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फस्ट टाईम वोटरों के लिए अलग है वोट के मायने

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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए कम हो रहा एक-एक दिन और साथ ही उत्तराखंड में आने वाले समय में किसकी सरकार होगी,कौन अब राज्य की कमान अपने हाथ में लेगा?और कैसी होगी आने वाली सरकार?यह सारे सवाल बीतते दिनों के साथ और ज्यादा गहरे होते जा रहे है।2017 चुनाव युवाओं के लिए कितना महत्तवपूर्ण होगा यह भी देखने वाली बात होगी।

असल में 2017 चुनाव में जो पहली बार वोट कर रहे उनकी संख्या चुनाव विभाग के अनुसार 80 हजार से 1 लाख के बीच में है।यह संख्य़ा अपने आप में उस राज्य के लिए ज्यादा है जो जनसंख्या के मामले बहुत से राज्यों से कम है।उत्तराखंड एक छोटा,  16 साल पुराना राज्य है।विधानसभा चुनाव 2017 हर किसी के लिए महत्तवपूर्ण है चाहें वो नेता हो या जनता।नेता को सत्ता की चाह है तो जनता एक ऐसा उम्मीदवार चाहती है जो आने वाले 5 सालों में प्रदेश की दशा सुधार सके। 2017 चुनाव में लगभग 75 लाख 95 हजार वोटर भाग लेंगे जिसमें से पहली बार वोट करने वालों की संख्या तकरीबन 1 लाख है।

पहली बार वोट करने वालों की क्या उम्मीदें हैं सरकार से यह पूछने पर अर्पिता नेगी जो एक फस्ट टाईम वोटर हैं का कहना है, “यह मेरे लिए बहुत अलग अनुभूति है, मैं अभी से खुश हो रही कि मुझे वोट डालना है, लेकिन इस खुशी में मैं यह बिल्कुल नहीं भुल रही कि मेरा वोट किसको जाएगा।नेताओं को लगता है कि उनके खोखलों वादों से युवा पीढी उनकी बातों में आ जाएगी और उन्हें वोट दे देगी तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। आज का युवा जागरुक युवा है और आज मुझे और  मेरे जैसे हजारों पहली बार वोट करने वाले युवाओं को पता है कि उन्हें आने वाले समय में उम्मीदवारों से क्या चाहिए।” अर्पिता आगे कहती हैं कि, “मैं अपना वोट देश में चल रहे बदलाव को दूंगी,एक ऐसी सरकार को दूंगी जो मेरे प्रदेश को काले धन,भ्रष्टाचार,बेरोजगारी और मंहगाई से छुटकारा दिलाएगा और राज्य की प्रगति में योगदान देगा।”

ऐसे ही फस्ट टाईम वोटर है समीर (जिनकी उम्र 18 साल है वो कहते है कि), ” मुझे राजनीति में ज्यादा रुचि नहीं है लेकिन फिर भी मैं अपना वोट डालने जाऊंगा और मेरी पहली पसंद वही पार्टी होगी जो पर्यावरण संरक्षण का वादा करेगी और देवों की भूमि उत्तराखंड को नष्ट होने से बचाएगी।”

ठीक इसी तरह बहुत सारे वोटरों ने अपनी प्राथमिकता अलग अलग बताईं लेकिन एक बात जो सभी की प्राथमिकता थी वह था हर मामलें में राज्य का विकास।चुनाव का परिणाम चाहें जो भी हो लेकिन ऐसे युवा जो इस बार पहली दफा मतदान करेंगे उनको इस चुनाव से काफी उम्मीद है।

दिल्ली से कांग्रेस के मार्गदर्शन के लिए आए नए चेहरे

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मंगलवार को कांग्रेस भवन में प्रेस वार्ता में ऐ.आई.सी.सी के सचिव भक्त चरन दास और राजकुमार चौहान जो दिल्ली के पूर्व मंत्री रह चुके हैं,उत्तराखंड के चुनाव के मार्गदर्शन के लिए भेजें गए। ऐ.आई.सी.सी के सचिव ने बसंत पंचमी का अभिनन्दन करते हुए कहा कि उत्तराखंड चुनाव की वास्तविकता एक ऐतिहासिक प्रश्न भूमि में खड़ी है, तमाम लोग इच्छुक है कि चुनाव के नतीजे किस के पक्ष में जायेंगे।उन्होंने कहा कि यह लड़ाई दो पक्षों में विचारधारा की लड़ाई है।

आज भारत की 125 करोड़ वाली आबादी मे यू.पी.ए ने बहुत काम किया है, यू.पी.ए के अधीन, भारत की ग्रोथ रेट भी 5- 6 % से ऊपर जा रही थी। जब की अब एन.डी.ऐ की सरकार उस ग्रोथ को 1% नीचे ले आई हैं। और सबसे ज्यादा घाटा नोटबंदी के होनेे से किसानों को हुआा है जो अपने आप में ख़ासा नुक्सान है। इससे उनके आमदनी व रोज़गार मे बहुत असर पड़ा है। भक्त चरण दास, जिन्होंने उत्तराखंड के सचिव के रूप में भी काम किया है का कहना है कि, ‘उत्तराखंड की जनता शांत व सुशील प्रवृत्ति की है। यहां की जनता भली भांति समझ रही है कि बीजेपी ने केंद्र में क्या हाल मचा रखा है। इसीलिए उत्तराखंड में 2017 के चुनाव में 2/3 मत से कांग्रेस अपनी सरकार निश्चित रूप से बनाने जा रही है।”

साथ ही साथ राजकुमार चौहान ने भी बीजेपी पे निशाना साधा और कहा कि बीजेपी बागियो की पार्टी है।लोगो को अब समझ में आ गया है कि कांग्रेस ने लोगो के लिए कितना समझौता किया है। इससे साफ तौर पर कांग्रेस का आना पूर्ण रूप से तय है।

रावत और किशोर के नामांकन पर आपत्ति खारिज़

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कांग्रेस के दो दिग्गज सीएम  हरीश रावत और किशोर उपाध्याय के नामांकन पर आपत्ति को चुनाव आयोग ने निरस्त कर दिया है। सीएम रावत को किच्छा से शिल्पी अरोड़ा ने चुनौती दी थी और किशोर को सहसपुर से आर्येंद्र ने घेरे में लिया था। सोमवार को नामांकन पत्रों की जांच के दौरान किच्छा प्रत्याशी बागी शिल्पी अरोड़ा ने रावत के नामांकन पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि रावत का नाम शपथ पत्र पर और पैन कार्ड पर एक नहीं है।शपथ पत्र पर हरीश रावत और पैन कार्ड पर हरीश चंद्र रावत लिखा है।इसी तरह सहसपुर से निर्दलीय प्रत्याशी आर्येंद्र ने अपने वकील के माध्यम से किशोर उपाध्याय के नामांकन को चुनौती दी थी।आर्येंद्र के वकील की शिकायत थी कि किशोर के पैन कार्ड पर उनका नाम गलत है।

बहुत प्रयासों के बाद भी दोनों बागियों शिल्पी अरोड़ और आर्येंद्र शर्मा के हाथ कुछ ना लगा और निर्वाचन आयोग ने दोनों की शिकायतों को खारिज़ कर दिया है।गौरतलब है कि शिल्पी वही प्रत्याशी है जिसने सीएम रावत पर खुद के साथ धोखा देने का आरोप लगाया था और आर्येंद्र वह है जिन्होंने सहसपुर से टिकट ना मिलने की वजह से कांग्रेस से अपना नाता ही खत्म कर दिया था।किशोर और आर्येंद्र के चुनावी दंगल की शुरुआत हो चुकी है। साथ ही जनता के बीच यह घोषणा करने वाली ‘’मैं बताऊंगी सीएम रावत को जिताऊ उम्मीदवार कौन होता है’’ शिल्पी अरोड़ा और सीएम रावत की जंग भी किच्छा से शुरु हो चुकी है।

दून अस्पताल में रजिस्ट्रेशन,बिलिंग सब होगा आनलाईन,लंबी लाईन से मिलेगा छुटकारा

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राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में अब इलाज के लिए नहीं लगानी पड़ेगी लाईन।जी हां अब आप घर बैठे ले सकते है सरकारी डाक्टरों का अप्वाईमेंट।इतना ही नही रजिस्ट्रेशन से लेकर बिलिंग सब कुछ आनलाईन होगा और अगर यह प्रयोग सफल रहा तो प्रदेश के सभी अस्पतालों में यह सिस्टम लागू होगा।सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए आए दिन मरीजों को बहुत चक्कर कांटने पड़ते है और कई बार इतना करने के बाद भी उनको नंबर नहीं मिलता।रजिस्ट्रेशन से लेकर ओपीडी में डाक्टरों से जांच कराने से लेकर,बिलिंग और भर्ती के लिए घंटो लंबी लाईन लगानी पड़ती है जिससे मरोजों को बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

सरकार, सरकारी अस्पतालों में हास्पिटल इफार्मेशन सिस्टम लागू करने जा रही है।इसके अंर्तगत महत्तवपूर्ण सुविधाएं जैसे कि रजिस्ट्रेशन,बिलिंग,भर्ती जैसी सेवाएं आनलाईन उपलब्ध होगी।फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह सुविधा केवल राजकीय दून मेडिल कालेज में शुरु की जा रही है।यह सुविधा टाईम टू टाईम अपडेट होगी और इसके जरिए अस्पताल में कितने बेड खाली है,ओपीडी में कौन-कौन डाक्टर उपलब्ध है,कितने मरीज भर्ती है,कितने मरीजों की कौन सी जांच हुई है,ओ टी में कितने आपरेशन होने है जैसी तमाम जानकारियां उपलब्ध होगी।

दून मेडिकल कालेज के बाद अस्पताल के बाद राज्य के सभी सीएचसी व पीएचसी को इससे जोड़ा जाएगा।सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सचिवालय में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में जानकारी दी।

उत्तराखंड चुनावों में प्रचार के लिये बीजेपी स्टार प्रचारकों का टाईम टेबल हुआ जारी

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भाजपा के स्टार प्रचारकों का टाईम टेबल भी आ चुका है। भाजपा के बड़े चेहरे जो उत्तराखंड में बजाऐंगें चुनावी डंका उनका टाईम टेबल सेट हो चुका है।चुनाव में हर किसी की नज़र होती है बड़े चेहरे और ऐसे चेहरों पर जो भाजपा को प्रदेश में करेगा प्रस्तुत।

टाईम टेबल इस प्रकार हैः

  • 4 फरवरी- मुख़्तार अब्बास नकवी 11 बजे कलियार, 1 बजे झबरेड़ा, 3 बजे विकासनगर।
  • 4 फरवरी- अरुण जेटली 12 बजे पी सी प्रदेश कार्यालय देहरादून, 4 बजे जनसभा कैंट, 6 बजे डोईवाला।
  • 4 फरवरी- राजनाथ सिंह 11बजे गंगोलीहाट, 1 बजे साल्ट, 3 बजे रानीपुर।
  • 4 फरवरी- वी के सिंह 11 बजे डीडीहाट, 1 बजे थराली, 5 बजे मसूरी ( गढ़ी कैंट मे होगी जनसभा)
  • 5 फरवरी- अरुण जेटली 12 बजे पी सी हल्द्वानी, 3 बजे जनसभा लाल कुआँ।
  • 7 फरवरी- अमित शाह 11 बजे पौड़ी 1 बजे घनसाली, 3 बजे रामनगर
  • 9 फरवरी- 11 बजे नई टिहरी , 2 बजे बागेश्वर, 3 बजे काशीपुर
  • 9 फरवरी- राजनाथ सिंह 11 बजे परोला , 1 बजे धनोल्टी , 3 बजे जसपुर
  • 12 फरवरी- अमित शाह 11 बजे गंगोत्री( उत्तरकाशी) 1 बजे चंपावत, 3 बजे कोटद्वार
  • 13 फरवरी- राजनाथ सिंह 11 बजे प्रतापनगर, 1 बजे चकराता , 3 बजे डोईवाला

हालांकि प्रधानमंत्री की मौजूदगी पर भाजपाईयों ने कोई जवाब नहीं दिया।सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी  की भी जनसभा कराने की कोशिशें की जा रही हैं लेकिन फिलहाल प्रधानमंत्री कार्यालय से समय मिलने का इंतज़ार है।

जनिये कौन उम्मीदवार हुए चुनाव आयोग के सामने फेल

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ऊधमसिंहनगर 

जसपुर से 11, काशीपुर से 13, बाजपुर से 07, गदरपुर से 10, रूद्रपुर से 11, किच्छा से 09, सितारगंज से 14, नानकमत्ता से 08 व खटीमा से 12 जनपद से कुल 95 प्रत्याशियो द्वारा नामांकन कराया गया था।

जिला निर्वाचन अधिकारी अनुसार 

  • गदरपुर विधानसभा से 1 निर्दलीय प्रत्याशी सिमरन कौर,
  • किच्छा से नबीहसन कादरी निर्दलीय,
  • सितारंगज से शिवम विश्वास निर्दलीय,
  • नानकमत्ता से सोनम सिंह निर्दलीय
  • खटीमा से सुकुमार विश्वास निर्दलीय का नामांकन सम्बन्धित आरओ द्वारा जांच करने के बाद निरस्त किया गया है।

उन्होने बताया जनपद की 09 विधानसभा क्षेत्रो से जनपद मे 90 प्रत्याशी अब तक चुनाव मैदान मे है। उन्होने बताया नाम वापसी की तिथि चुनाव आयोग के निर्देशानुसार 01 फरवरी को अपराह्न 03 बजे तक निर्धारित की गई है।   

उत्तरकाशी

नामाकंन पत्रों की जांच के दौरान सैनिक समाज पार्टी के प्रत्याशी शिवकुमार का उनके द्वारा यमुनोत्री विधान सभा क्षेत्र से किया गया नामाकंन निरस्त हुआ है। जांच के दौरान सैनिक समाज पार्टी के प्रत्याशी द्वारा फार्म 26 /शपथ पत्र में खामियां पायी गयी। 

नई टिहरी। 

नामांकन पत्रों की जाॅंच  के उपरान्त दो नामाकन पत्र निरस्त कियो गये जिनमें से 9-घनसाली  (अ0जा0) में षुरबीर लाल राश्ट्रवादी काग्रेस पार्टी तथा 10- देवप्रयाग के  निर्दलीय प्रत्याषी गब्बर सिहं बंगारी षमिल हैं।

पिथौरागढ़

दो प्रत्याशियों के नामांकन पत्र में कुछ कमी पाये जाने के कारण नामांकन निरस्त किये गये जिसमें  42-धारचूला से निर्दलीय प्रत्याशी श्री राजेन्द्र सिंह कुटियाल एंव 43-डीडीहाट से निर्दलीय प्रत्याशी श्री गजेन्द्र सिंह ’गंगू’ द्वारा भरे गये नामांकन पत्र कमी के कारण जांच के दौरान निरस्त पाये गये।

नैनीताल 

जनपद के 6 विधानसभा में सोमवार को प्रत्याशियों द्वारा दाखिल किये गये नामांकन प्रपत्रों की जांच की गई।जिसमें  लालकुंआ से 11 प्रत्याशियों द्वारा नाम दाखिल किये गये थे, जिसमें से निर्दलीय प्रत्याशी सेवापुरी द्वारा जमानत राशि जमा ना करने पर रिटर्निग अधिकारी द्वारा नामांकन निरस्त किया गया।

इसी तरह हल्द्वानी विधान सभा से 10 प्रत्याशियों द्वारा नामांकन किया गया था। जिसमें से प्रमोद उप्रेती निर्दलीय प्रत्याशी के नामांकन प्रपत्र में प्रस्तावकों का नाम ना होने पर निरस्त किया गया। विधानसभा कालाढूगी में निर्दलीय सुरेश प्रसाद का शपथ पत्र अपूर्ण पाया गया जिस कारण रिटर्निग आफिसर द्वारा नामांकन निरस्त कर दिया गया। अब कालाढूगी में 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान मे शेष है।  इस तरह रामनगर विधानसभा में निर्दलीय प्रत्याशी लीलाधर शास्त्री का शपथ पत्र अपूर्ण के साथ ही सात प्रस्तावको के भाग संख्या एवं क्रमाक दर्ज ना होने पर निरस्त किया गया। इस तरह रामनगर विधानसभा सभा में अब 10 प्रत्याशी मैदान मे रह गये है। 

चमोली

बद्रीनाथ विधानसभा क्षेत्र से 10 प्रत्याशियों ने अपना नामांकन पत्र जमा कराया था जिसमें से 9 प्रत्याशियों के नामांकन प्रपत्र सही पाये गये। नियमानुसार 10 प्रस्तावक ना होने के कारण राष्ट्रीय लोकदल के प्रत्याशी गोपाल सिंह का नामांकन पत्र अस्वीकार किया गया।

देहरादून  

  • कमी पाये जाने के कारण 10 नामांकन  निरस्त किये गये, जिसमें 17 सहसपुर विधानसभा क्षेत्र से आल इंण्डिया फारवर्ड ब्लाक पार्टी के प्रत्याशी श्री मौहम्मद आतिफ के प्रस्तावक पूरे न होने के कारण तथा निर्दलीय प्रत्याशी अमित शर्मा आयु कम होेने के कारण नामांकन पत्र निरस्त किया गया, इस प्रकार बाकी 16 प्रत्याशियों के नाम निर्देशन पत्र सही पाये गये।
  • धर्मपुर से निर्दलीय प्रत्याशी श्री शाहिद हसन तथा श्री सफीक उल रहमान, भारतीय अंत्योदय पार्टी प्रत्याशी श्री बलवीर कुमार तलवाड़ एवं भारतीय सर्वोदय पार्टी प्रत्याशी घनश्याम सिंह के अपूर्ण प्रस्तावक तथा नोटिस का जवाब नही देने,
  • रायपुर वंचित समाज इंसाफ पार्टी प्रत्याशी श्री मौहम्मद उस्मान अपूर्ण प्रस्तावक,
  • कैन्टोंमैन्ट देहरादून से निर्दलयी प्रत्याशी श्रीमती दशरथी उनियाल के अपूर्ण प्रस्तावक,
  • मसूरी इण्डियन बिजनेस पार्टी प्रत्याशी  श्री सुभाष चन्द भट्ट अपूर्ण प्रस्तावक होने के कारण नामांकन निरस्त किया गया,
  •  डोईवाला से निर्दलयी प्रत्याशी श्रीमती हेमा पुरोहित के नाम निर्देशन पत्र में हस्ताक्षर न होने के कारण नाम निर्दशन पत्र निरस्त किया गया बाकी 11 प्रत्याशियों के नाम निर्देशन पत्र सही पाये गये। 

हरिद्वार 

  • हरिद्वार की 11 विधानसभा सीटों के लिए नाम निर्देशन पत्रों की संवीक्षा के दौरान कुल 07 नामांकन पत्र निरस्त हुए।
  • ज्वालापुर से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बृजरानी एवं निदर्लीय इन्द्र सिंह का पत्र निरस्त हुआ।
  • भगवानपुर से नेशनल लोकमत पार्टी की मन्तलेश का नामांकनपत्र निरस्त हुआ।
  • रूड़की से बसपा की रश्मि मुराब एवं लोक शाही पार्टी के गोविन्द गोपाल कौशिक का नामांकन पत्र निरस्त हुआ जबकि
  • हरिद्वार ग्रामीण से निर्दलीय नरेन्द्र चैहान का नामांकन पत्र निरस्त हुआ।

11 विधानसभा सीटों के लिए कुल 125 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था अब 118 प्रत्याशियों के नामांकन पत्र सही पाये गये।  

अल्मोड़ा 

रिर्टनिंग आफिसर द्वाराहाट गौरव चटवाल ने बताया कि 48 विधानसभा क्षेत्र द्वाराहाट के निर्दलीय प्रत्याशी राजेन्द्र सिंह व नवीन चन्द्र के नामांकन पत्रों में फार्म 26 अपूर्ण पाया गया जिसके बाद उनके आवेदनों को निरस्त किया गया। उन्होने बताया कि दोनों प्रत्याशी निर्दलीय हैं।

पौड़ी

विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार से चुनाव में प्रतिभाग करने वाले 12 उम्मीदवारों में से एक उम्मीदवार समाजवादी पार्टी के राकेश कुमार वर्मा का नामांकन पत्र वांछित अभिलेखों की कमी की वजह से निरस्त किया गया। 

जनपद रूद्रप्रयाग, चम्पावत और जनपद बागेश्वर से किसी भी प्रत्याशी का नामांकन रद्द नहीं हुआ है।

डोईवाला विधान सभा में निर्दलीय प्रत्याशी हेमा पुरोहित का नामांकन रद्द

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डोईवाला निर्दलीय प्रत्याशी हेमा पुरोहित का सोमवार को जरूरी कागजातों में साइन की कमी पाने से नामांकन निरस्त कर दिया गया जिससे हेमा पुरोहित को बड़ा झटका लगा है , निर्दलिय प्रत्याशी के रूप में सबसे जनता के बीच पकड़ बनाने वाली हेमा पुरोहित डोईवाला विधानसभा से दोनो राष्ट्रीय पार्टियों पर भारी पड़ रही थी। जनता के बीच हेमा पुरोहित का अच्छा जनाधार था  बताया जा रहा है। डोईवाला तहसील में स्क्रूटनी के दौरान निर्दलीय प्रत्याशी हेमा पुरोहित के कागजो में कमी पायी गयी जिसके चलते उनका नामांकन पात्र रद्द हो गया है। उनके समर्थकों में भारी मायूसी छा गई है क्योंकि हेमा रोहित ने भारी संख्या में अपने समर्थकों के साथ नामांकन कराया था लेकिन आज नामांकन पत्रों की छटनी होने पर नामांकन पत्रों में त्रुटि पाई गई।

गौरतलब है कि हेमा पुरोहित दो बार जिला पंचायत सदस्य रह चुकी है और उसने जनता में अपनी पकड़ अच्छी बनाई हुई है। वही आज जब 3:00 बजे समय समाप्त हो गया तो डोईवाला की रिटर्निंग ऑफिसर शालिनी नेगी ने बताया कि नामांकन पत्र के दो सेट जमा होते हैं लेकिन उनका एक सेट जमा हुआ जिसमें की पूरी तरह साइन नहीं किए गए थे जिस वजह से नामांकन पत्र निरस्त कर दिया गया। इससे समर्थकों में और हेमा पुरोहित में काफी मायूसी छाई हुई है,गौतलब है कि एक जमीनी और जनधार वाली नेता की छवि डोईवाला विधान सभा में हेमा पुरोहित की थी,जो कांग्रेस और भाजपा को कड़ी टक्कर दे रही थी लेकिन नामांकन पत्र में  इतनी बड़ी चूक से वो चुनावी मैदान से बहार हो गयी ,डोईवाला में समर्थक और जनता मे इसके पीछे कोई साजिश होने की बात कही जा रही है 

सहसपुर सीट से आर्येंद्र ने किशोर को दी एक और चुनौती

पीसीसी चीफ किशोर उपाध्याय और आर्येंद्र के बीच की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही।उपाध्याय को सहसपुर से टिकट मिलने के बाद से ही आर्येंद्र कांग्रेस से खफा हैं और यह बात पार्टी हाईकमान अच्छे से जानती है।जहां एक तरफ पार्टी किशोर के नामांकन का उत्सव मना रही थी वहीं आर्येंद्र ने पार्टी को अपना इस्तीफा पत्र भेज दिया था।

अब यह जंग और आगे बढ़ कर चुनावी मैदान तक आ गई है,और अब टक्कर आमने सामने की है। सोमवार को किशोर ने शक्ति प्रदर्शन के साथ अपने विधानसभा क्षेत्र सहसपुर से रोड शो की शुरुआत कि लेकिन इसके साथ ही किशोर को एक बुरी खबर मिली की आर्येंद्र के वकील ने किशोर के नामांकन पत्र पर आपत्ति जताई है।आर्येंद्र शर्मा के वकील ने इस बात par आपत्ति जताई है कि किशोर के पैन कार्ड पर उनका नाम किशोरी लाल लिखा है।

आर्येंद्र के वकील की इस सिफारिश पर देर शाम तक सुनवाई होगी और इस पर निर्णय भी सुनवाई के बाद ही आएगा।गौरतलब है कि सहसपुर विधानसभा क्षेत्र शायद इस चुनाव का हाट सीट है।यह सीट शुरु से ही विवादित रही है पहले कांग्रेस उम्मीदवार को लेकर,फिर आर्येंद्र के निर्दलीय चुनाव लड़ने को लेकर और अब एक नया विवाद किशोर के पैन कार्ड पर गलत नाम को लेकर।

रोड शो के दौरान किशोर से  यह पूछने पर कि अब वह क्या करेंगें तो उन्होंने कहा, “मुझे अभी इसकी कोई जानकारी नही है और अगर ऐसा है तो आपत्ति दायर करना वकील के अधिकार में है जो मेरे अधिकार में होगा, मैं वो करुंगा।

सहसपुर क्षेत्र विधानसभा चुनाव में एक पुख्ता सीट है जिसके आज तीन दावेदार हैं किशोर उपाध्याय,आर्यंद्र शर्मा और अब कांग्रेस से हाथ मिला चुके गुलजार अहमद।आए दिन विवादों में घिरी यह सीट आने वाले चुनावों में क्या रंग लाएगी यह तो वक्त की बात है, फिलहाल किशोर अपने ऊपर आई इस परेशानी का निराकरण कैसे करेंगें यह देखना ज्यादा महत्तवपूर्ण होगा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

धर्म, जाति समुदाय पर वोट माँगा तो ख़ैर नही

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Election
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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने एक बात साफ कर दी है कि हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि धर्म, जाति, वंश एवं समुदाय और बोली के आधार पर वोट मांगना भ्रष्ट आचरण में आता है। इसी कड़ी में भारत निर्वाचन आयोग ने सभी राजनैतिक दलों से प्रचार प्रसार में धर्म, जाति, वंश एवं समुदाय और बोली के आधार पर वोट मांगने को रिप्रजेन्टेशन आफ द पीपल एक्ट 1951 के अन्तर्गत  भ्रष्ट आचरण मानते हुए दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इसके लिए राजनैतिक दलो से भी मांग किया गया है कि वो इस संबन्ध में हाईकोर्ट के फैसले के बारे में अपने कार्यकर्ताओं, कैडर, पार्टी पदाधिकारियो को भी सूचना दें और निर्देशित करे। मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग के जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के लिए सभी डिस्ट्रीक्ट मजिस्ट्रेट और डिस्ट्रीक्ट ईलेक्टोरल आफिसर को भी निर्देश दे दिये गए हैं।
सालों से देशों की राजनीति धर्म जाति आदि के इर्द गिर्द ही घूमती रही है, यहां तक की कुछ राजनीतिक दलों के बनने का मूल अजेंडा ही ये सब रहा है ऐसे में नेता किस प्रकार अपने को इन सब का उपयोग वोट साधने मे करने से रोक पायेंगे ये दिलचस्प रहेगा।

चुनौती तो उत्तराखंड में हरीश रावत ही है

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बर्फ और गलन भरी ठंड से ठिठुर रहे इस पहाड़ी राज्य में उम्मीदवारों द्वारा परचा भरते ही चुनाव प्रचार सरगर्म हो रहा है। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ही फिलहाल बगावत से जूझते हुए भी एक-दूसरे पर राजनीतिक हमले से बाज नहीं आ रहे। कांग्रेस ने जहां पार्टी घोशणा पत्र से भी पहले मुख्यमंत्री हरीष रावत का संकल्प पत्र पेश करके चुनाव प्रचार में नई मिसाल पेश की है, वहीं भाजपा लगातार मुख्यमंत्री पर निशाना साधे हुए है। कांग्रेस के इस दाव से तिलमिला कर भाजपा रणनीति के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों से उन पर जुबानी हमले करवा रही है। रावत पर सबसे ज्यादा हमलावर विजय बहुगुणा तो हैं ही और अब भाजपा ने रमेश पोखरियाल निशंक से भी निशाना सधवा दिया है। इससे जाहिर है कि कांग्रेस के भीतर बुरी तरह तोड़-फोड़ कर लेने के बावजूद भाजपा द्वारा हरीष रावत को ही प्रमुख चुनौती माना जा रहा है।

कांग्रेस में तो पूरी चुनावी बिसात ही मुख्यमंत्री के अनुसार बिछाई गई है। प्रशांत किशोर ने रावत से सलाह मषविरे के बाद जो प्रचार अभियान बनाया है, उसकी परतें धीरे-धीरे खुल रही हैं जिससे जाहिर है कि भाजपा असमंजस में है। भाजपा ने चुनाव प्रचार का दूसरा हफ्ता बीतने के बावजूद राज्य में कोई अभिनव प्रचार शैली नहीं अपनाई है। हालांकि उम्मीदवारों की सूची सबसे पहले भाजपा ने ही 16 जनवरी को घोशित कर दी थी, लेकिन दर्जन भर कद्दावर बागी कांग्रेसियों को कमल छाप उम्मीदवार बना कर पार्टी अभी तक भीतरघात से ही जूझ रही है। अलबत्ता रोजाना कांग्रेस के कुछ पदाधिकारियों को जरूर भाजपा में शामिल कराते हुए मीडिया के सामने पेश करा दिया जाता है। तीन भाजपाई बागियों को पंजा छाप उम्मीदवार बना कर कांग्रेस ने मुंहतोड़ जवाब दे दिया। मातबर सिंह कंडारी को भी मीडिया के सामने कांग्रेस में शामिल करा लिया गया। बहरहाल सत्तारूढ़ दल में रावत के जलवे का ताजा उदाहरण धनौल्टी सीट पर पार्टी द्वारा अधिकृत घोशित उम्मीदवार मनमोहन सिंह मल्ला की जगह निर्दलीय प्रीतम पंवार को समर्थन दिया जाना है।

मनमोहन, मसूरी नगर पालिका के निर्वाचित अध्यक्ष हैं और पार्टी फैसले के खिलाफ डटे रहने का संकेत दे रहे हैं। प्रीतम पंवार पीडीएफ के उन विधायकों मे से हैं, जिन्होंने पहले विजय बहुगुणा और फिर हरीश रावत की अल्पमत सरकार को अपने समर्थन से पूरे पांच साल टिकाए रखा। हालांकि रावत के मुख्यमंत्री बनते ही कांग्रेस ने उनके समेत लगातार चार उपचुनाव जीत कर विधानसभा में अपने बूते बहुमत पा लिया था मगर मुख्यमंत्री ने पीडीएफ को सत्ता में बराबर हिस्सेदार बनाए रखा। पंवार को समर्थन देकर रावत ने राज्य के लोगों को यह संदेश देने की कोशिश की है कि कांग्रेस धोखेबाज नहीं है। यदि लोग उसका साथ देंगे तो बदले में पार्टी भी अपने वादे पूरे करने में कोताही नहीं बरतेगी।

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कांग्रेस द्वारा जारी रावत के संकल्प भी जनता में अपनी विष्वसनीयता मजबूत करने की कोषिष हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण, मजबूरन सरकारी जमीन पर बसे गरीब परिवारों को वहीं बसने का स्थाई अधिकार देने का वायदा है। इस संकल्प को कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रचारित पंधानमंत्री आवास योजना की काट के रूप् में पेष किया है। गौरतलब है कि मध्यप्रदेष में मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह 1985 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस को इसी रणनीति से जिता चुके हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि उन्होंने सरकारी जमीन पर बसे गरीबों को नहीं उजाड़े जाने का फरमान चुनाव से पहले ही जारी कर दिया था। इसके अलावा महिलाओं को सरकारी नौकरी में 33 फीसद आरक्षण भी कांग्रेस का आजमाया हुआ दाव है। पार्टी इसे भी मध्यप्रदेश में आजमा कर 1990 में विधानसभा चुनाव जीत चुकी है। बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देना भी बेहद लोक लुभावन घोशणा है जिसने भाजपा को सुरक्षात्मक मुद्रा में कर दिया है। यह मुद्दा हालांकि सरासर विवादास्पद है, क्योंकि इस पहाड़ी राज्य में संगठित क्षेत्र के रोजगार तो मुट्ठी भर ही हैं, इसलिए बेरोजगारी तय करना सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है। साथ ही सरकारी पैसे के दुरूपयोग की गुंजाइश भी इस घोषणा में अत्यधिक है। बहरहाल रावत ने फिलहाल मास्टर स्ट्रोक तो जड़ ही दिया है।

इसके अलावा प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के स्थाई और मजबूत उपाय करने की मंशा भी खासकर पहाड़ों पर बसे मतदाताओं के लिए बेहद आकर्शक साबित हो सकती है। केदारनाथ आपदा ने ये सिद्ध कर दिया कि प्रदेष में आपदा दरअसल स्थानीय नहीं बल्कि जलवायु परिवर्तन संबंधी कारणों से आ रही हैं। साथ ही इन आपदा के आगे-आगे और बढ़ने तथा विनाषकारी सिद्ध होने की आशंका प्रबल ही होने वाली है। ऐसे में आपदा की जद में आने वाले मतदाताओं के लिए यह बात बहुत महत्वपूर्ण है कि सत्तारूढ़ दल अपनी अगली पारी में इस समस्या का ठोस उपाय करने की मंषा जताए। वैसे भी रावत ने करीब दो साल के भीतर केदारनाथ पुनर्निर्माण और पुनर्वास की चुनौती से बखूबी निपट कर चार धाम यात्रा को फिर पटरी पर लाने की मिसाल से लोगों को प्रभावित तो किया ही है।

इस संकल्प पत्र की खूबी यह है कि इसके मुद्दे लोगों के मर्म को छूने वाले हैं, जिनका जवाब देना भाजपा के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी मुशकिल होगा। इसकी वजह ये है कि मोदी का सारा जोर तो सबसीडी खत्म करने पर है। उनकी घोशित नीति है कि लोगों के लिए काम के अवसर हों तो उन्हें सरकार को नकद रियायतें नहीं देनी पड़ेंगी। यह बात दीगर है कि मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार करीब पौने तीन साल में नए, स्थाई रोजगारों को छोड़ भी दें तो रोजगार के मौसमी अवसरों तक को पटरी पर नहीं ला पाई है। रही-सही कसर नोट बदली ने पूरी कर दी। अब देखना यही है कि अपनी चाल, चरित्र और चेहरा तक दाव पर लगा चुकी भाजपा और मोदी-शाह की जोड़ी लाखामंडल वाले इस राज्य में चुनाव की अग्निपरीक्षा से कितनी सुर्खरू होकर निकल पाएगी।