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डीपी की रिमांड पूरी, फिर जेल

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रुद्रपुर- एनएच 74 मुआवजा घोटाले के आरोपी पूर्व एसएलएओ डीपी सिंह की रिमांड अवधि पूरी होने पर विवेचक स्वतंत्र कुमार ने मेडिकल परीक्षण कराने के बाद नैनीताल कोर्ट में पेश किया। जहां से उन्हें फिर जेल भेज दिया गया।

एसआईटी ने डीपी सिंह को तीन दिन की पुलिस कस्टडी रिमांड पर लिया था। उनसे सिडकुल पुलिस चौकी में पुलिस अफसरों ने पूछताछ की। सूत्र बताते हैं कि डीपी सिंह ने इस बार सहयोगात्मक रवैया अपनाया। मुआवजा घोटाले में एनएचएआई के अधिकारियों की भूमिका के बारे में भी एसआईटी को जानकारी दी। साथ ही खुद को पाक साफ बताया। डीपी सिंह से दूसरी बार पुलिस कस्टडी रिमांड पर पूछताछ की गई है। उधर, एसआईटी ने बाजपुर तहसील के दस्तावेजों की जांच में तेजी पकड़ी है। गुरुवार को डीपी सिंह को नैनीताल स्थित भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेजा गया है।

पहाड़ से पलायन रोकने के लिए गैरसैंण बने स्थाई राजधानी : मंत्री

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भरारीसैण। उत्तरखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने कहा कि पहाड़ों से पलायन रोकने के लिए गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने के वे पक्षधर है। साथ ही कहा कि यहां के युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए यहां का विकास जरूरी है। भरारीसैण में शीतकालीन सत्र के लिए पहुंचे मंत्री पाण्डेय ने कहा कि गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने के पूरे पक्ष धर है। कहा कि यदि पहाड़ की जवानी व पहाड़ के पानी को पहाड़ के काम में लाना है तो यहां का विकास करना होगा और वह तभी संभव है जब पहाड़ की राजधानी पहाड़ में बने। कहा कि विधानसभा सत्र से लोगों को बड़ी आशाएं है और सरकार जनता की उन अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी। यहां के नौनिहालों का भविष्य बेहतर हो इसके लिए भी सरकार कार्य कर रही है।

सरकार जन अपेक्षाओं को दे रही प्राथमिकता: मुख्यमंत्री

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भराड़ीसैंण। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि सरकार जन भावनाओं के अनुसार ही कार्य कर रही है। सरकार जनापेक्षाओं को प्राथमिकता दे रही है। जबकि विपक्ष सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहा था।

गुरुवार को भराड़ीसैण में विधानसभा सत्र के पहले दिन पत्रकारों से विधानसभा परिसर में बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को गांवों में रात्रि विश्राम कर जन समस्याओं को सुनने और समाधान करने के निर्देश दिए गए हैं। जिन अधिकारियों की तैनाती उनके मूल स्थान के लिए है, उन्हें वहीं कार्य करने के आदेश भी सरकार ने दिए और अफसर ऐसा कर भी रहे हैं। गैरसैंण में विशाल झील के निर्माण की बात करते हुए रावत ने कहा कि इस झील के बनने से जहां पर्यटक इसे देखने के लिए आएंगे, वहीं नदी और बरसाती पानी की समस्या का भी निदान होगा। गांवों में होम स्टे की योजना पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पर्यटक गांव में रुकें, इसके लिए सरकार ने इस योजना को प्राथमिकता में रखा है।
भराड़ीसैंण में किए गए कार्य एनजीटी की बिना अनुमति के किए जाने के सवाल पर सीएम ने कहा कि एनजीटी को सरकार मकूल जबाव देगी। अब इतना बड़ा आधारभूत ढांचा यहां खड़ा कर दिया गया है कि उसके जवाब में सरकार का सकारात्मक जवाब एनजीटी को होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार जनता के पक्ष में कार्य कर रही है। राजधानी के सवाल पर उन्होंने कहा कि सरकार के कदम ग्रीष्म कालीन राजधानी की तरफ ही जा रहे हैं।

प्रवास के लिए गंगा तट पर पहुंचने लगे खंजन पक्षी

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हरिद्वार। हिमालय की उतंग शिखरों पर बर्फ पड़ने के साथ ही हिमालय के सैकड़ों प्रजाति के पक्षी उत्तर व दक्षिण भारत के मैदानी क्षेत्रों, ताल-तलैयों में छह मास के प्रवास पर प्रतिवर्ष आते हैं। इस बार शरद् ऋतु का आगमन अपेक्षाकृत अधिक देर से होने से पक्षी मैदानी क्षेत्रों में प्रवास हेतु करीब 15 दिन देर से पहुंचे हैं।

गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं सुप्रसिद्ध पक्षी वैज्ञानिक प्रो. दिनेश भट्ट ने बताया कि हिमालय का सुन्दर नेत्रों वाला  हरिद्वार व भारत के अन्य मैदानी क्षेत्रों में पहुंचने लगा है। कजरारी आंखों वाले खंजन की पांच-छह प्रजातियों में से तीन प्रजातियां माइग्रेटरी है जो प्रतिवर्ष, लेह-लद्दाख, कश्मीर, कुल्लू-मनाली, नीति-माणा जैसे दुर्गम पर्वतीय स्थलों से निकलकर शरद प्रवास पर मैदानी क्षेत्रों में आती है और वसंत ऋतु में पुनः ‘प्रणय-लीला’ करने वापस अपने धाम पहुंच जाती है।
डा. भट्ट ने बताया कि खंजन पक्षी को ग्रे-वैगटेल या ग्रे-खंजन के नाम से भी जाना जाता है जो अपनी लम्बी दुम, सलेटी-पीठ, तथा पीले पेट और बार-बार दुम ऊपर-नीचे गिराने व उठाने के कारण आसानी से पहिचाना जा सकता है। दुम को बार-बार ऊपर-नीचे करना सभी खंजनों की विशेषता है। उन्होंने कहा कि हिमालयी खंजन व केवल उत्तर भारत के क्षेत्रों में अपितु मुम्बई व दक्षिणी पठार के अनेक क्षेत्रों तक पहुँच जाता है और इनकी याद्दाश्त इतनी तेज होती है कि जिस क्षेत्र व बगीचों में पिछले वर्षों में आती है उसी क्षेत्र को ये प्रतिवर्ष शीत प्रवास हेतु चुनती है।
प्रसिद्ध साहित्यकार मैथलीशरण गुप्त तो इस मोहक खंजन से इतने मोहित हुये कि महाकाव्य ‘साकेत’ में उन्होंने लक्ष्मण की सुन्दर नेत्रों की तुलना इस पक्षी के चपल आँखों से की।
संस्कृत विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. विनय सेठी के अनुसार अन्य सुन्दर पक्षियों का चित्रण भी हमारे संस्कृत साहित्यकारों ने खूब किया है। सूरदास ने भ्रमरगीत द्वारा, जायसी ने पद्मावत द्वारा चन्द्र चकोर का प्रेय, हंस की आकर्षक चाल, चकवा-चकई व तोता-मैना की कथा का मोहक वर्णन किया है। प्रवासी पक्षियों में ‘सुरखाब के पंख’ की बात सर्वत्र विदित है।
डा. भट्ट की बायोअकाउस्टिक लैबोरेट्री के शोध छात्र रोबिन व पारूल ने बताया कि इन दिनों उन्होंने ग्रे-वैगटेल (खंजन की एक प्रजाति) को यदा-कदा गाते हुये सुना है। पक्षी-वैज्ञानिकों के लिये यह कौतुहल का विषय है कि जब बसंत और ग्रीष्म में पक्षियों में गीत-संगीत व प्रजनन का समय समाप्त हो गया है तो शरद में गीत गाकर यह पक्षी क्या कहना चाहता है?
उल्लेखनीय है कि डा. दिनेश भट्ट की प्रयोगशाला भारत में पक्षी-गीत-संगीत- संवाद की पहली व अग्रणी प्रयोगशाला है जहाँ पक्षी प्रजनन व संवाद के क्षेत्र में कार्य हो रहा है। अभी हाल ही में प्रो. दिनेश भट्ट के नेतृत्व में विश्व के ‘संवाद-वैज्ञानिकों’ का महासम्मेलन हरिद्वार में सम्पन्न हुआ जिसमें 137 विदेशी व 120 भारतीय वैज्ञानिकों ने भाग लिया, जो न केवल गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के लिये अपितु पूरे देश के लिये गौरव का विषय है।वर्तमान में प्रो. भट्ट के शोध टीम में सन्तोष, मेघा, आशीष इत्यादि कार्यरत हैं।

आठ महीने बाद भी राज्य में पनबिजली परियोजनाएं ठप

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(देहरादून) केंद्र और राज्य में एक ही दल की सरकार होने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। आलम यह है कि उत्तराखंड के ‘डबल इंजन’ से जुड़ने के आठ महीने बाद भी पनबिजली परियोजनाओं की ‘गाड़ी’ चलने का नाम नहीं ले रही है। तीन दर्जन से ज्यादा परियोजनाएं पर्यावरणीय समेत कई कारणों से अटकी पड़ी हैं।
दरअसल, गठन के वक्त प्रचुर जल संपदा के बूते उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बनाने की बातें हुई थी, लेकिन मौजूदा स्थिति में जरूरतभर की बिजली जुटाने के लिए दूसरों का मुंह ताकना पड़ता है। क्योंकि राज्य बनने के बाद से आज तक एक भी नई पनबिजली परियोजना शुरू नहीं हुई। ईको सेंसटिव जोन में 15 परियोजना फंसी हैं तो दूसरी ओर 2013 की आपदा के बाद 24 परियोजनाओं के निर्माण पर रोक लगा दी गई। यमुना घाटी में प्रस्तावित 300 मेगावाट की लखवाड़ बहुद्देश्यीय परियोजना का निर्माण भी केंद्र सरकार से वित्त की मंजूरी नहीं मिलने के कारण शुरू नहीं हुआ। टौंस नदी पर प्रस्तावित किसाऊ परियोजना (660 मेगावाट) निर्माण के लिए भी अभी तक केंद्र से पैसा नहीं मिला है।
उत्तराखंड जल विद्युत निगम के प्रबंध निदेशक एसएन वर्मा का कहना है कि परियोजनाओं के निर्माण में फंसे पेंच को निकालने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद तो हैं कि जल्द सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। वहीं नीति आयोग के समक्ष सभी मुद्दों को पूर्व में रखा गया था। भरोसा मिला है कि भारत सरकार से बात कर सभी मसलों का हल निकाला जाएगा।
दस छोटी परियोजनाओं पर भी निर्णय नहीं
भागीरथी ईको सेंसटिव जोन में फंसी 68 मेगावाट की 10 छोटी पनबिजली परियोजनाओं को मंजूरी मिलने की उम्मीद परवान चढ़ी थी। क्योंकि, केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की एक्सपर्ट कमेटी ने सशर्त अनुमति पर विचार की बात कही थी, लेकिन केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय का तर्क है कि परियोजनाओं से पर्यावरण को नुकसान होगा। वहीं, आपदा के बाद 24 परियोजनाओं में से सार्वजनिक उपक्रम की पांच बिजली परियोजनाओं से रोक हटने की उम्मीद भी जल संसाधन मंत्रालय के विरोध के चलते परवान नहीं चढ़ी। बता दें कि करीब दो साल पहले विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था, जिसमें पांच परियोजनाओं के लिए वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपाय और आपात प्रबंधन योजना की शर्त जोड़ी गई थी। इन परियोजनाओं के शुरू होने से रॉयल्टी के रूप में उत्तराखंड को 102.50 मेगावाट बिजली मिलेगी।

भरारीसैंण में शुरू हुए विधानसभा सत्र के हंगामेदार रहने के आसार

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शीतकालीन सत्र के प्रारंभ होने से पहले विस अध्यक्ष प्रेम चंद्र ने हवन पूजा करके सत्र का किया शुभारंभ

उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के प्रारंभ होने से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल ने विधिवत हवन पूजा करके विधानसभा सत्र का शुभारंभ किया। इस अवसर पर स्थानीय सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक प्रस्तुति दी गई साथ ही विधानसभा अध्यक्ष द्वारा समस्त विधायकों का शॉल ओढ़ाकर एवं टोपी पहना कर सम्मान भी किया। 

GAIRSAIN 1

स्थनीय विधायक ने किया मंत्रियों व विधायकों स्वागत

 भराड़ीसैण गैरसैण में गुरुवार से शुरू हुए शीतकालीन विधानसभा सत्र के लिए प्रदेश भर से पहुंचे विधायक व मंत्रियों का स्वागत स्थानीय विधायक ने गढ़वाली टोपी व शाॅल पहनाकर किया। साथ ही स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा के साथ विधायक व मंत्रियों का स्वागत किया। स्थानीय विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी ने पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया। विधायक ने सभी अतिथियों को पहाड़ी टोपी पहनाई तथा शाॅल उढ़ाया व स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ पांड्व नृत्य कर स्वागत किया।

पहाड़ से पलायन रोकने के लिए गैरसैंण बने स्थाई राजधानी : मंत्री
उत्तरखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पाण्डेय ने कहा कि पहाड़ों से पलायन रोकने के लिए गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने के वे पक्षधर है। साथ ही कहा कि यहां के युवाओं को रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए यहां का विकास जरूरी है। भरारीसैण में शीतकालीन सत्र के लिए पहुंचे मंत्री पाण्डेय ने कहा कि गैरसैण को स्थाई राजधानी बनाने के पूरे पक्ष धर है। कहा कि यदि पहाड़ की जवानी व पहाड़ के पानी को पहाड़ के काम में लाना है तो यहां का विकास करना होगा और वह तभी संभव है जब पहाड़ की राजधानी पहाड़ में बने। कहा कि विधानसभा सत्र से लोगों को बड़ी आशाएं है और सरकार जनता की उन अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी। यहां के नौनिहालों का भविष्य बेहतर हो इसके लिए भी सरकार कार्य कर रही है।

विधानसभा सत्र: नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने सदन में सरकार को घेरा

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(भरारीसैण) पहाड़ की पारंपरिक वेष भूषा में सजे और संवरे किशोर किशोरियों ने छोलिया, पांडव नृत्य के साथ शीत कालीन सत्र में शामिल होने मंत्रियों विधायकों और अतिथियों का जोरदार स्वागत किया। भरारीसैण में सुबह कड़ाके की ठंड थी, हालांकि अब धूप खिली है। भरारीसैण की खूबसूरती देख यहां आये सभी लोगों के चेहरे भी खिल उठे। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के चेहरे पर भी गजब का उत्साह और खुशी दिखी। बोले पहाड़ों की खूबसूरती का क्या कहना। भरारीसैण विधानसभा शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले यज्ञ किया गया। उसके बाद विधायकों मंत्रियों समेत यहां आए लोगों का स्वागत पहाड़ी टोपी और शाॅल के साख किया गया।
सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही सदन के अंदर नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश ने नगर निकायों व नगर पालिका व पंचायतों के विस्तार के कारण ग्राम प्रधानों, क्षेत्र प्रमुखों की बर्खास्तगी के सवाल के साथ सरकार को घेरा। वहीं विधान सभा भवन के आगे परिसर में जुटे लोगों के चेहरे पर सवाल था कि राजधानी का क्या होगा।
गोपेश्वर से आये गोविंद सिंह रावत कहते है कि राजधानी पर क्या तोहफा मिलेगा इसकी आश लगी है। उत्तराखंड आंदोलनकारी और शिक्षा से जुड़े जोध सिंह रावत कहते है कि विधान सभा सत्र तो अच्छी बात पर राजधानी के मसले पर अब तो टाल बराई नहीं होनी चाहिए। वे गैरसैण में लंबे समय से शिक्षा और सामाजिक कार्यों में जुटे हैं। डॉ. अवतार सिंह कहते है कि राज्य के लिए आंदोलन किया अब राजधानी के लिए भी लोगों को आगे आना होगा।

भरारीसैंण विधानसभा सत्र में नहीं दिखेंगे कुछ दिग्गज चेहरे

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(गोपेश्वर) भरारीसेण में पहली बार शीतकालीन सत्र हो रहा है। यूं तो इस विधानसभा सत्र में पहले भी एक बार आधे अधूरे भवन में सत्र हुआ था। पर अब लगभग ठीक व्यवस्था में बने भरारीसेण विधानसभा भवन के शीतकालीन सत्र में जहां कुछ दिग्गज और अनुभवी चेहरे नहीं होंगे, वहीं इस सत्र में कुछ नये माननीय भी दिखेंगे जो विधायक और मंत्री के रूप में पहली बार भरारीसैण विधानसभा भवन में हो रहे सत्र में शामिल होंगे।
भरारीसैण शीतकालीन सत्र में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ऐसे दिग्गज होंगे जो गैरसैण में दो तथा भरारीसैण में आयोजित होने वाले पहले विधानसभा सत्र में शामिल तो थे पर इस बार नहीं होंगे। वहीं अपने गृह नगर गैरसैण भरारीसैण में आयोजित होने वाले विधानसभा सत्र में गैरसैण के विधायक सुरेंद्र नेगी पहली बार शामिल होंगे। दिलचस्प मामला यह कि पिछली बार वे भाजपा के नेता के रूप में विपक्ष की भूमिका में सरकार के विरुध प्रदर्शन करने आये थे इसबार वे खूद सरकार में है। थराली के विधायक मगन लाल भी पहली बार भरारीसैण विधानसभा सत्र में शामिल होंगे।
यूं तो बदरीनाथ के विधायक महेंद्र भट्ट नदंप्रयाग के विधायक के रूप में पहले 2007 में विधानसभा सत्र की कार्यवाही में शामिल हो चुके हैं। मगर भरारीसैण विधानसभा सत्र में वे भी पहली बार आयेंगे। केदारनाथ के विधायक मनोज रावत भी पहली बार आयेंगे। ऐसे अन्य कई विधायक है जो पहली बार भरारीसैण विधानसभा भवन देखेंगे और कार्यवाही में शामिल होंगे।
तस्वीर कुछ यूं होगी
पिछली बार इस विधानसभा भवन में तत्कालीन संसदीय कार्य मंत्री इंदिरा हृदयेश जिस कुर्सी पर बैठी थीं और सरकार की प्रतिनिधि थी इस बार अनुभवी विधायक के रूप में वे विपक्ष की नेता के रूप में भरारीसैण विधानसभा सत्र में दिखेंगी और उनकी जगह संसदीय कार्यमंत्री की कुर्सी में प्रकाश पंत दिखेंगे। सतपाल महाराज पहली बार केविनेट मंत्री के रूप में भरारीसैण विधानसभा सत्र में दिखेंगे।
अजय भट्ट नहीं दिखेंगे
अभी तक गैरसैण भरारीसैण में हुए सभी विधानसभा सत्र में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट विधायक व नेता प्रतिपक्ष के रूप में खूब गरजे थे पर इस बार जब उनकी ही सरकार है और उन्हें विधायक बनने का अवसर नहीं मिला तो वे सदन में नहीं होंगे। 

मुझे गाने के बोल याद नहीं रहते हैंः ए.आर रहमान

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पद्मश्री गायक और संगीतकार ए.आर.रहमान ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि मेरी कमजोरी है कि मुझे गाने का बोल याद नहीं रहते हैं। उन्होंने कहा कि जब मैं किसी कॉन्सर्ट में जाता हूं, तो मैं गाने के बोल याद नहीं करता हूं बल्कि मैं वहां कि चीजों को एक्सप्लोर करता हूं। उन्होंने कहा कि अगर गाने के बोल याद करने लगता हूं तो फिर दिमाग दूसरी जोन में नहीं जा पाता है।

रहमान ने कहा कि उन्हें हर तरह के संगीत के साथ काम करना पसंद है| जैसे राजस्थानी, सूफी, हिप हॉप करते हुए रैप करना हो। उन्होंने कहा कि मैं अगले जन्म में भी संगीतकार ही बनना चाहूंगा।

उल्लेखनीय है कि ए.आर रहमान को 2000 में पद्मश्री और चार बार संगीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। उन्हें फिल्म ‘स्लम डॉग मिलेनियर’ के संगीत के लिए आस्कर अवार्ड भी मिल चुका है।

‘ठग आफ हिन्दुस्तान’ की अगली शूटिंग थाईलैंड में

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विजय कृष्णा आचार्य के निर्देशन में बन रही फिल्म ‘ठग आफ हिन्दुस्तान’ की शूटिंग मुंबई और मालदा में पूरी होने के बाद अब थाईलैंड में होने जा रही है। फिल्म की शूटिंग के लिए आमिर, सायना, अमिताभ बच्चन थाईलैंड के लिए रवाना हो चुके हैं। कटरीना अभी मुबई में ही हैं| वह सलमान के साथ आने वाली फिल्म ‘टाईगर जिंदा है’ के प्रमोशन में व्यस्त हैं।

उल्लेखनीय है कि यशराज प्रोडक्शन में बन रही ‘ठग आफ हिन्दुस्तान’ ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित एक मल्टी स्टारर फिल्म है। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, आमिर खान और सायना शेख मुख्य भूमिका में हैं| कटरीना कैफ सहयोगी भूमिका में हैं। इसके अलावा जैकी श्राफ, रणदीप हुड्डा, शशांक अरोड़ा जैसे अन्य कलाकार भी इस फिल्म में महत्वपूर्ण किरदार में नज़र आएंगे। यह फिल्म अगले साल दिवाली पर रिलीज होगी।