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भाजपा की चाय में एक अौर उबाल की तैयारी

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देहरादून, उत्तराखंड बीजेपी जब से त्रिवेंद्र रावत मय हुई है तब से विधायकों और सांसदों में राज्य के मुखिया से दूरियां बननी शुरू हो गई थी। त्रिवेंद्र रावत के 11 महीने के कार्यकाल में भाजपा के अंदर एक नए सियासी तूफान के आसार बढ़ने लगे हैं जिसका संकेत पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के घर में चाय पर चर्चा नाम से आयोजित की गई टी-पार्टी में सामने नजर आया।

जिसमें उत्तराखंड भाजपा के सियासी महारथी एक दूसरे के साथ बडी आत्मीयता के साथ मिलते हुए नजर आए, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश और विजय बहुगुणा के समर्थक विधायक बड़ी संख्या में निशंक की चाय पर चर्चा करते हुए नजर आए । बीते कुछ महीनों से उत्तराखंड भाजपा के सियासी हालात मे कहीं ना कहीं तल्खी सी नजर आती दिखी है, जो पार्टी को अंदर जन्म लेते नये समीकरणों की तरफ़ भा इशारा करती है।

हालांकि प्रदेश अध्यक अजय भट्ट ने इसे एक औपचारिक भेट वार्ता करार देकर सब कुछ सामान्य है वाला बयान दे डाला। मज़े की बात यह रही कि त्रिवेंद्र सरकार में आए नए-नवेले कांग्रेसी विधायक किस चर्चा में सबसे ज्यादा सम्मलित हुए, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश के निशंक के साथ शुरु में रिश्ते अच्छे नहीं माने जाते थे लेकिन शिव प्रकाश की मौजूदगी भी इन पुराने रिश्तो में अब नयापन लेकर उत्तराखंड की राजनीति में नया गुल खिलाने के संकेत दे रही है।

इस चाय के गर्म प्याले के उबाल से यह संदेश यह संदेश तो साफ़ है कि भाजपा के धुरंधर नेताओं के मन में कुछ ना कुछ तो जरुर चल रहा है जो आने वाले दिनों में रंग दिखाएगा

मिड डे मील की बदलेगी सूरत, उत्तराखंड के छात्रों को मिलेगा गरमा गरम खाना

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देहरादून, एक अच्छी खबर है सरकारी स्कूलों के लिए जहां मिड डे मील बांटना शिक्षकों के लिए एक चुनौती के रूप में शिक्षा से अलग काम था, ‘अक्षय पात्र फाउंडेशन’ नामक स्वयंसेवी संस्था देहरादून में स्कूली बच्चों के लिए कुछ ऐसी ही व्यवस्था करने जा रही है। राज्य का सबसे बड़ा स्कूली किचन खुलने जा रहा है।

इस किचन में एक साथ इकसठ हजार बच्चों का भोजन बन सकेगा। इस किचन से अक्षय पात्र फाउण्डनेशन दून जिले के 901 विद्यालयों में पके-पकाये मीड डे मील की सप्लाई करेगी। भोजन बनाने की अत्याधुनिक मशीनों से सुसज्जित इस किचन की स्थापना में स्वयंसेवी संस्था हंस फाउण्डेशन वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।

इन स्कूलों में सप्लाई किए जाने वाले भोजन पर शिक्षा विभाग के पास मॉनीटरिंग का पूरा अधिकार रहेगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत सुद्धोवाला में इस किचन का शिलान्यास करेंगे।

राज्य के सभी सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक के विद्यार्थियों को स्कूल में मध्याहन भोजन (मीड डे मील) उपलब्ध कराया जाता है। इसमें अनाज की व्यवस्था, भोजन पकाने व परोसने तक की जिम्मेदारी स्कूल के शिक्षकों और भोजन माताओं को उठानी पड़ती है।

इस योजना के लिए पर्याप्त धनराशि न होने से बच्चों को नियमित रूप से समय पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना, किसी चुनौती से कम नहीं रही है। अब इस योजना में सरकार का हाथ बंटाने के यह संस्था आगे आई है पहले चरण में देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, काशीपुर, गदरपुर, सितारगंज व नैनीताल के स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील की सप्लाई करेगी। इस योजना की शुरुआत देहरादून के सुद्धोवाला में अत्याधुनिक किचन के निर्माण के साथ की जा रही है।

लगभग 12.66 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस किचन का निर्माण हंस फाउण्डेशन करा रहा है।

यहां बनने वाला भोजन देहरादून के 901 स्कूलों में सप्लाई किया जाएगा। इस भोजन की सप्लाई के लिए संस्था के पास अत्याधुनिक वाहन मौजूद रहेंगे, जिनमें भोजन की ताजगी और गर्माहट बनी रहेगी।

midday meal

शिक्षा मंत्री अरविन्द पाण्डेय का कहना है कि, “अक्षय पात्र संस्था को राज्य के देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, काशीपुर, गदरपुर, सितारगंज व नैनीताल के 3729 स्कूलों के 3,59,435 (तीन लाख उनसठ हजार चार सौ पैंतीस) छात्र-छात्राओं को मिड डे मील सप्लाई करने की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। आगे पूरे राज्य में इसका विस्तार किए जाने की योजना है।”

12 लाख बच्चों को मिड डे मील उपलब्ध करा रही है संस्था

अक्षय पात्र फाउण्डेशन की शुरुआत जून 2000 में मधु पंडित दास ने की थी। तब यह संस्था केवल बंगलुरु और कर्नाटक के पांच सरकारी विद्यालयों के 1,500 बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन के तहत पौष्टिक खाना मुहैया कराती थी। इसके बाद विभिन्न राज्य सरकारों ने सरकारी स्कूलों में मिड डे मील योजना के सफल संचालन के लिए अक्षय पात्र के साथ हाथ मिलाया और इस स्कीम को कार्यान्वित किया। मौजूदा समय में यह संस्था देश के 12 राज्यों के 13839 विद्यालयों के लगभग 12 लाख बच्चों को मिड डे मील सप्लाई कर रही है।

एक घण्टे में बनेंगी 60 हजार रोटियां, 3000 लीटर दाल

अक्षय पात्र फाउण्डेशन के देहरादून में स्थापित होने जा रहे किचन में अत्याधुनिक मशीनों की सहायता से समय पर भोजन तैयार किया जाएगा। इसके लिए यहां ऐसी मशीन लगाई जा रही है, जो एक घण्टे में लगभग 60 हजार रोटियां बनाएगी। ऐसी मशीन भी होगी जिसमें एक ही बार में तीन से चार हजार लीटर दाल तैयार हो सकेगी।

सूबे के पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना, दून में हो रही बारिश

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देहरादून, मौसम विभाग का जैसा पूर्वानुमान था ठीक वैसा ही हुआ। राजधानी देहरादून सहित सूबे के कई हिस्सों में सोमवार की सुबह से रिमझिम बारिश हो रही है। बारिश के चलते एक बार फिर से ठंड में इजाफा हो गया है।

मौसम विभाग विज्ञान केन्द्र के अनुसार सोमवार को उत्तराखंड में आमतौर पर बादल छाए रहने से लेकर आसमान बादलो से घिरा रहेगा। अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी होने की संभावना जताई गई है। जिसमें उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ जिलों के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सोमवार को कहीं-कहीं भारी बर्फबारी की संभावना है।  राजधानी देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी और नैनीताल जनपदों में कहीं-कहीं ओलावृष्टि की संभावना है। 

लाख टके का सवाल, कितने दिन चलेगा बजट सत्र

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गोपेश्वर। उत्तराखंड सरकार ने गैरसैंण के भरारीसैण में 20 मार्च से 28 मार्च तक बजट सत्र तय किया है। इसके लिए शासन से लेकर प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है। मगर राजनीतिक गलियारों और आम जनता तथा आंदोलनकारियों के बीच जिज्ञासा और आशंका है कि यह बजट सत्र चलेगा कितने दिन। यह आशंका इसलिए है कि गैरसैंण में शीतकालीन विधानसभा सत्र भी सात दिनों तक तय था मगर दो दिनों तक ही सत्र चल पाया और सियासत देहरादून लौट गयी थी। गैरसैंण में सरकार का शीतकालीन सत्र दो दिन तक ही चल पाया था।

गैरसैंण बजट सत्र के आयोजन के प्र्रस्ताव को सरकार उत्तराखंड और गैरसैंण प्रेम के रूप में भले ही प्रस्तुत कर रही हो पर गैरसैंण को लेकर चाहे सत्र हो या कैबिनेट.. दोनों दूध के जले के समान ही रहा है। बजट सत्र 20 मार्च से 28 मार्च तक नौ दिन का होना है, इसमें 24 व 25 मार्च को अवकाश है। बजट सत्र की शुरुआत 20 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण के साथ होगी और अपराह्न बाद विधानसभा अध्यक्ष का अभिभाषण होना है। 21 को सदन के समक्ष पत्रादि पटल पर रखे जायेंगे। अध्यादेशों को भी पटल पर रखा जायेगा। औपचारिक कार्य और राज्यपाल के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा होगी। विधायी कार्य भी 21 मार्च होंगे। 22 को राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के बाद वित्त मंत्री प्रकाश पंत बजट को प्रस्तुत करेंगे। 23 को बजट पर चर्चा और शेष तीन दिनों में बजट पर चर्चा, अनुदान मांगों का प्रस्तुतिकरण, विनियोग विधेयक और विधायी कार्य होने है।
गैरसैंण में होने वाला बजट सत्र कितने दिन चलेगा इसके साथ राजनैतिक गलियारियों और लोगों की निगाहें इस बात पर रहेंगी कि बजट सत्र में क्या मिलेगा और इस पर बजट कुल कितना खर्च होगा। अभी तक का जो अनुभव है उसमें जो चार सत्र गैरसैंण में हुए उस पर माननीयों के रहने, खाने, वाहन के साथ-साथ सरकारी अमले की भी इसी व्यवस्था पर खर्च का आकंलन करें तो वह करोड़ों में गया पर यहां पर भी लाख टके का सवाल की सूबे को मिला क्या।
इस बार सरकार के आगे बजट सत्र के दौरान जनता और आंदोलनकारियों की मांग का भी सामना करना पड़ेगा। गैरसैंण को स्थाई राजधानी की मांग को लेकर दिल्ली से लेकर गैरसैंण तक प्रदर्शन, धरना और अनशन हो रहे हैं। अनशनकारियों के स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही है, ऐसे मेें गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग को लेकर आंदोलन और भी तेज होने की संभावना है।
उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी पुरुषोत्तम असनोड़ा, माले के इंद्रेश मैखुरी, राजधानी की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे मोहित डिमरी, अवतार दानू, लक्ष्मण खत्री, श्रीपाल राम कहते हैं कि गैरसैंण में सत्रों के नाम पर औपचारिता न हो। गैरसैंण राज्य की स्थाई राजधानी हो इस पर सरकार ठोस निर्णय ले।

मैड कूड़े को उद्गम स्थल पर एकत्र करने के लिए चलाएगा अभियान

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देहरादून। मेकिंग ए डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड) संस्था द्वारा शहर में स्वच्छता के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए एक महत्वपूर्ण अभियान की शुरुआत की गई। मैड का कहना है कि कूड़े को उसके उद्गम स्थल पर ही अलग अलग करने पर अब संस्था की ओर से ज़ोर दिया जायेगा। इसके लिए संस्था ने अभियान की शुरुआत अपने खुद के स्वयंसेवियों से करने की ठानी है।
रविवार को मैड अपने सभी सदस्यों को हिदायत दिया है कि अगर वह मैड में बने रहना चाहते हैं तो अपने घर के कूड़े को सॉलिड वेस्ट अधिनियम 2016 के अंतर्गत तीन भागों में बांटें अर्थात् गीला, सूखा एवं घरेलू घातक कूड़ा (जैसे कि इन्सुलिन की सूइयां, इत्यादि चीज़ें)।
सदस्यों से आग्रह किया गया है कि अपने घर के कूड़े को उद्गम स्थल पर अलग अलग करने के बाद वह अपना ध्यान अपने स्वयं के मोहल्ले एवं क्षेत्र पर लगाएं और कूड़े को उद्गम स्थल पर अलग अलग करने की प्रक्रिया को वहां भी एक मुहीम के रूप में चलाएं।
मैड संस्था की ओर से ऐसे कूड़ेदान बनाने पर एक छोटी सी कार्यशाला भी आयोजित की गई और ऐसे कूड़ेदान बनाये। इसके बाद उन क्षेत्रों को चिन्हित किया गया जिनमे सदस्यों की ओर से ऐसा काम किया जायगा। इसमें हाथीबड़कला, अनारवाला, नेशविल्ला, रेस कोर्स, पटेल नगर एवं बल्लीवाला के पास के क्षेत्रों को पहले चरण के लिए चिन्हित किया गया है।
इसके पश्चात् मैड संस्था इस अभियान को शहर व्यापी ढंग से चलाने की तैयारी में है क्योंकि संस्था के कई सदस्य इस बैठक में नहीं आ पाए और आगे आने वाली बैठकों में हिस्सा लेंगे ऐसी उम्मीद जताई जा रही है। इसलिए यह सर्वे अभी इन्हीं सदस्यों से शुरू किया जायगा। फिर उम्मीद जताई जा रही है कि पूरे शहर के अलग अलग क्षेत्रों को सर्वे के दायरे में ले लिया जायगा। जो भी इस सर्वे में हिस्सा लेगा उसको मैड की ओर से ‘स्वछता सैनानी’ की उपाधि दी जायगी और जो यह सर्वे पूरा कर लेगा उसे ‘सफाई सूरमा’ के ख़िताब से नवाज़ा जायगा जो इस बात का एक तरीके से सबूत होगा कि यह लोग सफाई को प्रतिबद्ध हैं।
संस्था की ओर से हफ्ते भर में मैड संस्था के सभी सदस्यों को यह लक्ष्य दिया गया है कि वह अपने क्षेत्र के लगभग 100 घरों से बातचीत करें। मैड संस्था की ओर से यह भी तैयारी की जा रही बाई कि सभी संस्थाओं को साथ लेकर इस अभियान को चलाया जाएगा। इस बैठक में मैड की ओर से संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी, पल्लवी भाटिया, हृदयेश, श्रेया रोहिल्ला, ऋषभ शुक्ला, एकता सती, विनोद बघियाल, सूर्यदेव जोशी शामिल हुए।

गैस कम होने की शिकायत पर 38 सिलेंडर जब्त

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ऋषिकेश। ऋषिकेश क्षेत्र में गैस सिलेंडरों में गैस कम भरे होने की शिकायत पर स्थानीय प्रशासन द्वारा एक टैंपो पर लदे 38 गैस सिलेंडरों को तोला गया, तो सभी में गैस कम पाई गई। प्रशासन ने सभी सिलेंडरों को जब्त कर लिया।
ऋषिकेश क्षेत्र में पिछले काफी समय से गैस सिलेंडरों में गैस कम भरने की शिकायत स्थानीय प्रशासन को मिल रही थी, जिसे लेकर रविवार को स्थानीय प्रशासन द्वारा गैस सिलेंडरों के विरुद्ध कार्रवाई की गई।
रेलवे स्टेशन से पुराने बस अड्डे मार्ग को जाने वाले बनखंडी मोहल्ले में जब तहसीलदार रेखा आर्य द्वारा उमा गैस एजेंसी के एक टेंपो को गैस वितरण करते हुए रोक कर उस पर रखे 38 सिलेंडरों को तोला गया तो सभी सिलेंडर में गैस कम पाई गई। जिस पर तहसीलदार रेखा आर्य ने कार्रवाई करते हुए सभी गैस सिलेंडर को जब्त कर लिया। उनका कहना था कि इससे पूर्व भी इस सम्बध में शिकायत पर कार्रवाई की गई थी, जिन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया था।

निकाय चुनावों के लिए ‘आप’ तैयार

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देहरादून। आम आदमी पार्टी (आप) देहरादून महानगर ने आगामी निकाय चुनावों के मद्देनजर कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया। सम्मेलन रविवार को उत्तराखंड प्रदेश प्रभारी व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के विशेष सलाहकार राकेश कुमार सिन्हा की अध्यक्षता में स्थानीय अग्रवाल धर्मशाला में आयोजित किया गया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रदेश प्रभारी राकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि आम आदमी पार्टी उत्तराखंड के तेरह जिलों में से दस जिलों में पूरे दमखम के साथ निकाय चुनावों में उतर रही है। उन्होंने कहा कि निकाय चुनावों के साथ ही आम आदमी पार्टी राज्य की मुख्यधारा की राजनीति में तेजी से एक सशक्त विकल्प के रूप में उभरेगी। सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिन्हा ने पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा।
महानगर अध्यक्ष विशाल चौधरी ने कहा कि आम आदमी पार्टी आगामी नगर निगम चुनावों में भाजपा और कांग्रेस दोनों को कड़ी चुनौती देने के लिए तैयार है। संगठनात्मक रूप से आम आदमी पार्टी प्रत्येक वार्ड में बूथ अध्यक्ष व पोलिंग सेंटर प्रभारी बनाने की रणनीति पर काम कर रही है और आने वाले समय में नगर निगम सीमा विस्तार के अंतर्गत प्रत्येक नवगठित वार्डों में बूथवार एजेंट बनाये जा रहे हैं। प्रत्येक वार्ड में वार्ड अध्यक्षों व वार्ड सचिवों की नियुक्तियां पहले ही की जा चुकी है, जो तेजी से सदस्यता अभियान पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की राजनीति में आम आदमी पार्टी की दखल से भ्रष्ट व अवसरवादी कांग्रेस-भाजपा घबराई हुई हैं क्योंकि आम आदमी पार्टी के रूप में आज प्रदेश की जनता के सामने एक मजबूत विकल्प है।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्षा उमा सिसौदिया ने कहा कि प्रदेश की जनता बारी-बारी से कांग्रेस-भाजपा के भ्रष्टाचार व कुशासन से त्रस्त है, परन्तु राजनैतिक विकल्पहीनता के कारण इन्हीं को चुनने पर विवश है। इस बार स्थानीय निकाय चुनावों में आम आदमी पार्टी की झाड़ू कांग्रेस-भाजपा के भ्रष्टाचार व कुशासन का सफाया करेगी और प्रदेश की जनता को एक सशक्त ईमानदार व स्वच्छ राजनैतिक विकल्प देगी।
इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्षय श्यामबाबू पांडेय व नसीम राव, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य श्यामलाल नाथ व एसएस कलेर, प्रदेश संगठन सचिव देवेन्द्र कोटलिया, प्रदेश मीडिया प्रभारी कुलदीप सहदेव, जिला सचिव अभिषेक बहुगुणा, अशोक सेमवाल, विनोद बजाज, जीतेन्द्र पन्त, सुधीर पन्त, विनय राणा, विपिन खन्ना, सोमेश बुड़ाकोटी, रामवचन राजबर, सहित अनेक कार्यकर्तागण उपस्थित रहे।

बस ने स्कूटी सवार को मारी टक्कर, मौत

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हरिद्वार। चमोली के एक युवक की सड़क हादसे में रविवार को मौत हो गई। युवक पतंजलि योगपीठ में सुपरवाइजर के पद पर तैनात था। हादसा उस समय हुआ जब वह स्कूटी से पतंजलि संस्थान ड्यूटी पर जा रहा था। तभी राजस्थान रोडवेज की बस ने उसे टक्कर मार दी। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और घायल को जिला चिकित्सालय भिजवाया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना के बाद चालक फरार हो गया। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया तथा बस चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।

उत्तराखण्ड के चमोली जिले के नारायणबगढ़ निवासी दीपेंद्र पुत्र चन्द्र सिंह 31 वर्ष पतंजलि योग पीठ में सुपरवाइजर के पद पर कार्यरत था। रविवार सुबह दीपेंद्र स्कूटी से पतंजलि योगपीठ जा रहा था कि तभी बहादराबाद के समीप राजस्थान रोडवेज की बस ने उसकी स्कूटी को पीछे से टक्कर मार दी, जिससे वह गंभीर रूप घायल हो गए। सूचना पर पुलिस ने दीपेन्द्र को जिला अस्पताल पहुंचाया, जहां चिकित्सकों ने दीपेंद्र को मृत घोषित कर दिया। हादसे के बाद चालक बस लेकर फरार हो गया। पुलिस ने बस का पीछा किया, जिसके बाद चालक बस को रानीपुर झाल पर छोड़कर फरार हो गया। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है। मृतक के ताऊ सुनील नेगी पुत्र मोहन नेगी ने थाने में बस चालक के खिलाफ तहरीर दी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया।

आइये आपको लेकर चले उत्तराखंड के इस ”बकरी गांव” में

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हमेशा ‘बकरी स्वंयवर’ को लेकर सुर्खियों में रहने वाला गोट विलेज केवल बकरी स्वंयवर नही करता बल्कि इस गांव में और भी बहुत कुछ होता है।आइये आपको इस गांव के अंदर लेकर चलते है जहां एक कम्यूनिटी ग्रीन पीपल पिछले 3 साल से काम कर रहा है।

goat village

साल 2015 से शुरु हुए ग्रीन पीपल ऑर्गनाइजेशन ने ना केवल गोट विलेज नाम से गांवो को बसाया बल्कि गांव में रहने वालो को रोजगार के नए साधन दिए।देहरादून से लगभग 3-4 घंटे दूरी पर बसा यह गांव गोट विलेज के नाम से भी जाना जाता है, जहां लोगो के राज़गोर का माध्यम है बकरी पालन। ग्रीन पीपल एक ऐसा ऑर्गनाइजेशन है जिसने राज्य से खाली हुए गांवो को एक फिर बसाने का बेड़ा उठाया और किसानों की जीने की एक नई राह दी है।इस समय राज्य में तीन गोट विलेज है जिसमे एक नागटिब्बा, दूसरा कानाताल और तीसरा दयारा बुग्याल मे है।आने वाले मार्च से ग्रीन पीपल एक और गोट विलेज बसाने की तैयारी मे है।

Green people/goat village

गोट विलेज के बारे मे बात करते हुए ग्रीन पीपल की सदस्य मानसी बंसल ने बताया कि, “गोट विलेज ऐसी जगहों पर बनाया गया है जहां से लोगो ने पलायन कर लिया है और अपने घर खाली छोड़ गए है।ज्यादातर किसानो के घर और गांव छोड़ने की वजह थी उनके फसल को कोई पूछने वाला नही था।ऐसे गांवो को चुनने के बाद गोट विलेज की शुरुआत की गई और और इन गांवों में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया गया है।मानसी ने बताया कि, “शहर से आए लोगो के लिए गोट विलेट में होमस्टे की व्यवस्था है जिन्हे उन्ही घरो मे ठहाराया जाता है जो सालो पहले लोग छोड़ कर जा चुके है।साथ ही लोकल क्यूज़िन और पहाड़ के क्षेत्रीय फसल और यहां के खाने से लोगो को स्वागत किया जाता है।एक तो इससे शहर से आए टूरिस्ट को पहाड़ की परंपरा और संस्कृति का पता चलता है साथ ही गांव के क्षेत्रीय लोगो का कॉंफिडेंस भी बढ़ता है।ग्रीन पीपल के साथ बहुत से लोग अपनी स्वेच्छा से जुड़े हुए है।

गांव के लोग बकरी पालन के अलावा पहाड़ के दाल और फसल की खेती भी करते है जो ग्रीन पीपल द्वारा पैकेजिंग के बाद सीधे शहरों मे बेचा जाता है। इतना ही नही गांव के लोग बकरी के दूध को भी बाजार मे बेचते है। गोट विलेज के माध्यम से गांव के लोग यह संदेश देना चाहते है कि किस तरह लोग गांव में रहकर रोज़गार से जुड़े रह सकते है। साथ ही गांव के लोग एग्रीकल्चर,हॉटिकल्चर,पशु-पालन,लोक संगीत और नृत्य के माध्यम से गांव में आए हुए टूरिस्ट को राज्य की परंपरा से रुबरु कराते है।

bakri chaap

गोट विलेज मे ना केवल किसानों के पूराने घरो मे होमस्टे की पहल की गई है बल्कि गांव के लोग शहर मे गोट मैनेजमेंज भी सीख रहे है।इसके अलावा आर्गेनिक खेती भी गोट विलेज का एक अहम आर्कषण है।गोट विलेज यानि बकरी गांव में होने वाली सभी फसल को बकरी छाप ब्रॉंड के माध्यम से बाजार मे बेचा जाता है और इसका मुनाफा सीधे किसानो को मिलता है।इस ब्रॉंड के अंदर दाल,राजमा,हल्दी,सोयाबीन,मक्के का आटा,मंडुआ,भाट की दाल और भी बहुत से क्षेत्रीय फसल बेचे जाते है।

bakri swamvyar

गौरतलब है कि पिछले साल फरवरी में ग्रीन पीपल द्वारा शुरु किया गया बकरी स्वंयवर किसी से छिपा नही है। उन दिनो सुर्खियों में रहने वाला स्वंयवर भी इसी कम्यूनिटी की ही देन है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है बकरियो को उनके पसंद का जीवनसाथी मिले साथ ही बकरी की गुणवत्ता को भी सुधारा जा सके।

इस साल बकरी स्वंयवर 11 मार्च को टिहरी गढ़वाल के पंतवाड़ी में तय किया गया है, जिसमें आप सब इनवाइटेड है।

 

साल 2017 से ज्यादा रहा इस बार आसन बैराज पर पक्षियों का हूजुम

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पक्षियों का घर कहे जाने वाले आसन बैराज को इस साल अबतक कुल 6,008 प्रवासी पक्षियों ने अपना घर बनाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि 2017 से पक्षियों का दौरा करने की संख्या में 20% की वृद्धि हुई है। वन विभाग और बर्ड वॉचरों ने बताया कि जनवरी में आसन रिर्जन में 63 अलग-अलग प्रजातियों के पक्षी देखे गए है।

प्रवासी पक्षियों की संख्या में वृद्धि एक अच्छी खबर है क्योंकि बर्ड वॉचर्स ने पहले बताया कि कुमाऊं में बदलते मौसम ने प्रवासी पक्षियों की उड़ान के पैर्टन को प्रभावित किया है, जिसकी वजह से क्षेत्र में कई स्थानों के अलावा कॉर्बेट नेशनल पार्क में भी पक्षियों के आने में देरी हुई है।

तितली ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष संजय सोंधी ने बताया कि, “बर्डर्स ने 6,008 पक्षीयों में 63 नई प्रजातियों को गिना है। इसमें से 5,832 प्रजाति 43 वेटलैंड प्रजातियों से संबंधित थे जबकि बाकि 176 वेटलैड प्रजातियों पर आधारित थी। एक ही प्रजाति से संबंधित सबसे ज्यादा चिड़िया 1495 यूरेशियन कूट है। रेड-क्रस्टेड पोचार्ड भी सबसे बड़ी संख्या में देखा गया था, जिसमें 1035 पक्षी बैराज में थे, जो पिछले साल के 585 की तुलना में लगभग दोगुना है।

इसका दूसरा पहलू प्रतीक पंवार ने भी बताया जो काफी समय से बर्ड वॉचिंग कर रहे है और एआरसीएच संस्था से संबंध ऱखते है।प्रतीक का कहना है कि, “यह कोई चौकने वाली बात नही है कि माइग्रेटरी पक्षियों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन पक्षियों के प्रजाति में कमी हुई है जिसका कारण ग्लोबल क्लाईमेट बदलाव है जिसकी वजह से पक्षियों के माइग्रेशन पैर्टन में भी बदलाव आया है।”

गौरतलब है कि आसन बैराज भारत का पहला वेटलैड कर्न्जवेशन रिर्ज़व है और इसका दायरा काफी बड़ा है जिसके चलते सालों से प्रवासी पक्षी इसे अपनी पसंदीदा आरामगाह बनाते आ रहे हैं।