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अब एप्प से बुक करें साधारण बसों का टिकट

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उत्तराखण्ड परिवहन निगम ने साधारण बसों की ऑनलाइन टिकट बुकिंग की सुविधा शुरू कर दी है। यात्री अब एप के जरिए टिकट बुक करा सकता है। अभी 500 में से 300 साधारण बसों को इस सुविधा से जोड़ा गया है। जल्द ही बची हुई बसों के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध हो जायेगी।
अभी तक वॉल्वो और डिलक्स बसों के लिए ही यह सुविधा उपलब्ध थी। यात्री गूगल प्ले स्टोर से मोबाइल पर “यू टी सी ऑनलाइन” एप डाउनलोड करने के बाद ऑनलाइन टिकट बुक करा सकेंगे। हालाकि इस व्यवस्था में उन यात्रियों को दिक्कत होगी, जो बीच रास्ते में बस में चढ़ेंगे। व्यवस्था के तहत ऑनलाइन टिकट शुरुआत में अंतिम स्थान तक बुक होगा। वहीं वेबसाइट के जरिए भी ऑनलाइन टिकट बुक कराया जा सकेगा। म्हाप्रबंधक संचालन दीपक जैन ने बताया कि करीब 300 साधारण बसों में एप के जरिए ऑनलाइन टिकट बुक करने की सुविधा शुरू कर दी गई है। जल्द ही अन्य बसों को व्यवस्था से जोड़ दिया जाएगा।
हालाकि इस गर्मी में टिकट घरों में कतार लगाने से अच्छा विकल्प निगम ने यात्रियों को दे दिया है लेकिन अब देखना यह है कि इस एप से यात्रियों को फायदा मिलेगा या और परेशांनी का सामना करना पड़ेगा।

आखिरकार सीबीएसई को मिल ही गया अपना स्थाई पता

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सीबीएसई का स्थाई कार्यालय दून में ही स्थापित होगा। लंबे इंतज़ार के बाद सीबीएसई कार्यालय के लिए दून में जगह मिल गई है। इसके निर्माण के लिए डेढ़ करोड़ रूपये का बजट भी जारी हो गया है। इससे प्रदेश के सीबीएसई सम्बन्ध स्कूलों और छात्र-छात्राओं को फायदा मिलेगा।

देहरादून में सीबीएसई का कार्यालय वर्तमान समय में राजेंद्र नगर स्थित एक निजी बिल्डिंग में चल रहा है। जिसका प्रतिमाह किराया 10 लाख रूपये बोर्ड भुगतान करता है। बोर्ड अब तक चार करोड़ से ज्यादा रूपये किराया में दे चुका है। सीबीएसई ने सहस्त्रधारा में करीब डेढ़ एकड़ जमीन का प्रस्ताव राज्य सरकार को सौंपा था। दिसम्बर 2016 में इस प्रस्ताव पर अनुमति देने की बात कही गई थी। मगर अभी तक यह प्रस्ताव सचिवालय की फाइलों में ही दबा हुआ था।
लंबे इंतज़ार के बाद सीबीएसई कार्यालय के लिए दून में जगह मिल गई है। इसके निर्माण के लिए डेढ़ करोड़ रूपये का बजट भी जारी हो गया है। सीबीएसई के स्थाई कार्यालय के लिए सरकार ने सहस्त्रधारा रोड स्थित ग्राम डांडा लाखौंड में करीब डेढ़ एकड़ जमीन आवंटित की है।यहां पर कार्यालय निर्माण के लिए सीबीएसई ने दो करोड़ रुपये का बजट भी जारी किया है। ऐसे में जल्द ही दून में बोर्ड के स्थाई कार्यालय का निर्माण शुरू होने की उम्मीद की जाने लगी है।
आवश्यक औपचारिक्ताओं के पूरा होने के बाद अप्रैल मध्य तक जमीन के पंजीकरण की संभावना है। पिछले लंबे समय से बोर्ड जमीन को लेकर सरकार से बातचीत कर रहा था। सीबीएसई के क्षेत्रीय अधिकारी रणवीर सिंह ने बताया कि दून कार्यालय से उत्तराखंड के सभी 13 व पश्चिमी उत्तरप्रदेश के 23 जिलों के 1700 से ज्यादा स्कूल सम्बंध रखते है। पिछले तीन साल से सरकार से लगातार जमीन की मांग की जा रही थी। जमीन और बजट मिलने के बाद जल्द काम शुरू होने की उम्मीद है।

 

पत्रकारिता से एक्टिंग में गए देहरादून के सतीश शर्मा की फिल्म की स्क्रनिंग होगी केंन्स फेस्टिवल में

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देहरादून में शूट कि गई फिल्म ‘विराम’ की स्क्रीनिंग 2017 केन्स फेस्टिवल में की जाएगी। इस फिल्म में पत्रकार से एक्टिंग की दुनिया में आए देहरादून के सतीश शर्मा भी होंगे।

देहरादून के सतीश शर्मा ने एक और ऊचांइ को छू लिया है।आपक बता दें कि सतीश ने 2013 में फिल्म माज़ी, सलमान की फिल्म सुल्तान और गैंग्स आफ लिटिल फिल्म में नेता के रुप में बहुत सराहा गया।

सतीश इस समय डायरेक्टर जियाउल्लाह खान, प्रोड्यूसर हरी मलहोत्रा और अमन शाह की फिल्म ‘विराम’ में काम कर रहे हैं। जिसके हीरो नरेंद्र झा हैं और सतीश ने इस फिल्म में हीरो के वकील दोस्त का किरदार निभाया है।इस फिल्म की शूटिंग पिछले 3-4 महीने सर्दियों के दौरान देहरादून के राजपुर रोड पर हुई और अब फिल्म का पोस्ट प्रोडक्शन का काम चल रहा है।

‘विराम’ फिल्म की हीरोईन प्रतिभशाली ऊर्मिला माहांता हैं। ‘विराम’ एक मेनस्ट्रीम कर्मशियल फिल्म है जो फिल्म फेस्टिवल में दुनिया के हर कोने में रिलीज़ कर दी जाएगी।इस फिल्म को 18 मई को कान्स फेस्टिवल में रिलीज किया जायेगा।

सतीश कहते हैं, ‘पत्रकारिता से मेरी पहचान है और मैं उत्तराखंड को फिल्मी जगत के सितारों के साथ साथ विदेशों में भी मशहूर कर रहा हूं, और एक अभिनेता के तौर पर मुझे भी बहुत सराहना मिल रही है।’ सतीश ने बताया कि, ‘अाने वाले काम को लेकर मैं बहुत उत्साहित हूं और अभी बहुत सारे प्रोजेक्ट पर काम मिला है लेकिन उसके बारे में बात करने का अभी सही समय नहीं है।’

अभी के लिए सतीश एक ऐसी फिल्म को हिस्सा बन कर बहुत खुश हैं जो आने वाले मई महीने में कान्स के फिल्म फेस्टिवल में पहली बार दिखाई जाएगी।

रिस्पना, बिंदाल का होगा कायाकल्प

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रिस्पना और बिंदाल नदियों की सफाई की प्लानिंग का भविष्य अब तीन विभागों की रिपोर्ट तय करेगी। सफाई को लेकर एमडीडीए, इर्रिगेशन और नगर निगम की चार मेंबर्स की कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी तीन अप्रैल को अपनी रिपोर्ट मेयर विनोद चमोली को सौपेंगी।
मेयर विनोद चमोली ने रिवर डेवलपमेंट फ्रंट योजना को लेकर एमडीडीए और इरीगेशन के अधिकारियो के साथ मीटिंग की। इसमें रिस्पना और बिंदाल नदी की सफाई को लेकर चर्चा की गई है। मेयर चमोली ने कहा कि एमडीडीए और सिंचाई विभाग को पिछली सरकार ने 50 लाख रुपये सफाई के लिए दिए थे। बावजूद इसके दोनों नदियां गन्दगी के चपेट में है। उन्होंने इसकी समीक्षा करने के निर्देश दिए है। मेयर चमोली ने यह भी कहा कि जिन जगहों पर ज्यादा गन्दगी फैली है, उसके निवारण की योजना बनाई जाएगी। इसके लिए 25 लाख रूपये नगर निगम और इतनी ही धनराशि एमडीडीए की ओर से जारी की जाएगी, जिसमे दोनों नदियों का कायाकल्प हो सके।

मसूरी, दो दुकानो में शार्ट सर्किट से आग लगी

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पहाड़ों की रानी मसूरी में एक बड़ा हादसा होते होते बचा। मसूरी का मशहूर गनहिल जहां शार्ट सर्किट की वजह से गिफ्ट और गेम की दो दुकानों में आग लग गई।

यह दोनों दुकाने पहाड़ की ऊंची चोटी पर होने की वजह से यहां फायर की गाड़ियां नही पहुंच पाई ।लोकल लोगों की हिम्मत और मदद से आग पर काबू पाया गया जिसकी वजह से आसपास की दुकानों में आग को फैलने से रोका जा सका।हालांकि दोनों दुकानों में ज्यादा आग लगने की वजह से दुकानदार मुकेश कुमार और फुरखान को लाखों का नुकसान हो गया।यह दुर्घटना दिन में होने की वजह से और ज्यादा पर्यटक ना होने की वजह से एक बहुत बड़ी अनहोनी टल गई।

सात समंदर पार होली के रंगों से सराबोर हुए उत्तराखंडी

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होली रंगों का एक ऐसा त्यौहार है जो दुनिया के हर कोने में जहां भी भारतीय लोग है वहां धूमधाम से मनाया जाता है।जबकि भारत में इस साल होली 13 मार्च को मनाई गई दूसरे देश जैसे कि दुबई, यूएस, जैसे देशों में होली अभी तक मनाई जा रही।

न्यूजीलैंड में भारतीय समुदाय के बहुत से लोग रहते हैं, और गढ़वाली जनसंख्या भी अच्छी खासी है।न्यूजीलैंड में रह रहे गढ़वालियों ने 26 मार्च को जमकर होली खेली।मैरीना थपलियाल ने बताया कि इस साल होली मनाने के लिए यह लोग बहुत ही खूबसुरत वाटरफाल हुनुआ रेंज के पास गए।यहां इन्होंने जमकर होली खेली और त्यौहार का लुत्फ उठाया।

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वो बताती हैं कि इस साल सभी परिवार एकजुट होकर एक जगह पर मिलते हैं और साथ में हाथ से बनाए हुए अलग अलग तरह के पकवान लाते हैं जिसे वह मिल बांट कर खाते हैं।एक घर निर्धारित किया जाता है जिसमें लोग आते हैं और सबके साथ होली खेलते हैं और जहां पार्लियामेंट के सदस्यों ने भी होली खेली और साथ में न्यूजीलैंड पुलिस ने भी रंगों के त्यौहार का जम कर मज़ा लिया। इस पूरे होली के कार्यक्रम को काउसिंल के सहयोग से ठीक ढ़ंग से पूरा किया गया।मैरीना ने बताया कि वहां पर हर उम्र के लोगों के लिए अलग अलग प्रकार के गेम थे इसके साथ ही एक रेडियो स्टेशन जिसपर बालीवुड म्यूजिक बज रहा था और जिसे सुनकर लोग और ज्यादा खुश हो रहे थे।

त्यौहार लोगों का पास और साथ लाने का एक जबरदस्त माध्यम है,और हर उम्र के लोगों को एक साथ लाने के लिए त्यौहार सबसे अच्छा बहाना है।जो लोग अपने घर से दूर हैं उनके लिए होली के रंग का कुछ ऐसा है कि सबको अपने में मिला लेता है।सात समंदर पार अपने देश से दूर होने के बावजूद लोग इस त्यौहार को उतने ही ह्रर्षौउल्लास के साथ मनाते हैं।

 

विश्वविधायलों में फहराये जाएंगे 100 फीट लंबे तिरंगेः डॉ धन सिंह रावत

एक कार्यक्रम में ऋषिकेश पहुंचे प्रदेश सरकार में राज्य उच्च शिक्षा मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया की प्रदेश की विश्वविधायलों में 100-100 फीट लंबे  तिरंगे भी फहराये जाएंगे। उन होने ये भी बताया की प्रदेश सरकार उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही है जिससे प्रदेश में युवाओं को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो सके।

पहाड़ो में उच्च शिक्षा की कमी के कारण यहाँ युवाओं को रोजगार के अवसर प्राप्त नही हो पाते जिसके कारण युवाओं को प्रोफेशनल शिक्षा और रोजगार के लिए शहरो का रुख करना पड़ता है, लेकिन अब जब प्रदेश में डबल इंजन वाली नई सरकार आ गई है तो उम्मीद यही जताई जा रही है की अब सरकार प्रोफेसनल शिक्षा की तरफ ज्यादा ध्यान देगी।

प्रदेश में अच्छी शिक्षा सरकार के लिए हमेशा ही चुनोती रही है। अभी तक उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ऐसे कोई निर्णय नही लिए गए है जिससे युवाओं को रोजगार के लिए अच्छे प्रोफेसनल शिक्षा मिले, लेकिन अब इस सरकार से युवाओं की काफी उम्मीदे लगी है जिससे प्रदेश में उच्च शिक्षा के स्तर को सुधारा जा सके।

उत्तराखंड में नई सरकार आई है तो सरकार के विकास के एजेंडे में उच्च शिक्षा पर भी बहुत ज्यादा जोर दिया जा रहा है। इस वक्त प्रदेश में  कई विश्वविश्यालयोँ में व्यवस्थाओं  की कमी के चलते न तो समय पर परीक्षाएं हो पाती है और ना ही युवाओं को सुविधाएं मिल पाती है।

गढ़वाली खाने का अनोखा संसार

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पहाड़ों की रानी मसूरी में ”द शूटिंग बाक्स”, एक फिल्म और डाक्यूमेंट्री प्रोडक्शन हाउस है, जिसका मिशन दुनिया भर मे उत्तराखण्ड के महान संस्कृति को शोकेस और लोगो के बीच मशहूर करना है। उसी दिशा मे एक पहल करते संजय टम्टा जो कि ”दि शूटिंग बाक्स”  के फाउंडर है उन्होंने उत्तराखंड कुय्ज़िन यानि खाने और उसके कांनटीनेंन्टल फ्यूजन के बारे में एक डाक्यूमेंट्री फिल्म का विमोचन किया।।संजय का मानना हे कि, ‘देवभूमि उत्तराखंड दुनिया भर मे अपनी प्राकृतिक सुंदरता और तीर्थ स्थानों’ के लिए प्रसिद्ध है।जहाँ जन जीवन शांत, साधारण और समृद्ध है। इस समृद्धि का विशेष कारण है यहाँ की पवित्र नदियाँ, उपजाऊं भूमि और मेहनतकश निवासी। यहाँ खेती बाड़ी के लिए कैमिकल या फर्टिलाइजर के बजाय शुद्ध जैविक खाद ही प्रयोग मे लायी जाती है।’

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यह 19 मिनट की डाक्यूमेंट्री में बहुत ही बखूबी से उत्तराखंड की मूल फसल, लाल चावल, झंगोरा,कोदा, कुलथ और राजमा, जिनसे तरह तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाये जाते हैं की झलक दिखाई गई है। गांवो से जब ये अनाज शहरों तक आता है कैसे वो हाथों हाथ बिक जाता हैइसके अलावा, उत्तराखण्ड मे प्रसिद्ध कंडाली का साग,जोकि एक जंगली लेकिन रोचक पौधे से बनाया जाता है, अपनी गर्म और बहुत लाभदायक औषधि प्रॉपर्टीज की वजह से फेमस है।स्टिंगिंग नेटल लीव को आम भाषा मे बिच्छू भी कहा जाता है, क्यूंकि इसके रसायन भरे छोटे छोटे कांटे,शरीर से लगने पर एक जलन भरा डंक देते हैं। ‘आज कल, जीएम,ब्रेंटवुड होटल और रेजार्ट के अरुण ङबराल का मानना है कि, ‘उत्तराखण्ड का खाना कान्टिनेंन्टल फ्यूजन की रेसिपी मे भी खूब सराहा जा रहा है।उत्तराखण्ड का स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना आज अंर्तराष्ट्रीय लेवल पर भी अपनी पहचान बना रहा है.”

यह डाक्यूमेंट्री अपने आप में सूचना और मनोरंजन यानि की इंफोटेन्मेंट युक्त है, जिसमें गढ़वाली खाने को एक अंर्तराष्ट्रीय लेवल के खाने की तरह पेश किया गया है।

 

चैत्र नवरात्रो में सिद्ध पीठ कुंजापुरी में श्रदालुओ का लगा ताँता

चैत्र महीने के नवरात्रो का विशेष महत्व माना जाता है। कहते है हिन्दू धर्म में  चैत्र नवरात्रो के साथ हिन्दू नव वर्ष की शुरुवात होती है। इन दिनों माता के सिद्धपीठ  कुंजापुरी में बड़ी संख्या में श्श्रद्धालु माँ के दर्शन करने आते है और पूजा अर्चना करते है। मान्यता है की माँ सबकी मुरादे पूरी करती है और अपने भक्त को कभी खाली झोली लिए नही भेजती।पौराणिक कथाओं के अनुसार स्कन्दपुराण के अनुसार राजा दक्ष की पुत्री, सती का विवाह भगवान शिव से हुआ था। त्रेता युग में असुरों के परास्त होने के बाद दक्ष को सभी देवताओं का प्रजापति चुना गया। उन्होंने इसके उपलक्ष में कनखल में यज्ञ का आयोजन किया। उन्होंने, हालांकि,भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया क्योंकि भगवान शिव ने दक्ष के प्रजापति बनने का विरोध किया था। भगवान शिव और सती ने कैलाश पर्वत, जो भगवान शिव का वास-स्थान है, से सभी देवताओं को गुजरते देखा और यह जाना कि उन्हें निमंत्रित नहीं किया गया है। जब सती ने अपने पति के इस अपमान के बारे में सुना तो वे यज्ञ-स्थल पर गईं और हवन कुंड में अपनी बलि दे दी। जब तक शिव वहां पहुंचते तब तक वे बलि हो चुकी थीं।

भगवान शिव ने क्रोध में आकर तांडव किया और अपनी जटाओं से गण को छोड़ा तथा उसे दक्ष का सर काट कर लाने तथा सभी देवताओं को मार-पीट कर भगाने का आदेश दिया। पश्चातापी देवताओं ने भगवान शिव से क्षमा याचना की और उनसे दक्ष को यज्ञ पूरा करने देने की विनती की। लेकिन, दक्ष की गर्दन तो पहले ही काट दी गई थी। इसलिए, एक भेड़े का गर्दन काटकर दक्ष के शरीर पर रख दिया गया ताकि वे यज्ञ पूरा कर सकें।

भगवान शिव ने हवन कुंड से सती के शरीर को बाहर निकाला तथा शोकमग्न और क्रोधित होकर वर्षों तक इसे अपने कंधों पर ढोते विचरण करते रहें। इस असामान्य घटना पर विचार-विमर्श करने सभी देवतागण एकत्रित हुए क्योंकि वे जानते थे कि क्रोध में भगवान शिव समूची दुनिया को नष्ट कर सकते हैं। आखिरकार, यह निर्णय लिया गया कि भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र का उपयोग करेंगे। भगवान शिव के जाने बगैर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 52 टुकड़ों में विभक्त कर दिया। धरती पर जहां कहीं भी सती के शरीर का टुकड़ा गिरा, वे स्थान सिद्ध पीठों या शक्ति पीठों (ज्ञान या शक्ति के केन्द्र) के रूप में जाने गए। उदाहरण के लिए नैना देवी वहां हैं, जहां उनकी आंखें गिरी थीं, ज्वाल्पा देवी वहां हैं, जहां उनकी जिह्वा गिरी थी, सुरकंडा देवी वहां हैं, जहां उनकी गर्दन गिरी थी और चंदबदनी देवी वहां हैं, जहां उनके शरीर का नीचला हिस्सा गिरा था।

उनके शरीर के ऊपरी भाग, यानि कुंजा उस स्थान पर गिरा जो आज कुंजापुरी के नाम से जाना जाता है। इसे शक्ति पीठो  में गिना जाता है।टिहरी और नरेंद्र नगर गाँव  लोग  के नवरात्रो में माता के दर्शन करते है ,वैसे तो नवरात्रो में हर देवी माँ के  मंदिर में उनके भक्तो का ताँता लगा रहता है लेकिन उत्तराखण्ड में सुरकंडा ,चन्द्रबदनी और कुंजापुरी सिद्ध पीठ मौजूद है जिससे लोगो में माँ के प्रति भक्ति और आस्था बढ़ जाती है लेकिन  माँ कुंजापुरी  का नज़ारा इनदिनों कुछ और ही होता है दूर दूर से श्रद्धालु माता के दर्शन  करने आते है माँ से  मानत मांगते है। और नरेंद्र नगर की कुंजापुरी  की पहाड़ियों में जय माता दी के जयकारे से गूंज उठती है 

मसूरी, एक युवक की अस्पताल में उपचार के दौरान मृत्यु

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आज थाना मसूरी को सूचना मिली की एक युवक की सेन्टमैरी अस्पताल में उपचार के दौरान मृत्यु हो गयी है। सूचना पर पुलिस बल तत्काल मौके पर पहुचा। पूछताछ करने पर मृतक की पहचान अमित खान पुत्र अली जान निवासी साबरा कुरुक्षेत्र, हरियाणा के रुप में हुयी। मृतक के साथी अग्रेज द्वारा बताया गया कि मृतक उनका साला है तथा वे दोनो कल  मसूरी घुमने के लिये अपने घर से निकले थे।

रात्रि 8.00 बजे लगभग वे देहरादून पहुचे तथा रेलवे स्टेशन के पास ही उनके द्वारा खाना खाया गया। इसके पश्चात दोनो रात्रि 10.00 बजे मसूरी पहुचे। जँहा दोनो होटल जयसवाल स्टैट में रुके थे। प्रातः 6.00 बजे मृतक अमित अचानक उल्टीयां करने लगा।उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया। जँहा दौरान उपचार उसकी मृत्यु हो गयी। पुलिस द्वारा मृतक के परिजनो को सूचित कर बुलाया गया है, जिनके द्वारा बताया गया कि मृतक के घर पर कुछ दिन पूर्व में ही शादी थी तथा मृतक विगत 6 -7 दिनों से लगातार अत्यधिक शराब का सेवन कर रहा था।

पुलिस द्वारा शव का पंचायतनामा भर पोस्टर्माटम की कार्यवाही की जा रही है। बाद पोस्टर्माटम रिर्पोट अग्रिम कार्यवाही की जायेगी ।