(विकासनगर) सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र विकासनगर में तैनात लोक सूचना अधिकारी/प्रभारी चिकित्साधिकारी को सूचना आयोग के आदेश के बाद भी समय पर सूचना न देना भारी पड़ गया। मामले को गंभीरता सेे लेते हुए उत्तराखंड सूचना आयोग ने तत्कालीन प्रभारी चिकित्साधिकारी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए इसकी भरपाई दिसंबर व जनवरी के वेतन से वसूल किए जाने के आदेश पारित किए हैं।
गौरतलब हो कि विकासनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए आरटीआई कार्यकर्ता भास्कर चुग द्वारा एक आरटीआई डाली गई थी। सूचना समय पर नहीं तो मामले की शिकायत उत्तराखंड सूचना आयोग में की गई, जहां आयोग ने सुनवाई के दौरान सीएचसी विकासनगर के तत्कालीन प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. बीके ढोंडियाल को मार्च 2016 में शिकायतकर्ता को निःशुल्क निरीक्षण करवाने के आदेश पारित किए थे। इसके बावजूद शिकायतकर्ता को लोक सूचना अधिकारी द्वारा निरीक्षण के उपरांत अपीलकर्ता द्वारा चिन्हित किए गए पृष्ठों की प्रमाणित प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई। राज्य सूचना आयुक्त राजेंद्र कोटियाल द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा के तहत 250 प्रतिदिन की दर से अधिकतम 25 हजार की शास्ति अधिरोपित की गई। साथ ही महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशालय डांडा लखोंड, सहस्त्राधारा रोड, देहरादून को डा. बीके ढोंडियाल के दिसंबर 2017 व जनवरी 2018 वेतन से शास्ति की धनराशि वसूल करने के आदेश दिए हैं।
प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को सूचना न देना पड़ा भारी, लगा 25 हजार का जुर्माना
लिंक हावड़ा सहित आधा दर्जन गाड़ियां लेट, काठगोदाम रि-शड्यूल
देहरादून। घने कोहरा पड़ने के कारण दून आने जाने वाली लंबी दूरी की लगभग आधा दर्जन गाड़ियां अपने निर्धारित समय से काफी विलंब से पहुंची। लिंक एक्सप्रेस के विलंब होने के कारण देहरादून काठगोदाम एक्सप्रेस को रिशडयूल किया गया है। जिस कारण यात्रियों व उसके परिजनों को परेशानी उठानी पड़ी।
बुधवार को लंबी दूरी की कई गाड़ियां अपने निर्धारित समय से काफी विलंब से देहरादून पहुंची। इलाहाबाद से चलकर देहरादून आने वाली वाली लिंक एक्सप्रेस सात घंटे देरी से आई। जिस कारण देहरादून काठगोदाम को 21 दिसम्बर को एक बजे रवाना किया जाएगा। नई दिल्ली से देहरादून आने वाली नंदा देवी एक्सप्रेस अपने तय से से 1:30 मिनट देरी से आइ। मदूरई से देहरादून आने वाली चेन्नई एक्सप्रेस आठ घटे विलंब से पहुंची। नई दिल्ली देहरदून आने वाली शताब्दी एक्सप्रेस एक घंटे लेट आई। वाली दून हावड़ा एक्सप्रेस का देहरादून आने का समय 7:35 है जो छह घंटे की देरी से आइ। हवाड़ा से आने वाली उपासना एक्सप्रेस चार घंटे की देरी विलंब से पहुंची। अमृतसर देहरादून लाहौरी एकसप्रेस दो घंटे विलंब से आई। बांद्रा देेहरादून भी अपने तय समय से एक की देरी से दून पहंची। गाड़ियों की लेटलतीफी के कारण यात्रियों व उसकों परिजनों को इंतजार में परेशानी उठानी पड़ रही है।स्टेशन अधीक्षक सीताराम सोनकर ने बताया कि मैदानी इलाकों में घने कोहरे पड़ने के कारण लंबी दूरी की कई गाड़ियां अपने तय समय से विलंब चल रही है। बताया कि लिंक एक्सप्रेस लगभग 7 घंटे लेट आई। जिसके चलते 21 दिसम्बर को एक बजे देहरादून काठागोदाम को रवाना किया जाएगा। यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विभाग की और से सावधानी बरती जा रही हे। जिस कारण यात्रियों और उसके परिजनों को दिक्कतें हो रही है। उन्होंने बताया कि देहरादून से जाने वाली गाड़ियों को अन्य सभी गाड़ियों को समय से रवाना किया जा रहा है। ताकि यात्रियों को ज्यादा परेशानी न हो।
बंड मेले में दिखी गढ़वाल की संस्कृति
गोपेश्वर। बुधवार को सात दिवसीय बंड मेले का आगाज रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमो के साथ हुआ। मेले में गढ़वाल की संस्कृति, विरासत और परंपराओं की झलकियां देखने को मिली। मेले का शुभारंभ जिला पंचायत अध्यक्ष मुन्नी देवी शाह ने बंड भूमियाल देवता के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर दिया।
मेले का उद्घाटन करते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि बंड मेले ने बहुत कम समय में पूरे प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है इसके लिए बंड संगठन के समस्त पदाधिकारी बधाई के पात्र है। कहा कि मेले लोगों के मिलन के केंद्र होते है जहां पर अलग-अलग क्षेत्रों से आयी बहिने, बहुऐं मिलती है तथा एक दूसरी की यादों को ताजा करती है। कहा कि मेलों से आम लोगोें को काफी सहुलियत मिलती है। अपनी संस्कृति से भी पहचान होती है।
इस मौके पर थराली विधायक मगन लाल शाह ने कहा कि मेले हमारी सांस्कृति धरोहरों को जीवित रखती है साथ ही विकास के पोषक होते हैं। कहा कि बंड मेले नें अल्प समय में ही जिस तेजी से पूरे प्रदेश में अपनी पहचान बनायी है उसके पीछे यहां के लोगों का सबसे बडा योगदान है। कहा कि बंड मेले नें आज भी अपनी संस्कृति को जीवित रखा है।
मुख्य अतिथि ने मेले में लगे विभिन्न विभागों के स्टालों का भी उद्घाटन किया। मेले के पहले दिन सरस्वती शिशु विद्या मन्दिर व जवाहर नवोदय विद्यालय के बच्चों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से हर किसी का मन मोहा। इस अवसर पर मेलाधिकारी उपजिलाधिकारी परमानंद राम, बंड विकास संगठन के अध्यक्ष शम्भू प्रसाद सती, महामंत्री हरिदर्शन सिंह रावत, पूर्व अध्यक्ष अतुल शाह, संरक्षक गंजेद्र राणा व रमेश बंडवाल, कोषाध्यक्ष बिहारी लाल बंडवाल, विजय मलासी, जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र सिंह नेगी आदि मौजूद थे।
अब रोडवेज बसोंं में भी लगेगा डस्टबिन,गंदगी फैलाने पर देना होगा जुर्माना
कर्मशियल गाडियों और परिवहन की बसों में डस्टबिन अनिवार्य होने के बाद रोडवेज बसों में इनकी शुरूआत कर दी गई है।मंगलवार को 20 वोल्वो बसों में डस्टबिन को लगाया गया।यह डस्टबिन ड्राइवर की सीट के पास रखे जाएंगे और यात्रियों को यात्रा के दौरान बताया जाएगा कि कूड़ा इसी में डालें।इसके अलावा बस गंदी करने पर यात्रियों पर जुर्माने का प्रावधान भी किया जा रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार ने एक दिसंबर से चौपहिया और इससे ऊपर की श्रेणी के सभी वाहनों में डस्टबिन होना अनिवार्य कर दिया है। परिवहन विभाग को आदेश भी दिए गए हैं कि जिन वाहनों में डस्टबिन नहीं मिलेगा, उन्हें फिटनेस प्रमाणपत्र न दिया जाए। वाहनों की चेकिंग करने व डस्टबिन न पाए जाने पर उन्हें सीज या जुर्माना लगाने के आदेश दिए गए।
विभाग ने फिटनेस में यह प्रक्रिया शुरू कर दी है लेकिन अभी सड़कों पर वाहन में डस्टबिन को लेकर चेकिंग नहीं की जा रही। सरकार के आदेश रोडवेज बसों पर भी लागू होते हैं, लिहाजा परिवहन निगम ने डस्टबिन की खरीद शुरू कर दी है। महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि पहले चरण में मंगलवार को दून में 20 वाल्वो बस में डस्टबिन को लगाया गया है। धीरे-धीरे प्रदेश के समस्त डिपो में सभी श्रेणी की बसों में डस्टबिन लगाए जाएंगे।
चार वाहन किए सीज
हाई बीम और लाइटों को लेकर परिवहन विभाग की टीम ने मंगलवार रात पुलिस के साथ प्रेमनगर में चेकिंग अभियान चलाया। एआरटीओ अरविंद पांडे और सीओ सिटी चंद्रमोहन सिंह के निर्देशन में अभियान के दौरान चार गाड़ियां सीज की गईं और 15 का चालान किया गया। एआरटीओ पांडे ने बताया कि किसी गाड़ी में हाईबीम थी तो किसी की लाइट टूटी हुई थी। चार गाड़ियां ऐसी मिलीं जिनकी ड्राइवर साइड की लाइट बंद थी।
मुक्त विवि बना खेवनहार, प्राइवेट छात्रों को दाखिले का मौका
(देहरादून)। अगर आप किसी कारण से अभी तक स्नातक या परास्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी करने के लिए आवेदन से चूक गए हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने ऐसे छात्रों को एक ओर मौका दिया है। विवि ने ग्रीष्मकालीन सत्र में आवेदन नहीं कर पाने वाले छात्रों के लिए शीतकालीन सत्र में आवेदन करने का अवसर प्रदान किया है। छात्र बीए, एमए, बीकॉम व एमकॉम विषयों में दाखिला लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
10 जनवरी तक कर सकते हैं आवेदन
उत्तराखंड में व्यक्तिगत परीक्षा प्राइवेट एग्जामिनेशन प्रणाली की समाप्ति के बाद उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने बीए, एमए, बीकॉम व एमकॉम प्रथम वर्ष के ऐसे अभ्यार्थियों जो किन्ही कारणों से ग्रीष्मकालीन सत्र 2017-18 में प्रवेश नहीं ले पए थे। उनके लिए आवेदन करने का अवसर प्रदान किया है। ऐसे छात्र 26 दिसंबर से 10 जनवरी 2018 तक संबंधित पाठ्क्रमों में दाखिला ले सकते हैं। शीतकालीन सत्र में दाखिला लेने वाले छात्रों की परीक्षा जून 2018 में होगी। मुक्त विवि के जनसंपर्क अधिकारी डा. राकेश रयाल ने बताया कि छात्र दाखिले संबंधित सूचनाएं व आवेदन पत्र आदि विश्वविद्यालय द्वारा संचालित अध्ययन केंद्रों और विश्वविद्यालय वेबसाइड से प्राप्त कर सकेंगे।
प्राइवेट परीक्षा बंद होने के बाद मुक्त विवि को दी थी जिम्मेदारी
दरअसल, भारत में प्राइवेट यानि व्यक्तिगत परीक्षा का कोई विधिक आधार नहीं है। यूजीसी ने भी देश में कानूनी रूप से केवल रेगूलर और डिस्टेंस एजुकेशन को ही वैध माना है। ऐसे में प्रदेश में प्राइवेट मोड में परीक्षा देने वाले हजारों छात्रों के भविष्य पर भी सवाल खड़ा हो गया था। जिसके लिए सीधे तौर पर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को ही जिम्मेदार माना जा रहा था।
प्रदेश में दो विश्वविद्यालय करा रहे थे प्राइवेट परीक्षा
उत्तराखंड में कुमाऊं विश्वविद्यालय और श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय प्राइवेट मोड में यूजी और पीजी कोर्स में डिग्री प्रदान करने का कार्य कर रहे थे। आंकड़ों पर गौर करें तो दोनों विवि में कुल डेढ़ लाख छात्र-छात्राएं प्राइवेट एग्जाम के लिए पंजीकृत थे। आयोग के प्राइवेट परीक्षा को अवैध करार देने के बाद राज्यपाल डा. कृष्ण कांत पॉल के निर्देशों के बाद इन लाखों छात्रों को सरकार ने उत्तराखंड मुक्त विवि में पंजीकृत करने का निर्णय लिया था। जिसके बाद मुक्त विवि ने दोनों विश्वविद्यालयों के छात्रों को अपने यहां पंजीकृत करा दिया। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय इस साल पहली बार मुक्त विवि ने छात्रों के परीक्षा का आयोजन करने जा रहा है। प्रदेश भर में प्राइवेट विद्यार्थियों को दूरस्त शिक्षा के माध्यम से उच्च शिक्षा ग्रहण करने के निर्णय का अध्ययन केंद्र संचालक अनिल सिंह तोमर ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से अब प्राइवेट मोड में डिग्री लेने वाले छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ नहीं होगा। साथ ही उन्हें मुक्त विवि के माध्यम से न सिर्फ डिग्री हासिल होगी बल्कि उन्हें निरंतर अध्ययनरत रहने का भी मौका मिलेगा।
”माटी-मैन” जो मिट्टी से भरते हैं तस्वीरों में जान
रुद्रप्रयाग के सरकारी स्कूल में 49 वर्षीय केमिस्ट्री शिक्षक जय कृष्ण पैन्यूली एक आदर्श उदाहरण है कि किस तरह सीमित संसाधनों के साथ अपने जूनुन को कैसे पूरा किया जा सकता है। हालांकि कैमिस्ट्री के शिक्षक होने के साथ-साथ, पैन्यूली को हमेशा से चित्रकला अपनी ओर आकर्षित करती थी और अपने सपनों का पूरा करने के लिए उन्होंने उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों की मिट्टी से कैनवास चित्रकारी शुरू की।अपनी पेटिंग को बनाने के लिए वह अलग-अलग क्षेत्र जैसे कि केदारनाथ, गैंरसैंण, नीती घाटी, बद्रीनाथ, जोशीमठ, श्रीनगर और टिहरी आदि की मिट्टी का प्रयोग मे लाते है।
ना केवल देश के बल्कि उन्होंने दुबई, थाईलैंड, सिंगापुर और मलयेशिया जैसे कुछ विदेशी देशों का दौरा किया और इन देशों से मिट्टी लेकर आए। कैमिस्ट्री के इस शिक्षक की मिट्टी का उपयोग करके चित्रों को बनाने की कला यूं तो देखने में सरल लगती है लेकिन इसके लिए परफेक्शन की जरुरत होती है। दरअसल इस पेंटिंग को बनाने के लिए मिट्टी को पानी के साथ मिलाकर कैनवास पर तीन से चार कोट लगया जाता है जब तक कि वह सही रंग नहीं देता। पेड़ो से निकलने वाले रस को भी मिट्टी और पानी के साथ मिलाया जाता है। यह मिट्टी के प्रति उनका प्यार ही था कि उन्होंने खुद को “माटी” का उपनाम दिया और उन्हें यह पसंद है कि लोग उन्हें ”माटी” नाम से पुकारे।
टीम न्यूज़पोस्ट से हुई जय कृष्ण पैन्यूली की बातचीत में उन्होंने बताया कि, ”वह साल 2009 से पेटिंग कर रहे हैं।हमेशा से कला में रुचि रखते थे लेकिन जीवन की भागदौड़ और संसाधनों की कमी से उन्हें अपने जूनुन को पाने में थोड़ वक्त लग गया। साल 2009 से पेटिंग शुरु करने के बाद वह अब पेंटिंग को हर रोज लगभग दो घंटे का समय देते हैं। पैन्यूली ने बताया कि वह पेटिंग को बनाने के लिए मिट्टी के साथ-साथ पत्तों का रस,राख,कोयला,गौमूत्र और गोबर का इस्तेमाल करते हैं।इनकी पेटिंग की सबसे खास बात है इसमें इस्तेमाल होने वाला सब कुछ प्राकृतिक है और जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता उससे इनकी पेटिंग तैयार होती है। जय कृष्ण ने बताया कि ”शुरुआत में वह पोर्ट्रेट बनाते थे लेकिन अब उनका ज्यादा फोकस पर्यावरण और पहाड़ी क्षेत्र की जीवन शैली को बनाने में रहता है। पैन्यूली कहते हैं कि यू तो चित्रकारी बहुत ही महंगा काम है लेकिन जब आप मिट्टी से चित्रकारी करते हैं तो यह उतनी महंगी नहीं रह जाती।”
पैन्यूली ने बताया कि ”देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनियों के आयोजन और उपस्थित होने के बाद,अब वह गाय-गोबर और गाय-मूत्र के साथ पेंट कर रहे हैं। कलाकार ने कहा, “मैंने सफलतापूर्वक मटर के छिलकों के साथ प्रयोग किया है और अब मैं गाय के गोबर से बनाई गई पेंटिंग पर काम कर रहा हूं।”
खर्गेड में सरकारी इंटर कॉलेज में एक शिक्षक की तरह रहने वाले पैन्यूली, र्कीतिनगर क्षेत्र में रहते है और अपना पूरा जीवन पहाड़ को समर्पित करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “इन पहाड़ियों ने मुझे पहचान और प्रसिद्धि दी है, मैं कभी भी मैदानी इलाकों में नहीं जाना चाहता और जब तक मैं जीवित हूं तब तक छात्रों को अपनी यह कला पढ़ाना जारी रखूंगा।” उन्होंने कहा कि ”अपने छात्रों को इस कला को पढ़ाने के लिए वह हर रोज थोड़ा समय निकालते हैं।”
पैन्यूली से पूछने पर कि वह अपनी बनाई हुई पेंटिंग का क्या करते हैं इसपर उन्होंने कहा कि ”कुछ पेटिंग तो वह प्रदर्शनी के लिए संभाल देते हैं जबकि कुछ वह अपने छात्रों को उपहार के रुप में दे देते हैं।”
23 गांवों के लोगों को सड़क का इंतजार
विकासनगर। कालसी व चकराता ब्लाक के 23 गांव आज भी सड़क का इंतजार कर रहे हैं। इन गांवों के लोग आज भी अपने घर तक का सफर पंगडंडियों के सहारे तय कर रहे हैं। यहां रहने वाली 11 हज़ार से अधिक की आबादी रोज़ाना पीठ पर समान ढो कर घरों को पहुँचा रहे हैं।
विकास का रास्ता सड़क से होकर गुजरता है, लेकिन चकराता व कालसी ब्लाक के इन 23 गांवों के लिए सड़क आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी सपना है। इन गांवों में रहने वाले लोगों को कृषी उपज से लेकर मरीज़ों को पीठ व खच्चर पर ढोना पड़ रहा है। ग्रामीण सरदार सिंह सिताराम परम सिह नारायण सिंह भारु सिह बारू दत्त का कहना है कि वह राज्य गठन के पूर्व व राज्य गठन के बाद से तारली बोहा धीरोग दिलऊ ढकियारना धोदउ बनसार झूटाया सेरी जगथान बुरायला गडेथा बसाया गांगरो कीटाड कुस्यो कचटा खाती बिनोऊ अस्टा लटऊ चामड़ी आदि गांवों के ग्रामीण सरकारों से सड़क बनाने की गुहार लगा लगा थक चुके है स्कूल जाने के लिए भी बच्चों को कई किलोमीटर की पैदल दूरी नापनी पड़ रही है। वह विधायक से लेकर मुख्यमंत्री की चौखट तक गुहार लगा चुके है लेकिन कोई सुध लेने को तैयार नही है। इस मामले में उपजिलाधिकारी चकराता बृजेश तिवारी का कहना है कि सड़क निर्माण शासन स्तर का मामला है।
हाईकोर्ट ने केदारनाथ में फिर से शवों की तलाश के दिए निर्देश
नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को साल 2013 में केदारनाथ आपदा में लापता लोगों की फिर से तलाश करने को कहा है। अदालत ने दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा कि इसके लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) स्तर के पांच अफसरों की टीम गठित की जाएगी। इसके अलावा छह महीने में चार धाम मार्गों के लिए मास्टर प्लान के साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्र में यात्रियों की संख्या नियंत्रित करने के भी निर्देश दिए हैं।
दिल्ली के रहने वाले आचार्य अजय गौतम ने इस मामले में उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि केदारनाथ आपदा में 3500 लोगों को लापता बताया गया है, जबकि सरकार केवल 450 शव ही खोज सकी है। 19 नवंबर 2016 को याचिका पर सुनवाई करते हुए वरिष्ठ न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश आलोक सिंह की खंडपीठ ने सरकार को लावारिस शवों के दाह संस्कार कराने के निर्देश दिए थे। इस बारे में राज्य सरकार ने न्यायालय में शपथ पत्र प्रस्तुत कर स्पष्ट किया कि आपदा में करीब चार हजार लापता हुए थे और अब तक 678 शवों का दाह संस्कार किया जा चुका है।
बुधवार को मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने निर्देश दिए कि पांच अफसरों की टीम एक बार फिर केदार घाटी का निरीक्षण करे और मिलने वाले शवों का डीएनए सुरक्षित रख रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करे। अदालत ने आदेश दिए कि देवप्रयाग, सोनप्रयाग, ऋषिकेश, बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग और गोपेश्वर में अतिक्रमण को चिह्नित कर छ: माह मास्टर प्लान बनाया जाए।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार से अदालत के महत्वपूर्ण दिशा-निर्देशों पर निर्धारित समयावधि में क्रियान्वयन करेगी। मुख्य स्थायी अधिवक्ता परेश त्रिपाठी ने बताया कि हाई कोर्ट ने चारधाम समेत अन्य स्थानों के पर्यावरण व अन्य बिन्दुओं को लेकर अहम दिशा-निर्देश दिए हैं। सरकार की ओर से अधिकांश पर कार्रवाई की जा चुकी है।
अदालत के दिशा-निर्देश
- छह माह में जीआइएस सर्वे पर आधारित मास्टर प्लान बनाएं, सरकार की तीन साल में बनाने की दलील खारिज
- तीन माह में चारधाम क्षेत्र में एडवांस चेतावनी सिस्टम, डॉप्लर रडार, ओटोमेटेड वेदर सिस्टम बनाएं
- सभी स्थानों पर बायोमेट्रिक/फोटोमेट्रिक मशीन लगाई जाए
- देवप्रयाग, रुद्रप्रयाग, सोनप्रयाग व बदरीनाथ क्षेत्र में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट-2000 लागू किया जाए
- चारधाम समेत हेमकुंड साहिब में हर दस किमी में आसरा निर्माण किया जाए
- चारधाम व हेमकुंड साहिब में हर दस किमी दायरे में इमरजेंसी स्टोर बनाया जाए, जिसमें कम्बल, चादर, राशन, गैस, दूध भरपूर मात्रा में हो। सरकार की ओर से बताया गया कि केएमवीएन व जीएमवीएन को सौंपा है जिम्मा।
- सभी निकायों में सॉलिड वेस्ट रुल्स बनाएं, सरकार ने कहा सभी जिलाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी। कोर्ट ने मुख्य नदी व सहायक नदियों के एक किमी दायरे में कूड़ा डंप करने पर पाबंदी लगाई
केन्द्रीय मंत्री के बयान पर भड़का संत समाज
(हरिद्वार)। भारत साधु समाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व जयराम आश्रम के पीठाधीश्वर ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए केन्द्रीय मंत्री डाॅ. सत्यपाल सिंह के बयान की कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए कहा कि मंत्री ने मूर्खतापूर्ण बयान दिया है। उन्हें सनातन परम्पराओं का ज्ञान नहीं है।
गंगा में अस्थि प्रवाह आदि अनादिकाल से होती चली आ रही है। ऐेसे में उनके द्वारा अस्थि प्रवाह नहीं किया जाने जैसा बयान खेदजनक है। कहा कि गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक गंगा को प्रदूषण मुक्ति की योजनायें केन्द्र सरकार द्वारा धरातल पर नहीं की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि संत समाज उनके द्वारा दिये गये बयान से काफी आहत है।
उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री डाॅ. सत्यपाल सिंह की शिकायत राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से की जायेगी। ऐसे मंत्रियों को पदों पर रहने का कोई अधिकार नहीं है। गंगा से लाखों करोड़ों लोगों की भावनायें जुड़ी हुई है। उनका बयान तर्कसंगत नहीं है। लाखों लोगों के रोजगार उनके बयान से प्रभावित होगें। गंगा हमारी धार्मिक आस्था की पहचान है।
पूर्व चैयरमेन सतपाल ब्रह्मचारी ने मंत्री के कड़े शब्दों में निन्दा करते हुए कहा कि अंधविश्वास जैसे बयान देकर लाखों हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई है। अस्थि प्रवाह से गंगा का जल निर्मल स्वच्छ होता है। केन्द्र सरकार को प्लास्टिक की सामग्री पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिये लेकिन केन्द्रीय मंत्री धार्मिक भावनाओं को अपने बयानों से आहत कर रहे हैं जो कि किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। विवेकहीन बयान से लाखों करोड़ो हिन्दुओ की आस्था पर कुठाराघात किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भूसमाधि के लिए 50 एकड़ भूमि संत समाज को आबंटित करना चाहिये। जिससे भू समाधि का प्रबन्ध हो सके। राज्य की सरकार लगातार गंगा को लेकर तर्क संगत कार्य नहीं कर रही हैं ऐसे मंत्री पद के अयोग्य हैं। संत समाज उन पर खुलकर विरोध करेगा। भारत साधु समाज एवं संत समाज एक साथ इस बयान की खुलकर निन्दा करता है। प्रेस वार्ता में महंत देवानंद सरस्वती, महंत रविन्द्र पुरी, महंत अर्जुनपुरी महाराज, स्वामी हरिचेतनानंद महाराज, महंत कृष्णा गिरि, स्वामी कामेश्वर पुरी, आदि उपस्थित रहे।
वन विभाग की नींद तोड़ने के लिए बजाया डमरू
(देहरादून) प्रदेश महिला कांग्रेस की वरिष्ठ उपाध्यक्ष आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा के नेतृत्व में आज जंगली जानवरों के बढ़ते आतंक को रोक लगाने के लिए डमरू बजाकर डमरू आंदोलन की शुरूआत की गई। इस दौरान प्रमुख वन संरक्षक को एक ज्ञापन सौंपा गया।
बुधवार को प्रमुख वन संरक्षक कार्यालय राजपुर रोड़ में सुरक्षा के लिए अधिकारियों की नींद तोड़ने के लिए डमरु आन्दोलन के साथ-साथ डमरु बजाकर पुष्पगुच्छ के साथ एक ज्ञापन प्रमुख वन संरक्षक को सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया गया कि 13 सितम्बर माह में भी जगंली जानवरों से फसल व जनहानि रोकने के लिए एक ज्ञापन दिया गया था। परन्तु अधिकारियों की लापरवाही के कारण जगली जानवरों से जनता व फसल की रक्षा के लिए अभी तक भी कुछ नही किया गया है। इसलिए आज हमें डमरु बजाकर उन्हें नींद से जगाना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा किं देहरादून जनपद सहित पूरे राज्य में विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों व शहर में बाघ, हाथीयों, बन्दरों आदि से राज्यभर में ग्रामीण व देहरादून नगरवासी अत्यधिक पीड़ित है। अभी तक कई लोगों को बाघ अपना निवाला बना चुका है नकरौंदा, कैन्ट, सहस्त्रधारा, केसरवाला, बालावाला, डोईवाला, नथुआवाला, गुलरघाटी ग्राम सहित आसपास की ग्राम सभाओं में जगंली हाथी, बाघ, बन्दर, सुअर से फसल व जान-माल की हानि को निरंतर भारी हानि हो रही है वहीं बन्दरों के निरंतर आक्रमण से नगरवासी भी लगातार पीड़ित हो रहे है।
उन्होंने कहा कि हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार ने बन्दर व सुअर बाड़े बनाने के लिए योजनाये बनाई थी व इसके लिए बजट भी स्वीकृत किया गया था। परन्तु वन विभाग की लापरवाही के कारण उपरोक्त योजना क्रियांवित नही हो पाई है। वहीं बन्दरों व सुअर के आतंक से जनता त्राही-त्राही कर रही है और बन्दरों के हिसंक आक्रमण भी लगातार बढ़े है। इसी प्रकार से हाथीयों को आबादी की ओर आने से रोकने के लिए भी योजनाये बनाई गई थी जिस पर विभाग के उदासीन रवईये के कारण कुछ नही हो पाया है। उनके हिसंक हमले लगातार फसलों व लोगो के लिए प्राण घातक होते जा रहे है। वन कर्मचारियों के पास ट्रेन्कुलाईजर गन व रस्सी व जाल भी उपलब्ध नही है बताया जाता है कि कैम्पा में व अन्य मदों में इसके लिए धनराशि की व्यवस्था हो रखी है परन्तु विभाग इस ओर आख मूद कर बैठा है। बाघ, सुअर, हाथी व बन्दरों के हमले लगातार नागरिकों पर बढ़ रहे है व हाथीयों के तांड़व से नकरौंदा, मियांवाला, बालावाला सहित कई ग्रमीण क्षेत्रों में जनता का जीना र्दुलभ हो गया है। उन्होने यह भी कहा कि कैम्पा सहित विभिन्न मदों में इन कार्या के लिए धनराशि सुरक्षित पड़ी हुई है। उन्होने जनपद के हर ड़ीएफओ क्षेत्र में अतिरिक्त ट्रेनकुलाईजर गन की व्यवस्था की मांग भी की है तथा कैम्पा में उपलब्ध धन का उचित उपयोग किया जाना चाहिए। फसलों व जान-माल की हानि के लिए वन विभाग मुआवजा राशि देने में भी कोताही कर रहा है।
इस अवसर पर सरदार हरजीत सिंह मिन्टू, कुलदीप प्रसाद डोबरियाल, सुशील विरमानी, पंकज नेगी, राधिका शर्मा, रेखा ड़िंगरा, मीना बिष्ट, आशिया खान, हिमांशु लोधी, भारत कौरी, रुबी चौधरी, कोकिल, लविश ड़ोरा, हाफिज अकरम कुरेशी, सरदार गगन सिंह, रेहाना प्रवीन, पिंकी, ललिता, साईरा, सरला आदि मौजूद रहे।