नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के दिए आदेश से एक बार फिर से सजेंगी टेंट कॉलोनिया

पर्यटन के छेत्र में उत्तराखंड की खास पहचान गंगा में रिवर राफ्टिंग और बीच कैंप है जिसके लिए दुनिया भर के लोग ऋषिकेश का रुख करतें है एनजीटी के आदेश के बाद उत्तराखंड सरकार पिछले 1 साल से गंगा 100 मीटर के दायरे में केम्प साईट पर रोक लगा दी है अब जाकर  एक बार फिर एनजीटी ने बीच कैम्पों पर लगी रोक हटा ली है लेकिन नदी से 100 मीटर के दायरे को  के प्रतिबंध को पहले की तरह रखा है सिर्फ 25 लोकेशन पर कड़े नियमो के साथ बीच कैम्पिंग की इज्जाजत दी है।
नियम का दायराः
  • बीच कैम्प में म्यूजिक और लाइटिंग प्रतिबंधित
  • किसी भी तरह के ईधन का प्रयोग नही
  • सिर्फ सोलर लाइट वो भी रात ९ बजे तक
  • प्लास्टिक और अन्य कूड़ा फैलाना प्रतिबंधित
गंगा की उफनती लहरो में राफ्टिंग का रोमांच और गंगा तटोंं पर बीच  कैम्पिंग का मजा ऋषीकेश को विश्व के नक्शे पर एक अलग ही पहचान देता है,मनीष डिमरी,कैंप संचालक का कहना है की यही कारण है की ऋषीकेश में राफ्टिंग और कैम्पिंग स्थानीय  लोग के रोज़गार का मुख्य आधार है साथ ही इससे बड़ी संख्या में युवा जुड़े जिस से पलायन पर रोक लगी है।एनजीटी के कोडियाला से ऋषिकेश के बीच चल रहे बीच कैम्पिंग के  व्यवसाय पर रोक के  फैसले को लेकर ऋषिकेश में मायूसी छाई थी। इस व्यवसाय से जुड़े लोगो को भविष्य की चिंता सताने लगी थी,अब जाकर एमजीटी के पर्यावरण मंत्रालय को  निर्देश देते  हुये  कहा है कि विभाग जल्द से जल्द बीच कैंपो के लिए नियमावली बनाए जिसके उनका रोज़गार प्रभावित न हो।
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एनजीटी के इस कदम के बाद निराश में जी रहे  कैंप संचालकों के चेहरे खिल गए है,और ख़ुशी की लहर है।राहुल सिंह,डीएफओ नरेंद्र नगर ने कहा की बीच कैंपिंग को लेकर कड़े नियम बनाये जायँगे और अगर नियमो का उलंघन करने वाले के खिलाफ कड़ी कार्यवाही भी की जाएगी। ऋषीकेश से कोड़ियाला तक राफ्टिंग हब है जहा 113 राफ्टिंग कम्पनी रीवर रफ्टिंग और टेंट कालोनी बना कर अपना व्यवसाय कर रही थी। जिस से उत्तराखंड में पर्यटन को एक नयी पहचान मिल रही है,लेकिन अभी तक बीच कैंपिंग को लेकर किसी भी तरह की नियमावली नही बनाई गई थी जिसके कारण कई जगहों पर अवैध रूप से कैंप चल रहे थे,पर अब एनजीटी के आदेश के बाद नियमावली बनाने  के निर्देशों के बाद सम्बंधित विभाग भी पूरी हरकत पर आ गया है।अब सिर्फ ऋषिकेश से कौडियाला तक गंगा का 100 मीटर तक क्षेत्र प्रतिबंधित है और सिर्फ 25 लोकेशन पर कड़े नियमों के साथ बीच कैम्पिंग की इज्जाजत दी गयी है। गंगा पर रीवर राफ्टिंग राज्य सरकार के साथ-साथ स्थानीय युवाओं कि आमदनी का मुख्य जरिया है ऐसे में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के ऋषिकेश कोडियाला में राफ्टिंग कैम्प की गतिविधियों में रोक लगाने के फैसले  ने स्थानीय लोगो  में मायूसी थी लेकिन अब कैंपिंग के लिए नियमावली बनाने के आदेश के बाद कैंप संचालकों और लोगों को उम्मीद है की इससे  प्रदेश  में पर्यटन को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।