रुद्रपुर। सांसद व पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी ने शुक्रवार को जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक ली। इस दौरान उन्होंने कहा कि यदि कम्पनी समय सीमा के भीतर कार्य करने में असमर्थ है तो उसको ब्लैक लिस्ट करने के लिए सभी आवश्यक औपचारिकताएं जल्दी पूरी कर ली जाएं ताकि सड़क निर्माण कार्य के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जा सकें।
शुक्रवार को बैठक में नैनीताल सांसद भगत सिंह कोश्यारी ने सड़क निर्माण एजेंसियों की समीक्षा के दौरान एनएच तथा एनएचआई के अधिकारियों को सड़क निर्माण में तेजी लाने के निर्देश दिए। इस मौके पर अधिशासी अभियन्ता, प्रोजेक्ट मेनेजर को खटीमा, नानकमत्ता, रुद्रपुर, गदरपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग के सभी आवश्यक स्थानों के गड्डे भरने के लिए डीबीएम, पेंच वर्क कार्य शीघ्र करने के निर्देश दिए। उन्होंने एनएचआई के अधिकारियों को फाॅर लेन निर्माण के लिए मिट्टी की आवश्यकता के अनुसार मिट्टी उठान के लिए पट्टों का चयन करने के निर्देश दिए।
सांसद ने जाम की स्थिति वाले क्षेत्रों में कार्यदायी संस्थाएं को अधिक मजदूर लगाकर रात्रि में निर्माण कार्य, सड़क निर्माण व डामरीकरण का कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने डिजिटल इण्डिया पब्लिक इण्टरनेट एक्सेस कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि नवसृजित ग्राम सभाओं में भी यथा शीघ्र इण्टरनेट सेवाएं उपलब्ध कराएं। उन्होंने काॅमन सर्विस सेन्टर के अन्तर्गत स्थापित सेन्टरों को भौतिक सत्यापन कराने के निर्देश दिए। उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम की समीक्षा करते हुए कहा कि जनपद में सभी पेयजल योजनओं को ड्यूल सोलर एनर्जी सिस्टम से जोड़ा जाए ताकि लोगों को हर समय आसानी से पानी उपलब्ध हो सके।
सासंद ने राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम की समीक्षा के दौरान सरकार द्वारा चलाई जा रही जन कल्याणकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ पात्रों तक पहुंचाने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने अगले तीन माह में जनपद के सभी विकासखण्डों में विकलांग्ता कैम्प आयोजित कराने के निर्देश जिला समाज कल्याण अधिकारी को दिए। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की समीक्षा के दौरान स्वीकृत आवासों के लिए विभिन्न किश्तों की धनराशि शीघ्र आंटित कराने के निर्देश दिए। उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की समीक्षा के दौरान कृषि विभाग के अधिकारियों को योजना की अद्यतन प्रगति रिपोर्ट लाभार्थी किसानों की सूचित सहित उपलब्ध कराने, बीमा कम्पनी के अधिकारियों को दिशा, जिला पंचायत व कृषक बन्धुओं की बैठक में अवश्य प्रतिभाग करने के निर्देश दिए। साथ ही सर्व शिक्षा अभियान, मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन, उज्ज्वला आदि योजनाओं की भी समीक्षा की गई।
जिलाधिकारी डाॅ नीरज खैरवाल ने कहा कि समाज कल्याण से प्राप्त होने वाली योजनाओं से विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत जिन पात्र लोगों को अभी पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है, जन प्रतिनिधि उनके आवेदन अथवा नाम व पता उपलब्ध करा सकते हैं ताकि उन्हें योजनाओं से लाभांवित किया जा सके। उन्होंने जन प्रतिनिधियों से अपील की कि यदि कोई अपात्र व्यक्ति किसी भी योजना का लाभ उठा रहा है, तो उसकी सूची उपलब्ध कराएं ताकि उसकी जांच कराई जा सके। बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष ईश्वरी प्रसाद गंगवार, विधायक राजकुमार ठुकराल, मेयर काशीपुर ऊषा चौधरी, नगर पालिकाध्यक्ष अंजु भुड्डी, ब्लाॅक प्रमुख दलजीत सिंह खुराना, मुख्य विकास अधिकारी आलोक कुमार पाण्डेय, पीडी हिमांशु जोशी, जिला विकास अधिकारी अजय सिंह सहित जनपद स्तरीय अधिकारी उपस्थित रहे।
सड़क निर्माण में देरी पर कंपनी को करें ब्लैक लिस्ट: कोश्यारी
शर्मिला टैगोर का जन्मदिन
दिग्गज अभिनेत्री शर्मिला टैगोर का 73वां जन्मदिन कल था। शर्मिला का जन्म हैदराबाद में सन 8 दिसम्बर 1944 को हुआ था। शर्मिला के पिता गितेन्द्रनाथ टैगोर ब्रिटिश इंडिया कार्पोरेशन में जनरल मैनेजर थे। शर्मिला के पिता बंगाली थे, जबकि मां इरा टैगोर असम की थीं।
अपने समय की ग्लैमरस हिरोइन रह चुकी शर्मिला हिन्दी सिनेमा के साथ-साथ बंगाली फिल्मों में भी सक्रिय रही। शर्मिला ने अपने करियर की शुरुआत बंगाली फिल्म अपुर संसार से की थी। इस फिल्म का निर्देशन सत्यजीत रे ने किया था। हिन्दी सिनेमा में शर्मिला टैगोर को पहला ब्रेक शक्ति सामंत ने ‘कश्मीर की कली’ फिल्म से दिया था। शाक्ति सामंत ने शर्मिला को ‘एन इवनिंग इन पेरिस’ के अलावा कई फिल्मों में कास्ट किया। ‘एन इवनिंग इन पेरिस’ से वह पहली भारतीय अभिनेत्री बन गई जिसने बिकनी पहनी। कहीं न कहीं इस फिल्म ने शर्मिला को हिन्दी सिनेमा में सेक्स सिंबल की तरह स्थापित कर दिया। साथ ही 1968 में शर्मिला ने फिल्मफेयर मैग्जीन के लिए बिकनी में फोटो शूट भी करवाए, लेकिन 2004-2011 तक सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष रहने के दौरान उन्होंने फिल्मों में बिकनी पहनने के बढ़ते हुए चलन पर चिंता व्यक्त की थी। शर्मिला को दिसम्बर 2005 में यूनेस्को का गुडविल एमबेसडर के रूप में भी चयन किया गया।
शर्मिला टैगोर को 1975 में फिल्म ‘मौसम’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री व 2003 में बंगाली फिल्म ‘अबर अरनए’ के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। 1970 में फिल्म ‘अराधना’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री व 1998 में लाइफ टाइम अचीवमेंट फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2013 में भारत के तीसरे सबसे उच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
शर्मिला ने 1969 में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान मंसूर अली खान पटौदी से शादी की। शर्मिला के दोनों बच्चे सोहा अली खान और सैफ अली खान बालीवुड में सक्रिय हैं।
उत्तराखंड में पांच लाख लोग ही देते हैं आयकर
ऋषिकेश, मुख्य आयकर आयुक्त प्रमोद कुमार ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार एक करोड़ पच्चीस हजार की आबादी में अभी मात्र पांच लाख बीस हजार ही करदाता हैं। वहीं इस वर्ष आयकर का लक्ष्य उत्तराखंड में 11000 लोगों को जोड़ना है।
आईडीपीएल स्थित आयकर विभाग कार्यालय में आयकर सेवा केंद्र का उद्घाटन बतौर मुख्य अतिथि मुख्य आयकर आयुक्त प्रमोद कुमार ने किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि यह बाहय संपर्क कार्यक्रम का उद्देश्य करदाताओं को भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं से अवगत कराना हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक जो टैक्स से संबंधित कड़े कानूनों के कारण लोगों को असुविधा हो रही थी। उनका सरलीकरण कर सभी लोगों को टैक्स के दायरे लाना है। अब इस सिंगल विंडो केंद्र के खुलने के बाद लोगों को काफी सुविधाएं हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि अभी तक उत्तराखंड में यह तीसरा सेवा केंद्र खोला गया है।
इससे पहले हल्द्वानी हरिद्वार में भी इस प्रकार का केंद्र खुला है। इस मौके पर सहायक आयकर आयुक्त सुनीता श्रीवास्तव, संयुक्त आयकर आयुक्त सुभाना सेन, दर्शन लाल, आरसी नैनवाल, आर एस भंडारी, प्रवीण गोयल, एस एस सिकोटी ऋषिकेश उपाध्याय महेंद्र पाल अरुण गुप्ता आर एस भंडारी सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी से सेना को मिले 409 जाबांज़ अधिकारी
भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) से शनिवार 409 कैडेट्स पास आउट हो अधिकारी बन गये। देहरादून स्थित आईएमए परिसर में हुई भव्य परेड में 78 विदेशी कैडेट भी पास आउट होकर अपने अपने देश की सेनाओं में अधिकारी बने।
इस पासिंग आउट परेड की सलामी बांग्लादेशी सेना के प्रमुख जनरल अबू बिलाल मोहमम्द ने ली। परंपरा के अनुसार ऐतिहासिक चेटवुड हाॅल के प्रांगण में हुई पासिंग आउट परेड में 409 भारतीय कैडेटों के साथ साथ 8 मित्र देशों से आये 78 कैडेटस कोर्स पूरा कर के अधिकारी बन गये।
उत्तराखंड ने सेना से अपना पुराना और पारंपरिक रिश्ता बरकरार रखते हुए सेना को 38 अधिकारी दिये। देश के अन्य राज्यों की बात करें तो:
- यूपी के 76
- हरियाणा के 58
- बिहार 25
- महाराष्ट्र 24
- पंजाब 24
- राजस्थान 23
- दिल्ली 22
- मध्यप्रदेश 19
- हिमाचल 18
- कर्नाटक 15
- जम्मू कश्मीर 9
- आंध्र प्रदेश 6
- मणिपुर, प बंगाल, केरल के 6-6
- असम, तेलंगाना, झारखंड के 5-5
- छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के 4-4
- चंडीगढ़,गुजरात और तमिलनाडु के 2-2
- मिज़ोरम और नागा लेंड का 1-1 कैडेट पास आउट हो रहे हैं।
आपको बता दें कि इस बार कुल 78 विदेशी केडेट पास आउट हुए हैं और इसमें सबसे ज्यादा 42 विदेशी केडेट अफगानिस्तान के हैं। 3 नेपाल के केडेट भी पास आउट हुए। आईएमए से अब तक कुल 60347 सैन्य अधिकारी पास आउट होकर देश को मिल चुके हैं। वहीं अब तक कुल 2106 विदेशी कैडेट भी पास आउट हो चुके हैं।
परेड की एकाग्रता और तालमेल देखते ही बन रही थी। इस परफेक्ट परेड ने इसकी तैयारी और कोर्स के दौरान कैडेटस के द्वारा की गई मेहनत और फौज के अनुशासित ज़िदगी को साफ दर्शाया।
जैसे ही कैडेट्स ने परेड पूरी कर “अंतिम पग” को पार किया वो कैडेटस से अधिकारी बन गये और ये सचमुच हर कैडेट के लिये यादगार लम्हा रहा। इस पल को कैमरों और अपनी यादों में कैद करने के लिये मीडिया और कैडेटस के परिवार के लोग मौजूद रहे।
तीन घंटे चली इस परेड के मुख्य आकर्षण रहा परेड निरीक्षण, स्वाॅर्ड आॅफ हाॅनर, पाईपिंग और ओथ टेकिंग सेरेमनी जो कि चेटवुड हाॅल के लाॅन मे हुई। इसके बाद सभी नये अधिकारियों के कदमों की ताल और साथ में “कदम कदम बढ़ाये जा” के संगीत से सारा आसमान खिल उठा और इसके साथ ही सेना को जिस जोश और जज़्बे के लिए जाना जाता है उसकी मिसाल पेश की। एक बार फिर भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून ने भारतीय सेना को वीरों से वीर अधिकारी देने के अपने चलन को बरकरार रखा और ये साबित कर दिया कि आईएमए आज भी दुनिया के बेहतरीन सैनिक ट्रेनिंग इंस्टिट्यूटों मे से एक है।
मसूरी बना नए जोड़ों का पसंदीदा ”हनीमून डेस्टिनेशन”
अब जब शादियों का सीज़न जोरों पर है, शादी के बाद नए जोड़े मैदानी क्षेत्रों से हनीमून मनाने पहाडों की रानी मसूरी आ रहे हैं।मैदानी क्षेत्रों की भागदौड़ और व्यस्त जिंदगी से दूर लोग पहाड़ों की तरफ अपना रुख कर रहे हैं, मसूरी का मॉल रोड नए जोड़ों के खिलखिलाते चेहरों और धूप की किरणों से भरा हुआ हैं। नए जोड़ों का हाथ में हाथ डाल कर चलना ऐसा प्रतीत होता है मानों उनके साथ ‘जस्ट मैरेड’ का लोगो भी साथ चला रहा हो। इतना ही नहीं मैदानी क्षेत्रों से आए लोग मॉल रोड का रिक्शा राईड और मसूरी से दूर-दराज के पहाड़ों को निहारते नजर आ जाते है।
बहुत से नए शादीशुदा जोड़ों की तरह अमृतसर के एक जोड़े ने भी मसूरी को अपना हनीमून डेस्टिनेशन चुना, अमृतसर के जेपी सिंह और उनकी पत्नी सुमीत से टीम न्यूजपोस्ट की बातचीत में बताया कि, “मसूरी बहुत ही सुंदर जगह है और अमृतसर से बहुत से लोग यहां अपना हनीमून मनाने आते है, हालांकि मैं यहां अपने परिवार के साथ एक बार पहले भी आ चुकी हूं इसलिए मैनें शादी के बाद भी यहां आने का फैसला किया।”
मसूरी के लिए ऑफ सीजन होने के बाद यहां के होटल व्यवसायिओं के चेहरे पर मुस्कान है जिसका कारण है नए जोड़ों का मसूरी को हनीमून डेस्टिनेशन चुनना। होटलों में नए जोड़ों के लिए स्पेशल पैकेज रखे गए हैं, मसूरी के होटल नंद रेजीडेंसी के प्रतीक कर्णवाल ने टीम न्यूजपोस्ट को बताया कि, “शादियों का सीजन आ चुका है और लोगों में हनीमून का क्रेज बढ़ रहा है,आजकल 70 प्रतिशत इन्कव्यरि हनीमूनर से आती है, इसलिए हमने पैकेज बनाए है जैसे कि दो रात से लेकर चार रात तक जिसमें हम बेड टी, ब्रेकफास्ट, साइट-सिंग के अलावा सब-कुछ इन्क्लुड करते हैं।”
होटल के स्पेशल पैकेज के साथ-साथ मसूरी का खुशमिजाज़ मौसम भी नव-विवाहित जोड़ों के लिए भी एक बोनस है, और अगर आपने अपना हनीमून डेस्टिनेशन बुक नहीं किया तो मसूरी आपके इंतजार में हैं।
दून में 24 हजार अवैध निर्माण भी चिह्नित
देहरादून, राजधानी देहरादून की अधिकांश भूमि की ऊपरी परत जलोड़ी मिट्टी की बनी है, जो भूकंप के समय आसानी से बिखर सकती है। बावजूद इसके राजधानी और आसपास के इलाके में धड़ाधड़ बहुमंजिला इमारतें खड़ी की जा रही हैं और सुनियोजित विकास के प्रति जवाबदेह मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) की भूमिका भूकंपरोधी तकनीक को लेकर सिर्फ नक्शे तक सीमित है। नक्शे के एक कॉलम में भूकंपरोधी तकनीक दर्ज कराकर ही मान लिया जाता है कि निर्माण नियमानुसार हो जाएगा।
राज्य बनने से अब तक एमडीडीए ने 33 हजार से अधिक भवनों के नक्शे पास किए हैं। जबकि इस दौरान करीब 24 हजार अवैध निर्माण भी चिह्नित किए गए। जाहिर है इनमें भूकंपरोधी तकनीक की औपचारिकता भी पूरी नहीं हुई होगी। यही नहीं वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, नगर निगम व आसपास के क्षेत्र में 20886 ऐसे निर्माण भी खड़े हुए, जिनका रिकॉर्ड तक नहीं है। यानी कुल मिलाकर 43 हजार से अधिक निर्माण में तो नक्शों में भी यह खानापूर्ति नहीं की गई। फिर भी अधिकारी चाहते तो लोगों को रेट्रोफिटिंग तकनीक के माध्यम से पुराने भवनों को भूकंपरोधी बनाने के प्रति जागरूक करने व निर्माण से पहली संबधित भूमि की क्षमता के अध्ययन के लिए प्रोरित कर सकते थे। यह दोनों तकनीक राजधानी के वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान व रुड़की स्थित सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) के पास है। वहीं संवेदनशील 38 शहरों की सूची जारी की थी। इसमें देश देश के सर्वाधिक संवेदनशील शहरों की सूची में दून का नाम भी शामिल है।
कौन देगा इन सवालों के जवाब?
-भूकंप के अति संवेदनशील जोन-4 में बसे दून में शहरी विकास के लिए किए गए सिस्मिक माइक्रोजोनेशन के सुझावों का अनुपालन भवनों की ऊंचाई बढ़ाते समय क्यों नहीं किया गया।
-नेपाल में तबाही लाने वाले इंटर लैंड एक्टिव फॉल्ट जैसे 29 भूकंपीय फॉल्ट दून में हैं, सरकार भवनों की ऊंचाई बढ़ाने की हड़बड़ी में पहले इन खतरों से निपटने की तैयारी क्यों नहीं कर रही।
-सरकार दून के उन इलाकों को चिह्नित क्यों नहीं कर रही, जिन्हें सिस्मिक माइक्रोजोनेशन में सबसे अधिक संवेदनशील बताया गया है। ताकि वहां निर्माण की अनुमति उसी हिसाब से दी जा सके।
-भवनों की ऊंचाई बढ़ाने की जल्दी से पहले एमडीडीए के माध्यम से यह तस्दीक क्यों नहीं कराई जा रही कि अब तक खड़े किए गए बहुमंजिला भवनों में सुरक्षा के किन मानकों को ताक पर रखा गया है।
इन नियमों की अनदेखी
समरूपता: भवन के विभिन्न खंडों को दोनों अक्षों पर समरूप रखना जरूरी
निरंतरता: वर्गाकार या आयताकार भवनों को भूकंप से अपेक्षाकृत कम नुकसान पहुंचता है। भवन के खंड की लंबाई उसकी चौड़ाई से तीन गुना से अधिक न बढ़ाएं।
अलग-अलग खंडों में बने भवन: भवन के बड़ा होने की स्थिति में उसे अलग-अलग खंडों में विभाजित किया जाना आवश्यक है, ताकि हर खंड में समरूपता व निरंतरता के नियमों का पालन कराया जा सके।
सादगी: भवन के मुख्य भाग से बाहर निकले भाग भूकंपीय लिहाज से असुरक्षित माने जाते हैं। लिहाजा डिजाइन से अधिक सुरक्षा पर ध्यान दिया जाए।
भवन की नींव: सुनिश्चित करें कि भवन निर्माण के लिए चयनित भूमि एक ही प्रकार की भूमि हो।
दून में भूकंप को लेकर खास एहतियात की जरूरत
देहरादून, भूकंप के संवेदनशील जोन-चार में आने वाले दून में खास एहतियात की जरूरत है। वर्ष 2015 के अप्रैल माह में नेपाल में आए 7.8 मैग्नीट्यूड के विशाल भूकंप से दून की जमीन भी थर्राई थी। जो सरकार के लिए एक चेतावनी थी। इसलिए हमे भवन निर्माण में खास ध्यान रखना होगा।
सरकार ने दून में भवनों की अधिकतम ऊंचाई का मानक 21 से बढ़ाकर 30 मीटर कर दिया। जबकि वर्ष 2007 में 15 से बढ़ाकर 21 मीटर पहले ही किया जा चुका था। लेकिन अब सरकार प्रदेश के हर जिले में जिला स्तरीय प्राधिकरण बनाने का निर्णय ले चुकी है और तैयारी है कि बिल्डिंग बायलॉज भी पूरे प्रदेश में एक ही रहे, तो इस नई कवायद में भी भवनों की ऊंचाई नियंत्रित करने को लेकर कोई प्रयास नहीं किए जा रहे। जबकि इसी साल फरवरी में रुद्रप्रयाग में 5.8 रिक्टर स्केल का भूकंप आने के बाद इस दिसम्बर की छह तारीख को 5.5 रिक्टर स्केल का भूकंप दोबारा आ चुका है। ऐसे भी नहीं है कि दून में भूकंप के असर को लेकर कोई वैज्ञानिक अध्ययन सरकार के पास नहीं है। वर्ष 2002-03 व 2004-05 भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग ‘सिस्मिक माइक्रोजोनेशन ऑफ देहरादून अर्बन कॉम्पलेक्स’ नाम से रिपोर्ट तैयार कर चुका था। जिसमें स्पष्ट किया गया था कि दून की धरती की मजबूती किस स्थान पर कैसी है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने विभिन्न स्थानों पर जमीन में 30 मीटर की गहराई में ड्रिल भी किए।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दून ऐतिहासिक भूकंपीय फॉल्ट लाइन मेन बाउंड्री थ्रस्ट (एमबीटी) और मेन फ्रंटल थ्रस्ट (एमएफटी) की सीधी जद में है। ताजा अध्ययन से अब यह भी स्पष्ट हो चुका है कि दोनों ही ऐतिहासिक फॉल्ट सक्रिय स्थिति में हैं। यानी ये कभी भी बेहद शक्तिशाली भूकंप का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान की सिस्मिक माइक्रोजोनेशन की रिपोर्ट में शहर को 50 जोन में बांटकर बताया गया था कि दून के किन इलाकों की ऊपरी सतह कमजोर है, जो बड़े भूकंप के समय बिखर सकती है। वाडिया के ही एक अन्य अध्ययन में दून में अन्य फॉल्ट लाइनें भी पता चली हैं। गंभीर बात यह कि हमारे अधिकारियों ने कभी इन रिपोर्ट पर गौर करने की जहमत ही नहीं उठाई और बिल्डर लॉबी को फायदा पहुंचाने के लिए उनकी अट्टालिकाओं की राह प्रशस्त करने को आंख मूंदकर भवनों की ऊंचाई के मानक बढ़ाते रहे। घंटाघर के आसपास का बाजार, राजपुर का व्यावसायिक क्षेत्र, हाथीबड़कला, जाखन, राजपुर, करनपुर, राजपुर रोड की ऑफिसर कॉलोनी, खुड़बुड़ा मोहल्ला आदि। अध्ययन में राजधानी के दक्षिण व दक्षिण पश्चिम भाग की जमीन की ऊपरी सतह काफी कठोर पाई पाई। इस दिशा में क्लेमेनटाउन, मोरोवाला, आइएसबीटी, वसंत विहार, पित्थुवाला, शिमला बाईपास, जीएमएस रोड आदि क्षेत्र आते हैं।
विधानसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित
गैरसैंण। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने शुक्रवार कोे गैरसैंण में आयोजित शीतकालीन सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। सत्र की शुरुआत गुरुवार (सात दिसम्बर) को हुई थी। इस दौरान कुल 12 विधेयक पास हुए और एक सदन पटल पर रखा गया। अग्रवाल ने सत्र की समाप्ति पर जनप्रतिनिधियों, सचिवालय व विधानसभा सचिवालय के कर्मचारी और मीडियाकर्मियों के प्रति आभार जताया।
भराड़ीसैण शीतकालीन सत्र सरकार का महत्वपूर्ण निर्णय: मुख्यमंत्री
भराड़ीसैण, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भराड़ीसैण में शीतकालीन विधानसभा सत्र को सफल आयोजन बताते हुए कहा कि सरकार का जो प्रयोजन था वह सफल हुआ। उन्होंने कहा कि इस सत्र में उत्तराखंड लोक सेवकों के लिए वार्षिक स्थानांतरण विधेयक पारित होना महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसकी प्रतीक्षा लंबे समय कर रहे थे। साथ ही उन्होंने अल्मोड़ा आवासीय विवि विधेयक पारित होने को भी उपलब्धि बताया। बतादें इस सत्र में छह विधेयक अधिनियम बनें।
भराड़ीसैण विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि इस सत्र में 3015 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पारित हुआ। जिसमें महत्वपूर्ण बिंदु स्वच्छ भारत मिशन के लिए 107 करोड़, ग्रामीण खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए 08 करोड़, प्लास्टिक इंजिनियरिंग संस्थान के लिए 09 करोड़ से ज्यादा, आशा कार्यक़त्रियों के लिए 33 करोड़, औली इंटर नेशनल स्कीइंग के लिए 12 करोड़ तथा मुजफ्फर रुड़की रेलवे लाइन के लिए 120 करोड़ की बजट पास हुआ है। उन्होंने गैरसैंण-भराड़ीसैण में हुए कैबिनेट के महत्वपूर्ण निर्णयों की जानकारी दी, जिसमें केदारनाथ उत्थान चेरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया गया है। चतुर्थ वित्त अयोग की संस्तुति पर ग्राम पंचायतों को को 2.5 फीसदी का अधिक अनुदान देने की बात भी कही।
सरकार की ये उपलब्धियां:
-भराड़ीसैण में सत्र के दौरान सरकार के विकास के बिंदूओं की जानकारी भी पत्रकारों को दी।
-चारधाम आॅलवेदर परियोजना का कार्य प्रगति पर बताया गया।
-ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन व रुड़की देवबंद रेलवे लाइन के कार्य हेतु तेजी से भूमि अधिग्रहण।
-किसानों की आय दूगनी करने के उद्देश्य से किसानों को दो प्रतिशत ब्याज पर एक लाख का ऋण।
-ग्रामीण विकास एवं पलायन आयोग का गठन।
-देहरादून ऋषिपर्णा, रिसपना नदी, अल्मोड़ा की कोसी नदी का पुर्नजीवीकरण समेत अपनी उपलबिध्यों को सरकार ने गिनवाया।
स्थायी राजधानी समेत तीन सूत्रीय मांग को लेकर अनशन
गैरसैंण, उत्तराखण्ड की स्थायी राजधानी सहित मद्य निषेध विभाग की पुर्नस्थापना और रोजगार के मौलिक अधिकार की तीन सूत्रीय मांगों को लेकर चन्द्रनगर गैरसैंण में आंदोलनकारियों का अनिश्चितकालीन अनशन दूसरे दिन भी जारी रहा।
कड़ाके की ठण्ड के बावजूद अनशनकारी रामलीला मैदान में डटे हुए हैं। स्थानीय महिलाओं द्वारा अनशनकारियों को अलाव सेंकने के लिए लकड़ी और अंगीठी उपलब्ध कराई गई, जबकि स्थानीय प्रशासन ने अनशनकारियों के स्वास्थ की जांच कर इतिश्री कर ली लेकिन अभी तक शासन-प्रशासन का कोई भी अधिकारी अनशन स्थल पर नही पहुंचा, जिसके परिणामस्वरुप अनशनकारियों में भारी रोष है। अनशनकारियों ने प्रशासन और राज्य सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त करते हुए चेताया कि यदि राज्य की सरकार गैरसैंण को शीघ्र ही स्थायी राजधानी घोषित नहीं करती और हमारी मांगे पूरी नहीं करती है, तो राज्य सरकार को उत्तराखण्ड और जनविरोधी मानते हुए 11 दिसम्बर को अनशनकारी जनता के साथ भराड़ीसैंण कूच करते हुए विधानसभा का ताला तोड़कर जनता की सरकार बनाएंगे। जिसके लिए राज्य सरकार पूर्ण रूप से जिम्मदार होगी और समस्त हानि-लाभ की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी क्योंकि राज्य स्थापना के 17 सालों बाद भी स्थायी राजधानी के नाम पर उत्तराखण्ड की जनता से छलावा किया जा रहा है।
अनशनकारियों का कहना है कि जिस राज्य की परिकल्पना को लेकर उत्तराखण्ड के शहीदों ने अपने प्राण न्यौछावर किए वह आज भी कोसों दूर है। सुविधाओं के आभाव में गांव ख़ाली हो रहे हैं और राज्य सरकार मात्र पलायन आयोग बनाकर पलायन रोकने की बात कर रही है जो सर्वथा हास्यपूर्ण है। अनशनकारी विनोद जुगलान ने बताया कि उन्होंने अनशन पर बैठने की सूचना स्वयं जिलाधिकारी चमोली को फोन पर दी है। जबकि आन्दोलन और अनशन की लिखित सूचना शासन को पूर्व में दी गई है लेकिन अभी तक किसी भी अधिकारी ने अनशनकारियों की सुध नहीं ली।
प्रवीण सिंह का कहना है कि एक ओर स्वच्छ भारत का सपना देखा जा रहा है। दूसरी ओर अनशन स्थल के समीप शौचालय में पानी की व्यवस्था न होने के कारण दुर्गन्ध आ रही है। अनशनकारियों के लिए शौचालय की कोई व्यवस्था न होना प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। आमरण अनशन में प्रवीण सिंह, राम कृष्ण तिवारी, विनोद जुगलान, महेश चन्द पाण्डेय शामिल हैं। अनशन स्थल में समर्थन देने के लिए सामाजिक आन्दोलनकारी आदेश चौधरी, अरविन्द हटवाल, सत्यपाल सिंह नेगी, देवेंद्र बिष्ट, कुलदीप नेगी, लक्ष्मण खत्री, कुंवर सिंह पंवार, वयोबृद्ध आन्दोलनकारी धूमा देवी आदि उपस्थित रहे।