पहाड़ का जीवन: भगवान भरोसे ग्रामीण क्षेत्र, बारिशों ने किया और हाल बेहाल

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जब गांवों तक पहुंचने के लिए सडक नहीं, गांव में स्वास्थ्य सुविधा नहीं, स्कूल में मास्टर नहीं, बिजली और पानी भगवान भरोसे हो तब ऐसे में पहाडों से पलायन रोकने की बात करना बेइमानी सा लगता है। बरसात के दिनों में चारों ओर ग्रामीण क्षेत्रों की सडके क्षतिग्रस्त है। लोग बीमारों को कंधे पर ढोकर मुख्य सड़क तक ला रहे है। ऐसे में बीच में ही यदि कोई बडी घटना घट जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा इसकी जबाबदारी लेने वाला भी कोई नहीं।

आए दिन किसी न किसी गांव से बीमारों को सड़क के टूटने के कारण कंधों पर लाद कर लाया जाना एक आम बात सी हो गई है। समाचार पत्रों की खबर तक सीमित इन घटनाओं को लगता है प्रशासन और सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है। नहीं तो भला गांवों की सुध लेने वाला तो कोई होता। नेता चुनाव के वक्त सुंदर-सुंदर सपने तो दिखा जाते है पर जीतने के बाद अपने वायदों को ही भूल जाते है।

पहाडी क्षेत्रों की समस्या किसी पहाड के समान विकट ही है। तब भला ऐसे में यहां से लोग पलायन के लिए मजबूर हो रहे है तो इसमें बुरा भी क्या है। आजकल बरसात में चमोली जिले के 35 से अधिक ग्रामीण सडके बाधित है। जिनको खोलने के दावे आय दिन प्रशासन अपने आपदा परिचालन केंद्र के माध्यम से करने की बात करता है लेकिन हर दिन मोटर मार्ग बंद होने की संख्या में कमी के बजाय इजाफा ही नजर आ रहा है। ये सडके कब खुलेंगी कोई बताने वाला नहीं सिर्फ प्रशासन दावा करता है कि फला दिन इतनी सडकें खुल दी गई है। पर दूसरे दिन फिर सूचना दी जाती है कि आज फिर इतनी सडकें बंद है।

बुधवार को एक माह से बंद दशोली विकास खंड के ठेली गांव की सड़क के कारण एक बीमार महिला को गांव के युवक डंडी में बैठाकर चार किमी की दूरी तक कर मुख्य सडक तक लाये। वहां से मरीज को गाडी में बैठाकर जिला चिकित्सालय लाया गया। गांव के प्रधान सुरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि पिछले एक माह से उनके गांव ठेली की सडक बाधित है। इस सडक के बाधित होने से क्षेत्र के सरतोली, भतिंग्याला, धारकोट, भौंरा, बेडुला, मेड व ठेली गांवों का संपर्क कट गया है। क्षेत्र में कोई चिकित्साल भी नहीं है। ऐसे में बुधवार को ठेली गांव की देवेश्वरी देवी बीमार पड गयी और उनकी हालत बिगडने लगी जिससे उन्हें गांव के युवको ने डंडी में बैठाकर चार किमी पैदल रास्ता नाप कर मुख्य सडक तक लाये और वहां से जिला चिकित्सालय तक लाया गया है। ग्रामीण ज्ञान सिंह, मंगल सिंह, अब्बल सिंह, सोहन सिंह, हिम्मत सिंह, संजय आदि ने प्रशासन से मांग की है कि अविलंब मार्ग को खोला जाए ताकि ग्रामीणों को सुविधा मिल सके।