ई-कचरा प्रबंधन नियमों की धज्जियां उड़ा रहे मोबाइल डीलर

0
1260
देहरादून। शहर में तेजी के साथ मोबाइल डीलर्स के शोमरूम खुल रहे हैं। आश्चर्यजनक है कि शहर के 88 प्रतिशत मोबाइल डीलर्स ई-कचरा प्रबंधन नियामवली को लेकर जागरूक नहीं हैं और 63 प्रतिशत डीलर इससे परिचित ही नहीं हैं।
देहरादून स्थिति एन्वायरनमेंटल एक्शन एवं एडवोकेसी ग्रुप गति फाउंडेशन ने शहर के 16 मोबाइल डीलर्स के साथ एक सोशल ऑडिट किया तो यह बात सामने आई। इनमें से 10 सैमसंग के अधिकृत डीलर हैं और छह विभिन्न ब्रांडों के मोबाइल फोन बेचते हैं। यह सोशल ऑडिट ई-कचरा प्रबंधन नियम-2016 को आधार बनाकर किया गया, जिसे भारत सरकार ने नोटिफाइड किया है। इससे पहले गति फाउंडेशन के एक अन्य सर्वे में यह बात सामने आई है कि शहर में ई-वेस्ट का 72 प्रतिशत हिस्सा मोबाइल और उसकी एसेसरीज से पैदा होता है।
ई-कचरा प्रबंधन नियम 2016 का नियम-7 कहता है कि डीलर को ई-कचरा वापस लेने के लिए उपभोक्ता को बाॅक्स अथवा  डस्टबिन उपलब्ध करवाना होगा। मगर, शहर के 94 प्रतिशत मोबाइल डीलर्स ऐसी कोई सुविधा उपभोक्ताओं को नहीं दे रहे हैं। 88 प्रतिशत डीलर्स के पास ई-कचरा एकत्र करने के लिए कोई तंत्र नहीं है।
गति फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने सोशल ऑडिट में सामने आए इन नतीजों को गुरुवार को मीडिया से शेयर करते हुए इसपर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि आज के इस दौर में जबकि ई-कचरा एक बड़ा पर्यावरणीय खतरा बन चुका है और स्मार्ट फोन एक जरूरत बन गया है, ई-कचरा प्रबंधन की व्यवस्था और इस बारे में जानकारी का अभाव है।
ई-कचरे के संबंध में शहर के मोबाइल डीलर्स की जागरुकता का स्तर वास्तव में बहुत कम है। बाजार में अपने उत्पाद बेच रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों को इस बारे में चिन्ता करनी चाहिए। ई-कचरे को ईको फ्रैंडली तरीके से निस्तारित करने के लिए कंपनियों को डीलर्स की मदद करनी चाहिए।
अनूप नौटियाल कहते हैं कि 2016 के नियम साफ तौर पर कहते हैं कि कंपनियों को अपनी वापस खरीद योजनओं के बारे में उपभोक्ताओं को जागरूक करना चाहिए। मगर 56 प्रतिशत डीलर ऐसी किसी योजना से अनभिज्ञ हैं। नियम के अनुसार निर्माता अपना कचरा खुद निस्तारित करने के लिए बाध्य हैं लेकिन 88 प्रतिशत डीलर्स को इस बारे में जानकारी नहीं है।
गति फाउंडेशन के ऋषभ श्रीवास्तव का कहना है कि आने वाले समय में ई-वेस्ट और ज्यादा पैदा होगा। हम सरकारी विभागों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर ई-वेस्ट के बारे में लोगों को जागरूक करने और ई-वेस्ट का वैज्ञानिक तरीके से निस्तारण करने की दिशा में कार्य करने का प्रयास कर रहे हैं।