गढ़वाल विश्वविद्यालय का तुगलकी फरमान, नए सत्र से दाखिलों का संकट

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ऋषिकेश, उत्तराखंड में उच्च शिक्षा हमेशा से ही छात्रों के लिए परेशानी का सबब बनी रही है। लगातार बढ़ते आबादी के बोझ ने इस मुसीबत को और बढ़ा दिया है। उत्तराखंड का पहला ऑटोनॉमस कॉलेज की श्रेणी मे आकर ऋषिकेश पीजी कॉलेज पहले ही छात्रों की पहुंच से बाहर हो गया था, यहां के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहरों के कॉलेजों पर निर्भर रहना पड़ रहा था,
ऐसे में गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के एक आदेश ने विश्वविद्यालय से संबंध कॉलेजों को संकट में डाल दिया है।

इसके चलते नए सत्र में दाखिलों का संकट होने जा रहा है, अपने इस आदेश में विश्वविद्यालय ने कहा है कि 15 जनवरी 2009 को जब विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय में तब्दील किया गया था उस दिन के हिसाब से जो सीटें या कोर्स जिस कॉलेज के पास थे वही बने रहेंगे। जिन कॉलेजों में 15 जनवरी 2009 के बाद कोई कोर्स या सीट बड़ी है वह सभी वापस ली जा रही है, जिसके चलते गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबंध कॉलेजों में ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन की करीब डेढ़ हजार सीटें खत्म होने के आसार बन गए हैं।

केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलसचिव के अनुसार 15 जनवरी 2009 के बाद विश्वविद्यालय ने नियम विरुद्ध तरीके से कॉलेजों को सीटें और कोर्स बांटे हैं जबकि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को 15 जनवरी 2009 को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिला था। उस वक्त विश्वविद्यालय के एक्ट में प्रावधान किया गया था कि जो कॉलेज जिस स्थिति में है वैसे ही बने रहेंगे ना तो नए कॉलेजों को विश्वविद्यालय से संबद्धता दी जाएगी और ना ही पुरानी कॉलेजों को असंबद्ध किया जाएगा।

15 जनवरी को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद कुछ कॉलेज जैसे कि  एसजीआरआर डोईवाला, डाकपत्थर कॉलेज सहित गढ़वाल मंडल के 20 से ज्यादा कॉलेजों में यातों नए कोर्स शुरू हुए हैं या फिर सीटें बढ़ी है। विश्वविद्यालय के आदेश के मुताबिक यह सभी कोर्स और सीटें नए सत्र 2018 और 19 में वापस ली जा रही है जिससे आने वाले नए सत्र में छात्रों पर एडमिशन का संकट गहराने लगेगा।