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एडीबी विंग की लापरवाही का हर्जाना भुगत रही जनता

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(देहरादून) एडीबी विंग की लापरवाही का हर्जाना जनता को भुगतना पड़ रहा है। पाइप लाइन बिछाने के नाम पर एडीबी विंग की ओर से किए जा रहे हवा-हवाई कार्यों से परेशान होकर स्थानीय लोगों ने नई पाइप लाइन बिछाने का कार्य ही रुकवा दिया।

आगामी 23 जनवरी को एडीबी विंग का राज्य सरकार से अनुबंध समाप्त हो रहा है, जिसके चलते एडीबी अधिकारी जल्दवाजी कर इस अवधि से पहले सभी कार्य को रफा-दफा करने में लगे हुए हैं। इसके लिए जब एडीबी विंग मोहिनीगंज में लाइन डालने पहुंचे तो लोंगो ने उनका विरोध कर कर्मचारियों को भगा दिया। लोगों का आरोप है कि दो साल पहले एडीबी विंग ने पानी की लाइन डाली थी। लेकिन अभी तक इस लाइन से लोगों को कनेक्शन नहीं दिए गए। इतना ही नहीं, लाइन डालते वक्त एडीबी ने पुरानी लाइन तो क्षतिग्रस्त कर दी, सीवर लाइन के चेंबर तोड़ दिए और सड़कों को खुदी हुई छोड़ दी। इससे तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ा।

इस संबंध में एडीबी विंग के अधिकारियों को कई बार शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब एडीबी विंग के ऊपर से भरोसा उठ गया है स्थानीय लोंगो का। उनका कहना है कि अब वह क्षेत्र में एडीबी विंग को कोई भी काम नहीं करने देंगे। पूर्व पार्षद राजकुमार का कहना है कि जब तक एडीबी विंग पूर्व में किए गए कार्योंं को पूरा नहीं करते, तब तक यहां नई लाइन बिछाने का कार्य शुरु नहीं करने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एडीबी विंग ने काम किया था तो उस समय पानी की पुरानी पाइप लाइन, सीवर के चेंबर तोड़कर छोड़ दिए थे। साथ ही सड़क की भी सालभर तक कोई सुध नहीं ली। अब तक वह लाइन चालू नहीं हुई है।

विधिक राय को दरकिनार कर काम कर रही अफसरशाहीः शिवानंद

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(हरिद्वार)उत्तराखंड में बेलगाम अफसरशाही का यह आलम है कि वह अपने ही विभाग की न्यायिक सलाह को दरकिनार करते हुए काम कर रहे हैं। इसका ताजा मामला हरिद्वार में देखने को मिला। आरटीआई में इस बात का खुलासा हुआ कि टीएसआर के अधिकारी अपने विभाग की कानूनी सलाह को दरकिनार करते हुए काम कर रहे हैं। मामला खनन से जुड़ा है।
दरअसल औद्योगिक विभाग ने अपने विभाग की विधिक राय के इतर हरिद्वार में स्टोन क्रेसर खोले जाने की बात सामने आ रही है। अपनी मांगों को लेकर पिछले 38 दिन से अनशन कर रहे मातृ सदन के आत्मबोधानंद के गुरु स्वामी शिवानन्द सरस्वती ने आरटीआई में मांगे गये जवाब के आधार पर इस बात का खुलासा किया हैं। बुधवार को मातृसदन में पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि उनके द्वारा औद्योगिक विभाग एवम् सरकार के विधिक सलाहकार विभाग को आरटीआई के माध्यम से पूछा था कि आपके द्वारा खनन व स्टोन क्रेसर खोले जाने को लेकर क्या विधि राय दी गयी थी। जिसका जवाब देते हुए दोनों विभाग द्वारा भेजे गये पत्रों के आधार पर स्वामी शिवानन्द ने बताया कि उत्तराखंड में बेलगाम अफसरशाही का यह आलम, औद्योगिक विभाग द्वारा न्याय विभाग से राय मांगी गयी थी कि खनन खोले जाने को लेकर न्याय विभाग की राय क्या है। जिस पर उत्तराखण्ड सरकार के न्याय विभाग ने साफ लब्जों में लिखा है कि चूंकि खनन का मामला एनजीटी, सीपीसीबी और हाईकोर्ट में चल रहा है इसीलिए सरकार को उचित फोरम पर जा कर ही उक्त मामले में कोई निर्णय लेना उचित होगा। मातृ सदन ने इस संबध में एडवोकेट जनरल और औद्योगिक विभाग से पत्र लिखकर जवाब मांगा हैं।
मातृ सदन के परामाध्यक्ष स्वामी शिवानंद का कहना है कि मातृ सदन में अपनी मांगों को लेकर तपस्या कर रहे आत्मबोधानंद की हत्या का षडयंत्र किया जा रहा है। उन्हांेने बताया कि शनिवार को आये एसडीएम ने देहरादून से डॉक्टर आने की बात कही थी लेकिन नहीं आया।
शिवानंद ने बताया कि दरअसल गंगा पुत्र निगमानंद की मौत को लेकर जांच में कई बड़े लोगों के नाम सामने आ सकते हैं। इसलिए इस तरह का षड़यत्रं करके मातृ सदन को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है।

नियुक्ति को बनाई समितियों में बाहरी दखल से धांधली की आशंका

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(देहरादून) उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अनियमितताओं और गड़बड़ियों पर लगाम लगने का नाम नहीं ले रही है। विवि में कक्षाओं में फैकल्टी नहीं, कक्षाओं में छात्र-छात्राओं के लिए संसाधनों की कमी को लेकर तो पहले ही हंगामा जारी है। वहीं अब एक बार फिर नियुक्तियों में धांधली का ‘जिन’ बाहर आ गया है।
मामला विवि में चल रही नियुक्तियों के लिए बनाई गई समितियों को लेकर है। आरोप है कि संबंधित समितियों में चल रहे गोपनीय कार्यों में सदस्यों के अलावा बाहरी लोगों को भी दखल है। खास बात यह कि मामले में यह आरोप खुद विवि के उपकलसचिव ने लगाए है। उपकुलसचिव डा. राजेश अधना ने इसे लेकर लिखित शिकायत कर समितियों को भंग किए जाने की भी मांग की है।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर, देहरादून, ऋषिकुल, गुरुकुल परिसर हरिद्वार में भर्ती की प्रक्रिया लटकती आ रही थी। कभी चुनाव के चलते प्रक्रिया पर रोक लगी तो कभी कुलाधिपति ने नियुक्तियों को लेकर सवाल खड़े कर किए, जिस कारण प्रक्रिया को रोक दिया। अब यूनिवर्सिटी ने एक बार फिर नियुक्तियों के लिए विज्ञप्ति जारी कर दी है। आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने शैक्षिक, तकनीकी व नर्सिंग संवर्ग सहित विभिन्न पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञप्ति जारी की है। इसके तहत शैक्षणिक व गैर शैक्षणिक पदों पर भर्ती होनी है। इन्हीं पदों पर नियुक्ति के लिए विवि द्वारा विभिन्न समितियों का गठन किया गया था। समितियों के सदस्यों का भी चयन कर नियुक्तियों के लिए संबंधित गोपनीय कार्य भी संपादित किए जा रहे है। लेकिन अब इन गोपनीय कार्यों में बाहरी लोगों के दखल की बात सामने आई है। विवि द्वारा गठित समितियों पर खुद विवि के उपकुलसचिव डा. राजेश कुमार अधना ने आरोप लगाया है कि संबंधित समितियों के सदस्यों के अतिरिक्त कुछ बाहरी व्यक्तियों को गोपनीय कार्य मे शामिल होते देखा जा रहा है। दरअसल, आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने टीचिंग व नान टीचिंग के लिए आवेदन मांगे थे। आज कल फार्म की स्क्रूटनी चल रही है। जिसके लिए समितियां बनाई गई। समिति के नामित सदस्य अनुपस्थित और गैर सदस्य इस काम को कर रहे हैं। उप कुलसचिव ने स्क्रूटनी रोककर समितियां भंग करने की कुलपति से मांग की है।
मामले में सूत्रों की मानें तो कई पात्र आवेदकों के आवेदन में से डॉक्युमेंट गायब कर दिए जाने का अंदेशा भी लगाया जा रहा है। इतना ही नहीं कुछ आवेदकों के फार्म में जानबूझकर स्याही गिरा दिए जाने की बात भी सामने आ रही है। हालांकि इन आरोपों को लेकर कोई पुष्टि नहीं है। लेकिन समितियों में बाहरी लोगों के दखल को लेकी खुद उपकुलसचिव द्वारा विवि कुलपति को भेजा गया पत्र इसकी कहीं न कहीं पुष्टि जरूर करता है। मामले में कुलसचिव डा. अनूप कुमार गक्खड़ ने कहा कि समितियों में गोपनीय कार्यों में बाहरी दखल की बात अभी पुष्ट नहीं है। मामले में गंभीरता से जांच कर कार्रवाई की जाएगी। जहां तक समितियां भंग करने का मामला है तो कुलपति के अनुमोदन से समितियां बनाई गई थी वहीं इन्हें भंग करने का अधिकार रखते हैं। 

डीपी की रिमांड पूरी, फिर जेल

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रुद्रपुर- एनएच 74 मुआवजा घोटाले के आरोपी पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह की रिमांड अवधि पूरी होने पर विवेचक स्वतंत्र कुमार ने मेडिकल परीक्षण कराने के बाद नैनीताल कोर्ट में पेश किया। जहां से उन्हें फिर जेल भेज दिया गया।

एसआईटी ने डीपी सिंह को तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिया था। उनसे सिडकुल पुलिस चौकी में पुलिस अफसरों ने पूछताछ की। सूत्र बताते हैं कि डीपी सिंह ने इस बार सहयोगात्मक रवैया अपनाया। मुआवजा घोटाले में एनएचएआई के अधिकारियों की भूमिका के बारे में भी एसआईटी को जानकारी दी। साथ ही खुद को पाक साफ बताया। डीपी सिंह से दूसरी बार पुलिस कस्टडी रिमांड पर पूछताछ की गई है। उधर, एसआईटी ने बाजपुर तहसील के दस्तावेजों की जांच में तेजी पकड़ी है। गुरुवार को डीपी सिंह को नैनीताल स्थित भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेजा गया है।

पहाड़ से पलायन रोकने के लिए गैरसैंण बने स्थाई राजधानी : मंत्री

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भरारीसैण। उत्तरखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने कहा कि पहाड़ों से पलायन रोकने के लिए गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने के वे पक्षधर है। साथ ही कहा कि यहां के युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए यहां का विकास जरूरी है। भरारीसैण में शीतकालीन सत्र के लिए पहुंचे मंत्री पाण्डेय ने कहा कि गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने के पूरे पक्ष धर है। कहा कि यदि पहाड़ की जवानी व पहाड़ के पानी को पहाड़ के काम में लाना है तो यहां का विकास करना होगा और वह तभी संभव है जब पहाड़ की राजधानी पहाड़ में बने। कहा कि विधानसभा सत्र से लोगों को बड़ी आशाएं है और सरकार जनता की उन अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी। यहां के नौनिहालों का भविष्य बेहतर हो इसके लिए भी सरकार कार्य कर रही है।

सरकार जन अपेक्षाओं को दे रही प्राथमिकता: मुख्यमंत्री

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भराड़ीसैंण। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सरकार जन भावनाओं के अनुसार ही कार्य कर रही है। सरकार जनापेक्षाओं को प्राथमिकता दे रही है। जबकि विपक्ष सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा था।

गुरुवार को भराड़ीसैण में विधानसभा सत्र के पहले दिन पत्रकारों से विधानसभा परिसर में बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को गांवों में रात्रि विश्राम कर जन समस्याओं को सुनने और समाधान करने के निर्देश दिए गए हैं। जिन अधिकारियों की तैनाती उनके मूल स्थान के लिए है, उन्हें वहीं कार्य करने के आदेश भी सरकार ने दिए और अफसर ऐसा कर भी रहे हैं। गैरसैंण में विशाल झील के निर्माण की बात करते हुए रावत ने कहा कि इस झील के बनने से जहां पर्यटक इसे देखने के लिए आएंगे, वहीं नदी और बरसाती पानी की समस्या का भी निदान होगा। गांवों में होम स्टे की योजना पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पर्यटक गांव में रुकें, इसके लिए सरकार ने इस योजना को प्राथमिकता में रखा है।
भराड़ीसैंण में किए गए कार्य एनजीटी की बिना अनुमति के किए जाने के सवाल पर सीएम ने कहा कि एनजीटी को सरकार मकूल जबाव देगी। अब इतना बड़ा आधारभूत ढांचा यहां खड़ा कर दिया गया है कि उसके जवाब में सरकार का सकारात्मक जवाब एनजीटी को होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार जनता के पक्ष में कार्य कर रही है। राजधानी के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार के कदम ग्रीष्म कालीन राजधानी की तरफ ही जा रहे हैं।

प्रवास के लिए गंगा तट पर पहुंचने लगे खंजन पक्षी

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हरिद्वार। हिमालय की उतंग शिखरों पर बर्फ पड़ने के साथ ही हिमालय के सैकड़ों प्रजाति के पक्षी उत्तर व दक्षिण भारत के मैदानी क्षेत्रों, ताल-तलैयों में छह मास के प्रवास पर प्रतिवर्ष आते हैं। इस बार शरद् ऋतु का आगमन अपेक्षाकृत अधिक देर से होने से पक्षी मैदानी क्षेत्रों में प्रवास हेतु करीब 15 दिन देर से पहुंचे हैं।

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं सुप्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक प्रो. दिनेश भट्ट ने बताया कि हिमालय का सुन्दर नेत्रों वाला  हरिद्वार व भारत के अन्य मैदानी क्षेत्रों में पहुंचने लगा है। कजरारी आंखों वाले खंजन की पांच-छह प्रजातियों में से तीन प्रजातियां माइग्रेटरी है जो प्रतिवर्ष, लेह-लद्दाख, कश्मीर, कुल्लू-मनाली, नीति-माणा जैसे दुर्गम पर्वतीय स्थलों से निकलकर शरद प्रवास पर मैदानी क्षेत्रों में आती है और वसंत ऋतु में पुनः ‘प्रणय-लीला’ करने वापस अपने धाम पहुंच जाती है।
डा. भट्ट ने बताया कि खंजन पक्षी को ग्रे-वैगटेल या ग्रे-खंजन के नाम से भी जाना जाता है जो अपनी लम्बी दुम, सलेटी-पीठ, तथा पीले पेट और बार-बार दुम ऊपर-नीचे गिराने व उठाने के कारण आसानी से पहिचाना जा सकता है। दुम को बार-बार ऊपर-नीचे करना सभी खंजनों की विशेषता है। उन्होंने कहा कि हिमालयी खंजन व केवल उत्तर भारत के क्षेत्रों में अपितु मुम्बई व दक्षिणी पठार के अनेक क्षेत्रों तक पहुँच जाता है और इनकी याद्दाश्त इतनी तेज होती है कि जिस क्षेत्र व बगीचों में पिछले वर्षों में आती है उसी क्षेत्र को ये प्रतिवर्ष शीत प्रवास हेतु चुनती है।
प्रसिद्ध साहित्यकार मैथलीशरण गुप्त तो इस मोहक खंजन से इतने मोहित हुये कि महाकाव्य ‘साकेत’ में उन्होंने लक्ष्मण की सुन्दर नेत्रों की तुलना इस पक्षी के चपल आँखों से की।
संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. विनय सेठी के अनुसार अन्य सुन्दर पक्षियों का चित्रण भी हमारे संस्कृत साहित्यकारों ने खूब किया है। सूरदास ने भ्रमरगीत द्वारा, जायसी ने पद्मावत द्वारा चन्द्र चकोर का प्रेय, हंस की आकर्षक चाल, चकवा-चकई व तोता-मैना की कथा का मोहक वर्णन किया है। प्रवासी पक्षियों में ‘सुरखाब के पंख’ की बात सर्वत्र विदित है।
डा. भट्ट की बायोअकाउस्टिक लैबोरेट्री के शोध छात्र रोबिन व पारूल ने बताया कि इन दिनों उन्होंने ग्रे-वैगटेल (खंजन की एक प्रजाति) को यदा-कदा गाते हुये सुना है। पक्षी-वैज्ञानिकों के लिये यह कौतुहल का विषय है कि जब बसंत और ग्रीष्म में पक्षियों में गीत-संगीत व प्रजनन का समय समाप्त हो गया है तो शरद में गीत गाकर यह पक्षी क्या कहना चाहता है?
उल्लेखनीय है कि डा. दिनेश भट्ट की प्रयोगशाला भारत में पक्षी-गीत-संगीत- संवाद की पहली व अग्रणी प्रयोगशाला है जहाँ पक्षी प्रजनन व संवाद के क्षेत्र में कार्य हो रहा है। अभी हाल ही में प्रो. दिनेश भट्ट के नेतृत्व में विश्व के ‘संवाद-वैज्ञानिकों’ का महासम्मेलन हरिद्वार में सम्पन्न हुआ जिसमें 137 विदेशी व 120 भारतीय वैज्ञानिकों ने भाग लिया, जो न केवल गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के लिये अपितु पूरे देश के लिये गौरव का विषय है।वर्तमान में प्रो. भट्ट के शोध टीम में सन्तोष, मेघा, आशीष इत्यादि कार्यरत हैं।

आठ महीने बाद भी राज्य में पनबिजली परियोजनाएं ठप

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(देहरादून) केंद्र और राज्य में एक ही दल की सरकार होने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। आलम यह है कि उत्तराखंड के ‘डबल इंजन’ से जुड़ने के आठ महीने बाद भी पनबिजली परियोजनाओं की ‘गाड़ी’ चलने का नाम नहीं ले रही है। तीन दर्जन से ज्यादा परियोजनाएं पर्यावरणीय समेत कई कारणों से अटकी पड़ी हैं।
दरअसल, गठन के वक्त प्रचुर जल संपदा के बूते उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बनाने की बातें हुई थी, लेकिन मौजूदा स्थिति में जरूरतभर की बिजली जुटाने के लिए दूसरों का मुंह ताकना पड़ता है। क्योंकि राज्य बनने के बाद से आज तक एक भी नई पनबिजली परियोजना शुरू नहीं हुई। ईको सेंसटिव जोन में 15 परियोजना फंसी हैं तो दूसरी ओर 2013 की आपदा के बाद 24 परियोजनाओं के निर्माण पर रोक लगा दी गई। यमुना घाटी में प्रस्तावित 300 मेगावाट की लखवाड़ बहुद्देश्यीय परियोजना का निर्माण भी केंद्र सरकार से वित्त की मंजूरी नहीं मिलने के कारण शुरू नहीं हुआ। टौंस नदी पर प्रस्तावित किसाऊ परियोजना (660 मेगावाट) निर्माण के लिए भी अभी तक केंद्र से पैसा नहीं मिला है।
उत्तराखंड जल विद्युत निगम के प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा का कहना है कि परियोजनाओं के निर्माण में फंसे पेंच को निकालने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद तो हैं कि जल्द सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। वहीं नीति आयोग के समक्ष सभी मुद्दों को पूर्व में रखा गया था। भरोसा मिला है कि भारत सरकार से बात कर सभी मसलों का हल निकाला जाएगा।
दस छोटी परियोजनाओं पर भी निर्णय नहीं
भागीरथी ईको सेंसटिव जोन में फंसी 68 मेगावाट की 10 छोटी पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी मिलने की उम्मीद परवान चढ़ी थी। क्योंकि, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एक्सपर्ट कमेटी ने सशर्त अनुमति पर विचार की बात कही थी, लेकिन केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय का तर्क है कि परियोजनाओं से पर्यावरण को नुकसान होगा। वहीं, आपदा के बाद 24 परियोजनाओं में से सार्वजनिक उपक्रम की पांच बिजली परियोजनाओं से रोक हटने की उम्मीद भी जल संसाधन मंत्रालय के विरोध के चलते परवान नहीं चढ़ी। बता दें कि करीब दो साल पहले विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था, जिसमें पांच परियोजनाओं के लिए वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपाय और आपात प्रबंधन योजना की शर्त जोड़ी गई थी। इन परियोजनाओं के शुरू होने से रॉयल्टी के रूप में उत्तराखंड को 102.50 मेगावाट बिजली मिलेगी।

भरारीसैंण में शुरू हुए विधानसभा सत्र के हंगामेदार रहने के आसार

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शीतकालीन सत्र के प्रारंभ होने से पहले विस अध्यक्ष प्रेम चंद्र ने हवन पूजा करके सत्र का किया शुभारंभ

उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के प्रारंभ होने से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल ने विधिवत हवन पूजा करके विधानसभा सत्र का शुभारंभ किया। इस अवसर पर स्थानीय सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई साथ ही विधानसभा अध्यक्ष द्वारा समस्त विधायकों का शॉल ओढ़ाकर एवं टोपी पहना कर सम्मान भी किया। 

GAIRSAIN 1

स्थनीय विधायक ने किया मंत्रियों व विधायकों स्वागत

 भराड़ीसैण गैरसैण में गुरुवार से शुरू हुए शीतकालीन विधानसभा सत्र के लिए प्रदेश भर से पहुंचे विधायक व मंत्रियों का स्वागत स्थानीय विधायक ने गढ़वाली टोपी व शाॅल पहनाकर किया। साथ ही स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा के साथ विधायक व मंत्रियों का स्वागत किया। स्थानीय विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया। विधायक ने सभी अतिथियों को पहाड़ी टोपी पहनाई तथा शाॅल उढ़ाया व स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ पांड्व नृत्य कर स्वागत किया।

पहाड़ से पलायन रोकने के लिए गैरसैंण बने स्थाई राजधानी : मंत्री
उत्तरखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने कहा कि पहाड़ों से पलायन रोकने के लिए गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने के वे पक्षधर है। साथ ही कहा कि यहां के युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए यहां का विकास जरूरी है। भरारीसैण में शीतकालीन सत्र के लिए पहुंचे मंत्री पाण्डेय ने कहा कि गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने के पूरे पक्ष धर है। कहा कि यदि पहाड़ की जवानी व पहाड़ के पानी को पहाड़ के काम में लाना है तो यहां का विकास करना होगा और वह तभी संभव है जब पहाड़ की राजधानी पहाड़ में बने। कहा कि विधानसभा सत्र से लोगों को बड़ी आशाएं है और सरकार जनता की उन अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी। यहां के नौनिहालों का भविष्य बेहतर हो इसके लिए भी सरकार कार्य कर रही है।

विधानसभा सत्र: नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने सदन में सरकार को घेरा

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(भरारीसैण) पहाड़ की पारंपरिक वेष भूषा में सजे और संवरे किशोर किशोरियों ने छोलिया, पांडव नृत्य के साथ शीत कालीन सत्र में शामिल होने मंत्रियों विधायकों और अतिथियों का जोरदार स्वागत किया। भरारीसैण में सुबह कड़ाके की ठंड थी, हालांकि अब धूप खिली है। भरारीसैण की खूबसूरती देख यहां आये सभी लोगों के चेहरे भी खिल उठे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के चेहरे पर भी गजब का उत्साह और खुशी दिखी। बोले पहाड़ों की खूबसूरती का क्या कहना। भरारीसैण विधानसभा शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले यज्ञ किया गया। उसके बाद विधायकों मंत्रियों समेत यहां आए लोगों का स्वागत पहाड़ी टोपी और शाॅल के साख किया गया।
सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही सदन के अंदर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने नगर निकायों व नगर पालिका व पंचायतों के विस्तार के कारण ग्राम प्रधानों, क्षेत्र प्रमुखों की बर्खास्तगी के सवाल के साथ सरकार को घेरा। वहीं विधान सभा भवन के आगे परिसर में जुटे लोगों के चेहरे पर सवाल था कि राजधानी का क्या होगा।
गोपेश्वर से आये गोविंद सिंह रावत कहते है कि राजधानी पर क्या तोहफा मिलेगा इसकी आश लगी है। उत्तराखंड आंदोलनकारी और शिक्षा से जुड़े जोध सिंह रावत कहते है कि विधान सभा सत्र तो अच्छी बात पर राजधानी के मसले पर अब तो टाल बराई नहीं होनी चाहिए। वे गैरसैण में लंबे समय से शिक्षा और सामाजिक कार्यों में जुटे हैं। डॉ. अवतार सिंह कहते है कि राज्य के लिए आंदोलन किया अब राजधानी के लिए भी लोगों को आगे आना होगा।