उजड़े हुए चमन को फिर संवरने में लगेगा वक्त

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गदरपुर- सालों से जिस जमीन पर काबिज थे हाईकोर्ट के फरमान पर सब बिखर कर मिट्टी का ढेर हो गया, जेसीबी एसी गरजी की गूंज में सब धरासाई होकर रह गया, ये हाल है गदरपुर के बाजार का जहां साल भर रौनक दिखती थी आज वीराना है, सोमवार को प्रशासन की कार्यवाही के बाद लोगों ने मंगलवार को खुद ही अपने निर्माण ध्वस्त किए। गदरपुर के लोगों में उजडऩे का दर्द साफ दिखाई दे रहा है। हालांकि शासन प्रशासन के लोग चाहते तो गदरपुर को उजडऩे से बचाया जा सकता था, लेकिन किसी ने सकारात्मक रवैया नहीं अपनाया।

गदरपुर में गत दिवस व्यापारियों के विरोध को दरकिनार करते हुए जेसीबी गरजी और दर्जनों निर्माण ढहा दिए गए। खाकी के आगे बेबस व्यापारियों ने प्रशासन से दो दिन की मोहलत मांगी तो प्रशासन ने मोहलत दे दी। पूरा गदरपुर उजड़ा उजड़ा सा नजर आ रहा है। मंगलवार को व्यापारियों ने खुद ही अपने निर्माण तोड़े। लोगों की आंखों में 50 साल बाद उजडऩे का दर्द साफ नजर आ रहा है। उन्हें इस बात की भी टीस है कि उनके क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने इस समय उनकी मदद नहीं की। व्यापारियों का साफ कहना है कि यदि निर्माणाधीन बाईपास का काम पूरा करा दिया जाता तो गदरपुर को उजाडऩे की जरूरत ही नहीं पड़ती। कहा कि शासन व प्रशासन के अधिकारियों ने तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाया है। गदरपुर में तोडफ़ोड़ से व्यापारियों का भारी नुकसान हुआ है। साथ ही गदरपुर के व्यापारियों को अपनी जिंदगी पुराने ढर्रे पर लाने में वक्त लगेगा।