न्यूनतम वेतनमान पर अभिलेखों के लिए मांगा समय

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नैनीताल, न्यूनतम वेतनमान के दांव पेंच को लेकर हाई कोर्ट की शरण में गये याचिकाकर्ताओ ने अभिलेख प्रस्तुत करने का समय मांगा तो कोर्ट ने फिलहाल राज्य सरकार को राहत दी है, वन विभाग के बसंत लाल समेत 200 कर्मचारियों ने याचिका दायर कर कहा था कि वह विभाग में चतुर्थ श्रेणी पद पर कार्यरत हैं, मगर उनको विभाग द्वारा न्यूनतम वेतनमान नहीं दिया जा रहा है, जो असंवैधानिक है। कोर्ट ने याचीगणों को न्यूनतम वेतनमान देने तथा एरियर का 12 फीसद ब्याज के साथ पहली जनवरी 2006 से सुप्रीम कोर्ट के पुत्तीलाल से संबंधित फैसले के आधार पर भुगतान करने के आदेश पारित किए थे।

वन विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को न्यूनतम वेतनमान देने के मामले में सरकार को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। याचिकाकर्ताओं ने न्यूनतम वेतनमान देने के पक्ष में और अभिलेख प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा है, तब तक याचीगण अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई नहीं करेंगे। एकलपीठ के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने 96 अपीलें दायर की। सरकार की ओर से सीएससी परेश त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि याचीगण स्वीकृत पद के सापेक्ष कार्यरत नहीं हैं, बहुत से याची आउट सोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से तैनात हैं, लिहाजा वह पुत्तीलाल से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले की परिधि से बाहर हैं।

सरकार ने कहा कि वन विभाग की ओर से समूह घ के लिए विनियमितीकरण के नियम बनाए। इसमें कहा गया था कि 27 जून 1991 से पहले सेवा में और वर्तमान में कार्यरत के नियमितीकरण पर विचार करने का निर्णय लिया था। याचीगण न तो पुत्तीलाल से संबंधित फैसले से आच्छादित हैं और न ही न्यूनतम वेतनमान से संबंधित चार जनवरी 2013 व 12 मार्च 2014 को जारी शासनादेश की परिधि में आते हैं, ना हीं इनके द्वारा शासनादेश को चुनौती दी गई है।