डिजिटल पेमेंट की दिशा में आगे बढ़ा उत्तराखंड
नमामि गंगे प्रोजेक्ट से गंगा होगी प्रदुषण मुक्त,ऋषिकेश में 158 करोड़ की बड़ी परियोजना
एफआरआई में आयोजित होगी जरुरी पौधों के संरक्षण की कार्यशाला
वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में दिनांक 17 मार्च, 2017 को ‘‘औषधीय पौधेः कृषिकरण एवं विपणन’’ पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य किसानों, सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों, वन विभागों, स्वयं सहायता समूहों, औषधीय पौधों के क्रेता-विक्रेताओ, उद्यमियों, अनुसंधान कर्ताओं एवं अन्य हितग्राहियों की औषधीय पौधों से जुड़ी हुई समस्याओं के निराकरण हेतु एक मंच उपलब्ध कराना है, जिससे औषधीय पौधों की खेती को लाभकारी बनाकर उनका उत्पादन बढ़ाया जा सके। साथ ही उनकी उपज को बाजार उपलब्ध कराया जा सके। सम्मेलन में औषधीय पौधों के संरक्षण, कृषिकरण, विपणन एवं गुणवत्ता निर्धारण आदि के बारे में सार्थक विचार-विमर्श किया जाएगा। डा0 सविता, निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान ने उक्त जानकारी देते हुए बताया कि इस सम्मेलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, हरियाणा एवं पंजाब के किसान, गैर सरकारी संगठन, औषधीय पौधों से जुड़े उद्योगों के प्रतिनिधि, अनुसंधानकर्ता एवं अन्य हितग्राहियों के लगभग 80-100 प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है।
दुल्हे का पता नहीं, तैयार है बारात और मंडप
नजूल भूमि को फ्री होल्ड कर मालिकाना हक की मांग को लेकर प्रदर्शन
रुद्रपुर, नजूल भूमि पर रहने वालों लोगों को फ्री होल्ड कर मालिकाना हक देने की मांग को लेकर लोगों ने नजूल भूमि संघर्ष समिति के बैनर तले कलक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। उन्होंने मुख्यमंत्री मंत्रों को संबोधित ज्ञापन एसडीएम को सौंपकर जल्द समस्या को दूर कराए जाने की मांग की।
कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन के दौरान लोगों ने कहा कि महानगर में नजूल भूमि पर विगत 40 वर्षों से हजारों परिवार रह रहे हैं। इतना ही नहीं लोग नगर निगम को गृहकर आदि का भी भुगतान करते हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार गरीब लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना व अन्य तरह से आवास देने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि नजूल भूमि पर रहने वाले लोगों को अभी तक मालिकाना हक नहीं मिल पाया है।
अब उच्च न्यायालय के आदेश के तहत नगर निगम नजूल भूमि पर बसे लोगों को हटाने के लिए नोटिस दे रहा है। उन्होंने कहा कि जो लोग 40 वर्षों से यहां रह रहे हैं, वह लोग अपने घरों को छोड़कर कहां जाएं। नोटिस के चलते लोग परेशान हैं। उन्होंने कहा कि अगर उनका आशियाना ही छिन जाएगा तो वह सड़क पर आ जाएंगे। उन्होंने जनहित में नजूल भूमि पर बसे लोगों को फ्री होलेड कर मालिकाना हक देने की मांग की।
काशीपुर हमले के आरोपियों पर मामूली धाराएं लगाने पर भड़के
काशीपुर, एक अधिवक्ता व उसके भाई पर हुए जानलेवा हमले के मामले में पुलिस द्वारा मामूली धाराएं लगाए जाने एवं आरोपियों की गिरफ्तारी न किये जाने के विरोध में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आनन्द स्वरूप रस्तोगी के नेतृत्व में अधिवक्ताओं ने कोतवाली पहुंच पुलिस के विरूद्ध नारेबाजी करते हुए धरना प्रदर्शन किया।
बता दें कि प्रभात कॉलोनी निवासी नरेश चन्द्र पुत्र हजारी सिंह ने पुलिस को तहरीर देते हुए कहा है कि उसके पुत्रा मोहित काम्बोज एड. अपने भाई मोहन काम्बोज के साथ बीती 12 मार्च की रात्रि बाइक द्वारा अपने घर लौट रहे थे कि कालोनी के पास विशाल कांबोज पुत्र विजय सिंह, संदीप बाबू, पुत्र ईश्वर चन्द्र व एक अन्य व्यक्ति ने उनके पुत्रों को घेर कर उन पर लाठी डण्डों व कांच की बोतलों से जानलेवा हमला कर उन्हें लहूलुहान कर दिया।
पुलिस ने घायल अधिवक्ता मोहित के पिता नरेश चन्द्र काम्बोज की तहरीर के आधार पर आरोपियों के विरूद्व धारा 323,504,506 आइपीसी के तहत नामजद रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच एसआई प्रशिक्षु भावना कर्णवाल को सौंपी थी। इधर आज अधिवक्ताओं ने उक्त मामले में मामूली धाराएं लगाए जाने व आरोपियों के खुले आम घूमने के विरोध में कोतवाली पहुंच पुलिस के विरूद्ध नारेबाजी कर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया।
अधिवक्ताओं की मांग थी कि पुलिस जांच में हीलाहवाली बरत रही है तथा आरोपी खुलेआम घूमकर लगातार पीडि़तों को धमकी दे रहे हैं। अधिवक्ताओं ने मामले को धारा 307 या 308 आईपीसी में भी तरमीम करने की मांग की। इस दौरान एसएसआई व प्रभारी कोतवाल लाखन सिंह ने अधिवक्ताओं को बताया कि पुलिस ने तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है तथा घायल अधिवक्ता का मेडिकल आने पर मेडिकल के आधार पर धाराएं बढ़ा दी जाएंगी। उन्होंने आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी का भी आश्वासन दिया।
रोज़गार की मीठी उड़ान है मधुमक्खी पालन
उत्तराखंड प्रकृति से सराबोर एक ऐसा राज्य है जहां बाग बागानों और उद्यानों की कोई कमी नहीं है। ऐसे में बहुत से लोग अपनी जीविका के लिए इन बागों पर निर्भर रहते हैं। जी हां इन्हीं बागों पर निर्भर है उन व्यापारियों की कहानी जो अपनी रोजी रोटी के लिए हर साल देहरादून के अलग अलग जगहों पर अपना टैंट लगाकर अपने व्यापार को आगे बढाते हैं।
अगर आपको तो अच्छी बात,नहीं तो हम आपको बता दें कि देहरादून की मीठी लीची दुनियाभर में मशहूर है। इन्हीं लीची के बागानों में आजकल मधुमक्खियों के व्यापारी अपनी मधुमक्खियों के घर लेकर रह रहे हैं और मधुमक्खी पालन उद्योग इसमें उनकी भरपूर मदद कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों से न सिर्फ लोगों का रुझान इसकी तरफ बढ़ा है, बल्कि खादी ग्राम उद्योग भी अपनी तरफ से कई सुविधाएं प्राप्त करा रहा है। मधुमक्खी पालन एक लघु व्यवसाय है, जिससे शहद एवं मोम प्राप्त होता है। यह एक ऐसा व्यवसाय है, जो ग्रामीण क्षेत्रों के विकास का पर्याय बनता जा रहा है। फिलहाल शहद उत्पादन के मामले में भारत पांचवें स्थान पर है।

देहरादून के अलग अलग क्षेत्र बिंदाल पुल, रायपुर, वसंत विहार, डालनवाला, अजबपुर, राजपुर के बागान और उनके फुलों पर मधुमक्खियां ही नज़र आएंगी।बिंदाल के पास लीची के बाग में अपनी मधुमक्खियां लेकर आए व्यापारी रामकुमार बताते हैं कि सन 1992 से वह अपनी मधुमक्खी लेकर यहां आते हैं और शहद बनने तक यहीं रहते हैं।इस समय रामकुमार लगभग 1000 मधुमक्खी के बक्से के साथ यहां रह रहे हैं।रामकुमार कहते हैं कि लीची के फुलों से मधुमक्खियों को ज्यादा मात्रा में रस मिलता है जिससे शहद भी ज्यादा स्वादिष्ट और सेहतमंद निकलता है।सहारनपुर के यह व्यापारी हर साल अपना रुख देहरादून की तरफ मोड़ते हैं और शहद निकलने के बाद लाखों का व्यापार करते हैं।रामकुमार ने बताया कि इतना ही नहीं इस दौरान वह मधुमक्खी पालन के लिए वर्कशाप का आयोजन भी करते हैं।
मधुमक्खी पालन से संबंधित कुछ जरुरी सवालों के जवाब इस प्रकार हैः
- कब शुरू करें मधुमक्खी पालन?
मधुमक्खी पालन के लिए जनवरी से मार्च का समय सबसे उपयुक्त है, लेकिन नवंबर से फरवरी का समय तो इस व्यवसाय के लिए वरदान है। - यह व्यवसाय कितनी लागत से शुरू किया जाना चाहिए?
शुरू में यह व्यवसाय कम लागत से छोटे पैमाने पर आरंभ करना चाहिए। मधुमक्खी की प्रमुख किस्में छोटी मधुमक्खी, सारंग मधुमक्खी, भारतीय मधुमक्खी तथा इटेलियन मधुमक्खी का इस्तेमाल करना चाहिए। इन मधुमक्खियों से शहद अधिक प्राप्त होगा और मुनाफा भी ज्यादा होगा। - इसके लिए सबसे उपयुक्त मौसम कौन-सा है?
सबसे उपयुक्त मौसम नवम्बर से फरवरी तक का है। यह समय मधुमक्खियों के लिए तापमान के हिसाब से सबसे उपयुक्त है और इसी मौसम में ही रानी मक्खी अधिक संख्या में अंडे देती है। - बचाव
जहां मधुमक्खियां पाली जाएं, उसके आसपास की जमीन साफ-सुथरी होनी चाहिए। बड़े चींटे, मोमभझी कीड़े, छिपकली, चूहे, गिरगिट तथा भालू मधुमक्खियों के दुश्मन हैं, इनसे बचाव के पूरे इंतजाम होने चाहिए।
मधुमक्खी पालन ना केवल एक आसान बल्कि अच्छी आमदनी वाला व्यवसाय भी है।अगर इसके कुछ बिंदुओं पर ध्यान दिया जाए तो बिना किसी प्रशिक्षण के भी लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं और अच्छा कर रहें हैं।खासकर प्रकृति के करीब शहर देहरादून जो फरवरी से लेकर मार्च के महीनों में मधुमक्खी पालन का केंद्र रहता है।
कौन करेगा उत्तराखंड विधानसभा में कांग्रेस का नेतृत्व
- इंदिरा हृदयेश
- गोविंद सिंह कुंजवाल और
- प्रीतम सिंह
आर्य नगर में आग पर काबू पाने में फायर सर्विस रही कामयाब
गुरुवार को थाना डालनवाला को सूचना प्राप्त हुई की चौकी नालापानी क्षेत्र में आर्य नगर नई बस्ती में एक घर में आग लग गयी है। जिसके बाद चौकी पुलिस द्वारा तुरुन्त घटनास्थल पर पहुँचकर फायर सर्विस की मदद से आग को बुझाया गया। आग लगने का कारण संभवतः शार्ट सर्किट पाया गया। घर के मालिक रामावतार पुत्र श्री जगदीश प्रसाद निवासी 141/2 आर्य नगर नई बस्ती थाना डालनवाला ने बताया की एक कमरे का सारा सामान जल गया है तथा किसी प्रकार की जन हानि नही हुई है। पुलिस व फायर सर्विस के द्वारा किये गए त्वरित सहयोग व कार्यवाही की जान मानस ने प्रशंसा की।
उत्तराखंड में कैसे चला मोदी मैजिक
उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में मिली ऐतिहासिक जीत को बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ किया है कि सरकार बहुमत से बनती है, लेकिन चलेगी सबके मत से। यह सरकार उनकी भी है जिन्होंने साथ दिया और उनकी भी है जिन्होंने साथ नहीं दिया। मोदी ने 2022 में देश की आजादी की 75 साल पूरे होने पर देश के सवा सौ करोड़ लोगों से एक संकल्प लेने का आह्वान किया जिससे देश विकास के पथ पर आगे बढे़ और एक गौरवशाली भारत का निर्माण हो सके। अपनी इस जीत के साथ मोदी ने 2019 के चुनावों का अजेंडा सेट कर दिया है। हमने जानने की कोशिश करी कि आखिर मोदी की इस अप्रत्याशित जीत के पीछे क्या कारण रहे।
नोटबंदी पर मोदी के साथ खड़ा हुआ मतदाता।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नोटबंदी को लेकर मोदी जनता का भरपूर साथ मिला। बीजेपी अंदरखाने नोटबंदी को लेकर हलचल और आशंकित भी थी। नोटबंदी की अधिसूचना 8 नवम्बर को हुई थी। तब उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव की अधिसूचना लागू होने में करीब दो माह का वक्त था। बीजेपी के नेता इस बात को लेकर आशंकित थे कि चुनाव से पहले नोटबंदी पार्टी को उल्टी न पड़ जाये। बीजेपी से जुड़े व्यापारी नेता ही बल्कि कुछ वरिष्ठ नेता भी उस समय की इस नोटबंदी को पार्टी के पक्ष में नहीं मान रहे थे।
इस चुनाव में जनता की अदालत ने नोटबंदी को 100 में से 95 अंक दिए है। इसलिए उत्तराखंड में बीजेपी की इस अभूतपूर्व जीत को नोटबंदी पर जनता के समर्थन की मुहर के तौर पर भी लिया जा रहा है। नोटबंदी को आम लोगो ने पैसे वालों पर मोदी की बड़ी चोट के तौर पर भी देखा। चुनाव के दौरान जनसभाओं में भी मोदी ने नोटबंदी को जनहित में बताकर इसके फायदे गिनाए। खासकर महिलाओं में नोटबंदी को लेकर मोदी का खासा समर्थन नजर आया। आम लोगो का यही समर्थन वोटो में बदला और बीजेपी को तीन चौथाई से अधिक सीटे मिली।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार अविकल थपलियाल ने कहा कि “एक उत्तराखंड की जनता को कांग्रेस सरकार के खिलाफ नाराज़गी थी, सरकार से जनता खुश नहीं थी, साथ ही हरीश रावत चुनाव प्रचार में बुरी तरह पिछड़ गए और अपनी बात जनता तक चुनाव के समय नहीं पहुंचा पाए जबकि बीजेपी ने धुआंधार प्रचार किया।”
थपलियाल कहते हैं कि “हिन्दू वोट 6 से 7 प्रतिशत बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुआ जबकि बसपा का वोट इस चुनाव में कम हुआ। इसकी वजह यह भी रही की हरीश रावत ने चुनाव से पहले यह बोल दिया था कि जुम्मे के दिन कर्मचारियों को 2 घंटे का अवकाश लेले । यह वजह रही की पहाड़ का वोट बीजेपी की तरफ हो गया था।”
मोदी लहर चलने की एक बड़ी वजह राज्य में फौजी होने के कारण मोदी का फार्मूला ‘वन रैंक वन पेंशन” का ख़ास फायदा देखने को मिला। हरीश रावत वर्सेज मोदी में लोगों ने प्रधानमंत्री का ही हाथ थामा है क्योंकि मोदी जनता को कह गए थे की उत्तराखंड को डबल इंजन की जरूरत है एक इंजन केंद्र का और एक इंजन उत्तराखंड का, इसका सीधा फायदा बीजेपी को 11मार्च को दिख गया है।




























































