राज्य चुनाव आयोग ने बुधवार को उम्मीदवारों के लिए प्रचार के लिए व्यय सीमा को दोगुना किया, जो उत्तराखंड में आगामी नागरिक चुनाव लड़ना चाहते हैं। राज्य में 92 शहरी स्थानीय निकाय हैं, जिनमें से 86 में अप्रैल के महीने में चुनाव होने वाला है।
राज्य में पिछला स्थानीय निकाय चुनाव अप्रैल 2013 में हुआ था। बुधवार को चुनाव आयोग द्वारा जारी पत्र के अनुसार,
नगर निगमों में महापौरों की उम्मीदवारों की सीमा 8 लाख से बढ़ाकर 16 लाख कर दी गई है।
डिप्टी मेयर के पद के लिए,1 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दी गई है।
नगरसेवक के लिए यह सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दी गई है।
नगरपालिका परिषदों के लिए, चेयरमैन के लिये उम्मीदवार अब 3 लाख की जगह 6 लाख तक खर्च कर सकते हैं।
नगर निगम परिषदों में वार्ड सदस्यों के लिए चुनाव लड़ने वाले लोग 30,000 की पिछली सीमा के मुकाबले 60,000 तक खर्च कर सकते हैं।
नगर पंचायतों में
अध्यक्ष पद के लिए 1 लाख की सीमा को बढ़ाकर 2 लाख कर दिया गया है।
वार्ड सदस्यों के लिए, सीमा 15,000 से बढ़ाकर 30,000 कर दी गई है।
गौरतलब है कि 5 जनवरी को चुनाव आयोग द्वारा बुलाई गई सर्व पार्टी बैठक में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने मांग की थी कि विभिन्न उम्मीदवारों के लिए अधिकतम व्यय सीमा में वृद्धि होनी चाहिये।
रामनगर वन क्षेत्र में एक व्यस्क बाघ की लाश मिलने से हड़कंप मच गया है। रामनगर वन विभाग में वन अधिकारियों की एक टीम को बाघ की लाश मिली। अधिकारियों के मुताबिक शव एक पेड़ से लटका पाया गया था, औऱ शव के अंदर एक टहनी भी घुसी पाई गई। वन कर्मचारियों ने कहा कि यह संभवतः एक आकस्मिक मृत्यु है और शिकारी की कोई भूमिका नहीं लग रही।
उत्तराखंड में पिछले साल कुल 15 बाघों की मौत हुई, जिनमें से सात कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के थे। रामनगर डिवीजन के डिवीजनल फॉरेस्ट ऑफीसर (डीएफओ) नेहा वर्मा ने कहा, “सोमवार की शाम को यह शव देखा गया था। बाघ के विषाणु और पेट के हिस्सों को विश्व वन्यजीव संस्थान, देहरादून और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली टेस्ट के लिये भेज दिया गया है।”
डीएफओ ने कहा कि बाघ के शरीर के अंग, दांतों और आंखों सहित, बरकरार थे, जिससे शिकारी की भूमिका से इंकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा, “शव मिलने की जगह के आस पास लड़ाई के निशान दिखे हैं जिससे यह दो बाघों में हुे संघर्ष का मामला भी हो सकता है।” पोस्टमार्टम दो डॉक्टरों की एक टीम द्वारा किया गया और इसकी रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। डॉक्टरों ने कहा कि बाघ स्वस्थ था, बिना किसी बीमारी या संक्रमण या किसी कमजोरी का कोई लक्षण नहीं दिखा।
अपनी तरह की पहली घटना में पुलिस ने मसूरी के प्रसिद्ध लाल बहादुर शास्त्री अकादमी के दो कर्मचारियों को प्रतिबंधित नशीले पदार्थों के साथ पकड़ा है। ये दोनों ही अकादमी जूनियर लेवल पर अस्थाई कर्मचारी हैं। इन दोनों के पास से पुलिस को करीब 166 ग्राम चरस बरामद हुई।
पकड़े गये दोनों में से विनय अकादमी की मेस में वेटर का काम करता है वहीं दूसरा शख्स देव सिंह सिक्योरिटी गार्ड का काम करता है। गौरतलब है कि ये वही देव सिंह है जिसे एकादमी के ही चर्चित रूबी चौधरी कांड में एक आरोपी बनाया गया था। इस कांड में रूबी चौधरी नाम कि महिला को अकादमी गैर कानूनी तरह से कई महीनों तक रहते हुए पकड़ा गया था।
मसूरी पुलिस ने एक सूचना के आधार पर इन दोनो को मसूरी कैंप्टी रोड पर जीरो प्वाइंट से पकड़ा। चरस के साथ साथ पुलिस ने इन दोनों द्वारा इस्तेमाल की जा रही मोटर साइकिल को भी जब्त कर लिया है। इन दोनों से ही पुलिस की पूछताछ जारी है और पुलिस ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इनके साथ इस धंधे में और कौन कौन शामिल है।
एसएचओ मसूरी भावना कैंथोला ने बताया कि “मसूरी को नशा मुक्त बनाने के लिये पुलिस ने अभियान चला रखा है। इस अभियान की यो तो केवल शुरुआत है।आने वाले दिनों में शहर में सक्रिय नशे के कारोबारियों पर पुलिस अपना शिकंजा और कसेगी।”
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार देव सिंह ये नशीले पदार्थ लाखामंडल से अपने खुद के इस्तेमाल के लिये लाया था। वहीं विनय के मुताबिक वो देव सिंह के साथ सैर सपाटे के मकसद से गया था और उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि देव सिंह के पास इस तरह के पदार्थ हैं।
पुलिस को हांलाकि उम्मीद है कि दोने से और पूछताछ करने पर नसे के कारोबार से जुड़ी और जानकारियां मिल सकेंगी।
अपने चाहने वाले और कला प्रेमियों के बीच सरू के नाम से पहचाने जाने वाली पेंटर सरोजिनी डबराल अपनी कला से अपने उत्तराखंड प्रेम को लोगों के बीच लाती रहती हैं। सरू सादी के बाद ज़रूर मुंबई शिफ्ट हो गई हैं पर उत्तराीखंड के लिये ुनका प्यार रंगों का रूप लेकर उनकी पेंजिग में झलकता रहता है।
सरू टिहरी के चमरोली गांव की हैं औऱ उनकी परवरिश दिल्ली में हुई है। सरू ने अपने करियर की शुरुआत दिल्ली में फैशन डिजाइनर के तौर पर की लेकिन पेंटिंग के प्रति उनके बचपन के प्यार ने उन्हें आखिरकार एक पेशेवर पेंटर बना दिया। गौरतलब है कि सरू ने कभी पेंटिंग की ट्रेनिंग नहीं ली है बल्कि 2010 से शौकिया ऑयल पेंट, ऐक्रेलिक और टर कलर्स से वो खुद पेंटिग करती आ रही हैं।
सरू कहती हैं कि “मेरा प्रकृति, बच्चों, महिलाओं और इमारतों के प्रति काफी रुझान है लेकिन किसी भी अच्छे विचार से मुझे प्रेरणा मिलती है। यहीं कारण है कि सरू की अधिक्तर पेंटिग्स में हमें पहाड़ औऱ खासतौर पर उत्तराखंड की झलक मिलती है।”
सरू अपने परिवार और काम के बीच समन्वय बिठाने में भी कामयाब हैं। वो कहती हैं कि “अगर आप किसी चीज के प्रति लगन से काम कर रहैं तो बाकी सब चीज़ें खुद ब खुद रास्ते पर आ जाती हैं।”
सरू इसी बात पर अमस करती आ रही हैं। अपने पेंटिग के सौक को उन्होने नहीं चोड़ा है और वो कहती हैं कि “इतने सालों की मेहनत और प्रैक्टिस के बाद मुझमें विश्वास आया है कि मै इस कला में और महारत और नई नई चीज़े कर सकती हूं।”
न्यूजपोस्ट की तरफ से इस युवा कलाकार को ढेरों बधाईयां।
कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ), देहरादून के वरिष्ठ अधिकारियों ने मंगलवार को छापे के बाद एक निजी कंपनी की चल संपत्ति जब्त कर ली। इस कंपनी पर आरोप है कि वो विभाग के कई नोटिस के बावजूद पीएफ मानकों का पालन करने में नाकाम रही थी।
अधिकारियों ने एक कार और कंपनी की कई मशीनरी जब्त की। फर्म के पास कर्मचारियों के पीएफ का 22.47 लाख रुपये बकाया है। गौरतलब है कि ये रकम कंपनी पर पिछले तीन साल से अधिक समय से बकाया है। बार-बार नोटिस के बावजूद फर्म ने पैसे जमा नहीं कराया। ईपीएफ के आयुक्त मनोज यादव ने कहा, “फर्म ने पिछले तीन वर्षों में अपने पीएफ योगदान और उसके कर्मचारियों की रकम भी जमा नहीं की।” मंगलवार की दोपहर, ईपीएफ अधिकारियों की एक टीम ने कंपनी के परिसर में छापा मारा। यादव ने कहा, “हमारी टीम ने एक कार और संयंत्र मशीनरी संलग्न की है। अब, फर्म के मालिकों को कोई भी काम करने से पहले विभाग में रकम जमाकर एनओसी लेनी पड़ेगी। हाल ही में, ईपीएफ देहरादून कार्यालय ने गुरुकुल कांगड़ी फार्मेसी के बैंक खातों को एक करोड़ की पीएफ देनदारी के चलते सीज़ कर दिया था।
देहरादून, समाजसेवी अन्ना हजारे ने एक बार फिर से जनता की अदालत में जाने का मन बनाया है। अन्ना हजारे जन लोकपाल लोकायुक्त की नियुक्ति आदि मांगों को लेकर 23 मार्च को दिल्ली में एक बड़ा आन्दोलन करेंगे। इसके लिए वह पूरे देश में अपना संगठन बना रहे है, इतना ही नहीं अगले माह पांच फरवरी को दिल्ली में उनके संगठन के कार्यालय का उद्घाटन होना है।
उत्तराखंड टीम अन्ना हजारे के समन्वयक भोपाल सिंह ने उत्तराचंल प्रेस क्लब में मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि, “दो माह पूर्व अन्ना ने अपने गांव रालेगन सिद्धि में कार्यकर्ताओं की बैठक के दौरान यह ऐलान किया था। अन्ना का कहना है कि मतपत्रों व ईवीएम मशीनों में प्रत्याशियों का फोटो लगा हो एवं उस फोटो को देखकर ही जनता अपना प्रतिनिधि चुने।” भोपाल सिंह ने बताया कि अन्ना हजारे ने कहा है कि यह आन्दोलनउनके जीवन का शायद आखिरी अनशन होगा।
भोपाल सिंह ने अन्ना का हवाले से कहा कि, “जो भीसत्ता में आ रही है वही सरकार किसानों एवं आम जनता से धोखा कर रही है। बेमतलब के कानून बनाकर जनता को परेशान कर रही है। पक्ष् पार्टियां चुनाव निशान का सिंबल देकर भ्रष्टाचारी, माफियाओं, गुंडों को देश के पवित्र मंदिरों (सदनों) में भेज रही हैं। इसलिए यह चुनाव के निशान और सिंबल समाप्त होने चाहिए।” फोटो के आधार पर ही चुनाव होना चाहिए।
सरकारों पर दबाव बनाने के लिए अन्ना पूरे देश में पहली बार अपना संगठन बनाने जा रहे हैं जिस की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। दिल्ली में 5 फरवरी को कार्यालय खोल दिया जाएगा। देश के सभी राज्यों में कोर कमेटी बनाई जाएंगी, ग्राम स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पूरे देश में संगठन खड़ा किया जाएगा।
इस परिपेक्ष में अन्ना उत्तराखंड भ्रमण पर भी आ रहे हैं अन्ना 13 फरवरी को सायं 7:00 बजे जॉली ग्रांट हवाई अड्डे पर पहुंचेंगे 14 को 8 बजे श्रीनगर के लिए प्रस्थान करेंगे व 12:00 बजे श्रीनगर में जनसभा को संबोधित करेंगे। 2:00 बजे टिहरी को प्रस्थान करेंगे, रात्रि विश्राम टिहरी में होगा। उसके बाद 15 फरवरी को टिहरी से जनसभा करेंगे। और शाम को दिल्ली के लिए रवाना हो जाएंगे।
नई दिल्ली, राष्ट्रपति भवन का मुगल गार्डन इस वर्ष 6 फरवरी से आम लोगों के लिए खुलेगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 5 फरवरी को राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन का उद्घाटन करेंगे।
राष्ट्रपति सचिवालय ने एक विज्ञप्ति में बताया कि राष्ट्रपति भवन ने तय किया है कि इस बार मुगल गार्डन 6 फरवरी से 11 मार्च तक जनता के लिए खुला रहेगा। राष्ट्रपति द्वारा मुगल गार्डन का उद्धाटन करने से एक दिन पूर्व अर्थात 4 फरवरी को मीडिया से जुड़े लोगों को मुगल गार्डन के पूर्वावलोकन के लिए आमंत्रित किया गया है।
मुगल गार्डन में विश्व के रंग-बिरंगे फूलों की छंटा देखने को मिलती है। हर वर्ष फरवरी- मार्च माह में यह अाम जनता के दर्शनार्थ खोला जाता है। नियमित रूप से बड़ी संख्या में लोग इसे देखने आते हैं।
‘चलो पहाड़’ दो मिनट का यह विडिया इन दिनों सोशल मीडिया फेसबुक पर खुब पसंद किया जा रहा है।विडियो को बनाने वाले 21 साल के संदीप रतूड़ी देहरादून के रहने वाले हैं और फिलहाल संदीप हैदराबाद से फिल्म मेकिंग की पढ़ाई कर रहे हैं और उसके साथ डायरेक्शन,एक्टिंग,एडिटिंग और फिल्मेकर भी है।
दून के निवासी का बनाया विडियो ‘चलो पहाड़’ एक छोटा सा विडियो है लेकिन वह अपने आप में एक बहुत बड़ी कहानी कहता है।सोशल मीडिया पर मशहूर विडियो की खास बात है यह कि इसको फोन से शूट किया गया है और बाद में इसमें एडिटिंग कर इसमे बैंकग्राउंड म्यूज़िक लगाया गया है। संदीप रतूड़ी दून इंटरनेशनल स्कूल के पढ़े हुए हैं और आजकल वह हैदराबाद से फिल्म की बारिकियां सीख रहे हैं।
इस विडियो को उत्तराखंड के लोगों से खासी सराहना मिल रही है और केवल दो-तीन दिन में ही इस विडियो ने हजारों व्यू और लाइक्स अपने नाम कर लिए हैं। इस विडियो के बारे में न्यूजपोस्ट से बातचीत में संदीप ने बताया कि, “यू तो मैं अपनी पढ़ाई के लिए अपने घर से दूर हूं लेकिन दिल मेरा पहाड़ों में बसता है और जब भी मुझे समय लगता हैं मैं पहाड़ों में समय बिताना पसंद करता हूं।संदीप बताते हैं कि सर्दियों की छुट्टियां बिताने मैं लगभग दस साल बाद अपने नानी के घर जा रहा था जब मैने अपने फोन से छोटे-छोटे शॉट शूट किए।संदीप ने कहा कि मुझे नहीं पता था कि मैं इन विडियो का क्या करुंगा लेकिन मुझे शूट करना पसंद है तो बस मैं करता गया। ‘चलो पहाड़’ के बारे में संदीप कहते हैं कि, “यह एक बीस साल के लड़के की कहानी है जो एक दशक के बाद अपने गांव जाता हैं जहां लोग उसका स्वागत दिल खोल कर करते हैं।इस सफर को तय करते हुए वह अपनी बचपन की यादें ताज़ा करता हैं और बीच-बीच में लोगों से मिलता है जो लोग बहुत ही प्यार और सम्मान से उसका स्वागत करते हैं।
संदीप कहते हैं कि, “मुझे सच मे कोई आइडिया नहीं था कि मैं क्या करुंगा शायद इसलिए मैं अपने फोन से ही शूट करता रहा और बाद में एडिट करके फेसबुक पर लगाया।”
आपको बतादें कि इस विडियो की खास बात है लोगों का भाव जिस भाव से हर कोई संदीप का स्वागत कर रहा है वह वाकई बहुत निर्मल है और जो कोई भी अपने गांव सालों से नहीं गया उसे झकझोर देने वाला है।इस विडियो को शूट करने वाला रास्ता चारीगढ़ है जो चमियाल टिहरी गढ़वाल में आता है, जहां आज से दस साल पहले तक पहुंचने का कोई साधन नहीं था।इस विडियो के माध्यम से एक संदेश मिलता है कि अगर आप बहुत व्यस्त हैं और अपनी जिंदगी शहर में गुज़ार रहे हैं तो एक बार जरुर पहाड़ जाए, अपने गांव जाए, जहां आज भी कुछ नहीं बदला है। वहीं भाव,वही प्यार हर कोई उतना ही निर्मल है जितना पहले था।
संदीप फिल्ममेकर होने के साथ-साथ एक थिएटर आर्टिस्ट भी हैं।संदीप कहते हैं कि, “हमारे देहरादून में थियेटर की कमी है,टैलेंट से भरा हुआ है शहर लेकिन थियेटर या कोई माध्यम ना होने की वजह से युवाओं को शहर छोड़ दिल्ली,हैदराबाद और दूसरे शहरों में जाना पड़ता है। संदीप उत्तराखंड में थिएटर और फिल्मों के माध्यम से लोगों को जागरुक करना चाहते हैं और साथ ही गढ़वाली सिनेमा को एक परफेक्शन के साथ लोगों के सामने लाना चाहते है।संदीप कहते हैं, “जिस तरह मुझे अपने शहर को छोड़ कहीं और से थिएटर की शिक्षा लेेनी पड़ी वैसा ना हो इसलिए मैं अपना थिएटर शुरु करना चाहता हूं जिससे लोग अपने घर और शहर में रह कर थिएटर और फिल्म की बारिकियां सीख सकें।संदीप हर किसी को यह संदेश देना चाहते हैं कि अगर आप सच में कुछ करना चाहते हैं तो इसके लिए बड़े कैमरे और इंस्ट्रूमेंट की जरुरत नहीं हैं आपको फोन आपके संदेश को पहुंचाने के लिए काफी है।”
‘चलो पहाड़’ हर एक ऐसे युवा की कहानी है जो सालों से अपने घर अपने गांव पहाड़ नहीं गया और इस विडियो को देखकर एक बाऱ फिर से उसके अंदर अपने पहाड़ जाने की लालसा पैदा हो जाती है।
नई दिल्ली, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महान संत कवि गुरु रविदास की समानता, एकता और सामाजिक सौहार्द की शिक्षा और संदेश को आज भी प्रासंगिक बताते हुए देशवासियों को उनकी जयंती की शुभकामनाएं दी हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जारी शुभकामना संदेश में कहा कि सभी देशवासियों को गुरु रविदास जयंती की शुभकामनाएं। समानता, एकता और सामाजिक सौहार्द की उनकी शिक्षा और सन्देश देश को प्रेरणा देते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा ‘गुरु रविदास जी की जयंती पर उन्हें नमन करता हूं। गुरु रविदास जी हमारी भूमि पर जन्मे सबसे महान संतों में से एक थे। वह समानता, न्यायोचित व दयालुपूर्ण समाज की स्थापना में विश्वास करते थे। उनकी शिक्षाएं शाश्वत हैं और समाज के सभी वर्गों के लोगों के लिए प्रासंगिक हैं।’ उन्होंने रविदास की कुछ पंक्तियां भी ट्वीट की हैं। गुरु रविदास ने कहा था, ऐसा चाहूं राज मैं जहां मिलै सबन को अन्न। छोट बड़ो सब सम बसै, रैदास रहै प्रसन्न।
मोदी ने एक अन्य ट्वीट संदेश में कहा, गुरु रविदास जी ने हमारे समाज में कई सकारात्मक बदलाव किए। उन्होंने उन प्रथाओं पर सवाल उठाया जो पुरानी और प्रतिगामी थी। उन्होंने लोगों को समय के साथ बदलने के लिए प्रेरित किया। उनकी समानता की भावना और समय के साथ आगे बढ़ना ही उन्हें महान बनाता है।
उन्होंने कहा कि गुरु रविदास जी सद्भाव और भाईचारे के मूल्यों में विश्वास रखते थे। वह किसी प्रकार के भेदभाव में विश्वास नहीं करते थे। जब हम ‘सबका साथ, सबका विकास’ के आदर्श वाक्य के साथ काम करते हैं, तो हम हर इंसान, खासकर गरीबों की सेवा करने के लिए गुरु रविदास जी से प्रेरित होते हैं। उन्होंने कहा कि गुरु रविदास जी के समृद्ध विचारों के मार्गदर्शन में, हम एक मजबूत, समावेशी और समृद्ध भारत का निर्माण करने के लिए चौबीस घंटे काम कर रहे हैं जहां विकास का फल सभी तक पहुंचता है और गरीबों को सशक्त बनाता है।
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा ‘गुरु रविदासजी को उनकी जन्म जयंती पर नमन। गुरुजी के आदर्शों ने हमारे समाज को एकता और समानता के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया है। सामाजिक समरसता के प्रति गुरु रविदासजी के विचार हमें आज भी एक सशक्त समाज के निर्माण के लिए प्रेरणा देते है।’
नई दिल्ली, मुख्य धारा में ‘दिव्यांगों’ को शामिल करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सरकार की स्कूल पाठ्यक्रम में अलग-अलग दिव्यांग खिलाड़ियों पर एक अध्याय शुरू करने की योजना है।
सरकार द्वारा इस तरह की पहली पहल में “विकलांग व्यक्तियों के लिए सरकार की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत उपलब्ध खेल गतिविधियों और अवसरों” पर ध्यान दिया जाएगा। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के वर्ष 2019-2020 अकादमिक सत्र के पाठ्यपुस्तकों के अध्याय में खिलाड़ियों को शामिल किया जा सकता है।
इतना ही नहीं, एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों में ‘स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा’ विषय का नाम अगले वर्ष से स्कूल के पाठ्यक्रम में ‘स्वास्थ्य, शारीरिक शिक्षा और खेल’ में परिवर्तित किया जा सकता है। एनसीईआरटी केंद्र और राज्य सरकार को स्कूल के पाठ्यक्रम और पाठ की पुस्तकों पर मार्गदर्शन देती है। सभी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) संबद्ध स्कूल एनसीईआरटी पाठ्यक्रम का पालन करते हैं।
इस संबंध में हाल ही में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण (विकलांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण विभाग), मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी), भारतीय खेल प्राधिकरण (साई), पैरालम्पिक कमेटी ऑफ इंडिया (पीसीआई) और स्पेशल ओलंपिक भारत (एसओबी) के शीर्ष नौकरशाहों के बीच यहां एक बैठक का आयोजन किया गया था।