ठेके खुले रखने के लिये सरकार ने निकाला डिनोटिफिकेशन का जुगाड़

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    शुक्रवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में सरकरा ने शराब बिक्री से जुड़े व्यवसायी को राहत देते हुए राज्य के 63 राज्य मार्गों को डिनोटिफाई करने का फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार राजमार्ग पर शराब के ठेके बंद करने के निर्देश दिए थे और राज्य में नियम पालन भी हुआ यानी ठेके बंद कर दिए गए। लेकिन त्रिवेंद्र सरकार ने उत्तराखण्ड के हर राजमार्ग को जिला मार्ग बनाकर छोड़ दिया है। जी हां.. अब उत्तराखण्ड सरकार ने हर राजमार्ग का नाम बदलकर कर जिला मार्ग कर दिया है।

    पिछले कई दिनों से शराब को लेकर पूरे प्रदेश भर में आंदोलन के बाद त्रिवेंद्र सरकार ने कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला लिया है। सरकार के हिसाब से राज्य में लगभग 64 राज्य राजमार्ग है और 40 प्रतिशत शराब की दुकानें इन रास्तों पर है। राज्य सरकार को शराब व खनन से एक बड़ा राजस्व आता है और शायद यही कारण है कि आज शराब कारोबारियों को मुख्यमंत्री ने राहत की सांस दिला दी है।

    कैबिनेट में कहा गया कि “राज्य के शहरी स्थानीय निकाय क्षेत्रों की सीमा के अंदर आने वाले राजमार्गाें में जनसंख्या दबाव सहित मार्ग के किनारों पर भवन निर्माण, गतिविधियों में अधिक वृद्धि होने, मार्ग में सीवर लाइन, नाली, बिजली के स्तम्भ/ट्रांसफार्मर, टेलीफोन लाइन, स्थानीय निकाय के होर्डिंग आदि होने के कारण मार्ग के इन भागों का रख-रखाव और अन्य विकास व विस्तार ‘राजमार्ग’ की विशिष्टियों के अनुरूप किये जाने में व्यवहारिक कठिनाई आ रही है। इस लिये राज्य मार्गाें के वे भाग जो किसी भी शहरी स्थानीय निकाय यथा नगर निगम, नगर पालिका परिषद अथवा नगर पंचायत की सीमा से गुजरते हों, को राज्यमार्ग की श्रेणी से अवर्गीकृत(डिनोटीफोई) करते हुए इस भाग को अन्य जिला मार्ग में वर्गीकृत किया गया है। राज्य में 64 राज्य मार्ग हैं जिनमें 63 नगर निकाय पड़ते हैं।”

    पिछले कुछ दिनों में राज्य में शराब बंदी के समर्थन में कई जगह आवाज़ उठीं थी। लेकिन कयास इस बात के भी लगाये जा रहे थे कि मजबूत लिकर लाॅबी और शराब बिक्री से मिलने वाले राजस्व को ध्यान में रखते हुए सरकार कोई बीच का रास्ता निकाल सकती है। और ऐसा ही कुछ हुआ भी।