नवजात की मौत पर माता-पिता सख्त, ड्राईवर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग

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बीते दिनों हुई घटना में चमोली के घूनी गांव के माता-पिता जिन्होंने बस के ड्राईवर और कंडक्टर की लापरवाही की वजह से अपना नवजात बच्चा खोया अब वह बस के ड्राईवर और कंडक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।

बता दें कि बीते 4 दिसंबर को घाट ब्लॉक के घूनी गांव निवासी गर्भवती नंदी देवी, पत्नी मोहन सिंह रावत को जिला अस्पताल गोपेश्वर में अल्ट्रासाउंड के बाद श्रीनगर बेस अस्पताल रेफर कर दिया गया क्योंकि डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे की धड़कन कम थी। रेफर करने के बाद मोहन रावत ने जिला अस्पताल से एंबुलेंस देने की बात की तो जिला अस्पताल ने एंबुलेंस ना होने की बात कहकर उन्हें मना कर दिया। एंबुलेंस न मिलने पर मोहन अपनी पत्नी को मजबूरन अगले दिन यानि की 5 दिसंबर को एक प्राइवेट बस में सवार होकर श्रीनगर के लिए रवाना होना पड़ा। हालांकि सफर के दौरान महिला को प्रसव पीड़ा होने की वजह से ड्राईवर और कंडक्टर ने जबरदस्ती उसके पति के साथ बीच रास्ते में सड़क पर उतार दिया।इस बीच नगरासू के पास सड़क किनारे ही महिला ने नवजात को जन्म दे दिया, जिसकी कुछ देर बाद ही मौत हो गई।बच्चे की मौत के लगभग एक घंटे बाद 108 एंबुलेंस पहुंची और रुद्रप्रयाग के अस्पताल में मोहनी की पत्नी का इलाज किया गया। मोहन की उम्र 35 साल है जबकि उनकी पत्नी 31 साल की हैं।

आपको बतादें कि यह बच्चा मोहन का चौथा बच्चा था, इससे पहले मोहन की तीन बेटियां हैं। इस बारे में बात करते हुए महिला के पति मोहन रावत ने कहा कि, “जो भी बस के ड्राईवर और कंडक्टर ने किया वह अमानवीय है और इसकी सजा इनको मिलनी ही चाहिए।लाख मिन्नतों के बाद भी ड्राईवर और कंडक्टर ने मेरी और दर्द से तड़पती मेरी पत्नी की एक ना सुनी।मुझे पूरा भरोसा है कि अगर इन्होंने मेरी सुनी होती तो मेरा नवजात बच्चा बच गया होता क्योंकि हम रुद्रप्रयाग से केवल तीन किलोमीटर दूर थे।” 

मोहन रावत ने कहा कि, “बस का नंबर नोट किया है और साथ ही बस का टिकट भी संभाल के रखा है। शनिवार को की गई पुलिस शिकायत में मैने बस के ड्राईवर का लाईसेंस निरस्त करने के साथ ही  बस का परमिट और दोनों ड्राईवर और बस कंडक्टर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।

रुद्रप्रयाग एसपी अजय सिंह मीणा ने कहा कि, “मैने शिकायत पर एक्शन लेते हुए लोकल पुलिस को इसपर छानबीन करने का आदेश दिया है।इसके साथ ही प्राईवेट बस के मालिक और उसके स्टाफ पर भी एक्शन लिया जाएगा।इसके अलावा अस्पताल के स्टाफ से बी पूछताछ की जाएगी जिन्होंने इस महिला को अस्पताल से हायर सेंटर के लिए रेफर किया था।”

हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि ,स्त्री” एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ यानि की सर्जन न होने के कारण गर्भवती महिलाओं को रेफर करना पड़ता है।” वहीं, जिलाधिकारी ने मामले में तत्काल जांच करने के निर्देश किए हैं। साथ ही दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा भी दिया है।