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उत्तराखंड की पहली ”महिला कैब ड्राइवर” बन रही है अन्य महिलाओं के लिये प्रेरणा

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देहरादून। ममता पूजारी ने कभी कल्पना भी नहीं की था कि वह खुद को टैक्सी के स्टीयरिंग व्हील के पीछे ढ़ूंढ़ेगीं।कहीं ना कहीं यह बात बहुत स्पष्ट भी है।दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों में यह बात बहुत सामान्य है लेकिन उत्तराखंड में महिला टैक्सी ड्राइवर का शायद किसी ने सुना या देखा भी होगा।

लेकिन शायद ममता की तकदीर की अपनी अलग योजना थी, जो अपने परिवार के आर्थिक रूप से मदद करने के लिए घर से निकली थी और इस प्रक्रिया में आघे बढ़ते हुए ममता उत्तराखंड की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर बन गई।35 साल की ममता उत्तराखंड के एक छोटे से गांव उखीमठ के निकट नारायणकोट, रुद्रप्रयाग की रहने वाली हैं और आज के समय में पहली महिला कैब ड्राइवर।

ममता के पिता एक रिटार्यड सरकारी शिक्षक हैं, और उनकी दोनों बहनों की शादी हो चुकी है। वह अपने परिवार में सबसे छोटी है और कंपटेटिव परीक्षाओं की तैयारी कर रही थी, जब उनका जीवन पूरी तरह बदल गया। गैर सरकारी संगठन ‘सहेली ट्रस्ट’ की सचिव श्रुति कौशिक ने उन्हें कर्मशियल ड्राइविंग में कैरियर बनाने के लिए राजी किया और अपने जीवन में आए बदलाव को लेकर ममता जीवित रहने के लिए ऐसी योजना से खुद को दूर नहीं कर सकी और अपनी ड्राइविंग को अपनी ताकत बनाकर उसपर काम करना शुरु कर दिया।

टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में ममता ने बताया कि “पहाड़ों को तो भूल जाओ, यहां तक कि देहरादून और हरिद्वार जैसे शहरों में भी महिलाओं ने प्रोफेशनल ड्राइविंग में अपना कैरियर बनाने का नहीं सोचा है।बस इसी सोच के साथ अपने परिवार को मदद करने की योजना से मैने हूनर को अपने लिए मौका में बदल दिया और आगे बढ़ गई।”

हालांकि ट्रस्ट ने ‘शी कैब’ लॉन्च की है, एक ऐसी वैन जो केवल महिलाओं की सुविधा के लिए समर्पित है लेकिन इसके लिए महिला ड्राइवर मिलना आसान नहीं था।”यह विचार महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनके लिए विशेष कैब की सुविधा देना है, लेकिन इस काम के लिए एक महिला ड्राइवर मिलना कठिन था। ममता इसको करने के लिए उत्सुक थी और हमने उन्हें ट्रेनिंग दी।”श्रुति कहती हैं कि ”मेरे हिसाब से  जो भी महिला अपने परिवार को मदद करना चाहती हैं उन्हें ड्राइविंग सीख कर गाड़ी चलाने के लिए समाज के कमजोर वर्गों से आगे आना चाहिए।”

श्रुति कहती हैं कि ”ममता अभी दून में अकेली ऐसी ड्राइवर हैं जो शी टैक्सी चलाती है। फिलहाल,सहेली ट्रस्ट प्रोफेशनल महिला ड्राइवरों के रूप में काम करने के इच्छुक लोगों की पहचान करने के लिए एक सर्वे कर रही है। यह अन्य केंद्रों में वुमेन प्रोफेशनल ड्राइवर को बढ़ावा देना चाहता है और इसी प्रक्रिया में, महिलाओं के लिए एक सुरक्षित यात्रा विकल्प प्रदान करना चाहती है। “अकेली महिला यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिेए हम इस सेवा को शुरू कर रहे हैं और इसके माध्यम से हम विदेशी महिला पर्यटकों को भी यह सेवा देना चाहते हैं।”

यह ट्रस्ट दूरस्थ क्षेत्रों में महिलाओं के साथ काम करता है, उन्हें सिलाई, कला और अन्य शिल्प में मुफ्त में प्रशिक्षण प्रदान करता है। ममता भी उसके लिए कुछ कर रही हैं।ममता कहती हैं कि “मैं ड्राइविंग में दिलचस्पी रखने वाले महिलाओं को कोचिंग दे रही हूं, इसके दोहरे लाभ होंगे – सबसे पहले, महिलाओं को खुद को आर्थिक रुप से मदद मिलेगी और दूसरा हम अपनी धर्मनगरी को महिलाओं के लिए और भी सुरक्षित कर पाऐंगे।”

 

कोटद्वार-लैंसडाउन इको टूरिज्म सर्किट पर ली जानकारी

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(देहरादून) कोटद्वार-लैन्सडाउन इको पर्यटन सर्किट जहां कोटद्वार से कार्बेट पार्क के बीच की दूरी कम करेगा, वहीं इससे पर्यटन की नई संभावनाएं भी विकसित होंगी। वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने सर्किट की प्रगति को लेकर अधिकारियों से जानकारी ली।

मंगलवार को प्रदेश के वन एवं वन्य जीव, पर्यावरण एवं ठोस, अपशिष्ट निवारण, श्रम, सेवायोजन, प्रशिक्षण, आयुष एवं आयुष शिक्षा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की अध्यक्षता में विधानसभा सभागार में कोटद्वार-लैन्सडाउन इको टूरिज्म सर्किट विषय पर बैठक हुई। बैठक में उन्होंने कहा कि कोटद्वार से कार्बेट नेशनल पार्क का प्रवेश खुलने से वन्य जन्तु प्रेमी व पर्यटकों को जहां कम दूरी तय कर पर्यावरण व वन्य जन्तु का दर्शन का लाभ मिलेगा, वहीं स्थानीय युवाओं को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर मिलने से पलायन रुकेगा। वनों के संरक्षण में अधिक से अधिक जन सहभागिता बढ़ाने बेरोजगार को रोजगार के अवसर सुलभ कराने को लेकर कोटद्वार से कार्बेट पार्क प्रवेश द्वार शुरू कराने की सरकार ने अच्छी पहल की है।
सरकार द्वारा रोजगार के अवसर बढ़ाने व पलायन रोकने को लेकर ऋषिकेश, रामनगर, चम्पावत व टौन्स ईको टूरिज्म सर्किट विकसित करने की योजना है, जिसमें सर्वप्रथम कोटद्वार ईको टूरिज्म सर्किट विकसित किया जा रहा है। बैठक में निर्णय लिया गया कि कोटद्वार ईको टूरिज्म सर्किट के अन्तर्गत आने वाले वन विश्राम गृह सनेह, लालढांग, गूलरझाला, चिडियापुर, रसियागढ़, कोल्हूचैड़, सेंधीखाल वन विश्राम गृहों में पुनर्निमाण कार्य ईको टूरिज्म कारर्पोरेशन करेगा। ईको टूरिज्म कारर्पोरेशन सात बंग्लों के प्रस्ताव वन विभाग को भेजेगा। वनमंत्री ने निर्देश दिए कि ईको टूरिज्म कारर्पोरेशन इन विश्राम गृहों को आधुनिक सुविधाओं से जोड़े। यदि कारर्पोरेशन इन विश्रामगृहों को आवास के अलावा अन्य व्यवसायिक उपयोग करना चाहें तो, इसके लिए वांछित प्रस्ताव पर केन्द्र से अनुमति की आवश्यकता होगी, जिसके लिए कारर्पोरेशन केन्द्र से अनुमति प्राप्त करेें।
चिल्लरखाल-लालढांग क्षतिग्रस्त 11 किलोमीटर मोटरमार्ग की मरम्मत का कार्य शीघ्र पूरा कराने के निर्देश वन मंत्री ने दिए। उन्होंने कहा कि यह मार्ग हरिद्वार-कोटद्वार मार्ग का ही अंश है, जो प्रयोग न होने के कारण यातायात के लिए सुचारू नहीं है। अतः इसकी मरम्मत करने पर वन विभाग को कोई आपत्ति नहीं होगी क्योंकि हरिद्वार-कोटद्वार मोटरमार्ग वन विभाग के अभिलेखों में सन 1977 में पक्के मार्ग के रूप में दर्ज है। उन्होंने कि पूर्व से निर्मित इस 11 किमी लालढांग-चिल्लरखाल अंश के ठीक कर देने से पर्यटकों एवं स्थानीय लोगों को कम लागत और कम समय में लोगों को आवागमन की बेहतर सुविधा उपलब्ध होगी। हरिद्वार-कोटद्वार मोटर मार्ग पर वन विभाग का स्वामित्व है। लोक निर्माण विभाग मार्ग अनुरक्षण में विशेषज्ञ संस्था होने के कारण इस अंश की रिपेयरिंग के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में कार्य करेगी।
डॉ. रावत ने प्रबन्ध निदेशक को निर्देश दिए कि पर्यटकों को जानकारी देने हेके लिए राष्ट्रीय राज मार्गों हवाई अड़डों में साइनेज लगाए। उन्होंने ईको टूरिज्म कारपोरेशन के प्रबन्ध निदेशक को निर्देश दिए कि प्रदेश में पर्यावरणीय पर्यटन को मूर्तरूप देने को ईको टूरिज्म कारपोरेशन का ढांचा के प्रस्ताव शीघ्र कैबिनेट में लाया जाए। बैठक में अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह, नोडल अधिकारी विनोद सिंघल, प्रबन्ध निदेशक ईको टूरिज्म कारपोरेशन अनूप मलिक, अपर सचिव वन विभाग सुभाष चन्द्र, मुख्य वन संरक्षक शिवालिक भुवन चन्द्र, वन संरक्षक शिवालिक मिनाक्षी जोशी आदि मौजूद रहे। 

हड़ताल से निपटने के लिए सरकार खंगाल रही विकल्प

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देहरादून। बिजली कर्मचारियों का आंदोलन तेज होता देख सरकार इससे निपटने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रही है। राज्य सरकार द्वारा हड़ताल से खड़ी होने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए हर विकल्प खंगाला जा रहा है। इसी कड़ी में दूसरे राज्यों से सम्पर्क साधने के साथ ही सेना की मदद का विकल्प पर भी विचार विमर्श किया जा रहा है। बुधवार को सचिव ऊर्जा ने इन सभी विकल्पों पर विचार करने को तीनों ऊर्जा निगमों के एमडी को तलब कर लिया है। आईटीआई व पालिटेक्निक के 25 छात्रों को ज्वाइन भी करा लिया गया है।

ऊर्जा निगम प्रबंधन ने 25 छात्रों को नियुक्ति कराते हुए टिहरी, उत्तरकाशी, देहरादून, हरिद्वार समेत तमाम दूसरे जिलों में तैनाती देना शुरू कर दिया है। एक दो दिन के भीतर दूसरे छात्रों को भी ज्वाइन कराया जाएगा। वहीं इन सभी छात्रों को पॉवर सब स्टेशन संचालन से लेकर सप्लाई सिस्टम को सामान्य किए जाने के लिए एक एक सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही ठेकेदारों को मैनपॉवर जुटाने के भी निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही बुधवार को सचिव ऊर्जा राधिका झा ने हड़ताल से निपटने के लिए तीनों ऊर्जा निगमों के एमडी को तलब किया है। सूत्रों के मुताबिक सरकार यूपी, हिमाचल समेत दूसरे राज्यों से संपर्क साधने के साथ ही बड़े सप्लाई स्टेशनों को सेना के हवाले भी करने का मन बना रहा है। हालांकि फाइनल बुधवार को सचिव ऊर्जा व गुरुवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में ही तय होगा।
वहीं सरकार ने संविदा कर्मचारियों से संपर्क साधा है। संविदा कर्मचारियों के पदाधिकारियों को वार्ता के लिए बुलाया गया है। दूसरी ओर संविदा कर्मचारियों ने बिजली कर्मचारियों के आंदोलन को अभी नैतिक समर्थन ही दिया है। संगठन उपाध्यक्ष विनोद कवि ने कहा कि चार जुलाई को सचिवालय कूच में संविदा कर्मचारी भी शामिल हो रहे हैं, लेकिन हड़ताल में शामिल होने पर फैसला नहीं लिया गया है। उन्होंने संविदा कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने को वार्ता के लिए बुलाने का स्वागत किया। इस दौरान सचिव ऊर्जा राधिका झा ने साफ किया कि राज्य को अब हड़ताली प्रदेश नहीं बनने दिया जाएगा। कर्मचारियों की मांगों का निस्तारण कर दिया गया है। किसी भी संवर्ग को कोई वित्तीय नुकसान नहीं हो रहा है। इसके बाद भी कर्मचारी हठधर्मिता पर अड़े हुए हैं। इसके बाद भी कर्मचारी मानने को तैयार नहीं है। कर्मचारी हड़ताल करते हैं, तो सरकार आम जनता की सुविधा को ध्यान में रखते हुए सभी विकल्पों पर विचार कर रही है। किसी भी सूरत में आम जनता को परेशान नहीं होने दिया जाएगा।
वहीं विद्युत संघर्ष समिति ने पे मेट्रिक्स व एसीपी विसंगति की मांग के निस्तारण को लेकर दबाव तेज कर दिया है। समिति के बैनर तले कर्मचारियों ने ऊर्जा निगम मुख्यालय में कैंडल मार्च निकाल विरोध जताया। पदाधिकारियों ने साफ किया कि इस बार सरकार के साथ आर पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। 26 दिसंबर को पिटकुल मुख्यालय में रैली निकाली जाएगी। चार जनवरी को सचिवालय कूच में ताकत दिखाई जाएगी। पांच जनवरी को हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। कैंडल मार्च में राकेश शर्मा, प्रदीप कंसल, डीसी ध्यानी, नत्थू सिंह, एमसी गुप्ता, अनिल मिश्रा, सुधीर कुमार, संदीप शर्मा, पवन रावत, सोहन शर्मा, अवनीश गुप्ता, आशीष सती, राजकुमार, राजेश जोशी, संदीप पंवार, सपना, वीके जैन, कविता, हारुन रशीद, विपिन कुमार, उमा शंकर, ममता बिष्ट, किशन सेमवाल, जतन सैनी आदि मौजूद रहे।

सूबे में फिर बारिश और बर्फबारी के आसार

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देहरादून, उत्तराखंड में फिर से बारिश और बर्फबारी के आसार बन रहे हैं। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटे में पर्वतीय इलाकों में बारिश और बर्फबारी लोगों की मुश्किलें बढ़ा सकती हैं।

 मौसम विभाग के अनुसार, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में कहीं-कहीं हल्की बारिश और बर्फबारी हो सकती है। राज्य के अन्य जिलों में मौसम शुष्क रहेगा।

मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार, उत्तराखंड के चारधाम बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री के अलावा कुमाऊं के ऊंची पहाड़ियों, चकराता की चोटियों पर बारिश से ठंड में इजाफा हो सकता है।

न्यूनतम वेतनमान पर अभिलेखों के लिए मांगा समय

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नैनीताल, न्यूनतम वेतनमान के दांव पेंच को लेकर हाई कोर्ट की शरण में गये याचिकाकर्ताओ ने अभिलेख प्रस्तुत करने का समय मांगा तो कोर्ट ने फिलहाल राज्य सरकार को राहत दी है, वन विभाग के बसंत लाल समेत 200 कर्मचारियों ने याचिका दायर कर कहा था कि वह विभाग में चतुर्थ श्रेणी पद पर कार्यरत हैं, मगर उनको विभाग द्वारा न्यूनतम वेतनमान नहीं दिया जा रहा है, जो असंवैधानिक है। कोर्ट ने याचीगणों को न्यूनतम वेतनमान देने तथा एरियर का 12 फीसद ब्याज के साथ पहली जनवरी 2006 से सुप्रीम कोर्ट के पुत्तीलाल से संबंधित फैसले के आधार पर भुगतान करने के आदेश पारित किए थे।

वन विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान देने के मामले में सरकार को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। याचिकाकर्ताओं ने न्यूनतम वेतनमान देने के पक्ष में और अभिलेख प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा है, तब तक याचीगण अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई नहीं करेंगे। एकलपीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने 96 अपीलें दायर की। सरकार की ओर से सीएससी परेश त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि याचीगण स्वीकृत पद के सापेक्ष कार्यरत नहीं हैं, बहुत से याची आउट सोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से तैनात हैं, लिहाजा वह पुत्तीलाल से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले की परिधि से बाहर हैं।

सरकार ने कहा कि वन विभाग की ओर से समूह घ के लिए विनियमितीकरण के नियम बनाए। इसमें कहा गया था कि 27 जून 1991 से पहले सेवा में और वर्तमान में कार्यरत के नियमितीकरण पर विचार करने का निर्णय लिया था। याचीगण न तो पुत्तीलाल से संबंधित फैसले से आच्छादित हैं और न ही न्यूनतम वेतनमान से संबंधित चार जनवरी 2013 व 12 मार्च 2014 को जारी शासनादेश की परिधि में आते हैं, ना हीं इनके द्वारा शासनादेश को चुनौती दी गई है।

पेंशन के लिए भटकते वृद्ध से बोले अधिकारी पहले लाओ सुरती फिर होगा काम

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रुद्रपुर, एसडीएम ने ब्लाक में छापा मारा तो सहायक समाज कल्याण अधिकारी के दफ्तर में महीनों से लंबित पत्रावलियों को कब्जे में ले लिया। यहां सहायक समाज कल्याण अधिकारी एक वृद्ध को टहलाते हुए मिले। इसी वृद्ध से अफसर ने सुरती का पैकेट भी मंगा लिया, जिस पर एसडीएम ने सहायक समाज कल्याण से नाराजगी भी जताई।

ब्लाक परिसर में जन सुनवाई के लिए कैंप लगा था, जिसमें फरियादी नदारद थे। कैंप का निरीक्षण करने पहुंचे एसडीएम रोहित मीणा को निरीक्षण में पता चला कि सहायक समाज कल्याण अधिकारी बीडी राणा भूरारानी निवासी वृद्ध चंद्रपाल पुत्र गंगाराम को वृद्धावस्था पेंशन के लिए लंबे समय से टरका रहा है। उन्होंने चंद्रपाल से पूछताछ तो उसने बताया कि वह नौ महीने से पेंशन स्वीकृति के लिए भटक रहा है, उसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

आज भी जब वह उक्त अधिकारी से अपनी फरियाद लेकर आया तो उससे सुरती का पैकेट मंगाया गया। पैकेट लाने के बाद जब उसने अपनी पेंशन के बावत बात की तो उसे रविवार को आने को कहा गया। जिस पर एसडीएम ने सहायक समाज कल्याण अधिकारी को आड़े हाथों लिया, कहा कि रविवार को क्यों बुलाया जा रहा है? सहायक समाज कल्याण अधिकारी ने कहा कि काम का बोझ अधिक होने के कारण उसने छुट्टी के दिन बुलाया है। जिस पर एसडीएम ने नाराजगी जताते हुए उसकी पत्रावलियां चेक की तो वहां महीनों से लंबित आवेदन रखे थे, जिन्हें एसडीएम ने अपने कब्जे में ले लिए। साथ ही सहायक समाज कल्याण अधिकारी को निर्देश दिए कि चंद्रपाल की पत्रावली का निस्तारण आज ही कर दें। एसडीएम का कहना है कि वह जिलाधिकारी को सही स्थिति से अवगत कराएंगे।

ठंड से भिखारी की मौत

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ऋषिकेश। पहाड़ों में हो रही लगातार बर्फबारी से मैदानी क्षेत्रों में ठंडक का प्रकोप दिखने लगा है। बुधवार की प्रातः गंगा किनारे एक युवक की ठंड से मौत हो गई। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
पुलिस के अनुसार, मृतक की पहचान राकेश सिन्हा (40) निवासी दिल्ली के रूप में हुई है। वह पिछले काफी समय से गंगा तट पर भीख मांगकर गुजारा करता था। खुले आसमान के नीचे सोता था। बुधवार की सुबह उसकी मौत हो गई। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम कराने के बाद उसका अंतिम दाह-संस्कार कर दिया।

राजकाज चलाने की ताकत हासिल करें महिलाएं : कमला पंत

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देहरादून, नगर पालिका सभागार में उत्तराखंड महिला मंच ने महिला संसद बिठाकर उत्तराखंड की जन मुद्दों पर चर्चा करते हुए उन पर पांच प्रस्ताव पारित किया। साथ ही अपने 24वें स्थापना सम्मेलन को पूरी जज्बे और उत्साह के साथ मनाया। सम्मेलन की शुरुआत शहीद रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां को याद करते हुए दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। इस मौके पर महिला मंच की संस्थापक सदस्य कमला पंत ने महिला मंच के पिछले 23 वर्षों में महिलाओं के व उत्तराखंडी समाज के जन मुद्दों पर मंच द्वारा समय-समय पर उठाए गए जन संघर्षों का इतिहास बातया।

उन्होंने स्थापना दिवस पर महिलाओं से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि जब तक राजसत्ता की ताकत को कमजोर कर के लोक सत्ता की ताकत को मजबूत नहीं किया जाएगा, तब तक महिला हित एवं आमजन के हितों का संरक्षण कोई भी सत्ता या व्यवस्था द्वारा नहीं किया जा सकता। इसीलिए जहां हम अब महिला हितों के लिए एकजुट होकर लड़ेंगे वहीं गांव व मोहल्ला सभा को अपने स्थानीय राजकाज को संचालन का पूर्ण अधिकार देने की लड़ाई को भी तेज करेंगे।

उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने हाथों स्वयं अपना राजकाज चलाने की ताकत हासिल करनी होगी। तभी वर्तमान भ्रष्ट व्यवस्था को हटाकर महिलाओं व आम लोगों को सामाजिक आर्थिक व राजनैतिक ताकत मिल सकती है व उनके जीवन में खुशहाली आ सकती है। महिला संसद की कार्यवाही में कुल 30 महिला संसद ने हिस्सा लिया। संसद के सभापति के रूप में कमला पंत ने सदन की कार्यवाही शुरु की। सदन में कुल 6 प्रस्तावों पर चर्चा की गई। सभागार में उपस्थित जन समुदाय से भी सुझाव और विचार मांगे गए, जिस पर लोगों ने अपनी बातें रखीं। सभी की सहमति के बाद पांच प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पारित किया गया।

संसद में बैठने वाली महिलाओं में भुवनेश्वरी कथैत, निर्मला बिष्ट, गीता गैरोला, शकुंतला गोसाई, आशा जुगरान, अनीता नौटियाल, किरण पुरोहित समेत कुल 30 महिलाएं बैठी थीं। संसद में महिला हिंसा एवं मुजफ्फरनगर कांड, महिला और राजनीति, महिला और शिक्षा, महिला और स्वास्थ्य, जल जंगल और जमीन के साथा अस्थाई राजधानी गैरसैंण पर चर्चा की गई। सभा के अंत में महिला मंच ने यह शपथ भी ली कि युवा आंदोलनकारियों द्वारा गैरसैंण के मुद्दे पर किये जाने वाले आंदोलन को मंच पूर्ण समर्थन देगा। सम्मेलन में लगभग सात सौ महिलाओं में हिस्सा लिया।

सीएम का कहीं हैप्पी बर्थडे तो कहीं मुर्दाबाद

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रुद्रपुर, कहीं हेप्पी बर्थ डे तो कहीं मुर्दाबाद हो रही थी सीएम साहब कि, कांग्रेस ने सीएम के जन्म दिन पर भी उनके मुर्दाबाद के नारे लगाना नहीं छोडा और उनका पुतला तक दहन कर दिया, कांग्रेसियों  ने  भाजपा सरकार द्वारा हिंदू संस्कृति के प्रमुख त्यौहारों करवा चौथ, गोवर्धन, भैया दूज, होलिका दहन व रक्षाबंधन आदि के घोषित अवकाशों को रद्द किए जाने के खिलाफ युवा कांग्रेसियों ने डीडी चौक पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत का पुतला दहन कर रोष व्यक्त किया। इससे पूर्व युवाओं ने मुख्यमंत्री मुर्दाबाद, भाजपा सरकार मुर्दाबाद के जोरदार नारे लगाए।

युवा कांग्रेस नेता सुशील गाबा ने कहा कि भाजपा ने अभी तक हिंदू धर्म का सबसे बड़ा नुक्सान किया है। भाजपा हिंदूहित की बात केवल कागजों में करती है, धरातल पर वह केवल हिंदुओं को मूर्ख बनाने व उनकी पीठ पर छुरा घोंपने का कार्य कर रही है। पहले राम मंदिर, फिर धारा 370 के बाद अब उत्तराखंड में हिंदू समाज के साथ धोखा करते हुए हिंदू संस्कृति के प्रमुख त्यौहारों करवा चौथ, गोवर्धन, भैया दूज, होलिका दहन व रक्षाबंधन आदि के घोषित अवकाशों को रद्द कर दिया गया है, जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

75 बाल भिक्षुओं का सुधरेगा जीवन

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काशीपुर। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल की टीम ने जनपद उधमसिंहनगर के विभिन्न शहरों में अभियान चलाकर 75 बाल भिक्षुकों को तलाश कर घरवालों की काउंसलिंग के बाद बाल भिक्षुकों को संस्था के सुपुर्द किया गया है। संस्था इनकी परवरिश करने के साथ ही सरकारी महकमों की मदद से इनके पुनर्वास, शिक्षा व उपचार आदि की व्यवस्था करेगी।

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पुलिस मुख्यालय ने राज्य भर में बाल भिक्षुकों को ढूंढकर उनको समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयास करने के निर्देश दिए हैं। इसे लेकर कुछ दिन पूर्व पुलिस अफसरों की शिक्षा, स्वास्थ्य, समाज कल्याण विभाग व बच्चों को पुर्नस्थापित करने में जुटी स्वयंसेवियों की संस्थाओं के साथ बैठक हुई। जिसके चलते जनपद उधमसिंहनगर में टीम गठित कर भिक्षा मांगने वाले बच्चों को ढूंढकर अन्य सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं से संपर्क कर शिक्षा, स्वास्थ्य, पुनर्वास की व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। सेल की टीम ने चेकिंग कर अब तक 75 बाल भिुक्षकों को ढूंढा है। इनके परिजनों की काउंसलिंग करने के साथ ही बाल कल्याण समिति के सम्मुख प्रस्तुत किया गया। सभी बच्चों को उचित देख-रेख के लिए स्वयंसेवी संस्था बाल आश्रम गृह(धरोहर) को सौंपा गया है।