कांग्रेस को पीछे छोड़ बीजेपी ने बचे उम्मीदवारों के नामों की घोषणा
कांग्रेस को “दलाल” कहने पर भाजपा को निर्वाचन आयोग से मिला नोटिस
मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीमती राधा रतूड़ी ने बताया कि विधानसभा चुनावों के लिए गठित राज्य स्तरीय एमसीएमसी कमेटी ने 21 जनवरी, 2017 को विभिन्न समाचार पत्रों में छपे विज्ञापनों का संज्ञान लेते हुए भारतीय जनता पार्टी को नोटिस जारी किया है।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी श्रीमती रतूड़ी ने बताया कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा 21 जनवरी, 2017 के विभिन्न समाचार पत्रों के प्रथम पृष्ठ पर विज्ञापित पंक्ति ‘‘दलालों का जाल‘‘ पर कमेटी ने आपत्ति व्यक्त की है। नोटिस में कहा गया है कि ‘‘कमेटी द्वारा इसे असंसदीय भाषा की श्रेणी में रखते हुए आदर्श चुनाव आचार संहिता के प्रावधानों के अनुसार नहीं पाया गया है। नोटिस में भाजपा को नोटिस मिलने के तीन दिन के भीतर अपना स्पष्टीकरण प्रदान करने को कहा गया है। नोटिस में कहा गया है कि “क्यों न इस प्रकार के विज्ञापन को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा‘‘।
गौरतलब है कि 21 जनवरी को लगभग सभी अखबारों के प्रथम पेज पर भाजपा ने अपने अलग अलग कोटेशन वाले विज्ञापन छपवाए थे।
पीएम मोदी ने कमांडर्स काॅन्फ्रेंस में लिया हिस्सा
शनिवार को पीएम मोदी कंबाइड कमांडर्स कांफ्रेंस में हिस्सा लेने सुबह 9 बजे जौलीग्रांट एयरपोर्ट पहुचें जहां उनके स्वागत के लिए राज्यपाल, मुख्य सचिव और डीजीपी वहां मौजूद रहे। पीएम मोदी ने सुबह 9:30 बजे से 3:30 बजे तक आईएमए में इस कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। इस बैठक में तीनों सेनाओँ के प्रमुखों के साथ सात रक्षा मंत्री मनोहर परिकर्र, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद रहे। बैठक में देश की आंतरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई।
गौरतलब है कि पीएम मोदी की इस यात्रा पर कांग्रेस ने कड़ी नाराजगी जलाई थी।उत्तराखंड के सीएम हरीश रावत ने कहा था कि मोदी अपने फायदे के लिए देहरादून आ रहें हैं। इतना ही नहीं कांग्रेस ने पीएम मोदी की इस यात्रा का विरोध करते हुए चुनाव आयोग में शिकायत की थी। इस शिकायत के जवाब में मुख्य निर्वाचन आयुक्त नसीम जैदी ने अपनी देहरादून यात्रा में कहा था कि हम देखेंगें कि मोदी की यात्रा किसी भी तरह से आचार संहिता के नियमों का उल्लंघन ना हो। हालांकि इस शिकायत से पीएम मोदी के कार्यक्रम पर कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ा।चुनाव आयोग ने इस शिकायत को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी को सशर्त इस यात्रा को करने की इजाजत दी थी और शर्त यह थी कि वो प्रेस या मीडिया से मुखातिब नही होंगें।
कांग्रेस के इस विरोध पर बीजेपी की तरफ से यह जवाब आया था कि कांग्रेस के लोग छोटी छोटी बात पर घबरा क्यों जाते हैं क्या उन्हें हर बात में खतरा महसूस होता है।बीजेपी ने कहा कि पीएम मोदी जी किसी जरुरी विषय की वजह से देहरादून आ रहें और कांग्रेस हमेश कि तरह इसको भी राजनितिक मुद्दा बना रही।
पीएम मोदी ने सुबह से शाम आईएमए के कार्यक्रम में भाग लिया और दिल्ली के लिए रवाना हो गए।कार्यक्रम की वहज से शहर के रुट में हल्के फुल्के डायवर्जन किए गए थे।
10 लाख 86 हजार रुपये के साथ पकड़े गए दो युवक
शनिवार शाम को चौबटाखाल विधानसभा क्षेत्र में तैनात पुलिस फ्लाइग स्कावड ने ज्वाल्पा मोड़ कोटद्वार रोड पर चेकिंग के दौरान एक टाटा 709 ट्रक में बैठे दो युवकों के कब्जे से 10लाख 86 हजार आठ सौ अस्सी रूपये बरामद किया गया है।मौके पर मौजूद फ्लाइंग स्कावड टीम के द्वारा बरामद रूपये को थाना कोतवाली के निर्देशन में सीज करके कब्जे में लिया गया है । हालांकि पूछताछ से यह साबित नही हुआ है कि यह पैसा चुनाव में वितरण के लिए था या किसी और काम के लिए था। इस संबंध में मौके पर ड्राइवर व साथ में मौजूद युवक द्वारा बरामद पैसे को लेकर कोई संतोषजनक जवाब न देने पर बरामद पैसे को जब्त करके आयकर विभाग को रिपोर्ट भेजी जा रही है।वाहन से कोई चुनाव सामग्री बरामद नही हुआ है।
इस सराहनीय कार्य के लिए एसएसपी पौड़ी गढ़वाल ने फ्लाइंग स्कावड में नियुक्त ADO पंचायत मदन लाल उ.नि.संजीत कंडारी व का.अंकुर एवं का. प्रवीण को 2500 रूपये इनाम की घोषणा की गयी है।
बालीवुड के ब्रेकअप लिस्ट में शामिल हुए सुशांत और अंकिता
टेलीविजन के पर्दे पर अपनी पहचान बनाने के बाद बॉलीवुड में एंट्री करने वाले सुशांत सिंह राजपूत अपनी एक्स गर्लफ्रेंड अंकिता लोखंडे से प्यार और फिर ब्रेकअप के चर्चे हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। सुशांत सिंह राजपूत की लव स्टोरी टेलीविजन के एक शो पवित्र रिश्ता से ही शुरू हुई थी और बड़े पर्दे पर पहुंचने तक लव स्टोरी का दि एंड हो गया।
सुशांत सिंह राजपूत ने बतौर एक्टर अपना करियर टेलीविजन की दुनिया से शुरू किया था। जीटीवी पर प्रसारित होने वाले पवित्र रिश्ता सीरियल की मशहूर जोड़ी यानि सुशांत और अंकिता लोखंडे 6 साल से एक दूसरे के साथ थे।वैसे तो इन दोनों ने हमेशा ही अपने रिलेशनशिप के बारे में किसी को कुछ नहीं कहा लेकिन खबर थी कि दोनों एकसाथ मुंबई में लिव इन में रहते थे। दोनों को एकसाथ कई जगह पर देखा जाता था।
आपको बता दें कि जनवरी 2016 में ये खबरें आ रही थीं कि ये दोनों जल्द ही शादी के बंधन में बंधने वाले हैं लेकिन अचानक ही ब्रेकअप की खबरों ने इनके फैन्स को निराश कर दिया था। सुशांत ने अपने ब्रेकअप की बात ट्विटर पर लिखी थी।
खबर थी कि इनके रिश्ते में आई दरार की वजह ये है कि अंकिता शादी करना चाहती थीं, वहीं सुशांत का अभी ऐसा कोई इरादा नहीं था। सुशांत अभी अपने करियर पर ध्यान देना चाहते थे। लेकिन सुशांत के मुताबिक ऐसी कोई बात नहीं थी। ये सिर्फ एक दूसरे को समझने की बात होती है। दोनों में इस चीज की कमी हो गई थी और इसलिए रिश्ता टूट गया।
पहली बार होगा इलेक्ट्रोनिक आनलाइन पोस्टल बैलेट जिससे सर्विस वोट नही होगा बेकार
उत्तराखंड चुनावों के लिये हरिद्वार की 11 विधानसभाओं में से 3 विधानसभा क्षेत्रों को इलेक्ट्रोनिक आनलाइन विधि से पोस्टल बैलेट की प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा। इससे वोटर द्वारा डाला गया सर्विस वोटर शुद्ध रूप में गिना जाएगा। यह सुविधा हरिद्वार (25), ज्वालापुर (27) और लक्सर (34) विधानसभ सीटों पर मुहैया कराई जायेगी।
इससे पहले पोस्टल बैलेट के तहत पोस्ट के द्वारा सर्विस वोटर बैलेट पेपर भेजकर पोस्ट के द्वारा ही इसे मंगवाया जाता था। इससे कई बार मतदान के बाद सर्विस वोटर का वोट मतगणना के बाद मिलता था और उसका वोट व्यर्थ चला जाता था। वोट की व्यर्थता को बचाने एवं समय की बचत के चलते तीन विधानसभा क्षेत्रों में इसका पहली बार प्रयोग किया जा रहा है। इसके तहत रिटर्निंग आफिसर सर्विस वोटर के पोस्टल बैलेट को सेना के यूनिट रिकार्ड अफसर के लिए अपलोड करेंगे। यूनिट अफसर सम्बन्धित सर्विस वोटर को आनलाइन भेजेगा। इसकी सूचना सम्बन्धित सर्विस वोटर के मोबाइल पर मैसेज से मिलेगी। सम्बन्धित सर्विस वोटर अपने पिन का प्रयोग करके इसे डाउनलोड कर मत को निर्धारित घोषणा करके पुनः इसे आनलाइन भेजेगा। बैलेट पेपर, लिफाफा को इसपर अंकित यूनिक क्यू आर कोड (बार कोड की तरह) इसे मैच करके इसकी प्रामणिकता को भी परखा जा सकता है।
गौरतलब है कि राज्य चुनाव आयोग चुनावों को पार्दरशी बनाने और ज्यादा से ज्यादा लोग वोट डाल सके इसके लिये इन चुनावों में कई कदम उठा रहा है। अब ये देखना होगा कि मौसम के बदलते मिजाज़ के चलते कितनी संख्या में लोग वोट डालने घरों से निकलते हैं।
बागियों के पेंच में उलझे कांग्रेस और भाजपा
उत्तराखंड में सत्ता पाने के लिए अपने सिद्धांत, पहचान, इकबाल और साधन आदि सब कुछ दाव पर लगाकर भाजपा जहां 18 जनवरी तक अपनी व्यूह रचना में फंसकर कांग्रेस के शर्तिया चुनाव हारने के लिए आश्वस्त थी वहीं पार्टी अब खुद ही बागियों के गुंजल में उलझती लग रही है। दूसरी तरफ बागियों की मार से त्रस्त सत्तारूढ़ कांग्रेस की पंजा छाप उम्मीदवारों की सूची भी इसी फेर में अटकी हुई है। बागियों की पीठ पर चुनावी वैतरणी पार करने को बेताब भाजपा पर बगावत की दुतरफा मार पड़ रही है। एक तरफ कांग्रेस के बागी दलबदलुओं को कमल छाप उम्मीदवार बनाने पर सिद्धांतों से फिसलने के लिए भाजपा की जनता के बीच आलोचना हो रही है, वहीं दूसरी तरफ कमल छाप पर ताल ठोकने से महरूम अनेक भाजपा नेता अब कांग्रेस से पींग बढ़ा रहे हैं। इसीलिए हालात से चैकन्नी भाजपा ने बागियों पर डोरे डालने अथवा उनकी जन्मपत्रियां खंगाल कर उनकी कमजोर नस दबाने की मुहिम षुरू कर दी है। इषारा ऐसा भी है कि और आलोचना से बचने को भाजपा अब एनडी तिवारी के लड़ाकू पुत्र रोहित शेखर को कमल छाप उम्मीदवार बनाने से गुरेज कर सकती है। इसके बावजूद भाजपा के पूर्व विधायकों सहित आधा दर्जन से अधिक नेता पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं। इनके अलावा भी भाजपा के अनेक अन्य जिलों के कद्दावर नेताओं तथा पार्टी के मोर्चों ने बगावत का जो झंडा बुलंद किया है उसे काबू करना पार्टी के लिए बड़ी चुनौती है। हालांकि नए साल के षुरू में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देहरादून के परेड मैदान में हुई जबरदस्त उत्साहित भीड़ वाली सभा के बूते शायद भाजपा को भरोसा है कि उनके करिश्मे के आगे ऐसी तमाम बगावत फीकी साबित होंगी।
भाजपा के इस आत्मविश्वास के बावजूद उत्तराखंड में 15 फरवरी को होने जा रहे विधान सभा चुनाव में इस बार बागियों का मुद्दा हावी रहने के आसार हैं। बगावत की इस चिंगारी से हालांकि पंजा छाप उम्मीदवारों की सूची थामे बैठी कांग्रेस तो पहले ही जल चुकी है। उसके दो पूर्व मुख्यमंत्रियों, चार पूर्व मंत्रियों सहित एक दर्जन से ज्यादा पूर्व विधायक पंजा छाप त्याग भाजपा के कमल छाप उम्मीदवार घोशित हो चुके हैं। इसका जवाब देने की बारी अब कांग्रेस की है। भ्रश्टाचार का पर्याय जताए जा चुके कांग्रेस के मंत्रियों और नेताओं के मुकाबले भाजपा में अपना टिकट कट जाने और अब चुनाव में उन्हीं की शान में कसीदे पढ़ने की मजबूरी से बौखलाए प्रमुख कमल छाप बागियों को जाहिर है कि अब कांग्रेस दूध पिलाने के फेर में है। इसी पलटवार की उधेड़बुन में प्रदेष का सत्तारूढ़ दल नामांकन षुरू हो जाने के बावजूद बीस जनवरी को भी पंजा छाप उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं कर पाया। सूत्र कम से कम आधा दर्जन सीटों पर भाजपा के मजबूत बागी दावेदारों के कांग्रेस से मोलतोल की भनक दे रहे हैं। उधर भाजपा भी बाकी छह सीटों पर कमल छाप उम्मीदवारों की घोषणा, कांग्रेस की सूची के इंतजार में अभी तक रोके बैठी है।
अपने बागियों को कमल छाप मिल जाने से कांग्रेस हालांकि अपने पांच साला षासनकाल पर हमले की भाजपा की धार कुंद हो जाने के प्रति तो आश्वस्त हो गई है मगर उनकी टक्कर का उम्मीदवार ढूंढने में सत्ताधारी दल के दांतों में पसीना आ रहा है। इन बागियों में चूंकि पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी और विजय बहुगुणा जैसे राज्य में व्यापक जनाधार वाले आधा दर्जन नेता षामिल हैं, इसलिए कांग्रेस को कई मोर्चों पर एकसाथ जूझना पड़ रहा है। खासकर गढ़वाल में तो भाजपा के उम्मीदवारों के सामने कांग्रेस के पास जिताउ उम्मीदवारों का जबरदस्त टोटा पड़ गया है। इसीलिए सत्ताधारी दल, भाजपा के असंतुश्टों को साथ लेकर उसे, उसी की रणनीति से चित करने पर उतारू होती दिख रही है। पंजा छाप उम्मीदवार तय करने में देरी का अन्य बड़ा कारण कांग्रेस के विजय अभियान का अब मुख्यमंत्री हरीश रावत के इर्द गिर्द सिमट जाना भी है। पिछले दस महीने में उत्तराखंड के राजनीतिक घटनाक्रम ने ऐसी करवट ली है कि कांग्रेस में सामूहिक नेतृत्व पूरी तरह छीज गया है। इसलिए मुमकिन है कि उम्मीदवारों को पंजा छाप सौंपने में अतिरिक्त एहतियात बरती जा रही हो। उम्मीदवारी में उन्हें तवज्जो दी जा सकती है जिन पर हरीश रावत खुद दाव लगाने को तैयार हों। क्योंकि ठंड से ठिठुर रहे राज्य के इस चौथे विधानसभा चुनाव में आखिर रायशुमारी तो हरीश रावत के नेतृत्व पर ही हो रही है।
प्रियंका ने फिर एक बार जीता पीपल्स च्वाइस अवार्ड
प्रियंका चोपड़ा ने टीवी शो ‘क्वान्टिको’ के लिए दूसरा पीपल्स च्वाइस अवॉर्ड भी अपने नाम कर लिया है।अभिनेत्री एलेन पोम्पिओ और वियोला डेविज को पीछे छोड़ते हुए उन्होंने पसंदीदा ड्रामेटिक टीवी अभिनेत्री का यह पुरस्कार अपने नाम किया। विजेता घोषित किए जाने के बाद प्रियंका ने अपनी मां मधु चोपड़ा को गले लगाया और फिर वह पुरस्कार लेने मंच पर गई।
प्रियंका ने अवॉर्ड हासिल करने के बाद अपने को-स्टार्स और नॉमिनेट हुए दूसरी एक्ट्रेस को शुक्रिया कहा है। उन्होंने अपने फैन्स को भी प्यार और समर्थन के लिए शुक्रिया कहा. उन्होंने बताया कि शो सोमवार से दिखाया जाएगा।प्रियंका ने इस मौके पर एक वीडियो भी शेयर किया और वोटिंग करने वालों को थैक्स कहा। प्रियंका ने वीडियो के साथ लिखा- ‘ये आपके बिना संभव नहीं होता। आप सबको बहुत प्यार’। प्रियंका के अलावा ‘2017 पीपल च्वाइस अवार्ड’ में भारतीय मूल की लिली सिंह को भी पसंदीदा यूट्यूब स्टार की श्रेणी में नामित किया गया था।
इंटरेक्टिव स्कूल इंगेजमेंट कार्यक्रम में बच्चों को किया मतदान के लिए जागरुक
चुनाव आयोग के इन्टरेक्टिव स्कूल इंगेजमेंट कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को नारी शिल्प इण्टर कालेज, देहरादून में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में स्कूल की कक्षा 9 से कक्षा 12 तक की लगभग 450 छात्राओं ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम के दौरान छात्राओं को मस्ती, दोस्ती, मतदान व अन्य मतदाता जागरूकता संबंधी वीडियो दिखायी गयी।
कार्यक्रम में सम्भव मंच की ओर से मतदाता जागरूकता संबंधी नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी गयी, जिसे छात्राओं द्वारा काफी सराहा गया। कार्यक्रम में छात्राओं ने मतदान, लोकतंत्र, रा.दल, नोटा, ई.वी.एम., चुनाव प्रक्रिया, मतदान, मतदान सहायता केन्द्र आदि से सम्बन्धित कई प्रश्न पूछे। कार्यक्रम में नोडल अधिकारी स्वीप श्रीमती बंधु, सहायक नोडल अधिकारी एस.के.निगम, ओ.एस.डी.(स्वीप) वंदना थलेड़ी एवं स्वीप समन्वयक हिमांशु नेगी द्वारा छात्राओं की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया।
छात्राओं को मतदाता जागरूकता सम्बन्धी साहित्य, कैप, बैज एवं स्नैक्स भी दिया गया। स्वीप टीम की ओर से छात्राओं से प्रश्न भी पूछे गये और सही उत्तर देने वाली छात्राओं को पुरस्कार भी दिये गये।
विद्यालय की प्राधानाचार्य कुसुम रानी नैथानी ने राज्य की स्वीप टीम का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में विमला कठैत, मोना बाली, पूनम भट्ट एवं विद्यालय का समस्त स्टाफ उपस्थित थे।
टी 20 को टेस्ट मैच की तरह खेलने के चलते कांग्रेस खो रही है एडवान्टेज
उत्तराखंड में राजनीतिक खेल अपने चरम पर है। सालों पार्टी की सेवा किये और न किये दोनों ही तरह के लोग इस समय अपने को पार्टी के लिये सबसे अमूल्य रत्न साबित करने में जुटे हुये हैं। पार्टी के कर्ता धर्ताओं के आगे भी ये धर्म संकट है कि किन कसौटियों पर टिकट दावेदारों को पर्खें। खैर इस सबके बीच कांग्रसी खेमें में दिन दिहाड़े डाका डालते हुए बीजेपी ने राज्य में कांग्रेस का ड्रैसिंग रूम लगभग खाली कर दिया और अब तक बीजेपी पर धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाने वाले नेताओं को भगवा रंग का चोला पहनाकर चुनावी मैदान में दो दो हाथ करने के लिये उतार दिया। इस दांव के चलते बीजेपी रणनीतिकार और सलाहकारों ने अपने दल को जीत का पूरा भरोसा दिला दिया। लेकिन टिकट घोषणा के बाद से ही बीजेपी में पूरे राज्य से विरोध के सुर बुलंद होने लगे हैं। जिन सिटिंग विधायकों का टिकट कटा उनसे लेकर जिन सीटों पर कांग्रेसी बागियों को लोकल लीडरशिप पर तरजीह मिली उन तक सभी पार्टी के इस फाॅर्मूले से नाराज़ हैं औऱ पब्लिक में अपना रोष भी ज़ाहिर कर रहे हैं। खैर पार्टी का कहना है कि चुनावों में नेताओं का रूठना मनाना लगा रहता है और वोटिंग तक पहुंचते पहुंचते ज्यादातर नेताओं को मना लिया जायेगा।
इस सबके बीच बीजेपी के इस कदम से कांग्रेस में और खासतौर पर मुख्यमंत्री हरीश रावत के खेमें में खुशी की लहर थी। बीजेपी के इस कदम से न केवल एक झटके में हरीश रावत के पार्टी के अंदर अधिक्तर विरोधियों का सफाया हो गया वहीं चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस को बीजेपी पर अवसरवाद की राजनीति करने का आरोप लगाकर भुनाने का मौका भी मिल गया। जानकार ये भी मानते हैं कि इतने बड़ा पैमाने पर दूसरा दल छोड़ कर आये नेताओँ को टिकट देने से पार्टी के कैडर में गलत संदेश जायेगा औऱ वो कंफ्यूशन में पड़ सकता है। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में इसके सीधा फायदा कांग्रेस को ही मिलेगा।
लेकिन ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस इस मैच में मिले पैन्लटी स्ट्रोक पर गोल नही दाग पायेगी। कारण: किस खिलाड़ी से स्ट्रोक लगवाना है ये अभी तय नही हुआ है। यानि वोट डलने में 25 दिनों से भी कम का वक्त रह गया है औऱ पार्टी ने अबी तक अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान नही किया है। लंबे समय से उम्मीदवारों को लेकर देहरादून से लेकर दिल्ली तक मैराथन मीटिंगों के दौर चले, पार्टी आलाकमान के नुमाइंदे कभी देहरादून आये तो कभी मुख्यमंत्री औऱ प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय दिल्ली भागे। लेकिन इन सबका नतीजा अभी तक सिफर ही रहा। जब किसी स्थिति को लेकर असमंजस हो और वो स्थिति राजनीतिक हो तो अफवाहों और सूत्रों से मिली खबरों का बाज़ार गुलज़ार हो जाता है। कुछ ऐसा यहां भी हुआ। पिछले दिनों दिल्ली में कांग्रेस की मुख्य चुनाव समीति की रोजाना बैठक हुई लेकिन इसके बावजूद 20 तारीख तक कांग्रेसी खेमा अपने उम्मीदवारों का चुनाव तो न कर सका लेकिन बार बार पार्टी में मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के बीच “आॅल इज वेल” के दावे करता रहा।
राज्य की राजनीतिक बिसात पर हरीश रावत अब तक किसी बाजीगर की तरह सामने आये हैं यानि हर बार वो हार कर जीते हैं। लेकिन इस राजनीतिक मैच का फाइनल जीतने के लिये अभी रावत को कापी चाले चलना बाकी हैं। बहरहाल इस सबके बीच एक आम कांग्रेसी कार्यकर्ता को अपने नेताओं से ये ही उम्मीद होगी की चुनावों के इस मौसम में नेता अपने आपसी मतभेदों को दरकिनार कर एक साथ ज़रूरी फैसले लें जो इस समय उम्मीदवारों के नामों को फाइनल करना है।