राजनीति: सच साबित हो रही है 2 महीने पहले भाजपा के बारे में अफवाह

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देहरादून, जब कहीं आग लगती है तो धुआ उठना स्वाभाविक ही होता है 2 माह पहले एकाएक कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कोटद्वार के आसपास के गांव को उत्तराखंड में मिलाने की बात की थी जिस पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने इसे बीजेपी की सोची-समझी चाल बताया था, जिसमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल और उत्तराखंड के सीमावर्ती गांवों को आपस में मिलाने की बीजेपी की योजना का खुलासा किया था।

समय के साथ-साथ यह मामला पीछे चला गया और लोगों ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी लेकिन एक बार फिर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सहारनपुर में इस मुद्दे को हवा दे दी है, जिस पर कांग्रेस सहित उत्तराखंड क्रांति दल ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं और कहीं ना कहीं रोजगार की तलाश में हजारों की संख्या में लगे लोगों के मन में भी एक अंजाना सा डर बन सा गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि भाजपा पहाड़ी राज्य उत्तराखंड का भूगोल बदलना चाहती है अौर पहाड़ की राजधानी पहाड़ में हो की मांग कहीं ना कहीं भाजपा के लिए अब पास बनती जा रही है।

इन सभी बातों की पुष्टि सहारनपुर मे बालाजी धाम के कार्यक्रम मे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंच पर अपने सहारनपुर प्रेम से जता दी अौर कहा कि वो सहारनपुर को उत्तराखंड में मिलाने के पक्षधर रहे हैं और कहां कि इसके लिए उनके द्वारा व्यक्तिगत प्रयास भी किए गये, मुख्यमंत्री का सार्वजनिक मंच पर इस बयान के मायने निकाले जा रहे हैं।

जानकार भी मानते हैं कि संभलकर बोलने वाले सीएम रावत ने इसे ऐसे ही तो नहीं कहा होगा। बीते 2 माह पहले जब कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने बिजनौर के कुछ गांवों को उत्तराखंड में मिलाने की पैरवी की थी। तब इस पर तीखी प्रतिक्रियाएं हुई थी। हालांकि भाजपा ने तब भी इस पर कोई रिएक्ट नहीं किया।

बहरहाल, पहले कैबिनेट मंत्री डा. हरक सिंह रावत और फिर स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयानों से लगता है कि भाजपा पहाड़ी राज्य उत्तराखंड का भूगोल बदलना चाहती है। भाजपा ऐसा कर पहाड़ पर राजनीतिक निर्भरता को समाप्त करने के साथ ही मैदानी क्षेत्र में वाहवाही लूटना चाहती है। लेकिन जनभावनाओं के सवालों पर राज्य की जनता मुखर होने लगी है राजनीतिक दल भी