बाढ़ की मार से गड़बड़ाया किचन का बजट, महगाई की आंच में दूर हुई थाली से सब्जियां

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ऋषिकेश। विभिन्न राज्यों में आई बाढ़ का असर सब्जी मंडी में भी दिखने लगा है। मंडी में सब्जियों की आमद कम होने से किचन का बजट गड़बड़ा गया है।  इससे खाने की थाली का स्वाद बिगड़ने लगा है।
इन दिनों अन्य राज्यों से सब्जियां कम आ रही हैं, जिस कारण उनका रेट अधिक हो गया है। या फिर सब्जियों की आवक के मुताबिक ही रेट निर्धारित किया जा रहा है। सब्जियों की ठेली पर ग्राहक पहले रेट पूछ रहा है फिर बजट के मुताबिक सब्जी खरीद रहा है।
बाढ़ के पानी से कई प्रदेशों के खेतों में लगी सब्जियां बर्बाद हो गई हैं। उसका असर अब दिखाई देने लगा है। सब्जियों के भाव में जबरदस्त उछाल आने से लोगों की थाली से सब्जियां गायब होने लगी हैं। मंडी में उपलब्ध हरी सब्जियां आम आदमी की पहुंच से दूर हो चुकी हैं। मानसून के मौसम से पहले सब्जी के दाम कम होने से लोगों को हरी सब्जियां खूब भा रही थीं। बरसात का सीजन शुरू हुआ, तो सब्जियों के रेट एकाएक बढ़ गए। जो मटर 50 रुपये प्रति किलो बिक रही थी उसके दाम 120 रुपये तक पहुंच गए। टमाटर 30 रुपये से बढ़कर 40 रुपये हो गया। शिमला मिर्च का भाव 40 से बढ़कर 80 रुपये प्रति किलो हो गया।
इसी तरह दूसरी सब्जियों के दामों में काफी इजाफा हुआ है। मंडी में कद्दू और तोरी 30 रुपये किलो, भिंडी 40 रुपये किलो, अरबी 60 रुपये किलो, लौकी 30 और फूलगोभी 80 रुपये प्रति किलो पर जा पहुंची है।
सब्जी विक्रेता सतीश कुमार और रामकिशन का कहना है कि बरसात के सीजन में सब्जी की आवक कम हो गई है। कुछ राज्यों में आई बाढ़ के बाद एकाएक भाव में भी बढ़ोतरी हो गई।
सब्जी मंडी में खरीदारी के लिए आई तपोवन निवासी महिला संतोष रानी और कमलेश ने बताया कि सब्जियों के दाम बढ़ने से परेशानी भी बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि महंगाई के सबसे बुरे दौर में रोजमर्रा के प्रयोग में आने वाली सब्जियों के दाम में भारी बढ़ोत्तरी हुई है।  सब्जी विक्रेताओं की मानें तो महंगी सब्जियां बेहद सीमित मात्रा में बिक रही हैं।