लोकल लुटेरों से ज्यादा खतरनाक इंटरनेट व स्मार्टफोन

0
789

ऋषिकेश। भले न हो पर यही हकीकत है। लुटेरों व लोकल गैंगस्टर की अपेक्षा स्मार्ट फोन व इंटरनेट से लोगों को ज्यादा खतरा है। यह अप्रत्यक्ष माध्यम है अपराध का। यहां लोग सॉफ्ट टार्गेट हैं। आपको पता भी नहीं चलेगा कि कब शातिर अपराधियों ने आपकी आर्थिक व सामाजिक प्रतिष्ठा को चोट पहुंचा दी। पिछले तीन साल में ऋषिकेश में साइबर क्राइम में तेजी से इजाफा हुआ है।
साइबर क्राइम में संगठित गिरोह काम कर रहे हैं, जो लोगों को निशाना बना रहे हैं। वर्ष 2017 में आइटी एक्ट के कुछ मामले दर्ज हुए। इस वर्ष में अब तक आइटी एक्ट के कुछ मामले सामने आए हैं। साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं में सोशल मीडिया के जरिये लगातार उपभोक्ता अपनी गाड़ी कमाई लुटाते रहे हैं। ऐसे कई मामलों में स्मार्ट फोन व प्रतिष्ठित कंपनियों के प्रोडक्ट्स की जगह रद्दी लोगों को पार्सल की जा चुकी है। फर्जी बैंक अधिकारी बनकर भोलेभाले लोगों से अकाउंट, एटीएम कार्ड नंबर, पासवर्ड आदि पूछना और फिर खाते को साफ कर देना। ऐसे कई मामले पिछले कुछ अर्से में सामने आए हैं। बड़ी कंपनियों से लोगों के डाटा चोरी का मसला हो या फिर सोशल मीडिया पर तैरते वायरल संदेश। इन पर निगरानी की पुलिस प्रशासन पर कोई व्यवस्था नहीं है। जहां शिकायत हो जाती है, बस वहीं कार्रवाई कर दी जाती है। वरना संदेश वायरल होने से नहीं रोके जा सकते। जिले में साइबर सैल है, मगर वे संसाधन नहीं, जिससे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर नजर रखी जा सके। सर्विलांस सेल की बात करें तो यह इकाई पंजीकृत अपराध पर काम करती है।
कोतवाली प्रभारी प्रवीण सिंह कोश्यारी का कहना था कि आज साइबर क्राइम को रोकने के लिए पुलिस भी काफी सक्रिय हो गई है जो कि सर्विस लांस के माध्यम से इस प्रकार के अपराधों पर नियंत्रण लगाए जाने का कार्य कर रही है