गुरुवार को थाना डालनवाला को सूचना प्राप्त हुई की चौकी नालापानी क्षेत्र में आर्य नगर नई बस्ती में एक घर में आग लग गयी है। जिसके बाद चौकी पुलिस द्वारा तुरुन्त घटनास्थल पर पहुँचकर फायर सर्विस की मदद से आग को बुझाया गया। आग लगने का कारण संभवतः शार्ट सर्किट पाया गया। घर के मालिक रामावतार पुत्र श्री जगदीश प्रसाद निवासी 141/2 आर्य नगर नई बस्ती थाना डालनवाला ने बताया की एक कमरे का सारा सामान जल गया है तथा किसी प्रकार की जन हानि नही हुई है। पुलिस व फायर सर्विस के द्वारा किये गए त्वरित सहयोग व कार्यवाही की जान मानस ने प्रशंसा की।
उत्तराखंड में कैसे चला मोदी मैजिक
उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में मिली ऐतिहासिक जीत को बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ किया है कि सरकार बहुमत से बनती है, लेकिन चलेगी सबके मत से। यह सरकार उनकी भी है जिन्होंने साथ दिया और उनकी भी है जिन्होंने साथ नहीं दिया। मोदी ने 2022 में देश की आजादी की 75 साल पूरे होने पर देश के सवा सौ करोड़ लोगों से एक संकल्प लेने का आह्वान किया जिससे देश विकास के पथ पर आगे बढे़ और एक गौरवशाली भारत का निर्माण हो सके। अपनी इस जीत के साथ मोदी ने 2019 के चुनावों का अजेंडा सेट कर दिया है। हमने जानने की कोशिश करी कि आखिर मोदी की इस अप्रत्याशित जीत के पीछे क्या कारण रहे।
नोटबंदी पर मोदी के साथ खड़ा हुआ मतदाता।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नोटबंदी को लेकर मोदी जनता का भरपूर साथ मिला। बीजेपी अंदरखाने नोटबंदी को लेकर हलचल और आशंकित भी थी। नोटबंदी की अधिसूचना 8 नवम्बर को हुई थी। तब उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव की अधिसूचना लागू होने में करीब दो माह का वक्त था। बीजेपी के नेता इस बात को लेकर आशंकित थे कि चुनाव से पहले नोटबंदी पार्टी को उल्टी न पड़ जाये। बीजेपी से जुड़े व्यापारी नेता ही बल्कि कुछ वरिष्ठ नेता भी उस समय की इस नोटबंदी को पार्टी के पक्ष में नहीं मान रहे थे।
इस चुनाव में जनता की अदालत ने नोटबंदी को 100 में से 95 अंक दिए है। इसलिए उत्तराखंड में बीजेपी की इस अभूतपूर्व जीत को नोटबंदी पर जनता के समर्थन की मुहर के तौर पर भी लिया जा रहा है। नोटबंदी को आम लोगो ने पैसे वालों पर मोदी की बड़ी चोट के तौर पर भी देखा। चुनाव के दौरान जनसभाओं में भी मोदी ने नोटबंदी को जनहित में बताकर इसके फायदे गिनाए। खासकर महिलाओं में नोटबंदी को लेकर मोदी का खासा समर्थन नजर आया। आम लोगो का यही समर्थन वोटो में बदला और बीजेपी को तीन चौथाई से अधिक सीटे मिली।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार अविकल थपलियाल ने कहा कि “एक उत्तराखंड की जनता को कांग्रेस सरकार के खिलाफ नाराज़गी थी, सरकार से जनता खुश नहीं थी, साथ ही हरीश रावत चुनाव प्रचार में बुरी तरह पिछड़ गए और अपनी बात जनता तक चुनाव के समय नहीं पहुंचा पाए जबकि बीजेपी ने धुआंधार प्रचार किया।”
थपलियाल कहते हैं कि “हिन्दू वोट 6 से 7 प्रतिशत बीजेपी की तरफ शिफ्ट हुआ जबकि बसपा का वोट इस चुनाव में कम हुआ। इसकी वजह यह भी रही की हरीश रावत ने चुनाव से पहले यह बोल दिया था कि जुम्मे के दिन कर्मचारियों को 2 घंटे का अवकाश लेले । यह वजह रही की पहाड़ का वोट बीजेपी की तरफ हो गया था।”
मोदी लहर चलने की एक बड़ी वजह राज्य में फौजी होने के कारण मोदी का फार्मूला ‘वन रैंक वन पेंशन” का ख़ास फायदा देखने को मिला। हरीश रावत वर्सेज मोदी में लोगों ने प्रधानमंत्री का ही हाथ थामा है क्योंकि मोदी जनता को कह गए थे की उत्तराखंड को डबल इंजन की जरूरत है एक इंजन केंद्र का और एक इंजन उत्तराखंड का, इसका सीधा फायदा बीजेपी को 11मार्च को दिख गया है।
रुद्रपुर भूमि घोटाले के मामले में आया नया मोड़
एनएच – 74 के चौड़ीकारण भूमि लेंड का यूज बदलकर सरकार को 118 करोड़ के राजस्व के नुकसान पहुचाने के मामले में ऊधम सिंह नगर में विशेष भूमि अध्यापित अधिकारी पद पर तैनात डॉ डी०पी० सिंह पर गिरी गाज। डीपी सिंह को त्तकाल प्रभाव से एसएलओ पद से हटा द्या गया है।
118 करोड़ के भूमि घोटाले के मामले में परत दर परत खुलती जा रही है। जंहा घोटाले को लेकर जाँच की आंच कई अधिकारियो पर गिरती नजर आ रही है वहीं घोटाले के मास्टर माइंड माने जा रहे भूमि अध्यापित अधिकारी डीपी सिंह को शासन के निर्देशों पर पद मुक्त कर दिया गया है।
इससे पहले आयकर विभाग की छापेमारी में डीपी सिंह के पास बेनामी संपत्ति का होना पाया गया। वहीं 143 के 118 करोड़ के घोटाले में संलिप्तता के साथ ही कई अधिकारियों की भी मिलीभगत पाई गई है। जिलाधिकारी उधमसिंघनगर ने शासन के निर्देशों पर डीपी सिंह को पदमुक्त करने के आदेश दिए है। इसके पीछे कारण ये बताया गया कि उनके खिलाफ होने वाली जाँच प्रभावित न हो सके।
गौरतलब है कि दबंग और रसिक मिजाज डीपी सिंह हमेशा ही चर्चाओं में रहे हैं। कभी प्रेमप्रसंग के चलते तो कभी अवैध खनन में मिली भगत। वहीं अब बिल्डरों के साथ मिलकर करोड़ों की खरीदफरोख्त डीपी सिंह के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है।
कांग्रेस को लगा एक और चुनावी झटका, बीजेपी ने जीती लोहाधाट सीट
बीजेपी ने लोहाधाट सीट जीत कर मौजूदा विधानसभा में अपने विधायकों की संख्या 57 कर ली है। यहां से बीजेपी के उम्मीदवार पूरण सिंह फर्त्याल ने कांग्रेस के कुशल सिंह को 839 वोटों से हरा दिया। फर्त्याल को 27685 मिलें वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार को 26851 वोट ही मिल सके। विधानसभा चुनाव में लोहाघाट सीट की कर्णकरायत बूथ संख्या 128 पर एक इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के नहीं खुलने से यहां के परिणाम का एलान नहीं हो सका था। जब ईवीएम बंद हुई तो भाजपा प्रत्याशी पूरन सिंह फर्त्याल अपनी करीबी प्रतिद्वंदी कांग्रेस के खुशाल सिंह से 450 मतों से आगे चल रहे थे।इसके चलते चुनाव आयोग ने यहां बुधवार को दोबारा मतदान कराया गया। इसके बाद आधिकारिक नतीजों का ऐलान हुआ। हांलाकि जिस तरह से सारे राज्य में बीजपी ने कांग्रेस के किले को ध्वस्त कर दिया था उसके चलते ये ही उम्मीद की जा रही थी कि इस सीट पर जीत भी पार्टी के लिये आसान रहेगी। हांलाकि जीत का अंतर कम रहा लेकिन इस जीत से बीजेपी ने कांग्रेस के चुनावी ज़्खमों पर और नमक लगा दिया है।
जेटली ने कहा निरामयम है रोग से मुक्ति का केंद्र
बच्चों ने राजभवन के आंगन में मनाई फूल देई
आज प्रातः राजभवन में ‘फूल-संक्राति’/‘फूल देई’ मनाई गई। प्रकृति के साथ सुख-शान्ति और समृद्धि की शुभकामनाएं लेकर राजभवन की दहलीज पर बच्चों ने फूल बरसाये। राज्यपाल डाॅ.कृष्ण कान्त पाल ने बालक एवं बालिकाओं का अत्यन्त प्रसन्न मन से स्वागत किया और परम्परानुसार उन्हें चावल व मिष्ठान्न देकर शुभकामनाओं के लिए उनका आभार व्यक्त किया।
राज्यपाल ने उत्तराखण्ड के लोक पर्व फूल संक्राति/फूल देई के अवसर पर कहा कि हमारे पर्व ही हमारी संस्कृति के संरक्षक होते है । भारतीय समाज में मनाये जाने वाले पर्वों का किसी न किसी ऋतु से सीधा सम्बन्ध होता है, जो हमारी नयी पीढ़ियों को हमारी संस्कृति से परिचित कराने में संवाहक की भूमिका निभाते हैं। इसलिए पर्वाे को संस्कृति का संरक्षक कहा जा सकता है।
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्य में चैत्र मास में मनाया जाने वाला फूल देई पर्व प्रकृति संरक्षण का संदेश देता है। यह पर्व विशेष रूप से बच्चों द्वारा मनाया जाता है इससे हर बच्चा अपने लोक पर्व के महत्व व भूमिका से सरल रूप से परिचित हो जाता है और बचपन से ही अपनी संस्कृति से जुड जाता है।
राधा रतूड़ी ने निर्वाचन अधिकारी पद छोड़ने की इच्छा जताई
प्रदेश की मुख्य निर्वाचन अधिकारी राधा रतूड़ी ने अपने पद को छोड़ने की इच्छा जताई है।उन्होंने पत्र लिखकर मुख्य सचिव एस रामास्वामी को नए मुख्य निर्वाचन अधिकारी के चुनाव के लिए तीन नाम देने का अनुरोध किया है।
उन्होंने मुख्य सचिव एस रामास्वामी को पत्र लिखकर यह इच्छा जताई है। मुख्य सचिव को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि दस वर्षो से उनके पास यह पद है। वर्तमान में उत्तराखंड विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। ऐसे में वे अब यह पद छोड़ना चाहती है।भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी राधा रतूड़ी वर्ष 2007 में प्रमुख सचिव एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी बनी थी। तब से ही वे इस पद पर बनी हुई हैं। अब उन्हें इस पद पर बने दस साल हो चुके हैं। इतना लंबा कार्यकाल संभालने के बाद वे अब इस पद को छोड़ना चाह रही हैं। उन्होंने पत्र में अनुरोध किया है कि नए मुख्य अधिकारी का चयन करने के लिए शासन की ओर से तीन नामों का पैनल भारत निर्वाचन आयोग को भेजा जाता है। उन्हें इस पदभार से अवमुक्त करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग को तीन अधिकारियों का पैनल भेजा जाए। सूत्रों की मानें तो प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी के इस पत्र के बाद मुख्य सचिव ने कार्मिक विभाग से इस संबंध में पत्रावली तलब की है ताकि आगे की कार्यवाही की जा सके। माना जा रहा है कि नई सरकार में यह कार्यवाही आगे बढ़ाई जाएगी।
मिस एशिया पैसेफिक अनुकृति गुसाईं ने उड़ान स्कूल में मनाया फूलदेई त्यौहार
चैत के आगमन पर उत्तराखंड में फूलदेई त्यौहार को बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है। धीरे धीरे परंपरा शहरीकरण के चलते विलुप्ति की कगार पर पहुँच गयी है। एक बार फिर इस त्यौहार को बचाने के लिए बुद्धिजीवी लोगों ने और समाजसेवियों ने अपने प्रयास शुरू किये है। उड़ान स्कूल में भी ये त्यौहार मनाया गया जिसमें मिस पैसेफिक ने शिरकत की।
चैत के आगमन पर उत्तराखंड में फूलों की बयार आ जाती है, जंगल और वनों में बुरांस, फ्यूंली अपने रंग बिखेरने लगते है। ये महीना चैत के आगमन का महीना होता है जिसमे कई लोक-गीत और कविताएं भी शामिल होती हैं और ये लोकगीत हमारी परंपरा से जुड़ी होती है। ऐसे में लोक गायक नई गीतों की रचना करते हैं। और नई कविताएं जन्म लेती है और प्रकृति फूलों के श्रंगार से सज जाती है ऐसे में फूलदेई त्यौहार मनाया जाता है।
ऋषिकेश स्थित निःशुल्क संस्थान उड़ान में भी फूलदेई का त्यौहार बड़े धूम-धाम से मनाया गया जिसमें छोटे-छोटे बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। कार्यक्रम में मिस एशिया पैसेफिक अनुकृति गुसाई ने शिरकत की और बच्चों के साथ फूलदेई त्यौहार मनाय। साथ ही उन्होंने बच्चों को मुफ्त कॉपी-किताब बांटी। मीडिया से बात करते हुए अनुकृति गुसाईं ने बताया कि वो उड़ान स्कूल से 2013 से जुडी हुई है और हर बार यहाँ बच्चों के साथ वक्त बिताकर उन्हें बेहद अच्छा लगता है। जहाँ बेहतर शिक्षा और रोजगार की तलाश में लोग शहरों का रुख कर रहे है ऐसे में लोग अपनी संस्कृति से भी दूर होते जा रहे हैं। जिससे आने वाली पीढ़ी अपनी गढ़वाल की संस्कृति से अछूती रह जाती है। लगातार पहाड़ो से हो रहे पलायन के साथ कहीं न कहीं हमारी संस्कृति भी पलायन कर रही है ऐसे में समाजसेवी द्वारा ऐसे कार्यक्रम का आयोजन करना उस संस्कृति में जीवन डालने जैसा प्रतीत होता है,जिससे हमारी संस्कृति को हम बाकी लोगों के साथ भी साझा कर सकते है और आने वाली पीढ़ी भी अपनी संस्कृति से रूबरू हो सकेगी।
उर्वशी रौतेला को मिला टीसी मिस यूनिर्वस का खिताब
पूर्व मिस यूनिवर्स इंडिया और अभिनेत्री उर्वशी को टीसी कैलेंडर पोल ने ब्रह्मांड की सबसे खूबसूरत महिला के खिताब से नवाजा है। अभिनेत्री उर्वशी रौतेला को यह खिताब मिलने से देश के साथ ही उत्तराखंड का मान भी बढ़ा है। अभिनेत्री उर्वशी रौतेला ने बॉलीवुड में अपने कैरियर की शुरुआत अनिल शर्मा की एक्सन रोमांच फ़िल्म ‘’सिंह साब द ग्रेट’’ से की थी।टीसी कैलेंडर इससे पहले यह खिताब अभिनेत्री ऐश्वर्या राय को भी दे चुका है। बता दें कि उर्वशी रौतेला फिल्म अभिनेत्री के साथ-साथ मॉडलिंग भी कर चुकी हैं और 2012 में उर्वशी रौतेला मिस इंडिया बनी थी। अभिनेत्री उर्वशी रौतेला 2016 में फिल्म सनम रे में नजर आई थी।
टीसी कैलेंडर की ओर से प्रतिस्पर्धा में दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, जर्मनी समेत 40 देशों की 100 सुंदरियों को शामिल किया था। इन 100 सुंदरियों में से 22 वर्षीय सिने अभिनेत्री उर्वशी रौतेला 2016 में गूगल में सबसे ज्यादा सर्च की गईं। टीसी कैलेंडर की 27वीं बैठक में उर्वशी रौतेला को ब्रह्मांड में सबसे कम उम्र की सबसे खूबसूरत महिला के रूप में वोट मिला।
उर्वशी रौतेला को यह खिताब जीतने की जानकारी तब हुई, जब उन्हें लोगों की बधाइयां आनी शुरू हुईं। बकौल उर्वशी जब उन्हें टीसी कैलेंडर का यह खिताब मिलने की जानकारी हुई तो पल भर के लिए यकीन ही नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि टीसी कैलेंडर की सूची में नाम दर्ज होने पर गर्व की अनुभूति हो रही है।उर्वशी ने बताया कि जब उन्हें टीसी कैलेंडर का यह खिताब मिलने की जानकारी हुई तो पलभर के लिए यकीन ही नहीं हुआउर्वशी ने बताया कि इस साल उनके कई प्रोजेक्ट आने वाले हैं। उम्मीद है कि इनमें लोगों को उनका अभिनय पसंद आएगा। गौरतलब है कि पूर्व मिस यूनिवर्स इंडिया और अभिनेत्री उर्वशी रौतेला उत्तराखंड के कोटद्वार की रहने वाली हैं। अभिनेत्री उर्वशी रौतेला को यह खिताब मिलने पर उनके गृहक्षेत्र कोटद्वार में खुशी का माहौल है।
सीएम की दौड़ में सतपाल,त्रिवेंद्र के साथ प्रकाश पंत भी हुए शामिल
चुनावों में भारी जीत दर्ज कर बीजेपी ने एक पड़ाव तो पार कर लिया है। बीजेपी ने राज्य में कोई मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया और मोदी के नाम पर लड़ा चुनाव। अब पार्टी के अंदर कौन बनेगा मुख्यमंत्री को लेकर च्रचाएं तेज़ हो गई हैं। बीजेपी चुनाव जीतने के बाद किस चेहरे को मुख्यमंत्री बनायेगी, यह बात लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। बीजेपी में ऐसे नेताओं की एक लंबी कतार है जो मुख्यमंत्री के दावेदार है। चुनाव के वक्त भाजपा विवादों पर विराम लगाते हुए मोदी के नाम पर प्रदेश में चुनाव लड़ा।वैसे भाजपा में सतपाल महाराज को सीएम बनने को लेकर चर्चा जोरों पर है लेकिन पार्टी की ओर से अभी कुछ कहा नही जा रहा है।उत्तराखंड गठन के बाद से अब तक तीन विधानसभाओं में एक को छोड़ दिया जाये तो राज्य में विधायक से पहले सीधे मुख्यमंत्री बनने की परंपरा चली आ रही है।झारखण्ड के प्रभारी व डोईवाला से भाजपा विधायक त्रिवेंद्र सिंह रावत का नाम भी सीएम की रेस में चल रहा है और उन्हें भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का नजदीकी माना जाता है।उत्तराखण्ड के चुनाव प्रभारी जेपी नड़्डा ने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को एक चुनावी सभा में सीएम पद के दावेदार होने के संकेत दिए थे। इसके अलावा प्रकाश पंत को भी सीएम की रेस में माना जाता है। बात करें पिछले तीन विधानसभा चुनावों की तो वर्तमान में हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक को छोड़ दिया जाए तो कोई भी मुख्यमंत्री 16 सालों में सीएम बनने के बाद ही उपचुनाव में विधायक निर्वाचित हुए। चौथी विधानसभा के चुनाव के बीच एक बार फिर लोगों में इस बात की चर्चा बनी हुआ कि भाजपा से कौन नेता मुख्यमंत्री होगा।
2017 के चुनाव में पिथौरागढ़ विधानसभा सीट पर प्रकाश पंत ने केवल अपनी-अपनी साख बचाने में सफल रहे बल्कि कांग्रेस के मयूख महर की जमीन भी खिसका दी है। वह भी तब जब जिला पंचायत, नगरपालिका, विकासखंड में कांग्रेस का कब्जा है। ऊपर से मयूख महर के नाम कई विकास कार्याे की फेहरिस्त है।
प्रकाश पंत के पिता का नाम श्री मोहन चन्द्र पंत तथा माता का नाम श्रीमती कमला पंत है। 11 नवम्बर 1969 को उनका जन्म हुआ। उनका स्थाई पता ग्राम खडकोट, पिथौरागढ है। उनकी राजनीतिक यात्रा 1977 में रा.स्वा.महाविद्यालय पिथौरागढ में सैन्य विज्ञान परिशद में महासचिव बनने से शुरु हुई। 1988 में नगर पालिका पिथौरागढ में सभासद बने। 1988 में स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र से विधान परिषद सदस्य निर्वाचित हुए। 2001 में अंतरिम विधानसभा उत्तरांचल के अध्यक्ष निर्वाचित हुए तथा कॉमनवैल्थ देशों में सर्वाधिक कम उम्र के विधान सभा अध्यक्ष निर्वाचित होने का गौरव प्राप्त हुआ। वर्ष 2002 में उत्तरांचल विधान सभा में पिथौरागढ विधान सभा क्षेत्र से निर्वाचित हुए। 8-3-2007 को द्वितीय निर्वाचित उत्तराखण्ड सरकार की मंत्रि परिषद में संसदीय कार्य, पर्यटन, संस्कृति मंत्री बनाये गये। वहीं संसदीय कार्यमंत्री के रुप में आपने विधानसभा में भी अपनी एक अलग छाप छोडी हैं। संस्कृति मंत्री के रुप में उन्होंने बेजोड़ कार्य किया है।पिथौरागढ़ में भाजपा प्रत्याशी प्रकाश पंत ने शक्ति प्रदर्शन व रोड शो के बिना सीधे नामांकन कराया। इस दौरान डीडीहाट विधायक विशन सिंह चुफाल सहित कई भाजपा नेता उनके साथ मौजूद रहे। भाजपा प्रत्याशी व पूर्व विधान सभा अध्यक्ष पंत इससे पूर्व के सभी चुनावों में शक्ति प्रदर्शन के साथ नामांकन कराते रहे हैं। इस बार उनके बिना किसी रोड शो व समर्थकों के साथ सीधे नामांकन को लोग बदली चुनावी रणनीति से जोड़ रहे हैं।
आने वाले दो दिन में उत्तराखंड सीएम के नाम से पर्दा तो उठ जाएगा लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उत्तराखंड में चली आ रही परंपरा एक बार फिर दोहराई जाएगी या इस चुनाव के नतीजों की तरह सीएम के नाम की घोषणा भी हट कर होगी।उत्तराखंड गठन के बाद से अब तक तीन विधानसभाओं में एक को छोड़ दिया जाये तो राज्य में विधायक से पहले सीधे मुख्यमंत्री बनने की परंपरा चली आ रही है।