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अब देहरादून से श्रीनगर,कश्मीर तक का सफर हुआ आसान

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देहरादून के हवाई पैसेंजरों के लिए अच्छी खबर है। अब वे देहरादून से श्रीनगर के लिए जोलीग्रांट हवाई अड्डे से सीधी फ्लाइट ले सकेंगे। जेट एयरवेज ने संडे से उड़ानों में बदलाव करते हुए अपनी मुम्बई से श्रीनगर और दिल्ली से श्रीनगर के बीच की उड़ानों को वाया देहरादून के जोलीग्रांट एयरपोर्ट से शुरू कर दिया। इससे कश्मीर जाने वाले यात्रियों को भी राहत मिलेगी।जेट एयरवेज की फ्लाइट से पहले दिन श्रीनगर के लिए 19 यात्रियों ने उड़ान भरी।
पर्यटन सीजन शुरू होने के साथ ही निजी एयरलाइन्स कंपनियों ने अपनी सेवाओं में विस्तार और फेरबदल  शुरू कर दिया है। देहरादून एयरपोर्ट से अब हवाई यात्रियों को दिल्ली, लखनऊ, बंगलुरु के अलावा श्रीनगर के लिए भी सीधी हवाई सेवा मिलने लगी है।

ज़ुबीन नौटियाल और बादशाह का जौनसारी गाना इंटरनेट पर मचा रहा धूम

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संगीत की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाने वाले उत्तराखंड के जुब़ीन नौटियाल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि संगीत की कोई भाषा नहीं होती। जी हां, हम बात कर रहे हैं उनके हाल ही में आए एमटीवी अनप्लग्ड में गाए गीत “ओ साथी ओ साथी,ओ साथी तेरी चिट्ठी पत्री आई ना” के बारे में। जुब़ीन नौटियाल और बादशाह की जोड़ी की जुगलबंदी ने पहाड़ी गाने में जान डाल दी है।

ज़ुबीन नौटियाल और बादशाह के अलग-अलग र्फामूले को एक साथ पहली बार देखा जा रहा और सराहा भी जा रहा है।संगीत में होने वाले फ्यूजन को बहुत ही खूबसूरती के साथ इस जौनसारी गाने मॆ पेश किया गया है।

आपको बता दें कि इस वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 24 मार्च को पोस्ट किया गया था और रविवार (26 मार्च) दोपहर तक सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर 12 लाख से ज्यादा लोग इस वीडियो को देख चुके हैं।इस वीडियो को 40,000 से अधिक नॆ पसंद किया और 12,000 से अधिक शेयर मिल चुके हैं।

मूल रुप से इस गानो को जौनसारी गायक खजान दत्त शर्मा ने गाया है और यह गाना अपने प्रियजनों को याद करते हुए बनाया गया है।उत्तराखंड के जिला जौनसार में यह भाषा बोली जाती है।

अगर आपने यह गाना नहीं देखा तो यहां देखेंः

 

दून की हवा में मौजूद है स्वाइन फ्लू का वायरस

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दून की हवा में एन1एच1 स्वाइन फ्लू का वायरस मौजूद है। स्वास्थ्य विभाग ने इस बात की पुष्टि की है। पहले जिस महिला में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी, उसे पुणे में संक्रमण हुआ था। लेकिन राजावाला क्षेत्र के जिस युवक में पुष्टि हुई है, उसे दून में ही संक्रमण हुआ।
16 फरवरी को एक महिला को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसमें स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी। महिला कुछ दिन पहले महाराष्ट्र में पुणे गई थी। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने शहर में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई। इसके बाद सी एम ओ कार्यलय टीम ने जांच की तो पता चला की युवक दून से बाहर नहीं गया। सी एम ओ डॉ वाई एस थपलियाल ने बताया कि राजावाला क्षेत्र में सतकर्ता बरती जा रही है। कई लोगो के ब्लड सैंपल लिए हैं। लोगो को जागरूक किया जा रहा है।

पुलिस में एंटी ड्रग दस्ते का गठन

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 पुलिस उप महानिरीक्षक पुष्पक ज्योति ने जिले में एंटी ड्रग दस्ता गठित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई पुलिसकर्मी या थानेदार भ्र्ष्टाचार में लिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। थानों, चौकियों, एरिया पुलिस लाइन में विशेष स्वच्छ्ता अभियान चलाया जाएगा।
पत्रकारों से बातचीत में डी आई जी पुष्पक ज्योति ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर नशे के खिलाफ मुहिम को और तेज किया जाएगा। एंटी ड्रग्स दस्ता सूचनाओं पर सीधी कार्रवाई करेगा। इंस्पेक्टर की अगुवाई में यह दस्ता सम्बंधित विभाग के अधिकारियो के साथ मेडिकल स्टोर पर आकस्मिक चेकिंग करेगा, क्योंकि मेडिकल स्टोर पर प्रतिबंधित नशे की दवाएं बेचने की शिकायत है।खास तौर से स्कूलों में अभिभावकों की हर महीने होने वाली बैठक में अधिकारियों को पहुँचने के लिए कहा गया है ताकि बच्चो और अभिभावकों को जागरूक किया जा सके।
डी आई जी पुष्पक ज्योति ने बताया कि, ए। आई टी भूमि के कार्यो की सराहना की। उन्होंने यह भी बताया कि 9 दिसम्बर 2016 से लेकर अब तक जमीन दिलाने के नाम पर वसूले गए करीब सात करोड़ 50 लाख रुपए के रकम समझौते के माध्यम से वापस हुई है। यहां नई पीड़ितों की करीब दस बीघा भूमि वापस भी कराई गई है।

पेशी पर आए कुख्यात चीनू पंडित को पुलिस ने रेस्टोरेंट में कराया नाश्ता

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देहरादून की जेल में बंद कुख्यात चीनू पंडित को रुड़की पेशी पर लाते वक्त दून पुलिस की बड़ी चूक सामने आई है। पुलिस ने भगवानपुर के एक ढाबे पर गाडी रोक कर कुख्यात को नाश्ता करा दिया।
रुड़की निवासी कुख्यात चीनू पंडित वर्तमान में देहरादून जेल में बंद है। हत्या के एक मामले में कुख्यात की शनिवार को रुड़की कोर्ट में पेशी थी। शनिवार को देहरादून अपनी सरकारी गाडी से कुख्यात को लेकर रुड़की के लिए निकली थी। जैसे ही पुलिस चीनू को लेकर भगवानपुर के पास पहुंची तो एक ढाबे पर गाडी रोक ली। यहां पुलिस के साथ चीनू भी गाड़ी से उतर गया। इसके बाद चीनू और दून पुलिस के सिपाहियों ने ढाबे पर नाश्ता किया।
इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को लगी तो वह तुरंत ढाबे पर पहुंच गई। नाराजगी जताने पर चीनू को आननफानन में रुड़की कोर्ट ले जाया गया। यहां कड़ी सुरक्षा के बीच चीनू को कोर्ट में पेश किया गया। वहीं, स्थानीय पुलिस ने एस एस पी कृष्ण कुमार को इसकी जानकारी दे दी है। कुख्यात चीनू पंडित और सुनील राठी में पुरानी दुश्मनी है। राठी ने रुड़की जेल में रहते हुए चीनू की रिहाई के समय अपने आदमियों से जानलेवा हमला करवा दिया था। इस मामले में चीनू बच निकला। इसके बावजूद चीनू को पेशी पर लाते समय पुलिस की तरफ से भारी लापरवाही की गई। यह लापरवाही पुलिस और चीनू के लिए भारी भी पड़ सकता था।
एस पी देहात मणिकांत मिश्रा ने बताया कि भगवानपुर स्थित एक ढाबे पर नाश्ता कराने की बात सामने आई है। इस बारे में एस एस पी के तरफ से डी आई जी को रिपोर्ट भेजी गई है।

दून के गांव होंगे स्मार्ट केंद्र, श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन से बदलेगी तस्वीर

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उत्तराखंड में देहरादून को भले ही स्मार्ट सिटी का दर्ज़ा मिलते -मिलते रह गया हो लेकिन एक नयी उपलब्धि अब देहरादून के ग्रामीण इलाको को मिलने जा रही है।अब दून के 12 गांव, गांव नहीं रहेगे बल्कि जल्द ही ये स्मार्ट गाँव होने जा रहे है ऋषिकेश-डोईवाला के ग्रामीण छेत्र अठूरवाला कलस्टर के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूर्बन मिशन के तहत केंद्र ने की डीपीआर मंजूर कर दी है, दून के 12 गांव को स्मार्ट बनाने के लिए  लगभग 1 अरब से ज्यादा रुपया खर्च किया जायेगा, विकास विभाग ने जिले से ईस्ट होप टाउन और बालावाला कलक्टर का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था।

कलस्टर में पांच किलोमीटर परिधि में पड़ने वाले गांवों को शामिल किया गया है। मिशन के तहत गांवों में बुनियादी ढांचा तैयार करने के साथ रोजगार के लिए आर्थिक गतिविधियां शुरू की जाएंगी।इस योजना में शहर और गांव के बीच सुविधाओं का अंतर खत्म करना है। केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की इस योजना के क्रियान्वयन के लिए सहयोगी संस्थान है

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ग्राम्य विकास विभाग के परियोजना निदेशक राजेंद्र सिंह रावत ने बताया कि मिशन को तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य है। प्रत्येक साल केंद्र से 10-10 करोड़ रुपये के हिसाब से 30 करोड़ रुपये मिलेंगे। कुल एक अरब नौ करोड़ रुपये की डीपीआर है। शेष पैसा का प्रबंध जिला योजना, उद्यान मिशन, एनआरएचएम, सर्व शिक्षा अभियान समेत केंद्र की तमाम योजनाओं से होगा। इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है।इस योजना के तहत इन 12 गांव को  स्मार्ट बनाया जायेगा जो अठूरवाला कलस्टर के अन्तर्गत आते है।

एक नजर दून के स्मार्ट बनने वाले गाँव —-
अठूरवाला, माजरी ग्रांट, भानियावाला, कनहार वाला, जौलीग्रांट, रानीपुर ग्रांट, संगटिया, रैनापुर ग्रांट, लिस्टराबाद, रानी पोखरी, रानी पोखरी ग्रांट, फतेहपुर डांडा

 

बुद्धिजीवी और चिपको मूवमेंट मेमोरियल फाउंडेशन ने उठाई मांग,गौरा देवी को मिलना चाहिए भारत रत्न सम्मान

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उत्तराखंड की मात् शक्ति हमेशा से ही पर्यावरण के प्रति बड़ी ही संवेदन रही है । जंगल को अपना मायका मानने वाली यहाँ की महिलाये आज भी वनों के सुरक्षा में सबसे आगे रही, 1974 में गौरा देवी के विश्व विख्यात चिपको आन्दोलन की गूज आज पुरे विश्व में है, लेकिन आन्दोलन की जननी को अभी तक न भारत सरकार ने और न ही उत्तराखंड सरकार कोई बड़ा पुरूस्कार दिया है। चिपको वूमन के नाम से मशहूर, 1925 में चमोली जिले के लाता गांव के एक मरछिया परिवार में श्री नारायण सिंह के घर में गौरा देवी का जन्म हुआ था।

गौरा देवी ने कक्षा पांच तक की शिक्षा भी ग्रहण की थी, जो बाद में उनके अदम्य साहस और उच्च विचारों का सम्बल बनी। मात्र ११ साल की उम्र में इनका विवाह रैंणी गांव के मेहरबान सिंह से हुआ, रैंणी भोटिया (तोलछा) का स्थायी आवासीय गांव था, ये लोग अपनी गुजर-बसर के लिये पशुपालन, ऊनी कारोबार और खेती-बाड़ी किया करते थे। गौरा देवी ने ससुराल में रह्कर छोटे बच्चे की परवरिश, वृद्ध सास-ससुर की सेवा और खेती-बाड़ी, कारोबार के लिये अत्यन्त कष्टों का सामना करना पड़ा।  उन्होंने अपने पुत्र को स्वालम्बी बनाया, उन दिनों भारत-तिब्बत व्यापार हुआ करता था, गौरा देवी ने उसके जरिये भी अपनी आजीविका का निर्वाह किया। १९६२ के भारत-चीन युद्ध के बाद यह व्यापार बन्द हो गया और खाली समय में वह गांव के लोगों के सुख-दुःख में सहभागी होने लगीं। इसी बीच अलकनन्दा में १९७० में प्रलंयकारी बाढ़ आई, जिससे यहां के लोगों में बाढ़ के कारण और उसके उपाय के प्रति जागरुकता बनी और इस कार्य के लिये प्रख्यात पर्यावरणविद श्री चण्डी प्रसाद भट्ट ने पहल की।

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भारत-चीन युद्ध के बाद भारत सरकार को चमोली की सुध आई और यहां पर सैनिकों के लिये सुगम मार्ग बनाने के लिये पेड़ों का कटान शुरु हुआ। जिससे बाढ़ से प्रभावित लोगों में संवेदनशील पहाड़ों के प्रति चेतना जागी। इसी चेतना का प्रतिफल था, हर गांव में महिला मंगल दलों  की स्थापना, १९७२ में गौरा देवी जी को रैंणी गांव की महिला मंगल दल का अध्यक्ष चुना गया। इसी दौरान वह चण्डी प्रसा भट्ट, गोबिन्द सिंह रावत, वासवानन्द नौटियाल और हयात सिंह जैसे समाजिक कार्यकर्ताओं के सम्पर्क में आईं। जनवरी १९७४ में रैंणी गांव के २४५१ पेड़ों का छपान हुआ। २३ मार्च को रैंणी गांव में पेड़ों का कटान किये जाने के विरोध में गोपेश्वर में एक रैली का आयोजन हुआ, जिसमें गौरा देवी ने महिलाओं का नेतृत्व किया।

प्रशासन ने सड़क निर्माण के दौरान हुई क्षति का मुआवजा देने की तिथि २६ मार्च तय की गई, जिसे लेने के लिये सभी को चमोली आना था। इसी बीच वन विभाग ने सुनियोजित चाल के तहत जंगल काटने के लिये ठेकेदारों को निर्देशित कर दिया कि २६ मार्च को चूंकि गांव के सभी मर्द चमोली में रहेंगे और समाजिक कायकर्ताओं को वार्ता के बहाने गोपेश्वर बुला लिया जायेगा और आप मजदूरों को लेकर चुपचाप रैंणी चले जाओ और पेड़ों को काट डालो।

इसी योजना पर अमल करते हुये श्रमिक रैंणी के देवदार के जंगलों को काटने के लिये चल पड़े। इस हलचल को एक लड़की द्वारा देख लिया गया और उसने तुरंत इससे गौरा देवी को अवगत कराया। गांव में उपस्थित २१ महिलाओं और कुछ बच्चों को लेकर वह जंगल की ओर चल पड़ी। इनमें बती देवी, महादेवी, भूसी देवी, नृत्यी देवी, लीलामती, उमा देवी, हरकी देवी, बाली देवी, पासा देवी, रुक्का देवी, रुपसा देवी, तिलाड़ी देवी, इन्द्रा देवी शामिल थीं। इनका नेतृत्व कर रही थी, गौरा देवी, इन्होंने खाना बना रहे मजदूरो से कहा”भाइयो, यह जंगल हमारा मायका है, इससे हमें जड़ी-बूटी, सब्जी-फल, और लकड़ी मिलती है, जंगल काटोगे तो बाढ़ आयेगी, हमारे बगड़ बह जायेंगे, आप लोग खाना खा लो और फिर हमारे साथ चलो, जब हमारे मर्द आ जायेंगे तो फैसला होगा।” ठेकेदार और जंगलात के आदमी उन्हें डराने-धमकाने लगे, उन्हें बाधा डालने में गिरफ्तार करने की भी धमकी दी,  लेकिन यह महिलायें नहीं डरी। ठेकेदार ने बन्दूक निकालकर इन्हें धमकाना चाहा तो गौरा देवी ने अपनी छाती तानकर गरजते हुये कहा “मारो गोली और काट लो हमारा मायका”  इस पर मजदूर सहम गये।

गौरा देवी के अदम्य साहस से इन महिलाओं में  भी शक्ति का संचार हुआ और महिलायें पेड़ों के चिपक गई और कहा कि हमारे साथ इन पेड़ों को भी काट लो। इस प्रकार से पर्यावरण के प्रति अतुलित प्रेम का प्रदर्शन करने और उसकी रक्षा के लिये अपनी जान को भी ताक पर रखकर गौरा देवी ने जो अनुकरणीय कार्य किया, उसने उन्हें रैंणी गांव की गौरा देवी से चिपको वूमेन फ्राम इण्डिया बना दिया। अब उत्तराखंड के साहित्यकार और नाट्यकर्मी श्रीश डोभाल का कहना है कि मोदी सरकार को चाहिए कि उत्तराखंड से पर्यावरण की आवाज़ उठाने वाली एक उत्तराखंड की ग्रामीण महिला के उलेखनीय कार्यो को सम्मान मिलना चाहिए, स्व .गोरा देवी के भारत रत्न सम्मान से सम्मानित किया जाये। चिपको मूवमेंट मेमोरियल फाउंडेशन के संयोजक  राम राज बडूनी का कहना है कि सरकार को इस और ध्यान देना चाहिए और गौरा देवी को सम्मान मिलना चाहिए।

 

इंदिरा हृदयेश बनी नेता प्रतिपक्ष

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कांग्रेस ने आखिरकार नेता विपक्ष का नाम तय कर ही लिया है। कांग्रेस विधायकों ने इंदिरा ह्रदयेश के नाम पर आज मुहर लगाई है। कांग्रेस की उत्तराखण्ड प्रभारी अंबिका सोनी और विधानसभा चुनावों की प्रभारी रही कुमारी शैलजा और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस भवन में नेता प्रतिपक्ष के नाम पर चर्चा की। इस दौरान कई विधायक राजीव भवन में ही रहें। सभी विधायकों की सर्व सहमिति इंदिरा ह्रदयेश के नाम पर बनी।
आलाकमान ने भी विधायको के फैसले को हरी झंडी देदी है। वहीं रानीखेत के विधायक करन माहरा को सदन में उपनेता बनाया गया है। ममता राकेश की मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी दी गई है।

सीएम त्रिवेंद्र भी चले डिजिटल इंडिया की राह पर

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आज के इंटरनेट की दुनिया में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी ट्विटर के प्रयोग के लिए लोगो से निवेदन कर रहे हैं। पीएम मोदी की योजना डिजिटल इंडिया के साथ जोड़ने का सपना साकार करने में त्रिवेंद्र ने भी अपना हाथ बढ़ा लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया इस समय सबसे तेज चलने वाली मीडिया है, इसके साथ चलने में ही लोगो का फायदा है। सोशल मीडिया हर वक़्त हमारे साथ रहता है ,आजकल की मोबाइल की दुनिया में सबके पास स्मार्टफोन होता है और इसका फायदा हम जैसे लोगों को उठाना चाहिए। त्रिवेंद्र के ट्वीट करने पर 15 हजार से ज्यादा  फॉलोवर्स भी जुड़ गए हैं। इस समय उत्तराखंड के ट्विटर अकाउंट के हीरो त्रिवेंद्र सिंह रावत  ही बने हुए हैं।
त्रिवेंद्र के ट्विटर पढ़ने वालो में से एक यूजर ने कहा कि ‘आप को ही अभी तक का सबसे अच्छा सी एम बन कर दिखाना है’, इस से यह साबित होता है कि त्रिवेंद्र की फैन फॉलोइंग के साथ अपेक्षया भी हैं। इन्टरनेट के माध्यम से लोग मुख्यमंत्री से सीधी अपनी बात रख सकते हैं। यह एक अच्छी शुरुआत है कि, ‘आप लोगो से सोशल मीडिया के माध्यम से  खुद जुड़ रहे हैं।’ लोगो ने ट्विटर पर अपनी बात रखते हुए यह भी कहा की “आपने पहाड़ का पानी पिया है” साथ ही पूरा उत्तराखंड की उम्मीदें इस वक़्त ईमानदार सरकार की अपेक्षा कर रही हैं।कई लोगो ने तो अपनी शिकायते भी ट्विटर पर ही दर्ज कर दी, वहीं सीएम ने सम्बंधित अधिकारी को तुरंत जांच के लिए बोला है। लोगो से सीधे जुड़ना यह राज्य के हित के लिए है और एक अच्छी पहल भी है।
रावत ने ट्विटर के माध्यम से यह कहा कि हमारी सरकार पारदर्शा और एक जिम्मेदार सरकार है साथ ही सोशल मीडिया को बढ़ावा देते हुए लोगो को कहा कि सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जो आपकी बात पारदर्शिता के साथ सरकार तक पहुंच सकती है।
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आईटी और सोशल मीडिया के युग में पिछली सरकार ने भी लोगों से सीधा जुड़ने के लिये कॉल सेंटर और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का सहारा लिया था। मगर वो क़वायद आम लोगों को सही मायने में सरकार से जोड़ने में नाकामयाब रही। उम्मीद यही है कि नए सीएम की यह कोशिश भी मीडिया की सुर्खिंया भर बन कर नहीं रहेंगी और सही मायने में ज़रूरत मंद लोगों तक उनकी सरकार को पहुँचाने का काम करेगी

जानिए भूमि घोटालें की बारीकियां

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नैनीताल ऊधमसिंह नगर के विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के पद पर पर 2012 से अब दस एसएएलओ के पद पर दस अफसरों की तैनाती हो चुकी है। जानकारी के अनुसार 13 जून 2012 को अशोक कुमार जोशी की एसएएलओ के पद पर नियुक्ति हुई जो 22 अक्टूबर 2013 तक तैनात रहे। 23 अक्टूबर को कार्यभार संभाला शिवचरण द्विवेदी ने, जो दो जनवरी 2014 तक तैनात रहे। इसके बाद दो जनवरी को ही मोहम्मद नासिर ने कार्यभार संभाला। उनका 18 जनवरी तक ही रहा। 19 जनवरी को यह कार्यभार चंद्र सिंह ने संभाला। 13 जुलाई 2014 को उनका तबादला हो गया। उसके बाद 14 जुलाई तीर्थपाल को कार्यभार सौंपा गया। वह 22 अगस्त तक एसएएलओ के पद पर रहे। इला गिरी का कार्यकाल 23 अगस्त 2014 से 25 नवंबर 2014 तक रहा। उसके बाद चंद्र सिंह मर्तोलिया ने 21 दिसंबर को कार्यभार संभाला और वह आठ जनवरी 2015 तक तैनात रहे। नौ जनवरी 2015 को कार्यभार संभाला अनिल कुमार शुक्ला ने जो 17 जनवरी 2016 तक तैनात रहे। 18 जनवरी 2016 को डीपी सिंह ने कार्यभार संभाला जो 15 मार्च 2017 तक रहे। उसके बाद एनएस नबियाल को यह जिम्मा सौंपा गया है। इस दौरान एपी बाजपेई अपर विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के पद पर सात जुलाई 2016 से 12 अगस्त 2016 तक तथा चंद्र सिंह इमलाल भी इसी पद पर 16 अगस्त 2016 से 23 अगस्त 2016 तक तैनात रहे।

जो सभी नेशनल हाइवे के भूमि मुआवजा वितरित करने में118 करोड़ के घोटाले की जद में हैं। जिसको लेकर जांच शुरु हो गयी है।जिसको लेकर कुमाऊ कमिश्नर ने अधिकारियों की बृहस्पतिवार को जमकर परेड कराई और फाईलों के पुलिदे लगवा दिये।वहीं परतें खुलती जा रही हैं। हालांकि गत दिवस शासन के निर्देश पर विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी के पद से डीपी सिंह को हटा दिया गया था, मगर शुरूवाती जांच में ऐसा प्रतीत हो रहा है कि श्री सिंह साजिश के शिकंजे में फंसे हुए हैं। भूमि अधिग्रहण से लेकर अभिनिर्णय पारित करने और मुआवजा वितरण का अधिकतर कार्य डीपी सिंह की तैनाती से पहले हो चुका था। अपनी दबंग छवि के कारण डीपी सिंह सिंडिकेट व अफसरों के निशाने पर हैं। इसकी पृष्ठभूमि में सरकारी भूमि का मुआवजा लेने वालों के मंसूबे नाकामयाब करने की बात भी चर्चा में हैं।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 74 काशीपुर सितारगंज अनुभाग का प्रथम गजट नोटिफिकेशन पांच जुलाई 2013 को और द्वितीय गजट नोटिफिकेशन 3 एक 19 मार्च 2014 को हुआ। इसके साथ ही प्रथम 3 डी नोटिफिकेशन 25 फरवरी 2014 और द्वितीय 3 डी नोटिफिकेशन को हुआ। हम बात करें अभिनिर्णय पारित करने की तो ग्राम कनौरी में आठ अगस्त 2014, कनौरा में सात मार्च 2015, महेशपुरा में पांच फरवरी 2015, हरलालपुर में एक अगस्त 2014, गुमसानी आठ अगस्त 2014, ताली नौ नवंबर 2015, बिचपुरी 23 अगस्त 2014, टांडा आजम में 26 सितंबर 2014, भव्वा नंगला एक अगस्त 2014, केलाखेड़ा 28 अगस्त 2014, मुंडिया मर्न 23 मार्च 2015, रत्ना की मंडिया 21 जनवरी 2015, फतेहगंज 21 फरवरी 2015, मसीत 29 अगस्त 2014, पत्थरकुई 26 सितंबर 2014, मुंकुंदपुर 30 अगस्त 2014, गोपालनगर 27 सितंबर 2014, बरी राई 30 अक्टूबर 2014, अलखदेई 23 अगस्त 2014, बराखेड़ा 17 मार्च 2015, मोतियापुरा नौ जनवरी 2015, झगड़पुरी 30 अगस्त 2014, पिपलिया/गदरपुर दो मार्च 2015, बूरानगर 20 अप्रैल 2015, महतोष 16 अप्रैल 2015, खानपुर 21 अप्रैल 2015, जाफरपुर 12 मई 2015, दानपुर छह मई 2015, रुद्रपुर 22 मई 2015, चुटकी 22 मई 2015, लालपुर 12 मई 2015, रम्पुरा 13 अप्रैल 2015, बगवाड़ा 22 मई 2015, सिरौली कलां 27 अप्रैल 2015, पिपलिया किच्छा 11 जुलाई 2014, कोठा, किशनपुर व सिरौली खुर्द 11 जुलाई 2014, भमरौला सात जुलाई 2015, भंगा 10 जुलाई 2015, कोलडिया 11 मई 2015, शिमला पिस्तौर छह मई 2015, बरा 27 अप्रैल 2015, नकहा 11 मई 2015, कुंवरपुर पांच मई 2015, कठंगरी छह मई 2015, सिसैया पांच मई दढ़हा आठ जुलाई 2014, गोठा 27 मई 2014, मखबारा 10 जुलाई 2014, लौका 11 जुलाई 2014 एवं गौरीखेड़ा सात अप्रैल 2016 को हुआ।

अब नजर डालते हैं बाजपुर के ग्राम ताली पर जहां तकरीबन 20 करोड़ का मुआवजा 2015 में ही वितरित किया गया है। जिसमें राजेश कुमार, महेश चंद्र, अशोक कुमार, संजय पुत्रगण राजकुमार, जसमीत कौर पुत्री जितेंद्र पाल व सुरेंद्र को दो जनवरी 2016 को 951500 रुपये 32883531 रुपये, 21 दिसंबर 2015 को 27828472 रुपये 10164000 रुपये मुआवजा दिया गया। हरजिंदर कौर पत्नी सुखदेव सिंह, सुखविंदर कौर पत्नी बलदेव सिंह को 14 अक्टूबर को 7788000 रुपये,  हरजीत सिंह पुत्र जोगेंद्र सिंह आदि को 29 अक्टूबर 2015 को 19592099 रुपये, हरवंत सिंह पुत्र जोगेंदर सिंह को 12399310 रुपये, हरप्रीत कौर पत्नी हरदीप सिंह को 14 अक्टूबर 2015 को 1204500 रुपये तथा 4213000, लखविंदर सिंह पुत्र रूवैल सिंह को 14 अक्टूबर 2015 को 9168500 रुपये, 8723000 रुपये, 1908500, 1479500, 105600, 689700, 1584000, 751300, 2392500 व 22000 रुपये का भुगतान किया गया। दलजीत कौर पत्नी हरपिंदर आदि को 14 अक्टूबर 15 को 40010248, अमृतपाल सिंह पुत्र तारा आदि को 14140500 रुपये आदि को 19 करोड़ 9938486 रुपये का भुगतान किया गया।

यहां बता दें कि गदरपुर के बरीराई में खसरा संख्या 30 रकवा 0.4836 में जरनैल सिंह पुत्र सुंदर सिंह को दो करोड़ 3938200 रुपये का मुआवजा भी वर्ष 2015 में अवैध तरीके से भूमि को अकृषक कराकर जारी किया गया था। जिस पर तत्कालीन जिलाधिकारी पंकज पांडेय ने पटवारी, कानूनगो से लेकर तहसीलदार व एसडीएम तक के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की थी, मगर यह पत्रावली कागजों में गुम होकर रह गई। यानि अभिनिर्णय पारित करते वक्त भी डीपी सिंह तैनात नहीं थे और मुआवजा देते वक्त भी उनकी तैनाती नहीं थी। ऐसे में उन पर उठ रही अंगुली सवालों के घेरे में जरूर है। यहां चर्चा है कि डीपी सिंह ने अपने कार्यकाल में दबंगई दिखाई और सरकारी भूमि का मुआवजा ले रहे कुछ लोगों की सारी कोशिशों पर पानी फेर दिया। इसके बाद से वह सिंडीकेट और कुछ अफसरों के निशाने पर आ गए। उनके घर आयकर का छापा पड़ा। इस घोटाले में एनएचआई के अफसरों की भी मिलीभगत सामने आ रही है, क्योंकि उन्होंने किसी भी फाइल पर आपत्ति तक नहीं की और एसएएलओ द्वारा पारित अभिनिर्णय के अनुसार ही मुआवजा राशि जारी कर दी।