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कोहरा छटने के बाद शुरु हुई नाव से आवा-जाही

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ऋषिकेश, घने कोहरे के कारण नाव के संचालन पर तीन घंटे का ब्रेक लगा दिया। इससे पर्यटकों और स्थानीयों लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। कोहरा छटने के बाद नाव का संचालन शुरू होने पर ही लोग गंगा पार गए।  

रात से ही तीर्थनगरी घने कोहरे की चपेट में रही, स्वर्गाश्रम की तरफ से गंगा के दूसरे छोर पर सुबह कुछ नजर नहीं आ रहा था। ऐसे में गंगा नदी में सुबह आठ बजे जिन नाव का संचालन शुरू होता था वह कोहरे में विजिबिलिटी कम होने के कारण नहीं हो पाया। इससे नाव से गंगा पार जाने वाले पर्यटकों को निराश होना पड़ा। उन्हें मजबूरन पैदल ही रामझूला पुल से नदी पार करना पड़ा।

वहीं लोकल लोगों और स्कूल व कॉलेज जाने वाले छात्र-छात्रों को भी नाव के न चलने से परेशान होना पड़ा। सुबह 11 बजे कोहरा हटने पर नाव का संचालन हो सका। इसके बाद ही पर्यटकों और लोकल लोंगो ने राहत की सांस ली।

नाव संचालक केके कुकरेजा का कहना है कि, “घने कोहरे में नाविक नाव का सही से संचालन नहीं कर पाते हैं। ऐसे में पर्यटकों की सुरक्षा को खतरा रहता है। इसिलए नाव का संचालन तीन घंटे बंद रहा।”

मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा होने के कारण दबी जुबान से कटाक्ष कर रहे अफसर

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रुद्रपुर, एनएच 74 में हुए घोटाले में पीसीएस अफसरों के खिलाफ लगातार हो रही कार्रवाई को लेकर पीसीएस संवर्ग में कहीं न कहीं असंतोष है, लेकिन मामला भ्रष्टाचार का है इसलिए अफसर खुल कर नहीं बोल पा रहे हैं। हालांकि दबी जुबान से पीसीएस अफसर पुलिस कार्रवाई पर कटाक्ष कर रहे हैं।

एनएच 74 में तीन पीसीएस अफसरों की गिरफ्तारी के बाद अब चौथे पीसीएस अधिकारी की गिरफ्तारी के लिए कानून का शिकंजा कसे जाने के बाद पीसीएस संवर्ग के अधिकारी नाराज हैं। मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा होने के कारण कोई अधिकारी खुल कर विरोध नहीं कर रहा है, लेकिन दबी जुबान से वह पुलिस कार्रवाई पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं। कहीं न कहीं उनकी प्रतिक्रिया नाराजगी भरी है।

जिस वक्त मुकदमा दर्ज हुआ था तो किसी ने यह उम्मीद नहीं की थी कि एसआईटी इतनी बड़ी कार्रवाई करेगी। दरअसल, पीसीएस संवर्ग के अफसरों को यह लग रहा है कि जिस तरह मौका मिलने पर पुलिस पीसीएस अफसरों के साथ व्यवहार कर रही है वह गलत है। अनौपचारिक रूप से पीसीएस अफसर यह बोलने से भी पीछे नहीं है कि जांच के नाम पीसीएस अफसरों को अपमानित किया जा रहा है। हालांकि एसआईटी फूंक फूंक कर कदम रख रही है और साक्ष्य मिलने पर ही आरोपी पीसीएस अफसरों को गिरफ्तार कर रही है। चूंकि मुकदमे में एसआईटी को निष्पक्ष विवेचना करनी है इसलिए वह साक्ष्यों को नजरअंदाज भी नहीं कर सकती।

सशक्त और आत्मनिर्भर नारी ही कर सकती हैं श्रेष्ठ समाज का निर्माण: चिदानन्द

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ऋषिकेश, ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस परमार्थ निकेतन द्वारा महिलाओं को स्वस्थ एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिये प्रथम चरण में श्यामपुर, हरिद्वार में ’स्वच्छता शक्ति ब्रांड’ स्वच्छता (सेनेटरी) पैड बनाने का शुभारम्भ किया गया। उसी के अंतर्गत महिलाओं को स्वस्थ एवं सशक्त बनाने के लिये स्वच्छता पैड निर्माण सेन्टर का शुभारम्भ किया गया।

ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के अन्तर्गत ’विमेन फाॅर वाश’ कार्यक्रम के तहत श्यामपुर की महिलाओं को पहले स्वयं सहायता समूहों से जोड़ा गया। फिर उन्हें परमार्थ निकेतन द्वारा मासिक स्वच्छता, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पैड के उपयोग के विषय में प्रशिक्षण दिया गया।

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स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि, “शक्ति से तात्पर्य ताकत से है, इस नई पहल के माध्यम से हम अपने समुदाय की, राज्य की, राष्ट्र की माताओं, बहनों एवं बेटियों के लिए अधिक शक्तिपूर्ण जीवन एवं सशक्त भविष्य का निर्माण कर पहुंचेंगे।”

डिवाइन शक्ति फाउण्डेशन की अध्यक्ष एवं जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव डाॅ साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि, “स्वयं के द्वारा निर्मित उत्पादों से स्वयं के लिये बेहतर भविष्य का निर्माण करना गौरव की बात है। यह रोमांचक समय है जब हमारे देश की सीमित शिक्षा वाली बहनें और बेटियां अपनी स्वच्छता और आत्मनिर्भरता के लिये स्वयं खड़ी होकर देश की प्रगति को अपने हाथों स्वर्णिम अक्षरों में लिख रही है, इससे विकसित भारत का दृश्य परिलक्षित हो रहा है। अब माहवारी स्वच्छता के अभाव में हमारी बेटियों को स्कूल छोड़ना नहीं पड़ेगा।’”

स्थानीय स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष बचुली देवी ने कहा कि, “जब हमारी पंचायत में हमारी बहनें ही ये साफ-सुथरे और कम कीमत वाले पैड बनाकर बेचेंगी तो हमें और हमारी बेटियों और बहुओं को माहवारी से जुड़ी शर्म और असुविधा से छुटकारा मिल जायेगा।”

ग्लोबल इण्टरफेथ वाॅश एलायंस की कार्यक्र्रम व विकास निदेशक स्वामिनी आदित्यनन्दा सरस्वती ने कहा, “हर घर और गांव में यह खबर हो कि अब सभी बहनों और बेेटियों के लिये स्वच्छता क्रान्ति का समय है। एक अधिक स्वस्थ और खुशहाल विश्व के लिए महिलाओं द्वारा महिलाओं के लिए रची गयी इस नई पहल के जरिये सभी अकेलेपन, कलंक और कष्ट के सायों से उबर कर गर्व से खड़ी हो सकेंगी।” स्वच्छता शक्ति ब्रांड’ स्वच्छता (सेनेटरी) पैड के शुभारम्भ अवसर पर ग्रामप्रधान और अन्य ग्रामीण 

एसआईटी हासिल कर चुकी है गैरजमानती वारंट 

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रुद्रपुर, तकरीबन तीन सौ करोड़ रुपये के एनएच 74 मुआवजा घोटाले में एसआईटी अब पूर्व में गिरफ्तार निलंबित पीसीएस अफसर डीपी सिंह व भगत सिंह फोनिया के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए शासन से अनुमति मांगी जा चुकी है। उधर, निलंबित पीसीएस अफसर एनएस नगन्याल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होने के बाद अब एसआईटी उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रयासरत है। एनएच घोटाले में अभी चकबंदी विभाग के अफसरों की भी गिरफ्तारी होनी है, क्योंकि उन्होंने चकबंदी प्रक्रिया के अधीन आने वाले गांवों में जमीनों की प्रकृति को बदला है। यह बात तो एसआईटी की जांच से स्पष्ट भी हो चुकी है।

एसआईटी के सूत्रों ने बताया कि निलंबित पीसीएस अफसरों के खिलाफ एसआईटी आरोपपत्र दाखिल करने की तैयारी कर रही है। इसके लिए शासन से अनुमति मिलने का इंतजार है। एसआईटी निलंबित पीसीएस अधिकारी नगन्याल की भी तलाश कर रही है। उनके भूमिगत होने पर एसआईटी ने न्यायालय से गैरजमानती वारंट हासिल कर लिया है। गैर जमानती वारंट जारी होने के साथ ही एनएस नगन्याल की गिरफ्तारी होना तय हो गई है। एसआईटी अभी चकबंदी विभाग के अधिकारियों पर कानून का शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। यहां बता दें कि बाजपुर क्षेत्र के कई गांवों में चकबंदी प्रक्रिया चल रही है।

चकबंदी प्रक्रिया वाले इन गांवों में जमीनों का भू उपयोग 143 के जरिए बदलने का अधिकार एसडीएम को नहीं होता, मगर एसडीएम ने इन गांवों में भी 143 कर दी थी। चकबंदी विभाग के अधिकारियों ने अभिलेखों में जमीनों को अकृषि दर्ज कर दिया था। जिसके कारण किसानों ने कई गुना अधिक मुआवजा वसूल लिया। एसआईटी की विवेचना में चकबंदी विभाग के अधिकारी भी मुल्जिम बन रहे हैं। उनकी गिरफ्तारी होना भी तय माना जा रहा है। एसआईटी ने अभी तक काशीपुर, जसपुर व बाजपुर की जांच पूरी की है। सितारगंज तहसील क्षेत्र की जांच चल रही है। अभी गदरपुर, रुद्रपुर व किच्छा की जांच होनी बाकी है।

एसडीएम ने व्यापारियों को नाली के बाहर सामान सजाने पर दी कार्यवाही की चेतावनी

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रुद्रपुर, एसडीएम व नगर आयुक्त ने नगर निगम की टीम के साथ बाजार में दौरा करके व्यापारियों को नाली के बाहर सामान सजाने पर हिदायत दी तथा कल से चालान कराने की कार्यवाही शुरू करने की चेतावनी दी। साथ ही यह भी कहा कि यदि चालान से हालात नहीं सुधरे तो व्यापारियों का सामान जब्त कर लिया जाएगा। प्रशासनिक टीम ने व्यापारियों को अपनी दुकानों के आगे फड़ खोखे लगवाने से बाज आने को कहा।

गौरतलब है कि गत दिवस व्यापार मंडल की पहल पर बाजार की यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए बैठक हुई थी। जिसके तहत बुधवार को एसडीएम रोहित मीणा, नगर आयुक्त जयभारत सिंह व व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने बाजार का निरीक्षण किया। उन्होंने विधवानी मार्केट से लेकर पूरे बाजार में दुकानों के बाहर रखे सामान को अंदर रखने की हिदायत दी। साथ ही कहा कि कल से चालान प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यदि चालान के बाद भी व्यापारी नहीं मानें तो दुकानों के आगे रखा सामान नगर निगम की टीम जब्त कर लेगी। उन्होंने फड़ व ठेले हटाने के निर्देश दिए। खासतौर पर गुड़ मंडी के समीप लगे ठेले प्रशासन ने हटवा दिए। वहां साफ सफाई की व्यवस्था को दुरुस्त रखने की हिदायत दी।

जमीन के कागज निकलवाने आये व्यक्ति को लेखपाल ने सुनाई खरी खोटी 

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काशीपुर; एक व्यक्ति को तहसील के पटवारी से अपनी जमीन की जानकारी लेना उस वक्त भरी पद गया जब तहसील के पटवारी में उसे जमकर खरी खोटी सुना दी और मारने की धमकी दी।
बता दे कि ग्राम गंगापुर निवासी भगवान सिंह पुत्र खालसा सिंह अपनी ग्राम क्षेत्र बसंई की जानकारी लेने के लिए काशीपुर तहसील में आया था। जहां भगवान सिंह जमीन की जानकारी लेने के लिए लेखपाल राजीव चैहान सिंह मिला। भगवान सिंह ने जमीन सम्बन्धि खसरा और खाता संख्या लेखपाल से मांगी तो लेखपाल राजीव कुमार ने काम करने से मना कर दिया। जिसके बाद भगवान सिंह ने पुनः लेखपाल से बात की तो लेखपाल राजीव चैहान ने उसे जमकर खरी खोटी सुना दी और कार्यालय से जाने तक की बात कह दी। जिसके उपरांत लेखपाल राजीव चैहान ने कार्यालय में रखी अलमारी के पीछे से लोहे की रोड निकाली और मारने का प्रयास किया।

भगवान सिंह ने मामले की जानकारी तहसीलदार संजय सिंह को दी। सूचना मिलते ही तहसीलदार संजय सिंह मौके पर पहुंच गए और मामले की जानकारी ली। जिसके उपरांत भगवान सिंह ने तहसीलदार संजय सिंह को मामले से अवगत कराया और लेखपाल के विरुद्ध ज्ञापन देकर उचित कार्यवाही करने की मांग की। तहसीलदार संजय सिंह ने कहा कि मामले की जांच की जाएगी और मामले में जो भी आरोपि पाया जाएगा उसके विरुद्ध कार्यवाही अमल में लाई जाएगी।

पाकिस्तान भेजे जाने के डर में क्यों जी रहा है एक हिंदुस्तानी?

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(उधमसिंह नगर), भारत और पाकिस्तान के विभाजन का दर्द लाखों लोगों ने सहा, और विभाजन के दर्द की कड़वाहट आज भी लोगों के जहन में है। इस विभाजन से देश की सीमाएं बनी तो हर किसी ने इसकी मार झेली सबका काफी कुछ लुट गया। एेसे ही विभाजन की मार झेल रहे 85 साल के बुजुर्द नन्द किशोर उर्फ हसमत अली की दास्तां सुनकर आप की आंखे भर आयेंगी। नंद किशोर अपने ही देश में अपनी पहचान तलाश रहे हैं, और हर दिन इस दर्द के साथ जीते है की कहीं उन्हे पाकिस्तान ना भेज दिया जाए। मगर उम्र के अंतिम पड़ाव पर इनकी यही ख्वाहीश है कि अंतिम सांसे लूं तो अपने जन्म स्थान में। देश के विभाजन की मार झेल रहे नन्द किशोर उर्फ हसमत अली की क्या है पुरी दास्तां आपको बताते हैं।

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सरहदों पर लकीर खींच दी गयी और भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, इस बंटवारे में देश के दो टुकडे तो हुए मगर मां से एक बेटा भी अलग हुआ, जो महज आठ साल का था। विभाजन के बाद पुरा परिवार भारत में रह गया और आठ साल का नन्द किशोर पाकिस्तान में ही रह गया, जो एक जमींदार के घर पर काम करते हुए बड़ा हुआ। सत्रह साल की उम्र में अपने वतन लौटने की हसरत हुई तो नन्द किशोर तब तक हसमत अली बन चुके थे, पाकिस्तान से हसमत अली के नाम के पास्पोर्ट और वीजा लेक र वो भारत पहुंचे और अपने परिवार से मिले। अपने वतन पहुंच कर नन्द किशोर ने अपना दाम्पत्य जीवन शुरु किया और आज उनके चार बेटे है जिन सबकी शादी भी हो गयी है। नाती पोतों से भरे परिवार में नन्द किशोर अपना जीवन यापन कर रहे हैं, नन्द किशोर उधमसिंह नगर के नारायण पुर गांव में कई सालों से रहते हैं, मगर उन्हे अपने ही देश में रहने के लिए हर साल अनुमति लेनी पड़ती है, हर दिन उनको यही गम सताता है कि कहीं उन्हे पाकिस्तान ना भेज दिया जाए।

17 साल की उम्र में नन्द किशोर अपने देश लौटे, वतन लौटने के बाद उनकी पहचान भारतीय नहीं बल्कि पाकिस्तानी के रुप मे बन गयी, जिनको अपने ही देश में रहने के लिए हर साल पास्पोर्ट की अवधि बढानी पडती थी। लेकिन विदेश मंत्रालय हर बार उनको पाकिस्तान भेजने के लिए पैरवी करता था, एक बार तो उनको पाकिस्तान भेज भी दिया गया था मगर अटारी बोर्डर से ही उन्हे वापस घर भेज दिया गया था। उनके परिवार के लोगों का दर्द इसी बात से झलकता है कि उनके पिता या दादा एक पाकिस्तानी बन कर ही मर जाएंगे, जो आज भी पुलिस के रिकोर्ड में पाकिस्तानी के रुप में दर्ज है।

वर्ष 2008 में नन्द किशोर के मामले में कोई सुनवायी नहीं हुई और उनको पाकिस्तान भेजने की तैयारी कर दी गयी मगर उनकी शारीरिक अवस्था और उम्र को देखते हुए कोई कार्यवाही नहीं की गयी, जबकि उनका हर साल रिकोर्ड मिनीस्ट्री को भेजा जाता है जो पुरी तरह से सही है।
अपने ही देश मे परदेशी बनकर 65 सालों से एक 85 साल का बुजुर्ग अपनी पहचान साबित कर थक चुका है। देश का विभाजन क्या हुआ कि नंद किशोर की पहचान ही बदल गयी। हर दिन यही गम सताता है कि कही उनको पाकिस्तान ने भेज दिया जाए। वही उनका परिवार भी यही चाहता है उनके पिता एक भारतीय बनकर ही इसी देशमे अपनी अंतिम सांसें ले। मगर सरकारी फाइलों अौर पुलिस रिकॉर्ड हमेशा ही नंद किशोर को पाकिस्तानी होने का एहसास कराते हैं।

बीजेपी ने जनता दरबार का पता बदला

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देहरादून। राज्य में बीजेपी की सरकार आने के बाद सीएम रावत ने जनता दरबार लगाने का फैसला किया। दूर-दराज़ से लोग अपनी समस्याएं लेकर सीएम के पास आने लगे, बीजेपी ने जनता दरबार के फैसले में थोड़ा सा बदलाव करने का निर्णय किया है। देहरादून में पार्टी के मुख्यालय पर जनता दरबार आयोजित करने के फैसले में बदलाव करते हुए अब जनता दरबार सभी जिलों के पार्टी मुख्यालयों और तहसील कार्यालयों (सरकार से संबंधित पार्टी से नहीं) पर करने का फैसला किया है।हालांकि बीजेपी के इस फैसले की वजह को कांग्रेस के मुताबिक बीते दिनों हुए ट्रांसपोर्टर प्रकाश पांडे की मौत और कांग्रेस के जनता दरबार का विरोध कहा जा रहा है।

बीते दिनों बीजेपी पार्टी मुख्यालय पर मंत्री सुबोध उनियाल के जनता दरबार में हल्द्वानी से आए फरियादी प्रकाश पांडे ने ज़हर खा लिया था जिसके कारण उनकी मौत हो गई।हालांकि इस बारे में कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र अग्रवाल से टीम न्यूजपोस्ट से हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि, ”जनता दरबार लगाने का मतलब है लोगों की समस्याओं को सुनना और उसका समाधान ढ़ूंढना और अगर ऐसा नहीं होता है तो जनता दरबार का कोई फायदा नहीं है।अग्रवाल ने कहा कि. “ट्रांसपोर्टर प्रकाश पांडे की मौत से एक बात तो साफ है कि जनता बीजेपी के जनता दरबार से खुश नहीं है क्योंकि उनके जैसे बहुत से फरियादी अपनी समस्याएं लेकर आते हैं और समाधान ना होने पर उन्हें कठोर कदम उठाने पड़ते हैं।सुरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि, “जनता दरबार का फायदा तभी है जब असल में लोगों की समस्याओं का समाधान हो वह चाहें देहरादून के कार्यालय में हो अलग-अलग जिलों में हो।”

वहीं बीजेपी के मीडिया प्रवक्ता डॉ.देवेंद्र भसीन ने कहा कि, ”पार्टी इस योजना पर काम कर रही है ताकि यह व्यवस्था डिसेंट्रलाइज हो सके।राज्य के कोने-कोने से आने वाले लोगों को कम परेशानी हो इसलिए यह व्यवस्था हर जिले में होना बेहतर है।जनता दरबार का मतलब है जनता के पास और अगर जनता दरबार सभी जिलों में होंगे तो सरकार खुद जनता के पास जाएगी उनकी समस्याएं सुनने।उन्होंने कहा कि जनता दरबार के माध्यम से खुद सरकार जनता के द्वार पहुंचेगी।”

डॉ.भसीन से यह पूछने पर कि यह फैसला प्रकाश पांडे की मौत के वजह से तो नहीं लिया गया? इसपर उनका कहना था कि, ”यह योजना काफी पहले से बनाई जा रही थी इसमें किसी की मौत का ताल्लुक नहीं है।इसके लिए शेड्यूल बनाया जाएगा कि किस तारीख को कौन से जिले में जनता दरबार लगाया जाएगा।”

इस बात की पुष्टि करते हुए राज्य पार्टी अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि, “य़ह फैसला अब प्रोसेस में हैं जब मुख्यमंत्री अलग-अलग जिलों में जनता दरबार लगा सकते हैं तो मंत्री भी लगाऐंगे।इस फैसले से जनता को अपनी परेशानियां लेकर राजधानी देहरादून नहीं आना पड़ेगा बल्कि उनके जिले में ही उनकी समस्या का निस्तारण किया जाएगा।”

सभी जनपदों के लिए कुटुंब पेंशन स्वीकृतः सीएस

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देहरादून। स्वतंत्रता सेनानियों के आश्रितों और उत्तराधिकारियों को दी जाने वाली कुटुंब पेंशन सभी जनपदों के लिए स्वीकृत की जा रही है। मुख्य सचिव ने इस संबंध में वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से जिलाधिकारियों से जानकारी दी।

मंगलवार को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं उत्तराधिकारी संगठन के साथ संगठन की विभिन्न प्रकरणों के संबंध में मुख्य सचिव उत्पल कुमार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई।
बैठक में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के प्रथम पीढ़ी के उत्तराधिकारियों को अनुमन्य कुटुम्ब पेंशन की स्वीकृति के संबंध में सभी जिलाधिकारियों से वीडियोंकांफ्रेंसिंग के माध्यम से जानकारी प्राप्त की गई। समस्त जनपदों में कुटुम्ब पेंशन स्वीकृत की जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, मृत स्वतंत्रता संग्रम सेनानी की विधवाओं को एक सहायक के साथ वोल्वो बसों में निःशुल्क यात्रा सुविधा प्रदान की गई है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सदन के निर्माण के लिए देहरादून में चिह्नित भूमि के बाउन्ड्रीवाल का आगणन जिलाधिकारी द्वारा तैयार कराकर मसूरी-देहरादून प्राधिकरण को निर्माण कार्य कराये जाने के लिए प्रेषित किया गया है। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आवासहीन स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं प्रथम पीढ़ी के उत्तराधिकारी को भवन निर्माण के लिए भूमि आवंटन करने के सम्बंध में मानक निर्धारित करते हुए शासनादेश निर्गत करने की कार्यवाही की जाएगी।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पौत्र/पौत्री के समान ही उनके धेवती को भी राज्याधीन सेवाओं में आरक्षण दिये जाने के संबंध में कार्मिक विभाग द्वारा शीघ्र निर्णय लिया जायेगा।
सभी जनपदों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों के परिचय पत्र शासनादेश दिनांक 18 अगस्त, 2017 द्वारा निर्धारित नये फारमेट में निर्गत करने के निर्देश समस्त जिलाधिकारियों को दिए गए है। संगठन के पदाधिकारियों द्वारा कतिपय अन्य बिन्दुओं यथा विदेशों में रहने वाले प्रथम पीढ़ी के उत्तराधिकारियों को कुटुम्ब पेंशन दिए जाने, परिचय पत्र के आधार पर सरकारी गेस्ट हाउसों में ठहरने की सुविधा दिये जाने, परिवहन निगम की बसों में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रितों को ऑनलाइन बुकिंग की सुविधा दिए जाने, बैठक में वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री आनन्द सिंह बिष्ट जी के पैतृक आवास, ग्राम पस्तौडा रानीखेत, जिला अल्मोड़ा में हैण्डपम्प लगाये जाने का अनुरोध किया गया। बैठक में प्रमुख सचिव आनंदबर्द्धन, अपर सचिव धर्मेन्द्र सिंह, जिलाधिकारी देहरादून एसए मुरुगेशन तथा संगठन की ओर से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आनन्द सिंह बिष्ट, अध्यक्ष अनूप सिंह, प्रदेश महामंत्री भद्रसेन नेगी, संगठन के संरक्षक रणजीत सिंह वर्मा आदि उपस्थित थे।

रेरा में पहुंची एमडीडीए की शिकायत

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देहरादून। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) में पांच मामलों में सुनवाई की गई, जिसमें एक प्रकरण एमडीडीए की ट्रांसपोर्ट नगर में निर्माणाधीन आवासीय परियोजना से भी जुड़ा है। शिकायत में कहा गया है कि प्राधिकरण ने समय पर कब्जा नहीं दिया।

मंगलवार को हुई सुनवाई में एमडीडीए के खिलाफ की गई शिकायत में शिकायतकर्ता अभिमन्यु गुप्ता ने कहा कि उन्होंने ट्रांसपोर्ट नगर की परियोजना में एचआइजी फ्लैट बुक कराया था। एमडीडीए ने नवंबर 2017 में फ्लैट का कब्जा देने की बात कही थी, जबकि उन्हें अब तक कब्जा नहीं मिल पाया है। हालांकि एमडीडीए का कहना है कि अनुबंध के मुताबिक कब्जा देने की अवधि अभी शेष है। इस मामले में एमडीडीए के उपाध्यक्ष डॉ. आशीष श्रीवास्तव का कहना है कि प्रोजेक्ट अभी पूरा नहीं हो पाया है और वैसे भी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए रेरा में आवेदन किया गया है। वहीं, दूसरी शिकायत पनाष वैली को लेकर थी और इसमें शिकायतकर्ता सतीश मंगल ने भी अनुबंध के अनुसार कब्जा देने में विलंब का मामला उठाया है। तीसरा प्रकरण वीर कंस्ट्रक्शन से जुड़ा है और यह शिकायत निवेशक विरेंद्र सिंह रावत की ओर से दर्ज कराई गई है। इस मामले में भी समय पर कब्जा न देने का मुद्दा उठाया गया। जबकि दो शिकायतें झाझरा स्थित नेवल हाउसिंग सोसाइटी को लेकर दर्ज की गई हैं। शिकायतकर्ता लक्ष्मण दत्त जोशी व पीसी पंत ने निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए गए हैं। सभी प्रकरणों पर उडा के संयुक्त मुख्य प्रशासन गिरधारी सिंह रावत ने सुनवाई की। हालांकि अभी किसी भी मामले में निर्णय नहीं हो पाया है। अब सुनवाई की अगली तिथि 30 जनवरी तय की गई है।