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अवैध खनन में 15 वाहन जब्त, 10 बुग्गी पकड़ी

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रुड़की और घाड़ क्षेत्र में पुलिस ने छापा मारकर 15 वाहनों को सीज किया और दस बुग्गी पकड़ी। पुलिस की कार्रवाई से दिनभर हड़कंप मचा रहा।

एसएसपी कृष्ण कुमार वीके को नदियों में खनन की शिकायत मिल रही थी। जिसपर एसएसपी ने सभी कोतवाली और थाना प्रभारियों को खनन पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। एसएसपी के निर्देश पर बुग्गावाला पुलिस ने चिल्लावली नदी में छापे मारे। पुलिस ने यहां पर खनन कर रहे पांच ट्रक और दो ट्रैक्टर-ट्रॉली को सीज कर दिया। साथ ही, खनन कर रही छह भैंसा बुग्गी भी पकड़कर थाने भिजवाई। यहां पर कार्रवाई के बाद पुलिस जैसे ही सड़क पर आई तो छह ओवरलोड ट्रक दिखाई दिए। पुलिस ने सभी छह ट्रक को सीज कर दिया। भगवानपुर पुलिस ने भी मंडावर चेकपोस्ट के पास अवैध खनन से लदी छह ट्रैक्टर-ट्रॉली को सीज कर दिया। इस दौरान कई अन्य वाहन चालक पुलिस की कार्रवाई को देख भाग खड़े हुए। वहीं रुड़की सिविल लाइंस कोतवाली पुलिस ने सोलानी नदी में अवैध खनन में दो ट्रैक्टर- ट्रॉली को सीज किया। साथ ही, दो भैंसा बुग्गी भी पकड़ी। गंगनहर कोतवाली पुलिस ने भी इब्राहिमपुर गांव के पास अवैध खनन सामग्री से लदी दो भैंसा बुग्गी को पकड़ा। साथ ही, बुग्गी पर सवार छह लोगों को भी पकड़ लिया।
नेता पहुंचे थाने, विधायकों ने किए फोन
खनन पर पुलिस की कार्रवाई होने पर जहां माफिया में हड़कंप मचा। वहीं नेता से लेकर विधायक सभी परेशान रहे। रुड़की गंगनहर कोतवाली में खनन की दो बुग्गी छुड़ाने के लिए ग्राम प्रधान से लेकर कई नेता पहुंच गए। इसके बाद नेता ने विधायकों से भी फोन कराए। करीब दो घंटे तक नेता कोतवाली मे डेरा डाले रहे। वहीं भगवानपुर थाने में भी खनन के वाहन छुड़ाने के लिए दिन भर नेताओं की भीड़ लगी रही। बुग्गावाला थाने का भी हाल कुछ ऐसा ही था।

पंचेश्वर बांध पर राजनीति गर्माएगी उक्रांद

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प्रदेश में अपनी राजनैतिक जमीन तलाश रही उक्रांद अब पंचेश्वर बांध के मुद्दे पर राजनीति गर्माने के मूड में है.. तीसरे विक्प के रुप में खुद को स्थापित करने में नाकाम रही उक्रांद ने पंचेश्वर बांध के मुद्दे पर रणनीति बनाते हुए आंदोलन की राह पकड ली है। जसके चलते  भारत नेपाल के सहयोग से महाकाली नदी के पंचेश्वर स्थान पर प्रस्तावित बांध के विरोध में उक्रांद मुखर हो उठा है। दल ने इस बांध को क्षेत्र की संस्कृति व सभ्यता के साथ ही अस्मिता के लिए खतरा बताया है।

दल के पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष डॉ नारायण सिंह जंतवाल के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने तल्लीताल गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना प्रदर्शन किया। वक्ताओं ने कहा बांध को लेकर जनसुनवाई में लीपापोती की जा रही है। पिथौरागढ़ में हुई जनसुनवाई में दल के शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी को बोलने नहीं दिया। उत्तराखंड भूकंप की दृष्टि से जोन चार व पांच में है, ऐसे में बड़े बांध इलाके के लिए खतरा है। चेताया कि इस मामले में लोगों के सवालों का जवाब नही मिला तो दल राज्यव्यापी आंदोलन करेगा। धरने में प्रकाश पांडेय, केसी उपाध्याय, प्रकाश पांडेय, खीमराज बिष्ट, नवीन साह, पान सिंह सिजवाली, पालिकाध्यक्ष श्यामनारायण आदि थे।

नंदा लोकजात का हुआ आगाज

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उत्तराखंड के चमोली जिले के विकास खंड घाट के कुरूड़ में हर वर्ष आयोजित होने वाली नंदादेवी लोकजात का रविवार को मां नंदा देवी की पूजा अर्चना के बाद रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ शुरुआत हुई। कुरूड़ मंदिर से मां नंदा की दोनों डोेलियां कैलाश के लिए रवाना हो गई है।

नंदादेवी लोकजात का शुभारंभ करते हुए क्षेत्र के विधायक मगन लाल शाह ने कहा कि नंदादेवी लोकजात को भव्य रूप दिया जाएगा। अब तक राजनीतिक उपेक्षाओं के चलते कुरूड़ मंदिर की अनदेखी हुई है। लेकिन अब नंदादेवी मंदिर कुरूड़ को पर्यटन के मानचित्र पर दर्शाया जाएगा। पूजा-अर्चना के बाद नंदा की डोलियों को कैलाश के लिए विदा किया गया।

इस मौके पर महिला मंगल दल, युवक मंगल दल, स्कूली बच्चों के साथ ही स्थानीय कलाकारों द्वारा मां नंदा के गीतों व नृत्यों को प्रस्तुत किया गया। मां नंदा की कैलाश विदाई पर स्थानीय महिलाओं के आंखों में अपनी धियाणी की विदाई का दर्द साफ झलक रहा था। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष मुन्नी शाह, प्रमुख घाट कर्ण सिंह नेेगी आदि मौजूद रहे। 

दोहरे हत्याकांड मामले में पुलिस खंगाल रही पूर्व कर्मचारियों के रिकॉर्ड

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रुड़की, एक सप्ताह पहले हुए दोहरे हत्याकांड के मामले में रुड़की पुलिस की टीम ने सहारनपुर में डेरा डाल दिया है। इन कर्मचारियों से पूर्व में पूछताछ की गई। उनके बारे में अब पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। इसी कड़ी को मिलाते हुए पुलिस सहारनपुर पहुंची है।

दोहरे हत्याकांड के मामले में पुलिस अब तक पाइप गोदाम के तीन पूर्व कर्मचारियों से पूछताछ कर चुकी है। यह सभी पूर्व कर्मचारी सहारनपुर के रहने वाले है। हालांकि अभी तक पुलिस को इस मामले में ठोस सुराग हाथ नहीं लगे है। लेकिन, पुलिस की शक की सुई पूर्व कर्मचारियों पर टिकी है।

पांच अगस्त की रात को बदमाशों ने शेरपुर गांव निवासी चौकीदार इंद्र सिंह और भतीजे मेघराज की बेलड़ी गांव स्थित पाइप गोदाम में हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अब तक 14 से अधिक लोगों से अब पूछताछ की जा चुकी है। कई और संदिग्ध लोग पुलिस रडार पर हैं। शनिवार को भी पुलिस ने बेलड़ी, केलहनपुर और शेरपुर गांव के रहने वाले तीन लोगों से पूछताछ की है। इनके मोबाइल नंबर भी पुलिस खंगाल रही है। ग्रामीणों ने पुलिस को आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सात दिन का अल्टीमेटम दिया था। पुलिस भी इस मामले को लेकर काफी दबाव में है।

लोंग वीकेंड का मज़ा उठाने हजारों सैलानी पहुंचे मसूरी, शहर की व्यवस्था चरमराई

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tourists flocking mussoorie

स्वतंत्रता दिवस के लोगों के लिये अलग अलग मायने होते हैं। कुछ लोगों के लिये ये दिन रोजमर्रा की भागदौड़ भरी जिंदगी से फुरसत के कुछ पल चुराने का मौका होता है। और अगर ये पल कुछ ज्यादा हो जाये यानि की लोंग वीकेंड तो फिर क्या कहने। कुछ ऐसा ही इस बार 15 अगस्त पर दिख रहा है। सवतंत्रता दिवस के साथ साथ गुरू पूरणिमा और कृष्ण जन्माष्टमी ने लंबी छुट्टियों की लाइन लगा दी है।

लोगों ने भी छुट्टियों के पूरे मजे उठाने के लिये आस पास के पर्यटक स्थलों का रुख कर लिया है। इसी के चलते पहाड़ों की रानी मसूरी में भी पर्यटकों की भारी भीड़ जमा हो गई है। और ये बताने की बात नहीं कि इस भीड़ को झेल न पाने के कारण मसूरी और स्थानीय लोगों का आने वाले कुछ दिन हाल बेहाल रहेगा। शहर में प्रवेश करने के लिये कारों की लंबी लाइन लग गई है। जिसके कारण जगह जगह ट्रैफिक जाम हो रहे हैं। इस जाम से निपटने के लिये ट्रैफिक पुलिस को भी खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।

वहीं आॅफ सीजन में चल रहे होटलों पर भी हाउस फुल के बोर्ड लग गये हैं। इसकी खुशी होटल व्यवसायियों के चेहरों पर साफ दिख रही है। होटल व्यवसायी प्रतीक कर्णवाल का कहना है कि “लोगों के लिये ये वीकेंड अपनों के साथ वक्त बिताने का अच्छा मौका है। इसके लिये हमारे पास जुलाई के महीने से बुकिंग और इंक्वाइरी आ रही थी। होटल व्यापारियों के लिये भी ये आॅफ सीजन में कमाई का अच्छा समय है”

दिल्ली और आसपास के इलाकों में पड़ रही गर्मी और उमस से बचने के लिये मसूरी एक मुफीद जगह बन जाती है। दिल्ली से आये कौशल कुमार कहते हैं कि “कई सालों बाद हमारा पूरा परिवार एक साथ हो सका है।” ऐसा ही कुछ कहना है अरुण पुरोहित का “ये मौका हमारे लिये अच्छा रहा क्योंकि मुझे और मेरी पत्नी को एक साथ छुट्टी मिल गई”

हांलाकि मसूरी के आम लोगों के लिये ऐसे वीकेंड परेशानी का सबब बन जाते हैं। लेकिन शहर की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिये शायद ही उनके पास कौई और विकल्प हो।

तो अब अल्मोड़ा के आसमान में भी उड़ान भरेंगे पैराग्लाइडर्स

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अल्मोड़ा में र्यटन को बढ़ावा देने के लिये साहसिक पर्यटन से जुड़े विकल्पों पर काम किया जा रहा है। इसी के चलते जिला प्रशासन अब पैराग्लाइडिंग शुरू करने की तैयारी कर रहा है, जिससे यहां पर भीमताल की तर्ज पर पैराग्लाइडिंग हो सके।

प्रशासन को इस खेल के शुरू होने से यहां पर्यटकों की संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है। पैराग्लाइडिंग शुरू करने के लिए भीमताल में सेवाएं दे रही एक निजी कंपनी के प्रतिनिधि ने डीएम इवा आशीष से परमीशन मांगी है। इस पर प्रशासन और विभागीय अधिकारियों ने भरोसा दिलाया कि पायलट की तरफ से पैराग्लाइडिंग की उड़ान देखने और उसकी तरफ से एनओसी मिलने के बाद अनुमति दी जाएगी।

डीएम ने बताया कि “एनटीडी के पास एक चयनित जगह है जिस पर पैराग्लाइडिंग की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसके लिए भीमताल में सेवाएं दे रहे कंपनी के प्रतिनिधि राकेश उप्रेती से बात हुई है। छह माह से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें पर्यटन विभाग की तरफ से एक कमेटी भी बनाई गई है, जिसकी रिपोर्ट के बाद यह निर्णय लिया जाना है।”

पैराग्लाइडिंग शुरू होने से पहले

  • एक निश्चित आय का कुछ प्रतिशत राजस्व के रूप में लिए जाने की बात कंपनी से होनी है।
  • संबंधित जगह पर पर्यटकों के लिए जरूरी सुविधाएं भी मुहैया कराई जायेंगी
  • जरूरी तकनीकी चीजों और रखऱकाव के सामान मुहैया कराया जायेगा।

बरसात का मौसम खत्म होने के बाद पायलट यहां पर पैराग्लाइडर उड़ाकर देखेगा और प्रमाणपत्र देगा कि यहां पर उड़ान सफल और सुरक्षित है। तब विभाग यहां पर इस रोमांचकारी खेल के लिए कंपनी को एनओसी और अनुमति प्रदान करेगा।

अफवाहों का माध्यम बनता सोशल मीडिया

वर्तमान दौर सूचनाओं के त्वरित प्रवाह का है। सूचनाएं बिजली की चलपता से एक स्थान से अन्यत्र हवाओं में तैरती हुई हमारे माध्यमों के मार्फत सभी तक पहुंच रही हैं। सूचना समर के इस दौर में अफवाहों का तंत्र भी इसके समानांतर गतिशील है। अफवाहें कब सूचनाओं का रूप धरकर समाचार में तब्दील हो जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता है। वहीं, अफवाहें कब सामूहिक उन्माद में तब्दील हो कर किसी बड़ी घटना का अंजाम दे जायें, इसका भी कोई समय निश्चित नहीं है। समय विशेष में यही घटनाएं मात्र घटनाएं न होकर ‘मास हीस्टीरिया’ या जन भ्रम की घटनाएं होती हैं जो अफवाहों के पंख लगने के बाद सामूहिक उन्माद का रूप ले लेती होती हैं। देश में ‘मास हीस्टीरिया’ जन भ्रम का अपना इतिहास रहा है। 90 के दशक के मध्य में 21 सितंबर की सुबह एकाएक अफवाह फैली की भगवान गणेश की मूर्ति चम्मच से दूध पी रही है। देखते ही देखते मंदिरों में लाइनें लग गईं। तब इस अफवाह को सुदूर तक फैलाने का काम टेलीफोन ने किया था। इसी तरह 2001 में देश की राजधानी दिल्ली में ‘मंकी मैन’ की अफ़वाह फैली। मंकी मैन ने कथित रूप से कई लोगों पर हमला किया। इसके बाद सन् 2002 में देश की जनसंख्या के मामले में सबसे बड़े सूबे में मुंहनोचवा का प्रकरण सामने आया। सन् 2006 में हज़ारों की तादाद में लोग मुंबई के एक समुद्र तट में इसीलिए पहुंचने लगे क्योंकि उन्होंने सुना कि समुद्र का पानी अचानक मीठा होने लग गया है। इन जैसे कई उदाहरण हैं जिन्हें मीडिया ने समाचार बनाकर लोगों को परोसा। हालांकि बाद में घटनाएं अफवाह मात्र निकलीं। इन मामलों में मीडिया की किरकिरी होने के बाद मुख्य धारा का मीडिया अब इस तरह की घटनाओं को सोच समझकर ही स्थान देता है। भला हो इस व्हाट्अप और फेसबुक युनिवर्सिटी का, जिसमें शामिल सभी लोग खुद को समाज विज्ञानी होने का दम भरते हैं। साथ ही अपने और अपने समाज को भलीभांति जानने की तकरीरें करते हैं। उन्हें शायद पता ही होगा कि जब भी कहीं दंगे- फसाद होते हैं तो वहां के प्रशासन का पहला लक्ष्य सूचना सेवाओं को बाधित करने का होता है। न जाने कब अफवाहें सूचना के रूप में लोगों के दिल में घर कर जाएं।

हाल ही में उत्तरी भारत के कई राज्यों जैसे हरियाणा, उत्तरप्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में महिलाओं की चोटी कटने की घटनाओं का बाजार गर्म है। कई मामले दर्ज किये जा चुके हैं लेकिन न तो पुलिस और न ही इसकी शिकार महिलाएं इसके कारणों की तह तक पहुंच पायें हैं। जब घटना की शिकार महिलाओं से पूछा जाता है कि किसी ने हमलावर को देखा है..इस प्रश्न पर रहस्य औऱ ही गहरा जाता है। कई महिलाओं ने शिकायत की है कि किसी ने उन्हें बेहोश करके रहस्यमयी तरीके से उनके बाल काट लिए। जितनी महिलाओं ने अपनी चोटी कटने की शिकायते थानों में दर्ज कराई हैं सबकी अपनी- अपनी आपबीती है। चोटी कटने की पहली खबर राजस्थान से आयी थी लेकिन अब इसने हरियाणा और दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश को भी अपनी चपेट में ले लिया है। इन घटनाओं और उसके बाद इसके गहराते रहस्य की कई कहानियां हैं। कइयों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं तांत्रिकों द्वारा अंजाम दी जा रही हैं जबकि कई इनके पीछे अदृश्य शैतानी ताकतों का होना मानते हैं। हालांकि इस तरह की घटनाओं को वैज्ञानिक तथ्यों की कसौटी पर कसने पर यह ‘मास हिस्टीरिया’ की घटना समझ पड़ती है। इनके पीछे कोई चमत्कार, दैवीय या शैतानी शक्ति नहीं है बल्कि यह एक विशेष मन: स्थिति का परिणाम है। इस तरह की मन: स्थिति में पीड़ित खुद पर ऐसा होते हुए अहसास करता है। यह कभी – कभार अवचेतनावस्था में भी होता है। इस तरह की घटनाओं की शिकार महिलाओं में इस बात की समानता है कि तकरीबन सभी की आर्थिक- सामाजिक स्थिति कमोवेश एक जैसी होने के साथ ही वे कम पढ़ी-लिखी हैं। लेकिन शिक्षा के प्रसार और बढ़ती जागरूकता से इसमें काफी कमी आई है। बावजूद इसके ऐसी घटनाएं यदा-कदा होती रहती हैं। कई बार इस तरह की अफवाहें दहशत फैलाने के उद्देश्य से भी फैलाई जा सकती हैं। मेडिकल साइंस इसे ‘आईडेंटिटी डिसऑर्डर’ मानता है, जिसके पीड़ित लोग इस तरह की अजीबोगरीब घटनाओं के शिकार पाए जाते हैं। इससे पीड़ित व्यकित कुछ समय के लिए स्वयं पर नियंत्रण खो देते हैं। उसके बाद वे क्या करते हैं या फिर उनके साथ क्या होता है, इसकी उन्हें कोई समझ नहीं होती। ऐसी घटनाओं की मनगढ़त खबरें कमजोर सामाजिक और आर्थिक स्थिति के लोगों को ज्यादा प्रभावित करती हैं। जीवन की कठिनाइयों से त्रस्त, हैरान- परेशान लोग मानसिक दबाव या तनाव में भ्रम का शिकार आसानी से हो जाते हैं।
मंगलवार की ही घटना है, जब हरियाणा के पिछड़े जिले मेवात के नगीना ब्लॉक में एक बिल्ली को भीड़ ने इस लिए मार दिया क्योंकि गांव में एक महिला की कटी चोटी पाई गई तो परिजनों ने देखा वहां एक बिल्ली बैठी हुई है। बिल्ली को लोगों ने पकड़ लिया और उसकी हत्या की गई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस इलाके में ऐसी अफवाहों का जोर था कि बिल्ली के रूप में कोई औरत आकर महिलाओं की चोटी काट जाती है। जब इस घटना को अंजाम दिया जा रहा था तो कई लोग इसका वीडियो बना रहे थे। सोशल मीडिया के माध्यम से यह खबर गोली की रफ्तार से भी तेज अन्य लोगों तक पहुंच गई होगी। परिणाम क्या होंगे ? यह समय बताएगा। इस तरह की अफवाहों के समय में कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की मन: स्थिति निष्क्रिय श्रोता की तरह होती है। आगरा में एक बुजुर्ग महिला को भीड़ ने चोटी काटने वाली समझकर पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया। इसी साल झारखंड में बच्चा चोरी की अफवाह के चलते भीड़ ने दो लोगों को मार डाला। ऐसी घटनाएं सामूहिक उन्माद का ही नतीजा है। इसी तरह मुंहनोचवा की अफवाहों के चलते फैले सामूहिक उन्माद में दो लोगों की मौत हो गई थी। मुज्जफरपुर की घटना तो सभी को याद होगी जब फेसबुक पर आपत्तीजनक कंटेट अपलोड करने पर दंगे भड़क गए थे। हालांकि बाद में पता चला कि संबंधित वीडियो देश का है ही नहीं। उपरोक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि मीडिया एक खास परिस्थिति में अत्यंत ही शक्तिशाली रुख अख्तियार कर लेता है, जब एक विशेष मन: स्थिति वाले लोगों तक जनभ्रम या मास हीस्टीरिया के संदेश पहुंचते हैं और इसी खास मीडिया इफेक्ट के चलते ही जनभ्रम सामूहिक उन्माद का रूप ले लेता है। सोशल मीडिया आज इन्हीं सब का टूल बना हुआ है। ऐसे में सोशल मीडिया का सोच-समझकर इस्तेमाल करना चाहिए। माना कि आप इस तरह की सूचनाओं को खबर बनाकर आगे नहीं बढ़ाते लेकिन इस बात को भी सुनिश्चित करना होगा कि कहीं आप इनके झांसे में तो नहीं आ रहे। सूचना क्रांति के इस दौर में सोशल मीडिया के उपयोगकर्ताओं को विशेष एहतियात बरतने की आवश्यकता है। वरना जनभ्रम के संदेशों से लोगों के दिलों दिमाग में घर कर गया शैतान कब अपने वास्तविक भयावह आकार, उन्माद का रूप लेकर हमारे उस सामाजिक ताने-बाने को तगड़ा अपूर्णीय आघात पहुंचा जाए जिसे बनाने में न जाने कितनी ही पीढ़ियां मर-खप गई। 

आपदा को लेकर वन विभाग सतर्क : डीएफओ

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जनपद पौड़ी गढ़वाल के कोटद्वार में आई दैवीय आपदा के चलते वन विभाग ने भी आपदा से निपटने के लिये कमर कस ली है। प्रभागीय वनाधिकारी लैंसडाउन मयंक शेखर झा ने बताया कि आपदा ग्रस्त क्षेत्रो में वन विभाग के कर्मचारी मवाकोट, कण्वाश्रम, ग्रास्टनगंज जैसी जगहों पर आपदा की दृष्टि को देखते हुए तैनात किया गया है।


कोटद्वार क्षेत्र में बाघ की धमक को देखते हुए जगह जगह पर निगरानी हेतु कैमरे लगा दिए गए हैं। साथ ही बाघ को पकड़ने के लिये पिंजरा भी लगाया गया है।
डीएफओ ने बताया कि वन विभाग के द्वारा आपदा पीड़ितों को खाद्य सामग्री का वितरण भी किया गया साथ ही पेयजल की समस्या को देखते हुए वन विभाग के द्वारा पेयजल समस्या से ग्रस्त क्षेत्र मानपुर, शिवपुर, धुर्वपुर आदि क्षेत्रों में वन विभाग के द्वारा टैंकर से पानी सप्लाई किया गया।
वनक्षेत्राधिकारी एसपी कण्डवाल ने बताया कि वन विभाग आपदा को देखते हुए पूरी तरह से मुस्तैदी के साथ कार्य कर रहा है। 

केदारनाथ में वैली ब्रिज बनकर तैयार

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नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) ने केदारनाथ में सरस्वती नदी पर वैली ब्रिज तैयार कर लिया, जिससे अब यात्रियों को आने जाने में सुविधा मिलेगी।

निम की टीम केदारनाथ की विषम भौगोलिक परिस्थितियों में पुनर्निर्माण कार्य में जुटी है। निम के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। इस पुल के निर्माण से केदारनाथ से भगवान भैरवनाथ मंदिर तक जाना सुविधाजनक होगा। पुल से केदारनाथ से हेलीपैड तक भी आवाजाही आसान हो जाएगी।
निम के देवेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि शुक्रवार को पुल का काम पूरा हो गया। पुल पर एक दो दिन में पूरी तरह आवाजाही शुरू कर दी जाएगी। वहीं निम ने इस स्थान के आसपास भी सुरक्षा के पूरे इंतजाम कर लिए। केदारनाथ में अब सभी जगहों से आवाजाही सुरक्षित हो गई है। एक ओर मुख्य प्रवेश मार्ग पर पक्का पुल निर्माण कर दिया गया है, वहीं इस पुल के बनने से भी तीर्थयात्रियों को काफी राहत मिलेगी।
केदारनाथ मंदिर से दांयी तरफ सरस्वती नदी पर इस साल मई से एनआईएम ने वैली ब्रिज बनाने का काम शुरू किया। इस कार्य में निम के 30 मजदूर, एक इंजीनियर और एक सुपरवाइजर प्रतिदिन मेहनत करते रहे है। पुल लगभग सौ दिन में बनकर तैयार हो गया। 

हौंसलो के दम पर अपने सपनों को सच्चाई बनाते ये खास बच्चे

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“तलाशोगे अगर तो रास्ते ही मिलेंगे, मंजिलों की फितरत है वह खुद चलकर नहीं आती”

कुछ ऐसे ही अपने रास्ते ढूंढने में कामयाब हुए देहरादून नेशनल इंस्टिट्टयूट आॅफ विजुअली हैंडीकैम्पड(एनआईवीएच) स्कूल के कुछ बच्चे जिन्होंने महज 15 से 18 साल की उम्र में वो कर दिखाया जो आप सुन कर हैरान हो जाऐंगे। एनआईवीएच के छत्रों ने 2017 ब्लाईंड फुटबाल प्रतियोगिता में भाग लिया और फुटबाल चैंम्पियनशीप अपने नाम कर ली। जी हां दून के इन बच्चों ने वो कर दिखाया जो सोचने में भी कठिन लगता है। एनआईवीएच राज्य का ही नही देश का ऐसा इन्सटिट्यूट हैं जहां हर राज्य से बच्चे शिक्षा लेते हैं। इस दौरान संस्थान उन छात्रों को भी चिह्नित करता है जो स्पोर्टस में अच्छा करते हैं और जिन्हें आगे बढ़ने में स्कूल और टीचर पूरा सहयोग करता है। एसे ही कुछ छात्रों से टीम न्यूजपोस्ट ने मुलाकात की और उनके जिन्दगी के बारे में जानने की कोशिश की।

NIVH team

2017 ब्लाइंड फुटबाल चैंपियनशीप में जीतने के बाद एनआईवीएच के पास अब चार चैंपियन खिलाड़ी बचें हैं जिनमें कुछ ग्यारहवी में हैं तो कुछ और छोटी क्लास में हैं। शोभेंद्र पिछले 11 साल से एनआईवीएच में पढ़ाई कर रहें हैं और 2016 से फुटबाल खेल रहे हैं। पहले इंटरनेशनल टीमों के साथ भी मैच खेल चुके हैं। लाहौर,मलेशिया और भारत के अलग-अलग राज्यों के साथ शोभेंद्र ने मैच खेला भी है और जीता भी है। फुटबाल चैंपियनशीप में 2016 से खेल रहे शोभेंद्र पिछले दो साल से प्लेयर आॅफ दि टूर्नामेंट भी है।उत्तरकाशी के शोभेंद्र को अपने टीचर के सपोर्ट के साथ घर वालों का सपोर्ट मिलता है लेकिन जब कभी खेल के दौरान उन्हें कहीं चोट लग जाती है तब उनके माता-पिता चितिंत होकर कहते हैं कि खेल में कुछ नहीं रखा। हालाकि शोभेंद्र इसे माता पिता का प्यार मान कर अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हैं।

ठीक ऐसे ही एक खिलाड़ी है 16 साल के मेहराज जो बिहार से हैं। 15 साल के शोभित ध्यानी जो पौड़ी गढ़वाल से हैं और 16 साल के गंभीर भी उत्तराखंड से हैं। इसके अलावा चैंम्पियनशीप में खेलने वाले सभी खिलाड़ी पास आउट हो चुके हैं जिनमें पंकज राणा,संदीप और अश्वनि एनआईवीएच के सबसे उम्दा खिलाड़ियों में गिने जाते हैं।एनआईवीएच के पंकज राणा अब इंडियन ब्लाइंड टीम के लिए खेल रहे हैं।

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एनआईवीएच में बचे इन चार खिलाड़ीयों को आगे बढ़ाने में इनके कोच नरेश सिंह नयाल का बहुत बड़ा हाथ हैं।इन बच्चों को हर तरह की ट्रेनिंग देने के साथ चैंम्पियनशीप तक लेकर जाना आसन नहीं था। लेकिन कोच नरेश ने ना खुद हिम्मत हारी ना बच्चों को हारने दी। 2017 की चैंम्पियनशिप देहरादून के बच्चों के लिए आसान नहीं थी, अपनी उम्र से दोगुने उम्र के लोगों साथ हुए इन मैचों में बच्चों ने दिल्ली की टीम के खिलाफ अपना सेमीफाईनल जीता। दिल्ली की टीम के साथ मैच खेलने के बाद खिलाड़ी चैंम्पियनशीप के पास पहुंच चुके थे।फाईनल में देहरादून की टीम ने केरला के साथ मैच खेला और जीते भी। केरला टीम के खिलाड़ी दून टीम के खिलाड़ियों से उम्र और अनुभव में काफी बड़े थे लेकिन फिर भी टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और जीत गए।

खिलाड़ियों ने बताया कि फुटबाल गेम को खलने के लिए उनको कोच नरेश और प्रिसिंपल कमलवीर सिंह जग्गी से पूरा सपोर्ट मिला। इस चैंम्पियनशीप को जीतने के बाद खिलाड़ी खासे उत्साहित हैं और आगे आने वाले सभी चैंम्पियनशीप को लिए जी तोड़ तैयारी कर रहे हैं। इन सभी बच्चों और एनआईवीएच ने एक शेर को कही साबित कर दिया है कि “खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है”