में विभिन्न राज्यों से 73 मामले दर्ज किए गए हैं। रेलवे एक्ट व बाल मजदूरी में भी प्रदेश में एक भी अभियोग पंजीकृत नहीं किया गया। रेलवे एक्ट में देश में 375 व बाल मजदूरी में 128 मामले दर्ज किए गए।
बिजली चोरी में टॉप प्रदेश
उत्तर प्रदेश (पहला), हरियाणा (दूसरा), पश्चिम बंगाल (तीसरा) बिहार (चौथा), राजस्थान (पांचवां), झारखंड (छठा) दिल्ली (सातवां), महाराष्ट्र (आठवां)
उत्तराखंड में अपराध की तस्वीर
अपराध, मामले, देश में स्थान
बिजली चोरी,
वन-वन्यजीव तस्करी, 26, 10
अम्र्स एक्ट, 815, 11
जालसाजी, 195, 15
नशाखोरी, 3303, 16
दहेज हत्या, 57, 18
आइटी एक्ट, 58, 18
जुआबाजी, 351, 18
दुष्कर्म, 336, 19
लूट, 128, 19
चोरी, 1823, 20
हत्या, 194, 21
हत्या से अधिक वाहन दुर्घटना से मौत के मामले
उत्तराखंड में हत्या के 194 मामले पंजीकृत हैं, जबकि वाहन दुर्घटना में मृत्यु के 577 मामले वर्ष 2016 में सामने आए। यह मामले लापरवाही से वाहन चलाने के रूप में दर्ज किए गए हैं। इस मामले में राज्य का देश में 22वां स्थान है, जो कि चिंता की बात है। 

बिजली कार्मिकों के आंदोलन से बदहाल व्यवस्थाएं

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(देहरादून) बिजली कार्मिकों के आंदोलन का असर आपूर्ति पर पड़ने लगा है। शुक्रवार और शनिवार को उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ा। दरअसल, आंदोलन के तहत बिजली कार्मिक शाम पांच से सुबह दस बजे तक विभागीय मोबाइल नंबर को बंद रखते हैं। शुक्रवार शाम को मोहनपुर में ट्रक ने एक बिजली पोल में टक्कर मार दी। इससे क्षेत्र में बिजली गुल हो गई। लोगों ने जब इसकी सूचना देने के लिए एसडीओ और जेई को फोन किया तो स्विच ऑफ था। इसके बाद बिजली घर के लैंडलाइन पर फोन किया तो किसी ने रिसीव नहीं किया। फिर, बिजली जाकर शिकायत दर्ज कराई और करीब दो घंटे बाद आपूर्ति बहाल हुई।
शनिवार सुबह करीब साढ़े आठ बजे मोहनपुर मुख्य मार्ग पर 11 केवी लाइन टूट गई। इस वक्त भी कार्मिकों के मोबाइल बंद थे। स्थानीय निवासी बीरू बिष्ट ने बताया कि बिजली जाकर सूचना दी, तब जाकर मरम्मत कार्य शुरू हुआ। कहा कि ट्रांसफार्मर और लाइनें ओवरलोड हैं, जिस कारण अक्सर बिजली आपूर्ति बाधित होती है। वहीं, शुक्रवार को एमडीडीए कॉलोनी आइएसबीटी में भी फाल्ट आने से कुछ घरों की बिजली गुल रही। बिजली का घर फोन उठा नहीं और एडीओ-जेई के मोबाइल बंद थे। शनिवार सुबह दस बजे के बाद लोगों की शिकायत दर्ज हो सकी। इसके बाद कर्मचारी मौके पर पहुंचे और फाल्ट ठीक किया। उधर, ऊर्जा निगम के मुख्य अभियंता एवं प्रवक्ता एके सिंह का कहना है कि उपभोक्ताओं से अपील है कि वह टोल फ्री नंबर 18004190405 पर शिकायत दर्ज कराएं।
आंदोलन को समर्थन
पदोन्नत वेतनमान (एसीपी) और पे-मैट्रिक्स के मुद्दे पर आंदोलनरत बिजली कार्मिकों को ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स और एचपीएसईबीएल डिप्लोमा इंजीनियर्स एसोसिएशन का समर्थन मिला है। फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एसएम सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर मांग की है कि कार्मिकों की जायज मांगों पर कार्यवाही की जाए। अगर जरूरत पड़ी तो फेडरेशन आंदोलन में प्रतिभाग करने को बाध्य होगा। वहीं, आंदोलन के लिए बने चार संगठनों के संयुक्त मोर्चे के कुमाऊं मंडल मीडिया प्रभारी डीसी गुरुरानी ने कहा कि तीनों ऊर्जा निगमों में करीब आठ हजार कार्मिकों की कमी है। एक कार्मिक दो-दो कार्मिकों का काम कर रहा है। इसके बावजूद कार्मिकों की नहीं सुनी जा रही है। कार्मिक कुछ नया या अतिरिक्त नहीं मांग रहे, जो उन्हें पहले से मिल रहा था, उसे ही मांग रहे हैं। 

युवक ने फंदा लगाकर की आत्महत्या

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विकासनगर, हरबर्टपुर चौकी क्षेत्र के अंतर्गत एक युवक ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। घटनास्थल पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है लेकिन परिजनों के अनुसार अपने दोस्त की मौत से आहत होकर युवक ने यह जानलेवा कदम उठाया है।

पुलिस के अनुसार नितिन 25 पुत्र कुलदीप कुमार निवासी रामबाग हरबर्टपुर में शुक्रवार देर रात घर के अंदर फांसी का फंदा लगाकर अपनी जान दे दी। शनिवार सुबह को जब नितिन के कमरे का दरवाजा नहीं खुला तो परिजनों ने दरवाजा तोड़कर देखा कि घर के अंदर नितिन ने पंखे के कुंडे पर रस्सी को टांगकर आत्महत्या की है। परिजनों की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची।

एसआई दीपक मैठाणी ने बताया कि, “कोई सुसाइड नोट नहीं मिला लेकिन परिजनों ने पुलिस को बताया कि कुछ समय पूर्व नितिन के एक दोस्त की मौत हो गयी थी। नितिन अपने दोस्त को भाई की तरह मानता था। जब से उसका दोस्त मरा तब से वह खोया-खोया रहता था।” शुक्रवार को हरबर्टपुर के पूर्व चेयरमैन की अंत्येष्टी से लौटने के बाद वह खाना खाकर किसी से कोई बात किए बगैर अपने कमरे में चला गया और फंदा लगाकर जान दे दी।

अनुराग कश्यप की फिल्म ‘मुक्काबाज’ का पहला गाना हुआ रिलीज

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निर्देशक अनुराग कश्यप की आने वाली एक्शन फिल्म ‘मुक्काबाज’ का पहला गाना पैंतरा रिलीज किया गया है। यह गाना रैप स्टाइल में है हालांकि फिल्म का ट्रेलर अभी तक नहीं रिलीज किया गया है। इस फिल्म में विनीत सिंह, जिम्मी शेरगिल और रवि किशन मुख्य किरदार में हैं।

यह फिल्म बरेली के एक शौकिया बॉक्सर की कहानी है, जिसको ब्राह्मण लड़की से प्यार हो जाता है। फिल्म में बॉक्सिंग के साथ पॉलिटिक्स और भ्रष्टाचार भी देखने को मिलेगा। यह फिल्म 10 दिसम्बर को रिलीज होगी।

उल्लेखनीय है कि अनुराग कश्यप ने गैंग ऑफ वासेपुर, गुलाल, बॉम्बे टॉकिज, देव डी, बाम्बे वेल्वेट जैसी कई हिट फिल्में दी हैं।

टीवी पर अच्छा संदेश देने वाले पारिवारिक रिश्ते पहली पसंद: कांची सिंह

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‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ फेम कांची सिंह शुक्रवार को उज्जैन पहुंची। वे शुक्रवार शाम को सिटी प्रेस क्लब कार्यालय में पत्रकारों से रूबरू हुई तथा बाल कलाकार से लेकर अब तक सीरियलों में काम करते हुए बिताए अपने 17 सालों के सफर के बारे में बताया।

प्रारंभ में अध्यक्ष संदीप मेहता एवं सचिव राजेश कुल्मी ने कांची सिंह का पुष्प गुच्छ भेंटकर स्वागत किया। मूल रूप से इंदौर की निवासी कांचीसिंह ने कहा कि 4 साल की छोटी उम्र से ही बाल कलाकार के रूप में काम शुरू किया। उन्होंने राजबब्बर की पत्नी नादिरा बब्बर द्वारा निर्मित नाटकों में काम किया तथा 10वीं से नाटकों में आई। डेढ़ वर्ष से कई सीरियलों में मुख्य भूमिका में काम किया। उनकी मंशा है कि बॉलीवुड की अभिनेत्री बनूं।

कांची ने कहा कि कलाकार कहीं का भी हो यदि मेहनत करता है, खुद पर ध्यान देकर, सही संपर्कों के माध्यम से चले तो फिल्मी दुनिया में कदम जमा सकते हैं। ऐसा नहीं है कि टीवी शो, रियलिटी शो में सिर्फ बॉम्बे से लोग आते हैं, आज ज्यादातर गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान सहित अन्य शहरों से भी लोग यहां आ रहे हैं और अपनी जगह बना रहे हैं। आज भी लोग फिल्मों से ज्यादा टीवी सीरियलों को देखते हैं और पारिवारिक रिश्ते तथा अच्छा संदेश देने वाले सीरियल पसंद किये जाते है। कांची के साथ पिता आर.पी. सिंह भी मौजूद थे उन्होंने कहा कि मैने बेटी को पूरा अवसर दिया है। आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए हर प्रयास किये। कांति पर मुझे पूरा विश्वास है। यदि हम अपने बच्चों को अच्छा मार्गदर्शन दें, प्रोत्साहित करें तो बच्चे हर मुकाम हांसिल कर सकते हैं। कांची की माता भी रंगमंच की कलाकार रही हैं।

ऋषि कपूर एक बार फिर हुए ट्रोल

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बॉलीवुड कलाकार ऋषि कपूर एक बार फिर ट्विटर पर जामा मस्जिद में नमाज की फोटो डालने पर ट्रोल किए गए हैं। ऋषि कपूर चांदनी चौक पर अपनी आने वाली फिल्म ‘राजमा चावल’ की शूटिंग से समय निकालकर जामा मस्जिद पहुंचे।

यहां पर उन्होंने ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की नमाज अता करने पहुंचे लोगों को इस पर्व की बधाई दी और खुद भी वहां पर प्राथना की। जिसके बाद उन्होंने नमाज अदा कर रहे लोगों की फोटो को टि्वटर पर शेयर किया, जिसपर ट्रोलर्स ने उन्हें ट्रोल किया। एक ने उन्हें पाकिस्तान आने तक का बुलावा दे दिया। वहीं दूसरी ओर एक ट्रोलर ने उन्हे यह तक कह डाला कि सर कश्मीर पाकिस्तान का है यह आइडिया वहां जरूर सुनाना तालियां बजेंगी।

उल्लेखनीय हो कि फिल्म राजमा चावल का निर्देशन लीना यादव कर रही हैं। लीना यादव ने फिल्म ‘पॉर्च्ड’ का भी निर्देशन किया था।

गृहणी की सूझबूझ और समझ को प्रस्तुत करता नाटक ‘घर के लाज’

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भोपाल, मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में प्रत्येक शुक्रवार शाम को आयोजित नवीन रंग प्रयोगों की श्रृंखला ‘अभिनयन’ के अंतर्गत नाटक ‘घर के लाज’ का मंचन हुआ। छत्तीसगढ़ी पृष्ठभूमि के इस नाटक का मंचन मनहरण गंधर्व के निर्देशन में ‘संगम नाट्य समिति बिलासपुर (छ.ग.) के कलाकारों द्वारा किया गया।

नाटक में बड़ी खूबसूरती से परिवार के विभिन्न पहलुओं को दिखाया गया है। नाटक के केंद्र में लक्ष्मी है। शादी के कुछ समय के बाद लक्ष्मीं को बच्चा न होने की वजह से, उसकी सास उसे तंग करती है, रोज ताने भी मारती है। एक दिन लक्ष्मी की सास अपने बेटे से कह कर लक्ष्मी को जंगल में छुड़वा देती है। जंगल में भटकते हुए उसकी मुलाकात गाँव के कोतवाल से होती है, जो उसे वापस गाँव में लाता है। कोतवाल गाँव में पंचायत बुलाता है और लक्ष्मी के साथ हो रहे अन्याय को पंचों के सामने रखता है। लेकिन अपने घर की लाज(इज्ज़त) बचाने के लिए लक्ष्मी पंचों के सामने झूठ बोलती है, अपनी सास और पति की गलती छुपा लेती है। यह देख घरवालों को अपने किये पर पछतावा होता है। वह लक्ष्मी से माफ़ी मांगते हैं और उसे वापस घर ले आते हैं।
नाटक में छत्तीसगढ़ी लोकनाट्य नाचा की परम्परा के अनुसार महिलाओं का किरदार भी लडक़ों ने ही निभाया। छत्तीसगढ़ी गानों का प्रयोग करते हुए नाटक को विस्तार दिया गया। यह नाटक अपनी बात रखने और दर्शकों को बांधे रखने में सार्थक रूप से सफल भी रहा। नाटक की कहानी यूँ तो पुरुष प्रधान समाज की शोषणकारी प्रवृतियों, स्त्रियों के साथ हो रहे अत्याचार, उन पर होने वाली शारीरिक और मानसिक प्रताड़ऩा आदि को दर्शाता है।

मनहरण गन्धर्व हिंदुस्तान के लगभग सभी बड़े महोत्सवों में नया थिएटर के माध्यम से प्रस्तुतियाँ दे चुके हैं और इन्होंने कई छत्तीसगढ़ी लोक नाट्यों का निर्देशन भी किया है। इनकी संस्था ‘संगम नाट्य समिति’ की शुरुआत 2012 में हुई। हाल ही में संगम नाट्य समिति का उत्कृष्ट कार्य देखते हुए ‘बिलासा सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।

मैं अपनी बायोग्राफी के खिलाफ हूं: मनोज कुमार

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बॉलीवुड में बायोपिक फिल्मों के चल रहे दौर पर 80 वर्षीय अभिनेता मनोज कुमार ने एक इंटरव्यू में कहा कि वो नहीं चाहते की उनके जीवन पर कोई फिल्म बने या किताब लिखी जाये।

मनोज कुमार ने कहा, ‘मैं अपनी बायोग्राफी के खिलाफ हूं। मैं खुद के बारे में लिख सकता हूं लेकिन इसमें अन्य लोग भी शामिल हैं जिन्हें मुझे एक्सपोज करना होगा जो मुझे पसंद नहीं है।’ उन्होंने कहा कि क्या दर्शक मेरे मुंबई आने के संघर्ष और मैंने स्क्रिप्ट लिखने के लिए कितनी रातें लगाई हैं के बारे में जानने के इच्छुक हैं? नहीं वो नहीं हैं। साथ ही मनोज कुमार ने कहा कि अभी तक किसी ने मुझे बायोपिक के लिए अप्रोच नहीं किया है क्योंकि वे मेरे स्वभाव के बारे जानते हैं।

हालांकि मनोज कुमार ने प्रेमनाथ के बेटे द्वारा प्रेमनाथ के जीवन पर बनाई गई डाक्यूमेंटरी ‘अमर प्रेमनाथ’ की प्रशंसा की। मनोज कुमार ने प्रेमनाथ को भारत का एंथोनी क्विन बताते हुए कहा कि वे हर तरह की भूमिका निभाने में सक्षम थे।

थोड़ी सी लापरवाही बिगाड़ सकती थी शहर की फिजा

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(उधमसिंह नगर) बारावपात के मौके पर राजनैतिक पारा चढ़ते ही एक बड़ी अनहोनी को किसी तरह से टाल दिया गया, चिंगारी भड़की जरुर मगर पुलिस ने बड़ी ही सूझबूझ के साथ इस चिंगारी को बुझाया। इस चिंगारी की जलने के पीछे पुलिस की अपनी खुफिया एजेन्सी की भी बड़ी लापरवाही देखी गयी। जी हां शनिवार को रुद्रपुर में सियासी चक्रव्यूह का कुछ लोगों ने ऐसा ताना बाना बुनने का प्रयास किया कि अगर पुलिस ने हल्की भी चूक कर दी होती तो शहर की फिजां में एक बार फिर जहर घुल जाता।

रुद्रपुर दंगों की याद अभी सभी के जहन में ताजा है, वहीं फिर से इस फिजा बिगाड़ने वालों ने पुरी कोशिश की थी, लेकिन किसी तरह से इस विवाद को थामा गया। पीस कमेटी की मीटिंग में स्पष्ट आदेशों के बावजूद एक वर्ग विशेष के कुछ लोगों ने पुरानी परंपराओं से हटकर नई परंपरा डालने की कोशिश की। इसकी भनक जब दूसरे वर्ग के लोगों को हुई तो वहां सैकड़ों लोगों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया। शहर विधायक से इसकी शिकायत की गई। शहर विधायक ने सभी को मौके से हटाकर कोतवाली में बुलवा लिया। हिंदूवादी संगठन के लोगों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। आक्रोशित लोगों ने बताया कि पिछली बार छह गेट बनवाए गए थे जबकि इस बार सातवां गेट बना दिया गया है। अवैध रूप से बने सातवें गेट को तुरंत हटाने और गेट का निर्माण करने वाले कुछ शरारती तत्वों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग की जाने लगी। अगर पुलिस इस बात को मानती तो निश्चित ही बड़ी घटना के आसार प्रबल हो जाते चूंकि वाराबफात पर वहां सैकड़ों की तादात में वर्ग विशेष के लोग एकत्र थे वहां खासा बखेड़ा खड़ा हो सकता था। सांप्रदायिक फिजां बिगड़ सकती थी। लिहाजा पुलिस ने विधायक का गुस्सा और उनकी खरी खरी को हंस कर टाल दिया और मौके पर गेट न हटाकर किसी भी तरह का विवाद होने से बचा लिया।

नहीं हटा अतिक्रमण तो सोमवार को गरजेगी जेसीबी

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रुद्रपुर- एनएच 74 के निर्माण में बाधक बन रहे दूधिया बाबा मंदिर से तीनपानी शुक्ला फार्म तक सौ से अधिक भवन व व्यावसायिक प्रतिष्ठान यदि दो दिन के भीतर स्वयं न हटाए गए तो सोमवार को एनएचएआइ पुलिस प्रशासन की मदद से इन भवनों को ध्वस्त कर हाईवे का निर्माण शुरू करा देगा। इसके लिए शुक्रवार को एनएचएआइ ने भवनों पर नोटिस चस्पा कर दिए हैं।

दूधिया बाबा मंदिर से तीनपानी शुक्ला फार्म तक एनएच 74 का लगभग दो किमी हिस्से में भवनों के न हटने से निर्माण कार्य रुका हुआ है। हालांकि भवन स्वामी मुआवजा ले चुके हैं लेकिन कब्जा नहीं छोड़ रहे हैं। कई बार ऐसे भवन स्वामियों को नोटिस जारी हुए पर वह जगह खाली करने को तैयार नहीं हुए। इस पर मामले को एनएचएआइ ने शासन के सामने रखा। इस पर गुरुवार को इस मामले में अपर सचिव ओमकार सिंह ने सुनवाई कर जिला प्रशासन को अविलंब कार्रवाई करने के निर्देश दिए। शासन से मिले निर्देश पर जिला प्रशासन व एनएचएआइ ने शुक्रवार को मार्ग निर्माण में बाधक बन रहे सौ से अधिक निर्माणों पर दो दिन के भीतर इसे हटाने के नोटिस चस्पा कर दिए हैं।