(देहरादून) प्रदेश में अब ड्राइविंग लाइसेंस, ईचालान और रजिस्ट्रेशन आदि कामों के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। अब एक क्लिक पर यह सभी सुविधाएं जनता के पास उपलब्ध होंगी। परिवहन विभाग में तमाम कार्यों के लिए आॅनलाइन व्यवस्था कर दी गई है। बुधवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सचिवालय में विभाग में आॅनलाईन ई-चालान योजना, स्मार्टकार्ड आधारित ड्राईविंग लाईसेंस एवं पंजियन पुस्तिका का शुभारम्भ किया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि परिवहन विभाग में आॅनलाईन ई-चालान व स्मार्ट कार्ड आधारित डीएल व आरसी प्रक्रिया के शुभारम्भ से विभाग को हाईटैक करने की दिशा में आगे बढ़ाया गया है। इसका उद्देश्य विभाग में पारदर्शिता लाने तथा विभाग का राजस्व बढ़ाने का है। उन्होंने प्रवर्तन कार्य व राजस्व वृद्धि के लिए 10 बोलेरो क्रय करने की भी मंजूरी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम देवभूमि के निवासी हैं। इसलिए ईमानदारी से बेहतर कार्य करने की हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। उन्होंने निगमों से राजस्व बढोत्तरी तथा अपने संसाधनों को बढ़ाने की दिशा में कारगर कदम उठाने को कहा। उन्होंने कहा कि जब निगम रहेगा तभी कर्मचारी भी रहेंगे। यही स्थिति उद्यमों की भी है। उद्योग रहेंगे तभी कर्मचारी भी रहेगा। परिवहन निगम अपने राजस्व लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल हो इसके लिए प्रयास होने चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परिवहन विभाग जहां एक ओर राजस्व अर्जन करने वाला विभाग है, वहीं इसके जरिए सड़क पर मोटरयान कानूनों के प्रवर्तन एवं नियमन का कार्य भी किया जाता है। अभी तक यह कार्य मैनुअल आधार पर किया जा रहा था, आज से प्रदेश के सभी प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा कम्प्यूटर आधारित नई ई-चालान व्यवस्था प्रारम्भ की जा रही है। इस व्यवस्था से जहां प्रवर्तन के कार्य में पारदर्शिता आएगी वहीं वाहन चालक और स्वामी को प्रशमन शुल्क आदि की सही जानकारी तत्काल प्राप्त हो जाएगी।
विभागीय अधिकारियोें की होगी जवाबदेही
सीएम ने कहा कि इस व्यवस्था में प्रवर्तन अधिकारियों को बहुत सी सूचनाएं फीड नहीं करनी पड़ेगी, जिससे उनके समय में बचत होगी साथ ही उनकी जवाबदेही भी निर्धारित होगी। इसके साथ ही बार-बार अपराध करने वाले वाहन चालक की पहचान भी आसानी से की जा सकेगी। इसके साथ ही क्यूआर कोड आधारित स्मार्ट कार्ड डीएल एवं आरसी जारी करने की नई व्यवस्था प्रारम्भ की गई है। पहले वाहनों की आरसी एवं डीएल कागज पर जारी किया जाता था, जिसे स्मार्ट बनाया गया है और लोगों को गुणवत्तायुक्त ऐसे प्रपत्र उपलब्ध कराए जाने से इसका रख-रखाव आसान होगा। स्मार्टकार्ड में क्यूआर कोड की व्यवस्था रखने से उसके सही होने की पहचान आसानी से की जा सकती है। इस वर्ष भी विभाग को 10 वाहन उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि प्रवर्तन कार्य में बढ़ोत्तरी करते हुए राजस्व वृद्धि की जा सके। कहा कि विभाग द्वारा अभी तक लगभग रूपये 470 करोड़ राजस्व अर्जित किया गया है, उम्मीद है कि आने वाले तीन माहों में इस राजस्व में और बढ़ोत्तरी करते हुए परिवहन विभाग के अधिकारी राज्य के आर्थिक विकास में सहायक होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राज्य की खुशहाली तभी है जब वहां के नागरिक सुरक्षित रहें। ई-चालान व्यवस्था लागू करने के साथ ही मोटरयान कानूनों का उल्लंघन करने वाले चालकों के विरुद्ध कठोरता से कार्यवाही अमल में लाएंगे और एक स्वस्थ एवं सुरक्षित राज्य की स्थापना में अपनी भूमिका का निर्वहन करेंगे। उन्होंने परिवहन विभाग से जनता को पारदर्शी, त्वरित एवं त्रुटिरहित सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन की अपेक्षा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्मार्ट कार्ड आधारित ड्राईविंग लाईसेन्स व पंजीयन पुस्तिका भी वितरित की।
आॅनलाइन व्यवस्था से आएगी पारदर्शिता
परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि आधुनिक संचार प्रणाली के उपयोग से परिवहन विभाग के कार्याें में पारदर्शिता व दक्षता आएगी। उन्होंने कहा कि परिवहन विभाग द्वारा रुपये 660 करोड़ राजस्व के विपरीत नवम्बर तक 470 करोड़ का राजस्व प्राप्त किया है। उन्होंने सभी अधिकारियों से आपसी सहयोग व समन्वय से कार्य कर लक्ष्यों की प्राप्ति पर ध्यान देने की अपेक्षा की।
सारथी नेशनल पोर्टल से है इंटिग्रेटिड
योजना की जानकारी देते हुए सचिव परिवहन डी सैन्थिल पांडियन ने बताया कि ई-चालान एक वैब/एन्ड्राॅयड आधारित मोबाईल एप साॅफ्टवेयर है, जिसके माध्यम से परिवहन विभाग और पुलिस विभाग द्वारा वाहनों का चालान सिंगल डाटा बेस के आधार पर किया जा सकता है। यह एप वाहन और सारथी के नेशनल पोर्टल से इन्टीग्रेटेड है। इसमें वाहन या चालक लाईसेंस का नम्बर फीड करने पर अन्य सूचनाएं ही प्राप्त हो जाएगी। प्रवर्तक अधिकारियेां को सभी सूचनाएं मैन्युअल आधार पर फीड करने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे समय की बचत होगी। साॅफ्टवेयर को जीपीएस लोकेशन से भी इन्टीग्रट किया गया है, जिसके माध्यम से चालान के वास्तविक स्थान, समय, तिथि आदि की सूचना ही प्रदर्शित होगी, जिसे परिवर्तित नहीं किया जा सकता। इस प्रकार चालानिंग अधिकारी के कार्य का पर्यवेक्षण में भी पारदर्शिता आएगी। उन्होंने बताया कि साॅफ्टवेयर में वाहन के फोटो लिए जाने की व्यवस्था भी की गई है, जिससे वाहन के सही पंजीयन नम्बर पर ही चालान हो सकेगा और मैन्युअल सिस्टम में इस सम्बन्ध में उत्पन्न विवाद समाप्त होगा।
अपराध पर भी लगेगी लगाम
साॅफ्टवेयर आॅफलाईन व आॅनलाईन दोनों मोड में कार्य करेगा। आॅनलाईन मोड में कार्य करने पर वाहन साॅफ्टवेयर में रियल टाईम डाटा अपलोड रहेगा, जबकि आॅफलाईन मोड में कार्य करने पर जैसे ही मोबाईल या टैबलेट को कनैक्टिविटी उपलब्ध होगी तत्काल केन्द्रीय डाटा बसे पर सूचना अपलोड हो जाएगी। चूंकि साॅफ्टवेयर में सम्बन्धित वाहन के समस्त चालानों का डाटाबेस उपलब्ध होगा। इससे बार-बार अपराध करने के आदि वाहन स्वामी या चालक की पहचान आसानी से हो सकेगी। चालान की सूचना एसएमएस के माध्यम से वाहन स्वामी को प्राप्त हो सकेगी, जिसके कारण वाहन चालक किसी चालन की जानकारी छिपा नहीं सकेगा। चालान के साथ ही सम्बन्धित वाहन स्वामी को देय प्रशमन शुल्क की भी सही-सही जानकारी प्राप्त हो जायेगी, जिससे चालन निस्तारण के कार्य में पारदर्शिता आयेगी। समस्त सूचनाएं डाटाबेस में उपलब्ध होने के फलस्वरूप उनके संकलन, प्रषण एवं अनुश्रवण में सुविधा होगी।
प्लास्टिक कार्ड वाला होगा लाइसेंस
बताया कि पीवीसी कार्ड आधारित पंजीयन व चालक लाईसेन्स वर्तमान में परिवहन कार्यालयों द्वारा ए-4 कागज पर रहें हैं, जिन्हें वाहन स्वामियों द्वारा वाहन चलाते समय वाहन में रखना अनिवार्य होता है। वाहन स्वामियों व लाईसेंस धारकों को उच्च गुणवत्ता के अभिलेख निर्गत कराने की दृष्टि से पीवीसी कार्ड यानि प्लास्टिक बेस पंजीयन पुस्तिका व चालक लाईसेन्स निर्गत करने की व्यवस्था की गई है। कार्ड डेबिट/पेन कार्ड के आकार के होने के कारण इनको कैरी करने में आसानी होगी। इससे अभिलेखों के फटने और खराब होने का भय भी नही रहेगा। आॅनलाइन प्रणाली के शुभारंभ के अवसर पर विधायक सहदेव पुंडीर, अपर सचिव एचसी सेमवाल, अपर आयुक्त परिवहन सुनीता सिंह सहित सभी जनपदों के आरटीओ और एआरटीओ आदि मौजूद रहे।
समय की बचत के साथ जवाबदेही निर्धारित करेगी आॅनलाइन व्यवस्था: सीएम
डॉ. आरके गुप्ता को जबरन कोतवाली से ले जाने के मामले में 15 दोषियों को एक-एक साल की सजा
ऋषिकेश में 13 वर्ष पूर्व मिर्गी के तथाकथित डॉक्टर आर के गुप्ता को कोतवाली से जबरन छुड़वा लिए जाने के मामले पर न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए डॉक्टर को आरके गुप्ता को पांच साल की सजा सुनाई है। वहीं उनको भगाने वाले 14 आरोपियों को एक-एक वर्ष की सजा सुनाई गई। उल्लेखनीय है कि ऋषिकेश में 3 अगस्त 2014 को तथाकथित मिर्गी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आर के गुप्ता के देहरादून मार्ग पर स्थित क्लीनिक पर 10 कंट्रोलर व पुलिस ने एक विदेशी महिला की शिकायत पर मारे गए छापे के बाद काफी मात्रा में नशीली दवाइयां बरामद हुई थी।
जिसके बाद डॉक्टर गुप्ता को पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया था। जिसे छुड़ाने के लिए 14 लोगों ने पुलिस की हिरासत से डॉक्टर गुप्ता को पार कर दिया था इस मामले में पुलिस ने डॉक्टर गुप्ता सहित 15 लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया था। जिसकी सुनवाई न्यायालय में चल रही थी जिस पर आज फैसला सुनाते हुए न्यायालय ने चर्चित डॉ आर के गुप्ता को भगाने का वाले 14 आरोपियों जिनमें पालिका के पूर्व अध्यक्ष दीप शर्मा ,पूर्व पालिकाध्यक्ष स्नेह लता शर्मा ,राजकुमार अग्रवाल, अशोक अश्क पत्रकार, जय दत्त शर्मा सहित 14 आरोपीयो को 1-1 साल की तथा आरके गुप्ता को पांच साल की सजा सुनाई गयी।
ट्रक की चपेट में आकर फैक्ट्रीकर्मी की मौत
(हरिद्वार) रानीपुर कोतवाली थाना क्षेत्र में फैक्ट्री से घर लौट रहे एक फैक्ट्रीकर्मी की ट्रक से कुचलकर मौत हो गई। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला चिकित्सालय भेज दिया। ट्रक को कब्जे में ले लिया गया है।
पुलिस के मुताबिक, मृतक की पहचान अंगद कुमार मिश्रा (24) निवासी मूलत: गोंडा उत्तर प्रदेश हाल निवास रावली महदूद हरिद्वार के रूप में हुई है। वह सिडकुल की एक फैक्ट्री में काम करता था। मंगलवार की रात्रि अंगद ड्यूटी खत्म कर घर लौट रहा था। राजा बिस्कुट फैक्ट्री चौक के पास पीछे से आ रहे एक ट्रक ने टक्कर मार दी। उसके बाद ट्रक का पिछला पहिया अंगद के सिर से गुजर गया। मौके पर ही उसकी मौत हो गई। पुलिस ने आरोपी ड्राइवर को पकड़ लिया है।
उत्तराखंड की पहली ”महिला कैब ड्राइवर” बन रही है अन्य महिलाओं के लिये प्रेरणा
देहरादून। ममता पूजारी ने कभी कल्पना भी नहीं की था कि वह खुद को टैक्सी के स्टीयरिंग व्हील के पीछे ढ़ूंढ़ेगीं।कहीं ना कहीं यह बात बहुत स्पष्ट भी है।दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में यह बात बहुत सामान्य है लेकिन उत्तराखंड में महिला टैक्सी ड्राइवर का शायद किसी ने सुना या देखा भी होगा।
लेकिन शायद ममता की तकदीर की अपनी अलग योजना थी, जो अपने परिवार के आर्थिक रूप से मदद करने के लिए घर से निकली थी और इस प्रक्रिया में आघे बढ़ते हुए ममता उत्तराखंड की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर बन गई।35 साल की ममता उत्तराखंड के एक छोटे से गांव उखीमठ के निकट नारायणकोट, रुद्रप्रयाग की रहने वाली हैं और आज के समय में पहली महिला कैब ड्राइवर।
ममता के पिता एक रिटार्यड सरकारी शिक्षक हैं, और उनकी दोनों बहनों की शादी हो चुकी है। वह अपने परिवार में सबसे छोटी है और कंपटेटिव परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी, जब उनका जीवन पूरी तरह बदल गया। गैर सरकारी संगठन ‘सहेली ट्रस्ट’ की सचिव श्रुति कौशिक ने उन्हें कर्मशियल ड्राइविंग में कैरियर बनाने के लिए राजी किया और अपने जीवन में आए बदलाव को लेकर ममता जीवित रहने के लिए ऐसी योजना से खुद को दूर नहीं कर सकी और अपनी ड्राइविंग को अपनी ताकत बनाकर उसपर काम करना शुरु कर दिया।
टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में ममता ने बताया कि “पहाड़ों को तो भूल जाओ, यहां तक कि देहरादून और हरिद्वार जैसे शहरों में भी महिलाओं ने प्रोफेशनल ड्राइविंग में अपना कैरियर बनाने का नहीं सोचा है।बस इसी सोच के साथ अपने परिवार को मदद करने की योजना से मैने हूनर को अपने लिए मौका में बदल दिया और आगे बढ़ गई।”
हालांकि ट्रस्ट ने ‘शी कैब’ लॉन्च की है, एक ऐसी वैन जो केवल महिलाओं की सुविधा के लिए समर्पित है लेकिन इसके लिए महिला ड्राइवर मिलना आसान नहीं था।”यह विचार महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनके लिए विशेष कैब की सुविधा देना है, लेकिन इस काम के लिए एक महिला ड्राइवर मिलना कठिन था। ममता इसको करने के लिए उत्सुक थी और हमने उन्हें ट्रेनिंग दी।”श्रुति कहती हैं कि ”मेरे हिसाब से जो भी महिला अपने परिवार को मदद करना चाहती हैं उन्हें ड्राइविंग सीख कर गाड़ी चलाने के लिए समाज के कमजोर वर्गों से आगे आना चाहिए।”
श्रुति कहती हैं कि ”ममता अभी दून में अकेली ऐसी ड्राइवर हैं जो शी टैक्सी चलाती है। फिलहाल,सहेली ट्रस्ट प्रोफेशनल महिला ड्राइवरों के रूप में काम करने के इच्छुक लोगों की पहचान करने के लिए एक सर्वे कर रही है। यह अन्य केंद्रों में वुमेन प्रोफेशनल ड्राइवर को बढ़ावा देना चाहता है और इसी प्रक्रिया में, महिलाओं के लिए एक सुरक्षित यात्रा विकल्प प्रदान करना चाहती है। “अकेली महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिेए हम इस सेवा को शुरू कर रहे हैं और इसके माध्यम से हम विदेशी महिला पर्यटकों को भी यह सेवा देना चाहते हैं।”
यह ट्रस्ट दूरस्थ क्षेत्रों में महिलाओं के साथ काम करता है, उन्हें सिलाई, कला और अन्य शिल्प में मुफ्त में प्रशिक्षण प्रदान करता है। ममता भी उसके लिए कुछ कर रही हैं।ममता कहती हैं कि “मैं ड्राइविंग में दिलचस्पी रखने वाले महिलाओं को कोचिंग दे रही हूं, इसके दोहरे लाभ होंगे – सबसे पहले, महिलाओं को खुद को आर्थिक रुप से मदद मिलेगी और दूसरा हम अपनी धर्मनगरी को महिलाओं के लिए और भी सुरक्षित कर पाऐंगे।”
कोटद्वार-लैंसडाउन इको टूरिज्म सर्किट पर ली जानकारी
(देहरादून) कोटद्वार-लैन्सडाउन इको पर्यटन सर्किट जहां कोटद्वार से कार्बेट पार्क के बीच की दूरी कम करेगा, वहीं इससे पर्यटन की नई संभावनाएं भी विकसित होंगी। वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने सर्किट की प्रगति को लेकर अधिकारियों से जानकारी ली।
मंगलवार को प्रदेश के वन एवं वन्य जीव, पर्यावरण एवं ठोस, अपशिष्ट निवारण, श्रम, सेवायोजन, प्रशिक्षण, आयुष एवं आयुष शिक्षा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में विधानसभा सभागार में कोटद्वार-लैन्सडाउन इको टूरिज्म सर्किट विषय पर बैठक हुई। बैठक में उन्होंने कहा कि कोटद्वार से कार्बेट नेशनल पार्क का प्रवेश खुलने से वन्य जन्तु प्रेमी व पर्यटकों को जहां कम दूरी तय कर पर्यावरण व वन्य जन्तु का दर्शन का लाभ मिलेगा, वहीं स्थानीय युवाओं को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर मिलने से पलायन रुकेगा। वनों के संरक्षण में अधिक से अधिक जन सहभागिता बढ़ाने बेरोजगार को रोजगार के अवसर सुलभ कराने को लेकर कोटद्वार से कार्बेट पार्क प्रवेश द्वार शुरू कराने की सरकार ने अच्छी पहल की है।
सरकार द्वारा रोजगार के अवसर बढ़ाने व पलायन रोकने को लेकर ऋषिकेश, रामनगर, चम्पावत व टौन्स ईको टूरिज्म सर्किट विकसित करने की योजना है, जिसमें सर्वप्रथम कोटद्वार ईको टूरिज्म सर्किट विकसित किया जा रहा है। बैठक में निर्णय लिया गया कि कोटद्वार ईको टूरिज्म सर्किट के अन्तर्गत आने वाले वन विश्राम गृह सनेह, लालढांग, गूलरझाला, चिडियापुर, रसियागढ़, कोल्हूचैड़, सेंधीखाल वन विश्राम गृहों में पुनर्निमाण कार्य ईको टूरिज्म कारर्पोरेशन करेगा। ईको टूरिज्म कारर्पोरेशन सात बंग्लों के प्रस्ताव वन विभाग को भेजेगा। वनमंत्री ने निर्देश दिए कि ईको टूरिज्म कारर्पोरेशन इन विश्राम गृहों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़े। यदि कारर्पोरेशन इन विश्रामगृहों को आवास के अलावा अन्य व्यवसायिक उपयोग करना चाहें तो, इसके लिए वांछित प्रस्ताव पर केन्द्र से अनुमति की आवश्यकता होगी, जिसके लिए कारर्पोरेशन केन्द्र से अनुमति प्राप्त करेें।
चिल्लरखाल-लालढांग क्षतिग्रस्त 11 किलोमीटर मोटरमार्ग की मरम्मत का कार्य शीघ्र पूरा कराने के निर्देश वन मंत्री ने दिए। उन्होंने कहा कि यह मार्ग हरिद्वार-कोटद्वार मार्ग का ही अंश है, जो प्रयोग न होने के कारण यातायात के लिए सुचारू नहीं है। अतः इसकी मरम्मत करने पर वन विभाग को कोई आपत्ति नहीं होगी क्योंकि हरिद्वार-कोटद्वार मोटरमार्ग वन विभाग के अभिलेखों में सन 1977 में पक्के मार्ग के रूप में दर्ज है। उन्होंने कि पूर्व से निर्मित इस 11 किमी लालढांग-चिल्लरखाल अंश के ठीक कर देने से पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों को कम लागत और कम समय में लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा उपलब्ध होगी। हरिद्वार-कोटद्वार मोटर मार्ग पर वन विभाग का स्वामित्व है। लोक निर्माण विभाग मार्ग अनुरक्षण में विशेषज्ञ संस्था होने के कारण इस अंश की रिपेयरिंग के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में कार्य करेगी।
डॉ. रावत ने प्रबन्ध निदेशक को निर्देश दिए कि पर्यटकों को जानकारी देने हेके लिए राष्ट्रीय राज मार्गों हवाई अड़डों में साइनेज लगाए। उन्होंने ईको टूरिज्म कारपोरेशन के प्रबन्ध निदेशक को निर्देश दिए कि प्रदेश में पर्यावरणीय पर्यटन को मूर्तरूप देने को ईको टूरिज्म कारपोरेशन का ढांचा के प्रस्ताव शीघ्र कैबिनेट में लाया जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह, नोडल अधिकारी विनोद सिंघल, प्रबन्ध निदेशक ईको टूरिज्म कारपोरेशन अनूप मलिक, अपर सचिव वन विभाग सुभाष चन्द्र, मुख्य वन संरक्षक शिवालिक भुवन चन्द्र, वन संरक्षक शिवालिक मिनाक्षी जोशी आदि मौजूद रहे।
हड़ताल से निपटने के लिए सरकार खंगाल रही विकल्प
देहरादून। बिजली कर्मचारियों का आंदोलन तेज होता देख सरकार इससे निपटने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रही है। राज्य सरकार द्वारा हड़ताल से खड़ी होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए हर विकल्प खंगाला जा रहा है। इसी कड़ी में दूसरे राज्यों से सम्पर्क साधने के साथ ही सेना की मदद का विकल्प पर भी विचार विमर्श किया जा रहा है। बुधवार को सचिव ऊर्जा ने इन सभी विकल्पों पर विचार करने को तीनों ऊर्जा निगमों के एमडी को तलब कर लिया है। आईटीआई व पालिटेक्निक के 25 छात्रों को ज्वाइन भी करा लिया गया है।
ऊर्जा निगम प्रबंधन ने 25 छात्रों को नियुक्ति कराते हुए टिहरी, उत्तरकाशी, देहरादून, हरिद्वार समेत तमाम दूसरे जिलों में तैनाती देना शुरू कर दिया है। एक दो दिन के भीतर दूसरे छात्रों को भी ज्वाइन कराया जाएगा। वहीं इन सभी छात्रों को पॉवर सब स्टेशन संचालन से लेकर सप्लाई सिस्टम को सामान्य किए जाने के लिए एक एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही ठेकेदारों को मैनपॉवर जुटाने के भी निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही बुधवार को सचिव ऊर्जा राधिका झा ने हड़ताल से निपटने के लिए तीनों ऊर्जा निगमों के एमडी को तलब किया है। सूत्रों के मुताबिक सरकार यूपी, हिमाचल समेत दूसरे राज्यों से संपर्क साधने के साथ ही बड़े सप्लाई स्टेशनों को सेना के हवाले भी करने का मन बना रहा है। हालांकि फाइनल बुधवार को सचिव ऊर्जा व गुरुवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में ही तय होगा।
वहीं सरकार ने संविदा कर्मचारियों से संपर्क साधा है। संविदा कर्मचारियों के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया गया है। दूसरी ओर संविदा कर्मचारियों ने बिजली कर्मचारियों के आंदोलन को अभी नैतिक समर्थन ही दिया है। संगठन उपाध्यक्ष विनोद कवि ने कहा कि चार जुलाई को सचिवालय कूच में संविदा कर्मचारी भी शामिल हो रहे हैं, लेकिन हड़ताल में शामिल होने पर फैसला नहीं लिया गया है। उन्होंने संविदा कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने को वार्ता के लिए बुलाने का स्वागत किया। इस दौरान सचिव ऊर्जा राधिका झा ने साफ किया कि राज्य को अब हड़ताली प्रदेश नहीं बनने दिया जाएगा। कर्मचारियों की मांगों का निस्तारण कर दिया गया है। किसी भी संवर्ग को कोई वित्तीय नुकसान नहीं हो रहा है। इसके बाद भी कर्मचारी हठधर्मिता पर अड़े हुए हैं। इसके बाद भी कर्मचारी मानने को तैयार नहीं है। कर्मचारी हड़ताल करते हैं, तो सरकार आम जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सभी विकल्पों पर विचार कर रही है। किसी भी सूरत में आम जनता को परेशान नहीं होने दिया जाएगा।
वहीं विद्युत संघर्ष समिति ने पे मेट्रिक्स व एसीपी विसंगति की मांग के निस्तारण को लेकर दबाव तेज कर दिया है। समिति के बैनर तले कर्मचारियों ने ऊर्जा निगम मुख्यालय में कैंडल मार्च निकाल विरोध जताया। पदाधिकारियों ने साफ किया कि इस बार सरकार के साथ आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। 26 दिसंबर को पिटकुल मुख्यालय में रैली निकाली जाएगी। चार जनवरी को सचिवालय कूच में ताकत दिखाई जाएगी। पांच जनवरी को हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। कैंडल मार्च में राकेश शर्मा, प्रदीप कंसल, डीसी ध्यानी, नत्थू सिंह, एमसी गुप्ता, अनिल मिश्रा, सुधीर कुमार, संदीप शर्मा, पवन रावत, सोहन शर्मा, अवनीश गुप्ता, आशीष सती, राजकुमार, राजेश जोशी, संदीप पंवार, सपना, वीके जैन, कविता, हारुन रशीद, विपिन कुमार, उमा शंकर, ममता बिष्ट, किशन सेमवाल, जतन सैनी आदि मौजूद रहे।
सूबे में फिर बारिश और बर्फबारी के आसार
देहरादून, उत्तराखंड में फिर से बारिश और बर्फबारी के आसार बन रहे हैं। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटे में पर्वतीय इलाकों में बारिश और बर्फबारी लोगों की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कहीं-कहीं हल्की बारिश और बर्फबारी हो सकती है। राज्य के अन्य जिलों में मौसम शुष्क रहेगा।
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, उत्तराखंड के चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री के अलावा कुमाऊं के ऊंची पहाड़ियों, चकराता की चोटियों पर बारिश से ठंड में इजाफा हो सकता है।
न्यूनतम वेतनमान पर अभिलेखों के लिए मांगा समय
नैनीताल, न्यूनतम वेतनमान के दांव पेंच को लेकर हाई कोर्ट की शरण में गये याचिकाकर्ताओ ने अभिलेख प्रस्तुत करने का समय मांगा तो कोर्ट ने फिलहाल राज्य सरकार को राहत दी है, वन विभाग के बसंत लाल समेत 200 कर्मचारियों ने याचिका दायर कर कहा था कि वह विभाग में चतुर्थ श्रेणी पद पर कार्यरत हैं, मगर उनको विभाग द्वारा न्यूनतम वेतनमान नहीं दिया जा रहा है, जो असंवैधानिक है। कोर्ट ने याचीगणों को न्यूनतम वेतनमान देने तथा एरियर का 12 फीसद ब्याज के साथ पहली जनवरी 2006 से सुप्रीम कोर्ट के पुत्तीलाल से संबंधित फैसले के आधार पर भुगतान करने के आदेश पारित किए थे।
वन विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान देने के मामले में सरकार को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। याचिकाकर्ताओं ने न्यूनतम वेतनमान देने के पक्ष में और अभिलेख प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा है, तब तक याचीगण अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई नहीं करेंगे। एकलपीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने 96 अपीलें दायर की। सरकार की ओर से सीएससी परेश त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि याचीगण स्वीकृत पद के सापेक्ष कार्यरत नहीं हैं, बहुत से याची आउट सोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से तैनात हैं, लिहाजा वह पुत्तीलाल से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले की परिधि से बाहर हैं।
सरकार ने कहा कि वन विभाग की ओर से समूह घ के लिए विनियमितीकरण के नियम बनाए। इसमें कहा गया था कि 27 जून 1991 से पहले सेवा में और वर्तमान में कार्यरत के नियमितीकरण पर विचार करने का निर्णय लिया था। याचीगण न तो पुत्तीलाल से संबंधित फैसले से आच्छादित हैं और न ही न्यूनतम वेतनमान से संबंधित चार जनवरी 2013 व 12 मार्च 2014 को जारी शासनादेश की परिधि में आते हैं, ना हीं इनके द्वारा शासनादेश को चुनौती दी गई है।
पेंशन के लिए भटकते वृद्ध से बोले अधिकारी पहले लाओ सुरती फिर होगा काम
रुद्रपुर, एसडीएम ने ब्लाक में छापा मारा तो सहायक समाज कल्याण अधिकारी के दफ्तर में महीनों से लंबित पत्रावलियों को कब्जे में ले लिया। यहां सहायक समाज कल्याण अधिकारी एक वृद्ध को टहलाते हुए मिले। इसी वृद्ध से अफसर ने सुरती का पैकेट भी मंगा लिया, जिस पर एसडीएम ने सहायक समाज कल्याण से नाराजगी भी जताई।
ब्लाक परिसर में जन सुनवाई के लिए कैंप लगा था, जिसमें फरियादी नदारद थे। कैंप का निरीक्षण करने पहुंचे एसडीएम रोहित मीणा को निरीक्षण में पता चला कि सहायक समाज कल्याण अधिकारी बीडी राणा भूरारानी निवासी वृद्ध चंद्रपाल पुत्र गंगाराम को वृद्धावस्था पेंशन के लिए लंबे समय से टरका रहा है। उन्होंने चंद्रपाल से पूछताछ तो उसने बताया कि वह नौ महीने से पेंशन स्वीकृति के लिए भटक रहा है, उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
आज भी जब वह उक्त अधिकारी से अपनी फरियाद लेकर आया तो उससे सुरती का पैकेट मंगाया गया। पैकेट लाने के बाद जब उसने अपनी पेंशन के बावत बात की तो उसे रविवार को आने को कहा गया। जिस पर एसडीएम ने सहायक समाज कल्याण अधिकारी को आड़े हाथों लिया, कहा कि रविवार को क्यों बुलाया जा रहा है? सहायक समाज कल्याण अधिकारी ने कहा कि काम का बोझ अधिक होने के कारण उसने छुट्टी के दिन बुलाया है। जिस पर एसडीएम ने नाराजगी जताते हुए उसकी पत्रावलियां चेक की तो वहां महीनों से लंबित आवेदन रखे थे, जिन्हें एसडीएम ने अपने कब्जे में ले लिए। साथ ही सहायक समाज कल्याण अधिकारी को निर्देश दिए कि चंद्रपाल की पत्रावली का निस्तारण आज ही कर दें। एसडीएम का कहना है कि वह जिलाधिकारी को सही स्थिति से अवगत कराएंगे।
ठंड से भिखारी की मौत
ऋषिकेश। पहाड़ों में हो रही लगातार बर्फबारी से मैदानी क्षेत्रों में ठंडक का प्रकोप दिखने लगा है। बुधवार की प्रातः गंगा किनारे एक युवक की ठंड से मौत हो गई। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
पुलिस के अनुसार, मृतक की पहचान राकेश सिन्हा (40) निवासी दिल्ली के रूप में हुई है। वह पिछले काफी समय से गंगा तट पर भीख मांगकर गुजारा करता था। खुले आसमान के नीचे सोता था। बुधवार की सुबह उसकी मौत हो गई। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम कराने के बाद उसका अंतिम दाह-संस्कार कर दिया।