बाड़ाहोती में चीन के साथ तनाव की चर्चा के बीच इस सीमा क्षेत्र समेत अन्य सीमा बुग्यालों में अपनी भेड़ चराने गये भारतीय चरवाहे समय से पहले ही भेंड़ों को लेकर वापस लौटने लगे हैं। बताया जा रहा है कि चीनी सैनिकों द्वारा बाड़ाहोती में इन चरवाहों को धमकाने की घटना के बाद ये चरवाहे समय से पहले ही वापस लौट रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि चीनी सैनिकों द्वारा बाड़ाहोती में भारतीय चरवाहों को परेशान करने या धमकाने की कोई जानकारी नहीं है परंतु अन्य सीमा बुग्यालों से चरवाहे वापस लौट रहे हैं, यह आमतौर से होता ही है कि कुछ माह बाद चरवाहे बुग्यालों से नीचे आते है।
चीन सैनिकों द्वारा उत्तराखंड के बाड़ाहोती में आने की घटनाएं चर्चा में बनी, जिससे इस क्षेत्र में सजगता और चिंता है। 26 जुलाई को चीनी सैनिक बाड़ाहोती में भारतीय सीमा पर आये, इससे पूर्व दो चीनी हेलीकॉप्टर भी भारतीय सीमा पर पांच मिनट तक रहे और फिर वापस लौटे, जिससे बाड़ाहोती में चिंता और सजगता बढ़ी। भारत के चरवाहे बाड़ाहोती में परंपरागत रूप से जाते हैं। इसी अाधार पर भारत इसे अपना सधिकार क्षेत्र मानता है। ऐसा सदियों से होता आ रहा है पर चीन 1960 के बाद बाड़ाहोती में हस्तक्षेप करने की कोशिश करता आया है, नये तनाव के बीच भारतीय चरवाहे बाड़ाहोती से वापस लौटने लगेे हैं।
उधर, जोशीमठ के उपजिलाधिकारी योगेंद्र सिंह ने कहा कि, “ऐसी जानकारी मिली है कि ऊपरी बुग्यालों से चरवाहे वापस लौट रहे हैं। अलग-अलग गुटों में ये चरवाहे रहते हैं, बाड़ाहोती से ही चरवाहे वापस आ रहे हैं ऐसी जानकारी नहीं है। चीनी सैनिकों ने परेशान किया ऐसी भी कोई उन्हें सूचना नहीं मिली है पर रिखखिम, गोटिंग, लपथल, सुमना के बुग्यालों से चरवाहे वापस आ रहे है यह जानकारी है। ऐसा सामान्य रूप से होेता है क्योंकि इन बुग्यालों से चरवाहे इसी समय वापस लौटते हैं।”























































