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पाकिस्तानी जेलों में बंद हैं 500 भारतीय

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में 500 से अधिक भारतीय नागरिक बंद हैं। इनमें अधिकतर मछुआरे हैं। यह जानकारी बुधवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।

समाचार पत्र डॉन के अनुसार, पाक गृह मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान की जेलों में कुल 996 विदेशी नागरिक बंद हैं जिनमें से 527 भारतीय नागरिक हैं। इन कैदियों पर आतंकवाद, हत्या, मादक पदार्थों की तस्करी और देश में गैरकानूनी तौर पर घुसने जैसे आरोप हैं।

भारतीय कैदियों में से अधिकतर ऐसे हैं जिन्हें अरब सागर के पाकिस्तानी जल क्षेत्र में गैरकानूनी तौर पर मछली मारने के लिए गिरफ्तार किया गया है।

विदित हो कि भारत और पाकिस्तान के मछुआरे अक्सर कथित रूप से एक दूसरे के जल क्षेत्र में मछली मारने के लिए हिरासत में लिए जाते हैं। दोनों देशों की समुद्री जल सीमा का अभी तक अधिकारिक निर्धारण नहीं हुआ है जिसका खामियाजा मछुआरों को भुगतना पड़ता है।

भारत एक नई अंर्तराष्ट्रीय शक्ति : अमेरिका

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वाशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिका ने अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति की घोषणा की है जिसमें भारत को एक नई वैश्विक शक्ति बताया है। साथ ही कहा है कि वह आने वाले समय में भारत के साथ अपनी रणनीतिक संबंध को और मजबूत करेगा। यह जानकारी बुधवार को मीडिया रिपोर्ट से मिली।


अमेरिका की नई नीति के अनुसार, भारत-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा बनाए रखने में नई दिल्ली की भूमिका का समर्थन करता है। 68 पन्नों के दस्तावेज में यह भी कहा गया कि अमेरिका जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ चतुष्पक्षीय सहयोग बढ़ाने का प्रयास करेगा।

भारत ने भी अमेरिका की नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में द्विपक्षीय संबंधों को दिए गए रणनीतिक महत्व की सराहना की है और कहा कि दोनों देश समान उद्देश्य साझा करते हैं जिनमें आतंकवाद से मुकाबला शामिल है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच करीबी भागीदारी भारत-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता एवं समृद्धि और साथ ही दोनों देशों की आर्थिक प्रगति में भी योगदान देती है।

ट्रंप ने कहा कि अमेरिका अपनी और उसके सहयोगियों की सुरक्षा के लिए हर कदम उठाएगा। इसके लिए शुरुआत से ही कदम उठाए जाने थे, लेकिन अब वह इस पर सख्त कदम उठाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि अगर पाकिस्तान चाहता है कि दोस्ती कायम रहे, तो उसे आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने ही होंगे।

चार बदमाश दबोचे, अंतर्राज्यीय गिरोह का पर्दाफाश

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गोपेश्वर,  चमोली पुलिस ने अंतरराज्यीय शातिर चोरों के एक गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस गिरोह ने चमोली जिले के कर्णप्रयाग कस्बे में 26 नवम्बर की रात्रि एक टेलीकाॅम की दुकान का शटर तोड़कर भारी मात्रा में मोबाइल व रिचार्ज कूपन पर हाथ साफ कर दिया था। पुलिस तब से गिरोह की तलाश में थी।

18 दिसम्बर को उत्तर प्रदेश के रामपुर के चकसवाल कस्बे से चोरी में लिप्त कादिर खान को गिरफ्तार किया था। उसकी निशानदेही पर घटना के अन्य चोरों को गिरफ्तार किया। पुलिस अधीक्षक ने चोरी घटना का खुलासा करने वाली टीम को ढाई हजार रुपये के नकद पुरस्कार की घोषणा की है। गोपेश्वर में पत्रकारों से वार्ता करते हुए पुलिस अधीक्षक तृप्ति भट्ट ने बताया कि 26 नवम्बर को कर्णप्रयाग की एक दुकान का शटर तोड़कर मोबाइल और रिचार्ज कुपन चोरी किये जाने की घटना की तहरीर दुकानदार विक्रम सिंह ने कर्णप्रयाग थाने में अज्ञात चोरों के खिलाफ करवायी थी। घटना की गंभीरता को देखते हुए सीओ कर्णप्रयाग के नेतृत्व में पुलिस टीम गठित की गई।

सीसीटीवी फुटेज और अन्य तकनीकी सहायता के आधार पर अज्ञात चोरों की तलाश शुरू की गई।
18 दिसम्बर को इस मामले में अभियुक्त कादिर खान उम्र 32 वर्ष निवासी नरपत रामपूर को गिरफ्तार किया गया और उसके कब्जे से चोरी का एक मोबाइल बरामद किया गया। बाद में कादिर खान की निशानदेही पर इस चोरी में शामिल अन्य की तलाश शुरू की गई। जिसमें मेरठ के महबूब के कब्जे से छह मोबाइल, नबाव निवासी शाहजंहाबाद मेरठ से भी छह मोबाइल, शाजीद निवासी मेरठ के कब्जे से भी इसी चोरी के पांच मोबाइल समेत 18 मोबाइल चोरों से बरामद किये गये। एसपी ने बताया कि चोरी में संलिप्त इस गिरोह ने पहले भी कई चोरियां की है। आम्स एक्ट में एक अभियुक्त जेल जा चुका है। चोरी से बरामद मोबाइल की कीमत 3 लाख रूपये बतायी गई है।

पुलिस टीम में एसओ वृजमोहन राणा, प्रदीप कोहली, नितिन बिष्ट, हेड कांस्टेबल अरविंद कुमार, सिपाही प्रेम प्रकाश, नीरज सिंह, संदीप नेगी, पवन कुमार, सुरेश तथा एसओजी टीम के किरन कुमार, विपिन, प्रदीप, अरविंद व अरूण गिरी थे। 

सड़क हादसों के लिहाज से उत्तराखंड के जानलेवा इलाकों की हुई पहचान

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उत्तराखंड यातायात निदेशालय ने राज्य में करीब 53 ऐसे बलाइंड स्पॉट चिन्हित किये हैं जहां पिछले तीन सालों में सड़क हादसों की संख्या करीब 40 प्रतिशत बढ़ी है। इन जगहों में 26 ऐसी जगहों के साथ उधमसिंह नगर सबसे आगे है। इसके बाद नैनीताल का नंबर है जहां ऐसे 10 बालाइंड स्पॉट देखे गये हैं। देहरादून में पुलिस ने 4 जगहों की पहचान की है।

यातायात निदेशालय के निदेशक केवल खुराना का कहना है कि “हमारे पास पहले से करीब 124 ऐसे जगहों की लिस्ट थी। इसके अलावा हमने सभी जिलों से इन जगहों पर पिछले तीन साल में हुए हादसों की जानकारी जुटाई औऱ इसके चलते हम इन 53 जगहों की पहचान कर सके, इन सभी जगहों पर पिछले तीन सालों में हादसों की संख्या करीब 40% बढ़ गई है।”

विभाग के पास मौजूद आंकड़ों के हिसाब से इन जगहों पर इस साल 361 सड़क हादसों में 189 लोगों ने अपनी जान गवांई है। उधमसिंह नगर जिले में ही 91 लोग हादसों का शिकार हुए हैं। यहीं आंकड़ा 2015 में 161 और 2016 में 134 था।
खुराना का कहना है कि “इन सभी जगहों पर अब हम ओवर लोडिंग करने वाले वाहनों पर कड़ी सख्ती बरतेंगे। आने वाले दिनों हम न सिर्फ सवारी गाड़ियों बल्कि मालवाहक गाड़ियों में होने वाली ओवर लोडींग पर शिकंजा कसने वाले हैं।”
उत्तराखंड पहाड़ी इलका होने और पर्यटक स्थल होने के कारण सड़क हादसों के लिये संवेदनशील है। ऐसे में ये जरूरी है कि पुलिस राज्य के साथ साथ बाहर से आने वाले वाहनों पर भी नियमों की सख्ती लागू करे।

संस्कृत डिग्रीधारकों को योग शिक्षक नियुक्त करने के प्रस्ताव पर योग प्रशिक्षितों के तेवर तीखे

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(देहरादून) लंबे अरसे सरकारी स्कूलों में योग शिक्षकों की नियुक्ति किए जाने की मांग को लेकर आंदोलनरत योग प्रशिक्षक महासंघ उत्तराखंड एक बार फिर आंदोलन करने की तैयारी में है। महासंघ ने प्रदेश सरकार के संस्कृत डिग्री धारक अभ्यार्थियों को योग शिक्षक के पदों पर तैनाती देने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। इसे लेकर महासंघ की ओर से प्रदेश के शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भी भेजा गया है। साथ ही स्कूलों में योग शिक्षकों की जल्द नियुक्ति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर मामले का संज्ञान लेने की आग्रह किया गया है।
उत्तराखंड में योग प्रशिक्षित बेरोजगारों ने स्कूलों में जल्द नियुक्ति के संबंध में शिक्षा मंत्री पर देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष डा. राकेश सेमवाल ने कहा कि उत्तराखंड योग की जन्मभूमि रही है। लेकिन अभी तक यहां प्राथमिक स्तर की शिक्षा में योग शिक्षा शामिल नहीं है। किताबें 2010 से लगातार बढ़ती जा रही है पर पढ़ाने के लिए शिक्षकों की कमी अभी तक पूरी नहीं हुई है। जबकि योग प्रशिक्षित बेरोजगार 2007 से लगातार आंदोलनरत हैं। साथ ही योग शिक्षा को शिक्षा में शामिल करने के संबंध में 2010, 2014 और 2016 में कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पास हो चुका है। लेकिन अभी तक कोई नियुक्ति नहीं हुई है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार इसकी पक्षधर होते हुए भी मुख्यमंत्री द्वारा बार-बार आश्वासन दिए जा रहे हैं। जबकि दूसरी ओर उत्तराखंड के हजारों योग प्रशिक्षित युवा बेरोजगार बैठे हैं। आलम यह है कि उत्तराखंड सरकार के मानकों के आधार पर उनकी अधिकतम आयु सीमा भी समाप्त होने लगी है। उन्होंने पीएम से स्वास्थ्य एवं शिक्षा दोनों को विशेष ध्यान में रखते हुए व हजारों योग डिप्लोमा या डिग्री धारकों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड शिक्षा विभाग में योग को अनिवार्य विषय के रूप में लागू किए जाने की मांग की।
सरकार के प्रस्ताव पर तीखे तेवर
वहीं दूसरी ओर योग प्रषिक्षित महासंघ ने प्रदेश सरकार के संस्कृत शिक्षकों को योग शिक्षकों के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव का विरोध किया। प्रदेश अध्यक्ष डा. राकेश सेमवाल ने शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजते हुए कहा कि उत्तराखंड में संस्कृत डिग्री या डिग्री धारकों को योग शिक्षक के रूप में नियुक्ति का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इससे ना सिर्फ योगी डिग्री धारकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होगा, बल्कि योग शिक्षा व्यवस्था का भविष्य भी अधर में होगा। साथ ही हजारों योग डिग्री एवं डिप्लोमाधारी को धारियों के भविष्य को सरकार द्वारा अधर में लटकाया जा रहा है। उन्होंने शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया कि हजारों योग डिग्री व डिपलोमा धारकों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए योग जन्म भूमि उत्तराखंड में योग शिक्षा को लागू कर शिक्षा एवं स्वास्थ्य दोनों में सुधार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि इसके बाद भी मांग पर सकरात्मक कार्रवाई नहीं की जाती है तो मजबूरन उन्हें एक बार फिर आंदोलन के लिए बाध्या होना होगा। 

दून काठगोदाम एक्सप्रेस के परिचालन से उलझन में यात्री

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देहरादून। उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के बाद जिस गति से रेलवे का विस्तर होना चाहिए, वह आज भी सुदुर पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के लिए चुनौती बना हुआ है। प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मण्डलों मेें राजधानी दून से ट्रेन की यात्रा वर्तमान में सुलभ नहीं है। हालांकि कुमाऊं मण्डल के मुख्यद्वार काठगोदाम तक दून काठगोदाम चलती है, लेकिन ट्रेन की लेटलतीफी के कारण यात्रियों को फजीहत झेलनी पड़ती है। इससे यात्रियों को आज भी देहरादून की यात्रा कठिन बनी हुई है।
इलाहाबाद से चलने वाली लिंक एक्सप्रेस को लगभग दस घंटें बाद देहरादून से काठगोदाम रवाना करना यात्रियों के लिए आज भी अव्यवहारिक है। इससे लगता है कि यात्रियों की नहीं बल्कि रेलवे अपनी सुविधानुसार इस ट्रेन को चला रहा है। इन परिस्थितियों में शायद ही कोई यात्री इलाहाबाद से देहरादून होते हुए काठगोदाम जाना चाहता है। उसका पैसा और समय दोनों का व्यय उसके उपर भारी पड़ता है। इससे यात्री स्वयं को ठगा महसूस करता है।
यात्री डा. गणेश ने बताया कि काठगोदाम गाड़ी विलंब से चलने कारण आज भी हमलोगों के लिए देहरादून से दिल्ली की पहुंच नजदीक है। अल्मोड़ा से दिल्ली की दूरी 350 किलोमीटर है, जबकि अल्मोड़ा से देहरादून की दूरी 365 किलोमीटर है। ऐस में सुदुर पर्वतीय क्षेत्र के लोगों के लिए यात्रा को सुलभ बनाने के लिए रेलवे को खास प्रयास करना होगा, तभी क्षेत्र के लोग आसानी से देहरादून की यात्रा कर सकते हैं।
ईट्रेन इनफो के आंकड़ों की मानें तो काठगोदाम 20 नवम्बर से 20 दिसम्बर के बीच 14 दिन लेट रवाना हुई। इस माह में औसतन 250 मिनट यानी 4:40 मिनट की देरी से रवाना हुई है। इसमे से 08 दिन एक घंटे की देरी से और 6 दिन एक घंटे की कम समय में दून से प्रस्थान की है। जबकि 16 दिन ही अपने तय समय से रवाना हुई है। वहीं 2016 नवम्बर से 20 दिसम्बर 2017 तक 365 दिन में 244 दिन राइट समय से चली है, जबकि 121 दिन विलंब से रवाना हुई। यानी 35 दिन एक घंटे से कम समय की देरी से चली है। जबकि 86 दिन एक घंटे से अधिक की देरी से रवाना हुई है। इस वर्ष फरवरी माह में भी जब कोहरे नहीं पड़ते है, उस समय भी औसतन लेट ही चली है।
काठगोदाम से देहरादून 365 दिन में 342 दिन सही समय पर आई है। जबकि 6 दिन एक घंटे से कम और 17 दिन एक घंटे की देरी से दून पहुंची है। वहीं देहरादून देश के सभी प्रमुख स्टेशनों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, लखनऊ, वाराणसी समेत सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां आने के लिए शताब्दी, मसूरी एक्सप्रेस, दून एक्सप्रेस जैसी तीव्र गति की रेलगाड़ियां उपलब्ध हैं। लेकिन पहाड़ों से देहरादून की कनेक्टिविटी को लेकर आज भी लोगों के लिए समस्याएं बनी हुई हैं।
रेलवे यात्री सुविधा समिति के सदस्य लक्ष्मी प्रसाद जायसवाल ने हिन्दुस्थान समाचार से बताया कि यात्रियों की सुविधा के लिए हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं। इलाहाबाद से देहरादून और फिर वही दून काठगोदाम बनकर घंटों देर से रवाना करना कोई औचित्य नहीं है। इतनी देर तक इस ट्रेन के ठहराव में इसे रेक के रूप में उपयोग करना चाहिए। इस संबंध में रेलवे की बैठक में बातें रखी जाएंगी, ताकि पर्वतीय क्षेत्र के यात्रियों को रेल यात्रा में किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
देहरादून स्टेशन अधीक्षक करतार सिंह के मुताबिक, लिंक एक्सप्रेस जब काफी विलंब से आती है तो इसे देर से रवाना किया जाता है। जब वह समय से आती है तो उसे यहां से निर्धारित समय से रवाना किया जाता है। अन्य बाकी गाड़ियां जो यहां से चलती हैं उसमें से अधिकतर को समय पर रवाना किया जाता है। उज्जैयनी एक्सप्रेस अप-डाउन 5 दिसम्बर से 14 फरवरी के बीच दून तक नहीं चलेगी। इस ट्रेन को रेलवे ने हरिद्वार तक चलाने का फैसला लिया है। सप्ताह में यह दो दिन मंगलवार और बुधवार को देहरादून से जाती है, जबकि बृहस्पतिवार और शुक्रवार को दून आती है।
उन्होंने बताया कि राजधानी देहरादून मौजूदा समय 23 ट्रेनें आती हैं। 17 ट्रेनें हर रोज चलने वाली हैं। स्टेशन की क्षमता बढ़ने और नया प्लेटफार्म तैयार होने के बाद यहां ट्रेनों की संख्या बढ़ने की भी संभावना है। इससे यात्रियों को सुविधा मिलेगी। यह काम अगले साल यानी 2018 में पूरा होने की उम्मीद है।

दून के कामिनी साड़ी सहित कई शोरुमों में लगी आग

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देहरादून के राजपुर रोड स्थित फ़ूड स्टोर- केएफसी,ङौमिनो और कामिनी साड़ी सहित 7 शोरूम में कल रात भयंकर आग लगी।इस आग से सब कुछ जल कर ख़ाक हो गया जबकि सबसे ज्यादा नुकसान कामिनी साड़ी शोरूम को हुआ। इस घटना से कई लाखों का नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है।

आज सुबह 3 बजकर 58 मिनट पर कोतवाली पुलिस को आग लगने की सूचना मिली जिसपर फायर सर्विस कर्मियों ने आयरन कटर से शटर काटा एवं अन्दर दाखिल हुए । सिन्थेटिक एवं ज्वलनशील कपड़े के इस शोरूम में आग थोड़े समय में ही चारों तरफ भीषण रूप से फैल गई । शटर काटने पर आग एवं धुएँ का गुब्बार आया जिससे वेन्टीलेशन हुआ , संकुचित स्थान होने के कारण अग्निशमन दल को आग बुझाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा । अपनी जान जोखिम में डालकर लगभग 4 घण्टे लगातार अथक परिश्रम करने पर आग को बुझाया जा सका । अग्निशमन यूनिटों के त्वरित रिस्पांस के कारण आग को अन्य दुकानों तक फैलने से रोका जा सका । मुख्य अग्निशमन अधिकारी सीएफओ  द्वारा बताया गया कि आग लगने के कारणों की जांच की जा रही है । मौके पर दुकान के स्वामी अवलोक जैन ने बताया कि आग से लाखों की क्षति हुई है।

फिलहाल 95 प्रतिशत आग पर काबू पा लिया गया है। आग लगने का कारण अभी स्पष्ठ नहीं हो पा रहा है, लेकिन पुलिस पूछताछ मे लगी है। आग की घटना में कामिनी साड़ी का शोरूम पूरी तरह जलकर ख़ाक हो गया।

यहां देखें विडियोः

मसूरी विंटरलाईन कार्निवाल की तैयारियां तेज

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देहरादून। मसूरी विंटर कार्निवाल की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। इसमें कर्इ खास कार्यक्रमों को जगह देने के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे। ताकि उत्तराखंड पर्यटन का विकास तेजी से हो। विंटर कार्निवल 25 से 30 दिसम्बर तक चलेगा, जिसका शुभारंभ सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत करेंगे।

जानकारी देते हुए जिला साहसिक खेल अधिकारी सीमा नौटियाल ने बताया कि इस विंटर कार्निवाल में रात और दिन में अलग-अलग कार्यक्रम चलेंगे। कवि सम्मेलन और लोक संस्कृति से जुड़े कार्यक्रमों के साथ ही मशहूर गायक हंस राज हंस भी आकर्षण का केंद्र रहेंगे। आयोजन के तहत पहले दिन 25 दिसम्बर को सर्वे ग्राउंड लंढौर से शोभा यात्रा शुरू होगी, जो लाइब्रेरी चौक पर जाकर समाप्त होगी। उन्होंने बताया कि 26 से 30 दिसम्बर तक अभिनेता टॉम आल्टर की स्मृति में 21 किमी हाफ मैराथन, पर्यटकों के लिए नेचर वॉक, बार्ड वाचिंग, स्केटिंग, जूडो-कराटे, बच्चों के लिए गेंम्स, फैंसी ड्रेस वहीं प्रतियोगिता 200 साल पुराने इतिहास की तस्वीर प्रदर्शनी, नुक्कड़ नाटक का आदि का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रात्रि में होने आयोजनों में पद्मश्री बसंती बिष्ट की जागर की प्रस्तुति, लोक नाटक वीरभद्र माधो सिंह भंडारी का मंचन, उत्तराखंडी रामछौल नाइट, कव्वाली नाइट और मैजिक शो आदि आकर्षण का केंद्र होंगे। कवि अशोक चक्रधर का कवि सम्मेलन और हंसराज हंस की स्टार नाइट भी दर्शकों को लुभाएंगी। साथ ही 28 से 30 दिसम्बर तक फूड फेस्टिवल आयोजित किया जाएगा, इसमें पहाड़ी व्यंजन के स्टाल्स लगाए जाएंगे। 29 दिसम्बर को खाना-खजाना के चर्चित शेफ संजीव कपूर इसमें भाग लेंगे।

बिना पद और पगार के काम कर रहे चिकित्सक

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देहरादून। आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अव्यवस्थाओं का आलम यह है कि यहां न तो शिक्षक हैं और न ही सुविधाएं। इन सबसे बढ़कर जिन चिकित्सकों को संबद्ध कर फैकल्टी के रूप में उपयोग किया जा रहा है। उनकी संबद्धता भी प्रभारी सचिव आशुष शिक्षा ने समाप्त कर दी, लेकिन इसके बाद भी विवि उन्हें कार्यमुक्त नहीं कर रहा। हालात यह है कि बीते एक माह से संबद्ध चिकित्सकों को वेतन तक नहीं मिल पाया है।

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय के तीनों परिसर के हर विभाग में नियमानुसार एक प्रोफेसर दो एसोसिएट प्रोफेसर और तीन असिस्टेंट प्रोफेसर होने चाहिए। मुख्य परिसर हर्रावाला में केवल एक नियमित प्रोफेसर है बाकी दो अन्य परिसरों से संबद्ध संवद्ध हैं। मुख्य परिसर में बीएएमएस के 120 छात्र छात्राएं पढ़ रहे हैं। इनके प्रवेश हेतु सीसीआईएम को भेजे फेकल्टी डाटा में जो जानकारी मुहैया कराई गई है वो असिस्टेंट व एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में संबद्ध चिकित्साधिकारी हैं, जिनकी सम्बद्धता बीते माह ही प्रभारी सचिव आयुष शिक्षा हरवंश चुघ के आदेश से संमाप्त हो गई है। लेकिन, विवि के पूर्व कुलपति ने इन्हें कार्यमुक्त होने से रोक लिया है, जिसके बाद चिकित्सकों को न तो मूल तैनाती मिली और न ही विवि में कार्य का वेतन। संबद्धता समाप्त होने के कारण बीते माह से वेतन भी अटक गया है। जबकि, सीसीआईएम को कागजों में फैकल्टी की पगार दिखाई जा रही है।
कुछ ऐसा ही हाल विवि के दोनों परिसर गुरुकुल एवं ऋषिकुल हरिद्वार का भी है। गौर करने वाली बात है कि गुरुकुल परिसर में इन्ही संबद्ध चिकित्सकों के सहारे एमडी पाठ्यक्रमों की मान्यता ली गई है और कई के निर्देशन में शोध प्रबंध लिखे जा रहे है। सत्र मध्य में इन चिकित्सकों को हटाने से छात्रों के भविष्य पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। हालात यह हैं कि छात्र तो छात्र रोगियों के लिए परेशानी खड़ हो गई है। शासन के इस कदम के बाद छात्रों की सारी कक्षाएं बाधित हो गई है, वहीं अस्पताल परामर्शदाता चिकित्सक विहीन हो गए हैं।
मुख्य परिसर हर्रावाला में बीए एमएस की 60 सीटों के सापेक्ष दो बैच चल रहे हैं, जिनको पढ़ाने के लिए नियमानुसार 17 नियमित शिक्षक व अस्पताल में सात कंसल्टेंट होने चाहिए इसी प्रकार गुरुकुल परिसर में 60 बीएएमएस और 22 एमडी की सीटों में भी कुल 32 शिक्षकों की आवश्यकता है, जो अभी स्नातकोत्तर उपाधिधारक टीचिंग कोड धारित संबद्ध चिकित्साधिकारीयों से पूरी की जा रही है, लेकिन यदि अभी सीसीआईएम का अकस्मात निरीक्षण हो जाए, तो इन तीनों कालेजों की मान्यता चली जाएगी।
विवि के कुलसचिव प्रो. अनूप कुमार गक्खड़ ने बताया कि शासन ने चिकित्साधिकारियों की समबद्धता समाप्त कर दी थी, लेकिन पूर्व कुलपति ने फैकल्टी की कमी का हवाला देते हुए इन्हें बहाल रखने का अनुरोध किया था। वेतन संबंधी प्रकरण संज्ञान में है। इस बाबत शासन को दोबारा पत्र भेजा जा रहा है।

पर्यटकों के आने से व्यापारियों के खिले चेहरे

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चकराता। चकराता क्षेत्र में पर्यटकों के आने से बाजारों में रौनक लौटने लगी है, जिससें व्यवासाय में बढ़ोत्तरी होने से व्यापारियों के चेहरे खिल उठे हैं।

हिमपात नहीं होने से चकराता क्षेत्र के बाजारों से रोनक गायब हो गई थी, इसके चलते वहां पर्यटकों का आना कम सा हो गया और जिसका सीधा असर उनके व्यवसाय पर होने लगा, लेकिन जैसे ही हिमपात होना शुरू हुई, पर्यटकों आगमन तेजी से शुरू हो गया और छावनी बाजार क्षेत्र के व्यापारियों के चेहरे खिल उठे। पर्यटकों के आने से होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों ने राहत की सांस ली। बारिश के चलते क्षेत्र के मार्ग बंद होने के कारण चकराता क्षेत्र में देश के विभिन्न राज्यों से आने वालो पर्यटकों की आमद शून्य हो गई थी, जिससे व्यापारी व होटल व्यापारी बहुत परेशान हो गए थे।
बीते दो दिनों से पर्यटकों का आवागमन बढ़ा है और पर्यटक स्थल गुलजार होने के साथ स्थानीय बाजारों में भी रौनक लौट आई है, जो गुरुवार को छावनी बाजार चकराता में पर्यटकों की काफी संख्या देखने को मिली। पर्यटक स्थल टाइगर फॉल, चुरानी, राम ताल गार्डन, चिलमिरी में चहल पहल देखने को मिल रही है। छावनी बाजार के होटल मालिक विवेक अग्रवाल का कहना है कि लंबे समय बाद पर्यटकों की इतनी संख्या दिखाई दी है। उन्होंने कहा कि तीन माह से क्षेत्र में एक भी पर्यटक नजर नहीं आ रहे थे, जिससे पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह ठप था, लेकिन दो दिनों से उनके आने से राहत मिली है। मौसम सुहाना है और पर्वतीय क्षेत्रों का नजारा बहुत ही सुंदर और विहंगम है, जिससे चलते सैलानी भी खुश नजर आ रहे हैं।