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फराह निर्देशित फिल्म ‘ओम शांति ओम’ के पूरे हुए 10 साल

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फराह खान निर्देशित फिल्म ‘ओम शांति ओम’ के आज 10 साल पूरे हुए हैं। इस मौके पर फराह ने ट्विट कर शाहरुख खान को धन्यवाद कहा है।

फराह खान ने ट्विटर पोस्ट में लिखा है , ‘शर्ट उतारकर मिलियन लोगों को खुश करने के लिए धन्यवाद।’ इसके जवाब में शाहरुख ने लिखा कि मैंने कहा था कि यह सिर्फ तुम्हारे लिए था और जैसा कि टॉम क्रूज कहते हैं कि तुम मेरा शोषण करती हो। इस फिल्म में दीपिका और शाहरुख ने मुख्य भूमिक में थे वहीं श्रेयस तलपड़े, अर्जुन रामपाल, किरन खेर जैसे कलाकारों ने भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई थी। यह फिल्म 9 नवम्बर 2007 को रिलीज हुई थी।

इस फिल्म से जुड़ी सबसे दिलचस्प बात यह है कि ए जवानी है दीवानी, रामलीला, बाजीराव मस्तानी जैसी सुपरहिट फिल्में दे चुकी दीपिका पादुकोण ने इस फिल्म से बॉलीवुड इंडस्ट्री में डेब्यु किया था। दूसरी दिलचस्प बात यह है कि इस फिल्म के संवाद आज भी लोगों की जुबान पर है| जैसे- कहते हैं कि किसी चीज को अगर दिल से चाहो तो पूरी कायनात उससे तुम्हें मिलाने की कोशिश में लग जाती है… एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू।

बांबे टाकीज 2 में करण जौहर के साथ विकी कौशल

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बालीवुड के चार निर्देशकों द्वारा बनाई जाने वाली चार शार्ट फिल्मों के कलेक्शन को लेकर बनने जा रही बांबे टाकीज की दूसरी सीरिज में करण जौहर की शार्ट फिल्म के लिए विकी कौशल प्रमुख रोल करेंगे। इस दूसरी सीरिज के लिए करण जौहर के अलावा अनुराग कश्यप, दिबाकर बनर्जी और जोया अख्तर भी शार्ट फिल्में बना रहे हैं।

विकी कौशल पहले ही करण जौहर की कंपनी में काम कर रहे हैं। करण जौहर की कंपनी में मेघना गुलजार के निर्देशन में बन रही फिल्म राजो में विकी कौशल की जोड़ी आलिया भट्ट के साथ बनी है। विकी कौशल ने राजकुमार हीरानी के निर्देशन में बनी संजय दत्त की बायोपिक फिल्म में भी काम किया है। विकी कौशल के कैरिअर की शुरुआत फिल्म मसान से हुई थी। इसके बाद उन्होंने अनुराग कश्यप की फिल्म राघव रमन 2.0 में काम किया था। 

मुख्यमंत्री ने डामटा में आयोजित क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक विकास समारोह का उद्घाटन किया

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मुख्यमंत्री ने डामटा में आयोजित यमुनाघाटी पिछड़ी, अनुसूचित जाति, जनजाति समिति द्वारा आयोजित क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक विकास समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जनपद के मोरी ब्लाक को हिमाचल प्रदेश सड़क से जोड़ने वाली डोडरेक्वार सड़क के शीघ्र निर्माण करने की घोषणा की।
इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, विद्युत व सडकों का सुदृढ़ीकरण जैसी मूलभूत सुविधओं का विकास राज्य सरकार की प्रमुख प्राथमिकताएं हैं। उन्होंने कहा कि विभिन्न विकास कार्यों के लिए शासनादेश के उपरान्त ही घोषणाएं की जा रही हैं। शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार लाने के लिए राज्य सरकार बच्चों को एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध कराई जा रही हैं।
महाविद्यालयों में भी 180 दिन की पढ़ाई अनिवार्य की गई है। उन्होंने कहा कि पौड़ी के जिला अस्पताल से टेली रेडियोलाॅजी की शुरूवात की गई है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में यह राज्य के लिए मील का पत्थर साबित होगा। शीघ्र ही 23 अन्य अस्पतालों में टेली रेडियोलाॅजी की सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेंगी। उन्होंने कहा सामाजिक सरोकारों से जुड़े कार्यों में सबको समन्वय बनाकर कार्य करने होंगे।

देहरादून, तीन व्यक्ति संदिग्ध अवस्था में घूमते गिरफ्तार

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देहरादून, डालनवाला पुलिस द्वारा चेकिंग के दौरान सेवक आश्रम रोड, करनपुर के पास दो व्यक्तियों को संदिग्ध अवस्था में घूमते हुए पाया। दोनों व्यक्तियों ने पूछताछ में अपना नाम मोहम्मद अरशद व अतीक खान, ओखला, नई दिल्ली बताया। दोनों व्यक्तियों की तलाशी लेने पर उनके पास से एक अदद खुखरी तथा एक अदद चाकू बरामद किया।

दोनों अभियुक्तों को मौके से गिरफ्तार कर उनके विरुद्ध थाना डालनवाला में आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत कर माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया गया। दोनों अभियुक्तों के आपराधिक इतिहास के संबंध में जानकारी प्राप्त की जा रही है।

वहीं थाना रायपुर, द्वारा एमडीडीए पुल के पास से एक व्यक्ति सचिन,199 करनपुर, थाना डालनवाला को एक देसी कट्टे व एक जिंदा कारतूस के साथ गिरफ्तार किया गया। अभियुक्त के विरुद्घ थाना रायपुर में आर्म्स एक्ट के तहत अभियोग पंजीकृत कर माननीय न्यायालय के समक्ष पेश कर जेल भेजा गया।

ग्रामीण को बनाया बाघ ने निवाला

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उधमसिंहनगर जिले के सितारगंज में बाघ द्वारा ग्रामीणों पर हमले के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। ताजा मामला बाराकोली रेंज के तुर्का तिसौर गांव का है। जहां घास काटने गए एक शख्स को बाघ ने अपना निवाला बना लिया। इस घटना से पूरे गांव में दहशत फैल गर्इ है। तुर्का तिसौर गांव के शकूर अहमद(50 वर्ष) और मोहम्मद रफी घास काटने के लिए गन्ने के खेत में गए थे। तभी वहां घात लगाकर बैठा बाघ शकूर अहमद को उठा ले गया। दूसरे खेत में घास काट रहे रफीक को इसकी भनक तक नहीं लग पार्इ।

बाघ ने शकूर को करीब पचास मीटर की दूरी पर लेजाकर मौत के घाट उतार दिया। घटना का पता लते ही ग्रामीणों ने इसकी शिकायत वन विभाग को की। जिसके बाद वन दारोगा प्रेम राम दल-बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और उन्होंने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

पेंशन के लिए अधिकारियों ने दी टेंशन

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काशीपुर, बुजुर्गों और विकलांगों को सहारा देने के लिए शुरु की गयी पेंशंन योजना अधिकारियों की लापरवाही के चलते परवान नहीं चढ पा रही है, विभागों के चक्कर काटने को मजबूर विकलांगों की जहां हिम्मत टूट चुकि है तो विवधाओं की आंखे पेशन की आस में पथरा गयी है, समाज कल्याण विभाग के अफसर बुजुर्गो का कल्याण नहीं कर पा रहे हैं। एक साल से पेंशन के लिए ब्लॉक के चक्कर काट-काट कर थक चुके हैं। कई लाभार्थियों की आंखें भर आई। बोले कि पेंशन ही जीने का सहारा है। अधिकारियों की कार्यप्रणाली हमें इससे भी दूर कर रही है।

विकास खंड भवन में स्थित सहायक समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय में अफसर सप्ताह में तीन दिन बैठते हैं। बाकी तीन दिन बाजपुर में बैठते हैं। यहां पर विधवा, विकलांग, वृद्धावस्था पेंशन आदि समस्याएं लेकर पात्र व लाभार्थी आते हैं। एक साल से विधवा पेंशन के लिए कार्यालय का चक्कर लगा रही महिला के तो चक्कर काट काट कर अब आंसू निकल आये हैं, मगर अभी तक पेंशन की स्वीकृति नहीं मिली। पेंशन स्वीकृति न होने से आवेदक सरकार की इस योजना से लाभ मिलने की उम्मीद बी छोड चुके हैं और कहने लगे कि पहले अफसर मिलते नहीं है। यदि मिल गए तो आज-कल में आने की बात कहकर वापस कर देते हैं।

एक बार कार्यालय में 30 से 40 रुपये टेंपो के किराये में खर्च हो जाते हैं। यही दर्द अन्य पात्रों व लाभार्थियों का है। योजनाओं का लाभ पाने के लिए लोग कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं, मगर विभाग के अफसरों को इसकी कोई चिंता नहीं है। इससे लोगों में विभाग के प्रति रोष है।

यहां मुर्दे जिन्दा होकर कराते है बीमा

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मुर्दे जिन्दा हो गये बीमा कराने के लिए और फिर बीमे की रकम लेने के लिए कुछ ही महिनों में मुर्दे जमींदोज हो गये, जो बीमे की रकम मुर्दों के जिन्दा होने लगाई गयी उनके मरने पर मिल बांट कर सभी ने ठिकाने लगा दी, शायद आप चौक रहे होंगे कि क्या है सम्भव है कि मुर्दों का बिमा होना, मगर उधमसिंह नगर जिले में सब कुछ सम्भव है, यहां खेती की जमीं पर भवन दिखाकर करोडों का घोटाला हो सकता है तो फिर मुर्दे को जिन्दा कर उनका बिमा भी हो सकता है और उनको फिर से मुर्दा दिखाकर कागजों का फर्जीवाडा भी हो सकता है।

कागजों का खेल इस कदर भी हो सकता है ये शायद किसी ने सोचा भी ना होगा, सरकारी दफ्तरों में कागजों का पेट भरने के लिए कुछ एसे एसे प्रमाण पत्र बना दिये गये जिसमे मुर्दे को पहले तो जिन्दा दिखाया गया फिर उसके नाम पर लाखों का बिमा किया गया, यही नहीं फर्जीवाडा करने वालों ने कुछ माह तक बिमें की रकम भी अदा की, फिर उसी मुर्दे को मरा हुआ बताकर बिमें की रकम हडप ली। ये खेल लम्बे समय से जिले के जसपुर क्षेत्र में चल रहा था, बिमे की रकम के बंदरबांट के इस खेल में परिवार के लोगों को भी शामिल किया जाता था, जिसका हिस्सा उनको भी दिया जाता था, मगर जिनको हिस्सा कम मिला उन्होने इसकी शिकायत पुलिस को की अब जसपुर पुलिस ने इस पुरे मामले की जांच शुरु कर दी है, जिसके लिए अब तक दो लोगों को जेल भेजा जा चुका है और बिमा कम्पनी के अधिकारियों सहित फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने वालों के गिरेबां तक पहुंचने के लिए भी पुलिस इस पुरे मामले की गहता से छानबीन कर रही है।

20 अक्टूबर को पुलिस ने राकेश सैनी उर्फ हरकेश पुत्र त्रिलोक सिंह, ग्राम नारायाणपुर व सिमरन जीत उर्फ हैप्पी पुत्र सूबा सिंह निवासी ग्राम मलपुरी को मुर्दो का बीमा कर लाखों रुपये हड़पने के मामले में जेल भेजा था। संबंधित मुकदमे में इनके अलावा ब्लॉक क्षेत्र के दस लोग नामजद हैं। पुलिस चाहती है कि उन पर भी शिकंजा कसा जाए। इसके लिए पुलिस को मजबूत साक्ष्य की तलाश है। मृत लोगों के बैंक खाते व उनके मृत्यु प्रमाण पत्र, बीमा कंपनी समेत मुकदमे से जुड़ी अन्य जानकारी जुटाने के लिए पुलिस ने तत्कालीन बैंक शाखा प्रबंधक बीमा कंपनियों के अधिकारियों को कोतवाली बुलाया। आरोपियों ने स्थानीय अल्मोड़ा अर्बन बैंक शाखा में मृतक रामसिंह का खाता खुलवाकर 42 हजार रुपये जमा कर 4 अप्रैल 2015 को बिरला लाइफ इंश्योरेंस कंपनी से बीमा कराकर 14,900 रुपये की किस्त का 2 मई 2015 मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी का बीमा कराकर 25,773 रुपये प्रधानमंत्री जनधन बीमा योजना से बीमा कराकर 330 रुपये की मृतक के खाते से किस्त दी थीं। इसके पश्चात 16 जून 2015 को राम सिंह को मृत घोषित कर दिया था।

एनएच-74 घोटालें के मुख्य आरोपी डीपी सिंह पर एस.आई.टी का शिकंजा तेज़

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उत्तराखंड के चर्चित एनएच-74 घोटालें में मुख्य आरोपी डीपी सिंह एस.आई.टी का शिकंजा तेज़ हुआ, डीपी सिंह के देहरादून के अलग-अलग ठिकानों पर रुद्रपुर की एस.आई.टी टीम ने छापेमारी की, सुनने को आया है कि कुर्की की कार्यवाही भी तेज़ की जायेगी।

उत्तराखंड के चर्चित एनएच-74 भूमि घोटालें में 8 आरोपियों के गिरफ्तारी के बाद–अब मामलें की जांच कर रही एस.आई.टी  टीम ने घोटालें के मुख्य आरोपी डीपी सिंह पर भी शिकंजा तेज़ कर दिया हैं। रुद्रपुर से देहरादून पहुँची एस.आई.टी टीम ने डीपी सिंह के देहरादून स्थित अलग- अलग ठिकानों में ताबड़तोड़ छापेमारी की कार्यवाही की, हालांकि इस दौरान आरोपी के ठिकानों में कोई नहीं मिला।

वही डीपी सिंह के देहरादून के 65 A राजपुर रोड पर लोगों ने बताया कि वह दीपावली के बाद से इस ठिकाने में नहीं आये है। उधर इस दौरान एस.आई.टी जांच टीम को लीड कर रहे सी.अो. स्वतंत्र कुमार ने बताया कि, “आरोपी के सभी ठिकानों उसकी तलाश की जा रही हैं, साथ ही उनकी प्रोपर्टी को कुर्क करने की कार्यवाही भी की जा रही हैं।” एस.आई.टी सी.अो, रुद्रपुर, स्वतंत्र कुमार ने कहा कि उम्मीद हैं कि जल्द डीपी सिंह को गिरफ्तार किया जाएेंगे।

मसूरी में लाँच हुई नई और आकर्षक ”पहाड़ी टोपी”

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बदलते समय के साथ उत्तराखंढ भी 18 साल का हो गया और राज्य के आठारहवे जन्मदिन पर मसूरी में पिछले दो दशक से रहने वाले जोड़े ने राज्य को एक तोहफा दिया है।

समीर शुक्ला और उनकी पत्नी कविता शुक्ला जोकि मसूरी में ‘सोहम हैरिटेज और आर्ट सेंटर चलाते हैं’ दोनों ने अपने अनुभव और पहाड़ी परंपरा को एक पहाड़ी टोपी के रुप में पिरोया है, जिसमे किनारे पर रंगबिरंगी धारियां और उसपर प्रदेश पुष्प ब्रह्मकमल को बहुत ही खुबसूरती से लगाया गया है।

पिछले कई सालों से इस दंपत्ति ने मिलकर उत्तराखंड की परंपरा और यहां की जीवनशैली को बढ़ावा दिया है। चाहे वह उत्तराखंड की पारंपरिक गहने हो, या फिर पहाड़ी वाद्य यंत्र, पहाड़ी कला हो या फिर शिल्प। इस दंपत्ति द्वारा यह पहाड़ी टोपी को लोगों के बीच में लाना कोई चौकाने का विषय नहीं हैं क्योंकि पिछले दो दशक यह दोनों मिलकर उत्तराखंड की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं।

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समीर शुक्ला से टीम न्यूजपोस्ट की बातचीत में बताया कि, “इस टोपी को बनाने का मुख्य कारण था उत्तराखंड की पारंपरिक टोपी को एक नए अवतार में लोगों के बीच लाना। उत्तराखंडी टोपी राज्य की पहचान है उसमें भी ये टोपी गांधी टोपी का ही रुप है।” उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हर उम्र के लोग बूढ़ा हो या जवान या फिर राजनितिज्ञ सब इस टोपी को पहनते हैं। यह टोपी उत्तराखंड राज्य के लोगों के लिए खास है, बस यही सोच कर सोहम हैरिटेज एंड आर्ट कल्चर के दंपत्ति ने पहाड़ की स्पेशल टोपी को बनाया।

समीर बताते हैं कि, “हालांकि हमे मालूम था कि लोगों को इसे पहाड़ी टोपी की तरह स्वीकार करने में थोड़ी मुश्किल होगी लेकिन आसान राह पर चलने में मजा भी नहीं आता, बस फिर गांधी टोपी में बदलाव के साथ हमने पेश किया ‘पहाड़ी टोपी’ जो अपने आप में राज्य का प्रतीक है।” टोपी में इस्तेमाल हुए चार रंगीन धागे राज्य के अलग-अलग संस्कृति को दर्शाते हैं वहीं पीतल का ब्रह्म कमल ना केवल राज्य पुष्प है बल्कि हिमालय राज्य का सबसे पवित्र फूल है।समीर ने बताया कि, “इस टोपी को बनाने में उन्हें लगभग तीन महीने लगे क्योंकि इसमें इस्तेमाल किया गया कपड़ा अलग-अलग मौसम और अलग क्षेत्रों से लाया गया है।”

इस टोपी को बनाने में सबसे ज्यादा ध्यान युवा और बूढ़े लोगों का रखा गया है और इसके अलावा पर्यटकों के अनुरुप भी इसका डिजाईन एकदम सटीक है।समीर कहते हैं कि टोपी बनाने में हमने कोई बेईमानी नही कि है और जल्द ही हम महिलाओं की पहाड़ी टोपी भी लेकर आऐंगे।

यह टोपी तीन तरह की हैः

  • ऊनी
  • सर्दियों के लिये
  • गर्मियों मे लिये

इन तीनों टोपियों के दाम 275 रुपये से लेकर 400 रुपये तक हैं।

दंपत्ति के 13 जिलों की यात्रा के दौरान राज्य की पोशाक और उनके पारंपरिक गहनों की गहन शोध ने उन्हें पहाड़ी टोपी बनाने में काफी मदद की।तो अगली बार जब आप मसूरी का रुख करें तो यहां से उत्तराखंड की यह सुंदर यादगार पहाड़ी टोपी ले जाना ना भूलें।

जल्द ही उत्तराखंड पुलिस बॉडी वार्न कैमरे से होगी लैस

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उत्तराखंड में अब पुलिस कर्मियों की निगरानी तीसरी आँख करेगी।जल्द ही उनकी वर्दी में बॉडी वार्न कैमरा लगा हुआ नजर आएगा जो सामने वालों के साथ पुलिस कर्मियों की हर गतिविधि को कैप्चर करेगा।पुलिस आधुनिकरण के तहत मित्र पुलिसकर्मियों की जवाबदेही बढ़ाने के मकसद से वर्दी में बॉडी वार्न कैमरे लगाने का प्रस्ताव बना कर भारत सरकार को भेज दिया गया हे।

इस बारे में बात करते हुए अनिल कुमार रतूड़ी डीजीपी उत्तराखंड ने कहा कि, “पुलिस एक कठिन काम कर रही है जिसमें बहुत बार लॉ इनफोर्स करना पड़ता है और कई बार ऐसा होता है कि पुलिस के सही काम करने के बाद भी लोग उन पर आरोप लगाते हैं।ऐसे में यह बता पाना मुश्किल हो जाता है कि सही कौन है और गलत है।इस बात का ध्यान रखते हुए पुलिस के काम में पारदर्शिता लाने के लिएआधुनिकता के इस दौर में जब हर चीज आधुनिक तत्वों से लैस है तो पुलिस क्यों पीछे रहेगी।” इसी सोच के साथ बॉडी वॉर्म कैमरे पुलिस को देने का प्रयास किया जा रहा जिससे पुलिस द्वारा की जी रही कार्यवाही सीधे-सीधे कैमरे में कैद हो सके। डीजीपी रतूड़ी ने बताया कि, “इस तरह की योजना को हमने राज्य सरकार से मंजूरी के भारत सरकार के सामने पेश किया है।” इसी मसले में बीते शुक्रवार को वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी प्रस्तुति की और आशा जताई कि भारत सरकार इसे अपने आधुनिकिरण योजना के अंदर मंजूर कर दे और अगर ऐसा हुआ तो इससे पुलिस के कार्यों में पारदर्शिता लाने में बहुत मदद मिलेगी।

अगर यह प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है तो पहले चरण में उत्तराखंड पुलिस 500 बॉडी वार्म कैमरे खरीदेंगे।