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महिला चीता कर्मियों द्वारा की जा रही पहल की प्रसंशा

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महिला चीता में नियुक्त महिला पुलिस कर्मियो द्वारा अपने अपने थाना क्षेत्रों में स्थित स्कूलों में जाकर स्कूलों के आसपास की गतिविधियों के सम्बन्ध में जानकारी की गयी।

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इसके अतिरिक्त थाना क्षेत्र में स्थित सीनियर सिटीजन से मुलाकात कर जानकारी ली गयी, साथ ही ट्रैफिक ड्यूटी, सम्मन तामीली आदि कार्य किये गए।

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जनता द्वारा वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महोदया के निर्देशन में महिला चीता कर्मियों द्वारा की जा रही इस पहल की प्रसंशा की गयी।

ऋषिकेश में प्रेम की हैट्रिक,नरेंद्रनगर से सुबोध जीते तीसरी बार ,यमकेश्वर से जनरल की बेटी ने भी मारा मैदान

उत्तराखंड में बीजेपी को एतिहासिक जीत हासिल हुई है। होली से पहले ही पूरा प्रदेश केसरिया रंग में रंग चूका है। बात अगर ऋषिकेश , यमकेश्वर  और नरेंद्र नगर विधानसभा की करें तो इन तीनो विधानसभाओं में बीजेपी ने एतिहासिक जीत दर्ज की है ।  बीजेपी की इस बड़ी जीत का श्रेय कांग्रेस से बीजेपी में सम्मलित हुए नेताओं को भी जा रहा है बात अगर नरेंद्र नगर विधानसभा की करें तो यहाँ पर कांग्रेस के बागी नेता सुबोध उनियाल बीजेपी के टिकट पर चुनाव मैदान में थे जबकि दूसरी और यहाँ बीजेपी के बागी ओम गोपाल रावत भी बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रहे थे, लेकिन सारे समीकरणों को दरकिनार करते हुए सुबोध उनियाल ने नरेंद्र नगर से 4972 वोटों से जीत दर्ज दर्ज कर चुके है। जिसके बाद उनके समर्थकों में काफी खुशी है । उत्तराखंड में कांग्रेस के सारे दावों को नकारते हुए प्रदेश में जनता ने बीजेपी को बहुमत के आंकड़े से कहीं ज्यादा सीटें दिला कर इतिहास रच दिया है ।बीजेपी ने कई सीटों पर पहली बार जीत दर्ज की तो वहीँ दूसरी और कई सीटों पर जीत की हैट्रिक लगाई बात अगर ऋषिकेश की करें तो यहाँ बीजेपी ने लगातार तीसरी बार बड़ी जीत तर्ज की है इस बार ऋषिकेश से प्रेम चंद्र अग्रवाल 14 ,900 वोटों से जीते है जो की एक बहुत बड़ा अंतर है। वहीँ यमकेश्वर विधानसभा छेत्र में भी बीजेपी का डंका बजा और पहली बार चुनाव मैदान में उतरी जनरल की बेटी ऋतू खंडूरी ने 9204 वोट से जीत दर्ज कर पार्टी का विश्वास कायम रखा ।

56 सीटों के साथ आई बीजेपी की आंधी के सामने कांग्रेस के 11 सूरमा ही टिक पाये

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बीते 15 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ था। पिछले एक महीनें से जनता और राजनितिज्ञ 11 मार्च यानि शनिवार का िंतजार कर रहे थे।शनिवार को उत्तराखंड चुनावी नतीजे सबके सामने हैं।

आइये एक नज़र डाले चुनावी नतीजों परः

अल्मोड़ा
रघुनाथ सिंह चौहान
बदरीनाथ
महेन्द्र भट्ट
बागेश्वर (एससी)
चंदन रामदास
बाजपुर (एससी)
यशपाल आर्य
भगवानपुर (एससी)
ममता राकेश
भीमताल
राम सिंह कैरा
चकराता (एसटी)
प्रीतम सिंह
चंपावत
कैलाश चंद
चौबट्टाखाल
सतपाल महाराज
देहरादून कैंट
हरबंश कपूर
देवप्रयाग
विनोद कण्डारी
धनौल्टी (एससी)
प्रीतम सिंह पंवार
धरमपुर
विनोद चमोली
धारचूला (एसटी)
हरीश धामी
डीडीहाट
बिशन सिंह
डोइवाला
त्रिवेन्द्र सिंह रावत
द्वाराहाट
महेश नेगी
गंगोलीहाट (एससी)
मीना गंगोला
गंगोत्री
गोपाल सिंह रावत
घनसाली (एससी)
शक्तिलाल
हल्द्वानी
इंदिरा हृदयेश
हरिद्वार
मदन कौशिक
हरिद्वार ग्रामीण
स्वामी यतीश्वरानन्द
जागेश्वर
गोविंद सिंह कुंजवाल
जसपुर
आदेश सिंह चौहान
झबरेड़ा (एससी)
देशराज कर्नवाल
ज्वालापुर (एससी)
सुरेश राठौड़
कालाढूंगी
बंशीधर भगत
कपकोट
बलवन्त सिंह भौर्याल
कर्णप्रयाग
सुरेन्द्र सिंह नेगी
काशीपुर
हरभजन सिंह चीमा
केदारनाथ
मनोज रावत
ख़ानपुर
कुंवर प्रणव चैम्पियन
खटीमा
पुष्कर सिंह धामी
किच्छा
राजेश शुक्ला
कोटद्वार
हरक सिंह रावत
लक्सर
संजय गुप्ता
लालकुआं
नवीन दुमका
लैंसडाउन
दलीप रावत
लोहाघाट  प्रतीक्षारत
फपमंगलौर
काज़ी मोहम्मद निजामुद्दीन
मसूरी
गणेश जोशी
नैनीताल
संजीव आर्य
नानकमत्ता (एसटी)
प्रेम सिंह
नरेन्द्र नगर
सुबोध उनियाल
पंतनगर-गदरपुर
अरविंद पाण्डे
पौड़ी (एससी)
मुकेश सिंह कोहली
पिरान कलियर
फुरकान अहमद
पिथौरागढ़
प्रकाश पंत
प्रतापनगर
विजय पंवार
पुरोला (एससी)
राजकुमार
रायपुर
उमेश शर्मा काऊ
राजपुर रोड (एससी)
खजान दास
रामनगर
दीवान सिंह बिष्ट
रानीखेत
करण माहरा
रानीपुर
आदेश चौहान
ऋषिकेश
प्रेम चंद अग्रवाल
रुड़की
प्रदीप बत्रा
रुद्रप्रयाग
भारत सिंह
रुद्रपुर
राजकुमार ठुकराल
सहसपुर (एससी)
सहदेव पुण्डीर
सल्ट
सुरेन्द्र सिंह जीना
सितारगंज (एससी)
सौरभ बहुगुणा
सोमेश्वर (एससी)
रेखा आर्य
श्रीनगर (एससी)
धन सिंह रावत
टिहरी
धन सिंह नेगी
थराली (एससी)
मगनलाल शाह
विकासनगर
मुन्ना सिंह चौहान
यमकेश्वर
ऋतु खंडूड़ी
यमुनोत्री
केदार सिंह

उत्तराखंड की वीआईपी सीटों के नतीजे

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यू तो उत्तराखंड विधानसभा चुनाव अपने आप में हाट ही था। लेकिन कुछ सीटों पर सबकी नजरें टकटकी लगा कर नतीज़ों का इंतज़ार कर रहे थे।

आइये देखें उत्तराखंड की वीआईपी सीटों के नतीजें कैसे रहेंः

अजय भट्ट
रानीखेत
धन सिंह रावत
श्रीनगर (एससी)
हरक सिंह रावत
कोटद्वार
गणेश जोशी
मसूरी
गोविंद सिंह कुंजवाल
जागेश्वर
हरबंश कपूर
देहरादून कैंट
हरीश रावत
हरिद्वार ग्रामीण
हरीश रावत
किच्छा
इंदिरा हृदयेश
हल्द्वानी
काशी सिंह ऐरी
डीडीहाट
किशोर उपाध्याय
सहसपुर (एससी)
कुंवर प्रणव चैम्पियन
ख़ानपुर
मदन कौशिक
हरिद्वार
प्रदीप बत्रा
रुड़की
प्रकाश पंत
पिथौरागढ़
पुष्पेश त्रिपाठी
द्वाराहाट
रणजीत सिंह रावत
रामनगर
रेखा आर्य
सोमेश्वर (एससी)
ऋतु खंडूड़ी
यमकेश्वर
संजीव आर्य
नैनीताल
सतपाल महाराज
चौबट्टाखाल
सौरभ बहुगुणा
सितारगंज (एससी)
शैलारानी रावत
केदारनाथ
शैलेन्द्र मोहन सिंघल
जसपुर
सुबोध उनियाल
नरेन्द्र नगर
सुरेन्द्र सिंह नेगी
कोटद्वार
तिलक राज बेहड़
रुद्रपुर
त्रिवेन्द्र सिंह रावत
डोइवाला
उमेश शर्मा काऊ
रायपुर
यशपाल आर्य
बाजपुर (एससी)
स्वामी यतीश्वरानन्द
हरिद्वार ग्रामीण

बीजेपी की होली में मनी दिवाली, उत्तराखंड पर किया कब्ज़ा

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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत मिलने से भाजपा में होली और दीवाली एक साथ मनाईजा रही है। पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद रमेश पोखरियाल निशंक का कहना है कि हम भारी बहुमत से उत्तराखंड में सरकार बनाने जा रहे हैं। उधर, पूर्व मुख्यमंत्री और सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि जनता को विश्वास है कि भाजपा ही प्रदेश का विकास करेगी इसी के चलते उसने पार्टी को ऐसा प्रचंड बहुमत दिया है।
केंद्रीय मंत्री और राज्य भाजपा के वरिष्ठ नेता अजय टमटा ने खुद को सीएम की रेस से बाहर बताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भाजपा की जीत के ट्रेंड की वजह पीएम नरेंद्र मोदी का कुशल नेतृत्व व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के सियासी कौशल के अलावा केंद्र की पौने तीन साल के कार्यकाल में जनहित के काम हैं।
टमटा ने कहा कि जनता को रावत से उम्मीद थी, मगर उन्होंने विकास के बजाय शराब व खनन माफिया को जरूरत पूरी की। स्टिंग से पूरे देवभूमि को बदनाम किया। रावत के पास उम्र के अंतिम पड़ाव में जनता के लिए कुछ करने का मौका था, मगर उन्होंने पहाड़ के संशाधनों की लूट की। जिससे आजिज आ कर जनता ने बीजेपी को जनोदेश दिया।
बीजेपी के प्रदेश प्रभारी श्याम जाजू ने कहा कि जनता को डबल इंजन वाली बात पंसद आई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भाजपा का कोई कार्यकर्ता ही बनेगा। उधर, विधान सभा कोटद्वार से भाजपा प्रत्याशी डा. हरक सिंह रावत ने कहा कि भाजपा की जीत से हरीश रावत का अहंकार जरूर टूट गया है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता व विकासनगर सीट पर रावत के कैबिनेट मंत्री नवप्रभात को हराने वाले मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि जिस तरह का जनादेश जनता ने दिया है, जाहिर है कि भाजपा से उनकी बहुत अधिक अपेक्षाएं हैं। अब इन अपेक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती है। क्षेत्र की जनता ने उन पर जो विश्वास जताया, इसका वह आभार करते हैं।
भाजपा से ऋषिकेश सीट से चुनाव जीतने वाले प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि मैं लगातार दस साल से जनता की सेवा कर रहा था। ये उसी का प्रतिफल है। मोदी जी का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। उनका भी आशिर्वाद मिला।
उन्होंने कहा कि हरीश रावत ने मुझे हराने के लिए क्या नहीं किया। क्षेत्र में शराब और पैसा बांटा गया और प्रशासन मूकदर्शक बना रहा। यहां तक की निर्दलीयों की भी मदद की, लेकिन वह कामयाब नहीं हुए। हरीश रावत बोलते अच्छा हैं, लेकिन जिस तरह का भ्रष्टाचार,माफियाराज उनके कार्यकाल में पनपा जनता ने उसका मुंह तोड जवाब दिया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री एंव सदस्य भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सतपाल महाराज ने कहा कि होली पर भाजपा की भारी जीत से अब नए युग की शुरुआत हो गई है। अब भय, भ्रष्टाचार मुक्त, बेरोजगार मुक्त एवं उन्नत भारत का निर्माण होगा। चौबट्टाखाल से जीत के बाद जनता को धन्यवाद देने के बाद उन्होंने कहा कि यह उनकी नहीं, बल्कि चौबट्टाखाल की जनता की जीत है।

अब मुख्यमंत्री उम्मीदवार के नामों को लेकर अटकलें तेज

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चुनावों में भारी जीत दर्ज कर बीजेपी ने एक पड़ाव तो पार कर लिया है। बीजेपी ने राज्य में कोई मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया और मोदी के नाम पर लड़ा चुनाव। अब पार्टी के अंदर कौन बनेगा मुख्यमंत्री को लेकर च्रचाएं तेज़ हो गई हैं। बीजेपी चुनाव जीतने के बाद किस चेहरे को मुख्यमंत्री बनायेगी, यह बात लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी में ऐसे नेताओं की एक लंबी कतार है जो मुख्यमंत्री के दावेदार है। चुनाव के वक्त भाजपा विवादों पर विराम लगाते हुए मोदी के नाम पर प्रदेश में चुनाव लड़ा।वैसे भाजपा में सतपाल महाराज को सीएम बनने को लेकर चर्चा जोरों पर है लेकिन पार्टी की ओर से अभी कुछ कहा नही जा रहा है। झारखण्ड के प्रभारी व डोईवाला से भाजपा विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम भी सीएम की रेस में चल रहा है और उन्हें भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का नजदीकी माना जाता है।
उत्तराखण्ड के चुनाव प्रभारी जेपी नड़्डा ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को एक चुनावी सभा में सीएम पद के दावेदार होने के संकेत दिए थे। इसके अलावा प्रकाश पंत को भी सीएम की रेस में माना जाता है। बहरहाल हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड का उद्धारण ले तो हर बार केंद्र की तरफ से ही तचुना हुआ उम्मीदवार ही मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठता है।

उत्तराखंड गठन के बाद से अब तक तीन विधानसभाओं में एक को छोड़ दिया जाये तो राज्य में विधायक से पहले सीधे मुख्यमंत्री बनने की परंपरा चली आ रही है। बात करें पिछले तीन विधानसभा चुनावों की तो वर्तमान में हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को छोड़ दिया जाए तो कोई भी मुख्यमंत्री 16 सालों में सीएम बनने के बाद ही उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुए। चौथी विधानसभा के चुनाव के बीच एक बार फिर लोगों में इस बात की चर्चा बनी हुआ कि भाजपा से कौन नेता मुख्यमंत्री होगा।
उत्तराखण्ड गठन के बाद प्रथम मुख्यमंत्री बने नित्यानंद स्वामी 09 नवम्बर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक सीएम तक रहें। भगत सिंह कोश्यारी 30 अक्टूबर 2001 से 01 मार्च 2002 तक सीएम रहे इस दौरान राज्य में अंतरिम विधानसभा थी और आम चुनाव नहीं हुए थे। वर्ष 2002 में पहली बार विधानसभा के आम चुनाव हुए, लेकिन सीएम बनने वाले एनडी तिवारी रामनगर सीट पर उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुए।
भुवन चन्द्र खंडूड़ी मार्च 2007 से 26 जून 2009 तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन वे भी विधानसभा चुनाव में विधायक नहीं बन पाए थे और वे धूमाकोट विधानसभा सीट से उपचुनाव में विधायक बने। रमेश पोखरियाल निशंक 27 जून 2009 से 10 सितम्बर 2011 तक सीएम रहे जो अकेले ऐसे विधायक हैं जो मुख्यमंत्री रहे। वर्ष 2012 में भाजपा से सत्ता छीनकर कांग्रेस के विजय बहुगुणा भी पहले सीएम बने और बाद में सितारगंज से उपचुनाव में विधायक बने।
वर्तमान सीएम हरीश रावत भी सांसद रहने के बाद 01 फरवरी 2014 को सीएम बने तो वह भी धारचुला विधानसभा सीट से उप चुनाव में विधायक बने। 

तो ये रही कांग्रेस बीजेपी के चुनावी नतीजों में समानता

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ये चुनाव तरह तरह के अप्रत्याशित नतीजों के लिये जाना जायेगा। वहीं बीजेपी और कांग्रेस दोनों के ही प्रदर्शन में एक समानता ज़रूर रही। दोनों ही पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष अपनी अपनी सीटें हार गये। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट रानीखेत से कांग्रेस के करण माहरा से हरा तो सहसपुर से कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को बीजेपी के सहदेव सिंह पुंडीर के हाथों हार का सामना करना पड़ा। गौरतलब है कि दोनों ही सीटों पर पार्टी से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े उम्मीदवार हार का कारण सबित हुए। रानीखेत सीट पर निर्दलीय कड़े हुए प्रदीप नैनवाल करीब पांच हजार वोट लेकर अजय भट्ट की हार कारण बने वहीं टिकट कटने के चलते एन मौके पर कांग्रेस छोड़ निर्दलीय लड़े आर्येंद्र शर्मा करीब 21 हजार वोट लेकर खुद नहीं जीते पर किशोर उपाद्याय की हार की कहानी लिक डाली।
ये चुनावी नतीजे कांग्रेस के लिए किसी दशहत के कम नज़र नहीं आ रहे हैं। जहां कांग्रेस मात्र कुछ सीटों पर सिमटत गई है वहीं, बीजेपी ने भी खुद को मिले अपार जन समर्थन का शायद सपना भी नहीं देखा होगा। नतीजों से जहां कांग्रेस समर्थकों में बड़ी निराशा है वहीं, बीजेपी समर्थकों के लिये ये होली का एडवांस तोह्पा साबित हुआ है।
बात करें कांग्रेस की तो रुझान आने के साथ ही देहरादून स्थित कांग्रेस भवन में सन्नाटा पसर गया था। कांग्रेस को अपनी हार तो सामने नज़र आ रही थी लेकिन इतने बुरे हाल होंगे ये तो किसी ने सोचा तक न होगा। ये नतीजे देख राजनीतिक पंडित भी हैरान हैं। सभी बीजेपी-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर का अनुमान लगा रहे थे लेकिन यहां तो बीजेपी के सामने कांग्रेस दूर-दूर तक कहीं नहीं टिकी।

मोदी सुनामी में बह गया बहन जी का हाथी, नहीं खुला खाता

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उत्तराखंड के जन्म के साथ ही यहां किंगमेकर के तौर स्थापित रही रही बहुजन समाज पार्टी इस बार मोदी सुनामी में जड़ से ही उखड़ गई। पार्टी का प्रदेश में खाता भी नहीं खुल पाया। जी हां इस बार के चुनाव में राज्य में तीसरी सियासी ताकत रही बहुजन समाज पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। पिछले तीन चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाली बसपा इस चुनाव में कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई। हरिद्वार और उधमसिंह नगर में मजबूत मानी जाने वाली बसपा इस चुनाव में चारों खाने चित हो गई। पार्टी के सबसे मजबूत क्षत्रप सरवत करीम अंसारी भी मंगलौर से चुनाव नहीं जीत पाए।
बताते चले कि उत्तराखंड राज्य गठन के बाद बसपा 2002 के चुनाव में सात सीटों पर विजयी हुई। उस समय बसपा ने यह नारा दे डाला कि उत्तराखंड में बसपा बैलेंस ऑफ पावर की भूमिका में आएगी। विशेषकर हरिद्वार और उधमसिंह नगर में बसपा को बड़ी सफलता मिली। इन्हीं दो जिलों में बसपा ने जनाधार बढ़ाने की दृष्टि से फोकस किया।
इसका नतीजा यह रहा कि 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा की सीटें बढ़कर आठ हो गईं। यह अलग बात है कि इस दौरान बसपा के बीच सियासी उठापटक भी बनी रही। लेकिन, 2012 के चुनाव में बसपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली और पार्टी हरिद्वार तक ही सिमट गई। हरिद्वार से बसपा के तीन विधायक जीतकर आए, लेकिन बाद में दो विधायकों को बसपा से निष्कासित कर दिया गया।
इस बार बसपा को विधायकों की संख्या बढ़ने की अपेक्षा थी और सभी सीटों पर बसपा ने प्रत्याशी भी उतारे थे। लेकिन, बसपा एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर पाई। इसके संकेत साफ हैं कि उत्तराखंड की राजनीति कांग्रेस और भाजपा के इर्द-गिर्द की निकट भविष्य में रहने वाली है। बसपा अब इस झटके से कैसे उभरती है यह उसके लिए बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

कांग्रेस के कप्तान हरीश रावत अपनी सीट तक नहीं बचा सके, प्रतिष्ठा भी हारी

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कांग्रेस के एकमात्र चेहरे हरीश रावत पर ही पूरी उत्तराखंड कांग्रेस की उम्मीदें टिकी थीं लेकिन लगता है इसबार जनता ने कांग्रेस को पूरी तरह नकारने का मन बना लिया था। हरीश रावत की तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस कुछ खास नहीं कर पाई। हालात ये हैं कि मुख्यमंत्री हरीश रावत अपनी दोनों सीटें नहीं बचा सके हैं। जहां हरिद्वार ग्रामीण से बीजेपी उम्मीदवार स्वामी यतीश्वरानंद ने हरीश रावत को 12 हजार के ज्यादा वोटों से हराया। वहीं, किच्छा सीट पर बीजेपी के राजेश शुक्ला ने रावत को करारी शिकस्त दी।

इस बार एग्जिट पोल सर्वे सही साबित हुए हैं। एग्जिट पोल सर्वे पहले ही ये इशारा कर चुके थे कि राज्य में बीजेपी की सरकार को पूर्ण बहुमत मिलने जा रहा है लेकिन जितना अच्छा बीजेपी का रिजल्ट रहा है उसकी तो शायद बीजेपी को भी उम्मीद नहीं रही होगी। बीजेपी ने राज्य में वो कारनामा कर दिखाया है जो राज्य के इतिहास में दर्ज हो गया है। इतनी बंपर जीत यहां आजतक किसी पार्टी को नसीब नहीं हुई।
बीजेपी के इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत कांग्रेस एकदम हाशिये पर चली गई है। हालात ये हैं कि कांग्रेस को हर सीट जिताने का जिम्मा संभालने वाले हरीश रावत खुद अपनी दोनों सीटें नहीं बचा पाए हैं। ये हरीश रावत की नहीं बल्कि राज्य के इतिहास में कांग्रेस की सबसे बड़ी हार है। इसबार जनता ने एकतरफा वोट कर बीजेपी को सत्ता की चाभी सौंप दी है साथ ही राज्य में मोदी लहर को भी पुख्ता कर दिया है।

राज्य के वाहनों की डिजिटल जानकारी होगी तैयार

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राज्य की सड़कों पर दौड़ते वाहनों की डिजिटल जानकारी जल्द ही तैयार की जाएगी। राज्य परिवहन विभाग एक चिप में वाहनों की कुंडली को उपलब्ध कराने की योजना पर काम कर रहा है। इसके तहत वाहन की जानकारी कंप्यूटर स्क्रीन पर एक चिप के माध्यम से उपलब्ध होगी। इस चिप में रजिस्ट्रेशन, वाहन का बीमा और फिटनेस से संबंधित सभी जानकारियां दर्ज होंगी। विंड स्क्रीन अथवा दुपहिया पर आगे की ओर चस्पा चिप को टोल बैरियर पर लगे स्कैनर आसानी से ट्रैस कर लेंगे।
सड़क सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार के नए प्रस्तावों में इसका प्रावधान किया गया है। इसी क्रम में उत्तराखंड में जल्द ही नई तकनीक का प्रयोग शुरू कर दिया जाएगा। रजिस्ट्रेशन के वक्त लगाई जाने वाली इस चिप का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि अब वाहन स्वामी को कागजात रखने के झंझट से भी निजात मिल जाएगी।
संभागीय परिवहन अधिकारी सुधांशु गर्ग ने बताया कि रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआइडी) प्रोजेक्ट के लिए परिवहन संभाग को प्रशिक्षण भी दिया जा चुका है। उन्होंने बताया कि वाहनों की सुरक्षा की दृष्टि से यह एक कारगर कदम होगा। गर्ग के अनुसार वर्तमान में हाई-सिक्योरिटी नंबर प्लेट का प्रचलन है, लेकिन इससे उतना लाभ नहीं मिल पाया जितनी उम्मीद थी।
वजह यह कि एक तो यह नंबर प्लेट सिर्फ नए वाहनों में लगाई जा रही थी, पुराने वाहनों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। दूसरा जिन कंपनियों को नंबर प्लेट लगाने का जिम्मा सौंपा गया, वह समय से प्लेट उपलब्ध कराने में नाकामयाब रहीं। जबकि इस चिप को नए पुराने सभी वाहनों में लगाना अनिवार्य होगा। उन्होंने बताया कि संभागीय परिवहन अधिकारी के मुताबिक चेकिंग के दौरान हैंड मशीन से भी चिप में दर्ज सूचना पढ़ी जा सकती है। रजिस्ट्रेशन, इंश्योरेंस और फिटनेस खत्म होने पर चिप को अपडेट कराना होगा। पुलिस व परिवहन विभाग को चेकिंग के दौरान आरआइएफडी स्कैनर साथ रखने होंगे।
उन्होंने बताया कि नई तकनीक से वाहन चोरी का खतरा भी कम हो जाएगा। सड़क पर दौड़ते चोरी के वाहन को चिप की मदद से आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा। अगर कोई इस चिप को उतार कर वाहन चलाएगा तो भी वाहन के बारे में तहकीकात होगी और मामला पकड़ में आ जाएगा।