ऋषिकेश में मनाई जाती है गुरु संग होली

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गुरु और छात्र के बीच का संबंध अलग ही है इसकी तुलना किसी और रिश्ते से करना शायद गलत ही होगा।ऐसे ही रिश्ते के लिए हर साल अलग अलग विदेशी देशो से छात्र अपने गुरुओं से मिलने और होली मनाने ऋषिकेश आते हैं।78 साल के उत्तम दास ने अपने आश्रम के दरवाजे अपने छात्रों के लिए खोल कर उनका इंतजार कर रहे हैं।

अपनी प्रतिभा से 68 साल की उम्र में स्वर मंडल बजाकर श्रोताओं का दिल जीतने वाले गुरु जी के लिए,जेनीफर जो कि कनाडा कि आर्ट स्टूडेंट हैं, और आश्रम को अपना दूसरा घर मानती हैं कहती हैं कि म्यूजिक आश्रम में जाकर वहां के संगीत को सुनकर खुद को रोक पाना मुश्किल ही हीं नामुमकिन है।जेनीफर कहती हैं कि मुझे पता है कि गुरु जी को आर्ट और म्यूजिक के साथ सेलिब्रेट करना पसंद है।

भारत देश के बारे में एक बात है कि रंग और जुनून के लिए यह मशहूर है और मैं अपनी आंखे खोल कर यह त्यौहार मनाऊंगी और मेरा दिल जानता है कि मैं इसके लिए कितनी खुश हुं। संगीत और कला के लिए प्यार होना हम सबको एक साथ बांधता है, स्वर मंडल की धुन सबकी आत्मा को तरोताज़ा कर देता है,और यही संगीत होली के पर्व से हर किसी को जोड़ता है।

यूएसए की लीनिया कहती हैं कि मैं यह दिन अपने गुरु के बच्चों के सात मनाऊंगी,यह सब मिलकर मुझे होली के दिन में बता रहे और सीखा रहें,लेकिन मैं बहुत उत्सुक हूं इसको सीखने और होली के बारे में जानने के लिए,और अपने आप को भाग्यशाली मानती हूं कि इस उत्सव का हिस्सा बन पाई। रंगों को त्यौहार जहां एक तरफ पुरे देश को अपने रंग में रंगने जा रहा वहीं दूसरी ओर ऋषिकेश के आश्रमों में विदेशियों को अपने गुरुजनों के साथ होली मनाने का अलग ही अंदाज़ है।