लापरवाही के चलते टिहरी झील में डूबी राज्य की इकलौती फ्लोटिंग मरीना

0
419
Floating Marina,Tehri,Uttarakhand
Floating Marina

(टिहरी) उत्तराखंड सरकार की ऐतिहासिक कैबिनेट का गवाह बना फ्लोटिंग मरीना आखिरकार टिहरी झील में डूब गया। चार करोड़ रुपये की लागत से फ्लोटिंग मरीना वर्ष 2015 में बनकर तैयार हुआ था, लेकिन सरकार और पर्यटन विभाग चार साल में भी इसका संचालन शुरू नहीं करा पाए। जिस कारण मरीना टिहरी झील में खड़े खड़े पानी के थपेड़े खा रहा था। बीती रात फ्लोटिंग मरीना का आधा हिस्सा टिहरी झील में डूब गया।

वर्ष 2015 में चार करोड़ की लागत का तैरता रेस्तरां फ्लोटिंग मरीना तैयार किया गया था। इसके निर्माण के पीछे सरकार और विभाग की मंशा थी कि टिहरी झील घूमने आने वाले पर्यटकों को मरीना एक नया अहसास और रोमांच देगा। तैरते मरीना में पर्यटक खाने पीने का लुत्फ उठा सकेंगे, लेकिन उसके बाद मरीना का संचालन विभाग शुरू नहीं करा पाया। 2015 से ही मरीना झील के किनारे खड़े खड़े पानी के थपेड़े खा रहा था। झील के जलस्तर में उतार-चढ़ाव के चलते पिछले साल भी मरीना एक पहाड़ी पर फंस गया था। उस दौरान मरीना के शीशे और कई अहम पाटर्स भी क्षतिग्रस्त हो गए थे।

काफी मशक्कत के बाद पर्यटन विभाग इसे पटरी पर ला पाया था। पिछले साल 16 मई को उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट भी मरीना के ऊपर हुई थी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मरीना सहित टिहरी झील के विकास की बात यहां पर कही थी, लेकिन अब मरीना डूब चुका है।

लापरवाही से बर्बाद हुआ मरीना 

पर्यटन विभाग चार साल में मरीना का संचालन नहीं करा पाया। अगर मरीना का संचालन होता तो वह इस तरह खराब न होता और न झील में डूबता। कई बार स्थानीय बोट संचालकों और युवाओं ने पर्यटन विभाग से मरीना के संचालन की मांग की लेकिन विभाग ने मरीना का संचालन शुरु नहीं किया। स्थानीय बोट संचालक कुलदीप पंवार का कहना है कि अगर पर्यटन विभाग स्थानीय युवाओं को मरीना के संचालन का जिम्मा देता तो इस तरह मरीना और ढाई करोड़ रुपये बर्बाद नहीं होते।

बार्ज की स्थिति भी जर्जर 

टिहरी झील में सात करोड़ की लागत से तैयार कराई गई बार्ज बोट (माल ढुलाई की बड़ी नाव) की स्थिति सही नहीं है।  टिहरी झील बनने के बाद प्रतापनगर ब्लाक के करीब डेढ़ लाख आबादी अलग-थलग पड़ गई। जिला मुख्यालय तक पहुंचने के लिए यहां के लोगों को 120 किलोमीटर की दूरी अतिरिक्त तय करनी पड़ती है। इसमें करीब चार घंटे लग जाते हैं। जबकि झील को पार कर यह दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर रह जाती है। ऐसे में माल ढुलाई के लिए पर्यटन विभाग ने बार्ज को तैयार किया था। लेकिन चार साल बाद भी पर्यटन विभाग बार्ज का संचालन भी शुरू नहीं करा पाया। ऐसे में बार्ज बोट भी जर्जर हो गई है। पिछले साल बार्ज में एक छेद भी हो गया था जिससे पानी रिसने लगा था। उसके बाद उसकी विभाग ने मरम्मत कराई थी।

त्रिवेंद्र सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मरीना सहित टिहरी झील के विकास की बात यहां पर कही थी, लेकिन अब मरीना डूब चुका है।