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ऋषिकेश-देहरादून मार्ग पर हाथियों के आतंक से दहशत

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ऋषिकेश। ऋषिकेश देहरादून मार्ग पर गजराज इन दिनों जंगल को चीरते हुए सड़कों पर आ धमक रहे हैं, जिसकी वजह से इस मार्ग पर आवागमन करने वाले यात्रियों में दहशत पनपने शुरू हो गई है।

सांझ ढलने के बाद तो ऋषिकेश देहरादून का सफर खतरनाक था ही अब दिन में भी सुरक्षित नहीं रह गया है। पिछले एक सप्ताह में कभी सुबह कभी दोपहर तो कभी शाम को अनेकों मर्तबा इस मार्ग पर जंगली हाथी जंगल को चीरते हुए मुख्य मार्ग तक पहुंचे हैं। इस दौरान मार्ग के दोनों छोरों पर वाहनों की लंबी कतारों में लगे लोगों को दहशत का सामना करना पड़ा है।
पिछले कुछ वर्षों में इस मार्ग पर हाथियों ने अनेक लोगों को अपना शिकार बनाया है। जिसके बाद शाम को कानबाई की शुरुआत करा दी गई थी लेकिन इसके बावजूद ऋषिकेश-देहरादून का सफर सुरक्षित नहीं रहा है। खासतौर पर दिन के समय के हाथियों के सड़कों पर आ धमकने से नियमित रूप से इस रूट पर सफर करने वाले दहशतजदा हैं। बहराल इन सबके बीच बड़ा सवाल यही है कि खतरनाक बन चुके इस सफर को सुरक्षित कैसे बनाया जाए। वहीं वन अधिकारी करण सिंह का कहना है कि हाथियों के सड़क पर आने के के कारण लोगों को हो रही परेशानी से बचाने के लिए जगह-जगह सड़कों पर सूचना पर लगाए गए हैं।

वनाग्नि घटनाओं को रोकने के लिए सीजन से पहले करें ठोस उपाय: डीएम

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रुद्रपुर। जिलाधिकारी ने जिले में विगत वर्षो में हुई वनाग्नि की घटनाओं के कारणों को गंभीरता से लेते हुए संवेदनशील क्षेत्रों में सीजन से पहले वाॅच टावर लगाने के निर्देश देते हुए कार्मिकों की संख्या बढ़ाने को कहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि इसको लेकर जनजागरुकता अभियान भी चलाए जाएं।
जिलाधिकारी डाॅ नीरज खैरवाल ने जिला कार्यालय स्थित डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम सभागार में आयोजित वन अग्नि सुरक्षा समिति की बैठक में वन विभाग के अधिकारियों को यह निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने कहा कि वनाग्नि से वन्य जीव-जन्तुओं के नुकसान के साथ ही कई प्रजातियों के लुप्त होने व क्षेत्रीय पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरा बना रहता है। वन्य जीवों को बचाने और उनकी प्रजातियों को संरक्षित रखने हेतु फायर सीजन से पहले ही ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
उन्होंने वन अग्नि रोकथाम के लिए जनपद में गठित वनाग्नि सुरक्षा समितियों का सहयोग लेने के साथ ही लोगों में जन-जागरुकता बढ़ाने हेतु वृहद स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में होने वाली प्रार्थना सभाओं में समय-समय पर वनों के महत्व पर जानकारी देने तथा ब्लाॅक तथा जनपद स्तर पर निबन्ध, पेंटिंग, वाद-विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित कराने के निर्देश दिये।
जिलाधिकारी ने वाॅच टावर, मैन पाॅवर एवं फायर लाइन बढ़ाने के साथ वन क्षेत्रों में बनी सड़क के किनारों की सफाई करने के साथ-साथ वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण व तत्काल सूचनाओं के आदान-प्रदान हेतु मास्टर कंट्रोल रूम, कन्ट्रोल रूम, क्रू स्टेशनों व मोबाइल क्रू-स्टेशनों पर सभी अधिकारियों, कर्मियों के मोबाइल नम्बर अंकित करने के निर्देश दिए। उन्होंने लोक निर्माण विभाग एवं सड़क निर्माण एजेंसियों को सड़कों के किनारे की झाड़ियों का कटान कराने के निर्देश देते हुए आवश्यकतानुसार बहुद्देशीय वाॅच टावर लगाने हेतु स्थान चिन्हित करने को वन विभाग के अधिकारियों को कहा।
जिलाधिकारी ने वन क्षेत्र से लगी ग्राम पंचायतों में गोष्ठी आयोजित करने, अग्नि सुरक्षा समितियों को सक्रिय करने, फायर सीजन से पहले वन क्षेत्र में सफाई एवं फुकान कार्य में तेजी लाने, पैदल मार्गो की सफाई, संवेदनशील व अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में निर्धारित व पर्याप्त सुरक्षा, फायर यंत्रों व वायरलेस की उपलब्धता के साथ सामूहिक प्रयासों से वन अग्नि दुर्घटना में कमी लाने के निर्देश दिए।
इस मौके पर प्रभागीय वनाधिकारी कल्याणी ने बताया कि जनपद में तराई केन्द्रीय, तराई पूर्वी व तराई पश्चिमी वन प्रभाग का क्षेत्र आता है। जनपद में तीनों प्रभागों का कुल क्षेत्रफल 93826.35 हैक्टेयर है, जिसमें से 90176.94 हैक्टयेर क्षेत्रफल वनाग्नि की दृष्टि से संवेदनशील है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष वनाग्नि की 110 घटनाएं हुई थीं, जिससे 129.63 हैक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित हुआ था। उन्होंने बताया कि वनाग्नि नियंत्रण हेतु जनपद में 59 क्रू-स्टेशन, 33 सीजनल क्रू-स्टेशन, 6 वाच टावर स्थापित है तथा 131 नियमित कर्मचारी, 54 फायर वाचर, 20 दैनिक श्रमिक कार्यरत होने के साथ ही जन सहभागिता हेतु 60 समितियां बनाई हैं। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक कारणों-अधिक तापमान, नमी की कमी, वायुवेग व शुष्कता के साथ ही जन सामान्य की लापरवाही, असावधानी से वनों में आग लगने की संभावनाएं बढ़ती हैं।

नालियों में गोबर बहा रहे डेयरी संचालकों पर होगी कार्रवाई

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देहरादून। राजधानी देहरादून को स्वच्छ व सुन्दर बनाने को लेकर प्रशासन की ओर से सख्त कदम उठाए जा रहे हैं। जगह-जगह पड़े कूड़े के ढेर व नालियों में गोबर बहा रहे डेयरी संचालकों पर अब सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अपर आयुक्त (प्रशासन) गढ़वाल मण्डल, पौड़ी हरक सिंह रावत ने एक बैठक में यह निर्देश देते हुए कहा कि ऐसे डेरी संचालकों के विरुद्ध चालान की कार्रवाई की जाएगी जो नालियों में गोबर बहा रहे हैं। आदेशों के अवहेलना करने वाले डेरी संचालकों के विरुद्ध प्राथमिकी भी दर्ज की जाएगी।
रावत ने मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दिए कि कूड़ा वाहनों को तीन भागों में बांटे, पहले भाग में प्लास्टिक, पाॅलिथीन तथा सूखा कूड़ा, दूसरे भाग में मिश्रित कूड़ा तथा अंतिम भाग में जैविक कूड़ा रखें, जिससे कम्पोस्टिंग किया जाए। साथ ही कहा कि सभी पर्यावरण मित्रों का कार्य बीटवार विभक्त करते हुए उसकी प्रति आयुक्त कैम्प कार्यालय में भी प्रस्तुत की जाए जिससे सम्बन्धित कर्मी के कार्यों का पर्यवेक्षण भी हो सके।
हरक सिंह रावत ने समस्त सुपरपाइजरों, सफाई-निरीक्षकों को निर्देश दिए कि जगह-जगह एवं खाली प्लॉटों में कूड़ा फेंकने वाले के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए अर्थदण्ड वसूला जाए। आस-पास के खाली प्लॉटों में कूड़ा डालने वालों की पहचान सुनिश्चित की जाए तथा जिनके द्वारा कूड़ा गाड़ी में नहीं डाला जाता तथा गाड़ी में कूड़ा डालने के एवज में नगर निगम को यूजर चार्ज नहीं दिया जाता है। उनके विरुद्ध 10 गुना अर्थदण्ड वसूल करने के निर्देश दिए। उन्होंने अर्थदण्ड न देने पर भू-राजस्व के बकाये की भांति वसूली प्रमाण पत्र जिला कलेक्टर को प्रेषित करने के निर्देश दिए।
रावत ने कहा कि जैविक-अजैविक कूड़ा पृथक-पृथक करके देते हैं उनसे यूजर चार्जेज प्रस्तावित न करें, यदि यूजर चार्ज लिया जाता है तो बहुत कम प्रस्तावित किया जाए। जो व्यक्ति मिश्रत कूड़ा देता है उससे वर्तमान दर से यूजर चार्जेज प्रस्तावित किए जाएं तथा जो व्यक्ति कूड़ा वाहनों में कूड़ा नहीं देते और स्वयं घर से कूड़ा उठाने की बात करते हैं तथा जैविक-अजैविक कूड़ा पृथक-पृथक देते हैं तो उनसे वर्तमान दर से यूजर चार्जेज प्रस्तावित किया जाए। जो व्यक्ति स्वंय घर से मिश्रित कूड़ा देते हैं उनसे यूजर चार्जेज की दोगुनी राशि प्रस्तावित की जाए।
कूड़ा वाहनों की तैनाती इस प्रकार की जाए कि नियमित रूप से कूड़ा उठाया जाए। जिसके लिए कम से कम पांच वाहनों एवं पांच वाहन चालकों को स्टैण्ड बाय में आरक्षित रखें, जिससे वाहन खराब होने या किसी वाहन चालक की तबियत खराब होने पर आरक्षित रखे वाहन एवं वाहन चालक से कार्य लिया जा सके। यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि प्रत्येक दशा में कूड़ा उठाया जाए। 

औली में बंद पड़ी चियर लिफ्ट जल्द होगी शुरू

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गोपेश्वर। चमोली जिले के औली में पर्यटकों व स्कीयरों के लिए चलने वाली चियर लिफ्ट की मोटर खराब हो गई थी, जिससे पिछले 29 दिसम्बर 2017 से बंद पड़ी थी। इस कारण पर्यटकों के साथ स्कीयरों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। गुरुवार को चियर लिफ्ट की मोटर जोशीमठ पहुंच गई है। अब जल्द ही चियर लिफ्ट के शुरू होने के आसार नजर आ रहे हैं।
औली में 16 फरवरी से फिस रेस प्रस्तावित है जिसके लिए शासन से लेकर प्रशासन स्तर पर कई बार मैराथन बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं। पूर्व में इस रेस को जनवरी माह में आयोजित होना था लेकिन बर्फबारी नहीं होने के कारण रेस को फरवरी माह में आयोजित किए जाने का निर्णय लिया गया था। हालांकि अब भी औली में बर्फ नहीं है और कृत्रिम बर्फ बनाने वाली मशीनों से जो बर्फ बन भी रही है वह दिन के बढ़ते तापमान में पिघल जा रही है, जिससे अब भी फिस रेस के आयोजन में संशय की स्थिति बनी हुई है। हालांकि मौसम विभाग ने 12 फरवरी को भारी हिमपात होने की भविष्यवाणी तो की है। सभी की निगाहे इसी पर टिकी हुई है।
इधर, औली में पर्यटकों व स्कीयर्स के लिए चलने वाली चियर लिफ्ट भी मोटर खराब होने के कारण बंद पड़ी थी। चियर लिफ्ट की मोटर जोशीमठ पहुंच गई है। चियर लिफ्ट के प्रबंधक दिनेश भट्ट ने बताया कि चियर लिफ्ट की मोटर आने के बाद अब इसे जल्द ही ठीक कर लिया जाएगा।

ख़ाकी में हुनर: उत्तराखंड पुलिस की वर्दी में छुपी कलाकार

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‘’और वही लोग रहते है खामोश अक्सर, ज़माने में जिनके हुनर बोलते है’’

आप कानून व्यवस्था बनाने में पुलिस की कामयाबी और नाकामी के किस्से तो आये दिन सुनते रहते हैं पर आज हम आपको अपने हुनर से लोगों को मंत्रमुग्ध कर देने वाली उत्तराखंड पुलिस की महिला कर्मी के बारे में बतायेंगे। 42 साल की सुनीता नेगी ने अपने हुनर से अपनी एक अलग पहचान बना ली है। उत्तराखंड पुलिस के कंट्रोल रुम में ड्यूटी करने वाली सुनीता अपनी बनाई पेटिंग से ना केवल लोगों की वाहवाही बटोरती है बल्कि यह संदेश देती है कि जुनून को पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती।

Jawahar lal Nehru

अपने लंबे ड्यूटी शेड्यूल के बाद भी सुनीता हर रोज़ अपनी पेंसिल को समय जरुर देती हैं और पेंसिंल स्केच से कुछ ना कुछ बनाती है। उत्तराखंड पुलिस की इस महिला कॉंस्टेबल को अपनी पेंसिंल से सेलिब्रिटी और मशहूर लोगों की पेंटिंग बनाने का शौक है।  खास बात यह है कि पुलिस की कमर तोड़ शेड्यूल के बावजूद वह हर रोज़ अपने इस शौक को थोड़ा समय जरुर देती है। 6 बहनों में सुनीता दूसरे नंबर की हैं और अपने माता-पिता के दिल के बहुत करीब हैं। सुनीता कहती हैं शायद मेरी यह कला मुझे मेरे पिता से मिली क्योंकि है वह भी कला में रुचि रखते थे।

न्यज़पोस्ट से हुई बातचीत में सुनीता बताती हैं कि “ जब भी मैं थोड़ा परेशान होती हूं तो स्केच बनाती हूं। यह मेरे लिए स्ट्रैस बस्टर का काम करता है क्योंकि स्केच बनाना मुझे बचपन से पसंद है।” सुनीता कहती हैं कि “मुझे याद भी नहीं हैं मैने कबसे पेंसिंल उठाई और पेंट स्केचिंग करने लगी क्योंकि मैने बहुत छोटे से ही पेंसिंल स्केचिंग शुरु कर दी थी।”

सुनीता के दो बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की और अपनी ड्यूटी और अपने बच्चों से थोड़ा समय मिलते ही वह पेंसिंल स्केचिंग में लग जाती हैं। सुनीता बताती हैं कि “मेरे माता-पिता को हमेशा से पता था कि मैं स्केचिंग करती हूं और अपनी हर स्केचिंग पूरी होने के बाद मैं उन्हें अपनी स्केचिंग जरुर दिखाती हूं। उन्हें भी मेरा स्केचिंग करना पसंद है।”

न्यूज़पोस्ट से बात करते हुए सुनीता कहती हैं कि “यूं तो मुझे ऑयल पेंटिंग भी पसंद है लेकिन मेरे पास इतना समय नहीं होता कि मैं कलर इकट्ठा करुं फिर पेंट करु इसलिए मुझे पेंसिल और रबर की मदद से बनने वाला स्केच बनाने में सहूलियत लगती है।” 

गौरतलब है कि खूबसूरत स्केचिंग करने वाली सुनीता ने कहीं से कोई ट्रेनिंग नहीं ली है। यह उनका खुद का टैलेंट है और अगर उन्हें समय मिले तो वह 2-3 घंटे में एक स्केच तैयार कर लेती है। समय के अभाव से सुनीता अपनी इस कला को पूरा समय नहीं दे पाती वरना क्या पता सुनीता आज इस क्षेत्र में एक बड़ा नाम होती।

pencil sketch of DGP uttarakhand and ADG L/O Uttarakhand

सुनीता की बनाई हुई तस्वीरों को उनके विभाग में भी खासी तारीफें मिल रही हैं। बीते दिनों सुनीता की बनाई हुई उत्तराखंड डीजीपी अनिल रतूड़ी के पेंसिल स्केच को Uttarakhand Police के फेसबुक पेज पर जगह मिली थी जिसे हजारों लोगो ने पसंद किया और पेंटिंग की तारीफ में बहुत से कमेंट आए।हाल ही में सुनीता ने अपना फेसबुक पेज S.Negi’s Art के नाम से शुरु किया है जिसपर वह अपनी बनाए स्केच को लोगों के साथ सांझा कर रही हैं और उन्हें काफी सराहना मिल रही है।

प्रोफेशनल ट्रेनिंग लेने के बारे में सुनीता कहती है कि अगर उन्हें कोई भी बेहतर प्लेटफ़ॉर्म मिलेगा तो अपनी कला को और बेहतर बनाने को वह जरुर इसके बारे में सोचेंगी। बहरहाल सुनीता की इस कला और इसके प्रति उनके जुनून को देख कर ये कहा जा सकता है कि जहां चाह वहां राह

गुलदार ने नौ बकरियों को बनाया शिकार

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नागथात/विकासनगर। रामपुर गांव में गुलदार का आतंक बना हुआ है। गुलदार ने हमला कर नौ बकरियों को मार गिराया। गुलदार के मूवमेंट से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। पीड़ित ने वन विभाग से मुआवजे की गुहार लगाई है।

बुधवार को गांव निवासी बलवीर सिंह बकरियों को चराने के लिए बैराटखाई के समीप स्थित जंगल ले गए थे। इस दौरान झाड़ियों में घात लगाए गुलदार ने झुंड पर हमला कर दिया। बकरियों की आवाज सुनते ही कुछ दूरी पर पेड़ के नीचे बैठे बलवीर बकरियों की ओर दौड़ पड़े। उन्होंने देखा कि कुछ दूरी पर सात बकरियां मरी पड़ी है। पीड़ित ने बताया कि दो बकरियों के शव का कुछ पता नहीं चला। गुलदार उन्हें अपने साथ खींच कर जंगल के अंदर ले गया। उन्होंने गांव के आसपास गश्त बढ़ाने की भी मांग की है। वन बीट अधिकारी मेहरबान सिंह बिष्ट ने कहा कि विभागीय प्राविधानों के अनुसार पीड़ित को मुआवजा दिया जाएगा।

विश्राम गृह को सैनिक कल्याण विभाग को सौंपने की मांग

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पौड़ी गढ़वाल। पूर्व सैनिक संगठन ब्लाक थलीसैंण ने प्रदेश सरकार से तहसील मुख्यालय थलीसैंण में नव सैनिक निर्मित विश्रामगृह का कार्य पूरा कर सैनिक कल्याण विभाग को सौंपने के लिए कार्यदायी संस्था को निर्देशित करने की मांग की।
प्रदेश के मुख्यमंत्री को प्रेषित ज्ञापन में संगठन के सदस्यों ने कहा कि तहसील मुख्यालय में नव निर्मित सैनिक विश्रामगृह का कार्य लोक निर्माण विभाग बैजरो द्वारा नवंबर 2010 में शुरू किया गया था, अब भवन निर्माण का कार्य पूरा हो गया है। लेकिन, साज सज्जा के अभाव में भवन को अभी तक सैनिक कल्याण विभाग के सुपुर्द नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अभी तक साज सज्जा के लिए शासन द्वारा धनराशि अवमुक्त नहीं की गई है। जिससे संगठन के सदस्यों में भारी रोष व्याप्त है। उन्होंने ने कहा कि इस बारे में लोनिवि बैजरो और उपजिलाधिकारी थलीसैंण को कई बार लिखित रूप से जानकारी देने के बावजूद भी अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं हो पाई है। उन्होंने ने कहा कि यदि 15 दिन के अंदर इस भवन को सैनिक कल्याण विभाग को नहीं सौंपा गया तो संगठन उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होगा। ज्ञापन देने वालों में आशा राम पोखरियाल, गोविंद सिंह, राम सिंह, कृपाल सिंह, दौलत सिंह, भगत सिंह, गबर सिंह, सुल्तान सिंह, उज्जवल सिंह, बैशाख सिंह, राजकुमार सिंह, नरेंद्र सिंह, बालम सिंह आदि पुर्व सैनिक मौजूद थे।

उत्तराखण्ड प्रदेश महिला कांग्रेस की नई कार्यकारणी गठित

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देहरादून। प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष सरिता आर्या ने लंबे समय के बाद केन्द्रीय अध्यक्ष की सहमति से बुधवार को अपनी नई कार्यकारिणी और राज्यभर के संगठनात्मक जिलाध्यक्षों के गठन की घोषणा की। कार्यकारिणी में 40 प्रदेश उपाध्यक्ष, 31 महामंत्री, 66 प्रदेश सचिव, दो प्रदेश प्रवक्ता सहित सभी 28 संगठनात्मक जिलों के जिलाध्यक्ष एवं प्रदेश अल्पसंख्यक महिला कांग्रेस का अध्यक्ष तथा दो उपाध्यक्षों के साथ ही सोशल मीडिया के 11 पदाधिकारियों को नामित किया गया है।
बुधवार को राज्य कांग्रेस कार्यालय में आयेाजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष सरिता आर्य ने नव गठित प्रदेश महिला कार्यकारिणी की घोषण की। इस दौरान उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष सुष्मिता देव की संस्तुति के उपरान्त नई महिला कार्यकारिणी का गठन किया गया है।
महिला उपाध्यक्षों में राकेश धवन, नजमा खान, बिमला मन्हास, मीना रावत, बाला शर्मा, चन्द्रकान्ता गर्ग, राधा चौहान, तारा सती, रेवती जोशी, ईश्वरी देवी, बिमला सांगुडी, आशा टम्टा, संध्या डालाकोटी, बीना जोशी, मालती बडथ्वाल, इंदु मान, बीना जोशी, शारदा परिहार, बीना सजवाण, मीना शर्मा, भगीरथी बिष्ठ आदि हैं।
अध्यक्ष ने बताया कि प्रदेश महामंत्रियों में सरस्वती जोशी, बिमला मेहरा, जया कर्नाटक, अनीसा बेगम, बीना जोशी, बबली देवी, सरोज देवराडी, कृष्णा नेगी, कुसुम भट्ट, कमला शर्मा, कविता तोपवाल, प्रेमलता नन्दन, नीता शुक्ला, माला चौहान को नियुक्त किया गया है। संध्या थापा, उर्मिला देवी, सीमा क्षेत्री, रमा गौड़, संतोष जोशी, सत्यमा देवी, सुमन रमोला, सुनीता धारिया, बसन्ती भारती, धनेश्वरी तोमर, उषा चौहान, कुसुम असवाल, बिमला मेहरा, प्रमिला सजवाण, पुष्पा नेगी, पुष्पा तिवारी, मधु थापा, रेणु नेगी, रजनी शाह, ग्रेस कश्यप, किरन भाटिया, बिमला आर्य, दीपा चौहान, उशा शर्मा, खीमा बिष्ट, पुष्पा सती, आदि को प्रदेश सचिव तथा रीना सिंघल एवं अजीता शर्मा को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। जबकि चन्द्रकला नेगी एवं सुमित्रा ध्यानी को प्रदेश प्रवक्ता नियुक्त किया गया है।
सरिता आर्या ने बताया कि जिलाध्यक्षों में आशा विष्ठ को कालाढूंगी, सुशीला बोरा चम्पावत, वैजयन्ती माला उर्फ कमलेश रमन को देहरादून महानगर, फातिमा अहमद उधमसिंहनगर, मधु सेमवाल ऋशिकेष, किरन सिंह हरिद्वार ग्रामीण, रश्मि चौधरी रुड़की शहर, कविता शाह रुड़की ग्रामीण, देवेश्वरी नेगी रुद्रप्रयाग, राजेश्वरी रावत पौड़ी, रंजना रावत कोटद्वार, दर्शनी रावत टिहरी, मीना नौटियाल उत्तरकाषी, देवेश्वरी शाह चमोली तथा गोदावरी रावत को गैरसैण का महिला जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि नजमा खान को महिला अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है

नैनीझील व कोसी नदी के पुनर्जीवीकरण को डीपीआर तैयार

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देहरादून। नैनीताल झील के पुनर्जीवीकरण के लिए 18.14 करोड़ रूपये की डीपीआर जिलाधिकारी नैनीताल और अल्मोड़ा की कोसी नदी के पुनर्जीवीकरण हेतु 17.39 करोड़ रूपये की डीपीआर जिलाधिकारी अल्मोड़ा द्वारा प्रस्तुत की गई। डीपीआर प्रमुख सचिव सिंचाई आनन्द वर्द्धन की अध्यक्षता आयोजित हुई बैठक में प्रषित की गई। प्रमुख सचिव ने विभागाध्यक्ष सिंचाई को धनराशि स्वीकृत करने के लिये एसएनडी में धनराशि का प्राविधान करने के निर्देश दिये गये है।

नैनी झील की डीपीआर में सूखा ताल को पुनर्जीवित करने, नैनी झील से जुडे पुराने ब्रिटिश काल के 67 नालों की मरम्मत कराने, आस-पास के घरों के सीवर लाईन को बरसात के पानी से अलग करने के कार्य को लिया गया है। बैठक में बताया कि अबतक 113 मकानों की सीवर लाईनों को बरसात के नाले से अलग किया जा चुका है। 100 और चिन्ह्ति किये जा चुके है। झील के पुनर्जीवीकरण में शहरी विकास विभाग द्वारा एडीबी के माध्यम से संचालित कार्य शीघ्र पूर्ण कराये जाने के निर्देश दिये गये।
प्रमुख सचिव ने जानकारी दी गई कि देहरादून की रिस्पना नदी के पुनर्जीवीकरण के लिए 05 करोड़ की धनराशि का प्राविधान किया गया है। उन्होंने जानकारी दी की नैनी झील, कोसी नदी की डीपीआर शासन की टैक्निकल कमेटी द्वारा परीक्षण के बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित वित्त कमेटी की बैठक में स्वीकृत हेतु प्रेषित की जायेगी।
कोसी नदी के पुनर्जीवीकरण के लिए आयोजित बैठक में जिलाधिकारी, अल्मोडा द्वारा उपलब्ध कराये गये 17.39 करोड़ रूपये की डीपीआर पर विचार विमर्श किया गया। उक्त डीपीआर में इन्फिल्ट्रेशन होल्स, ट्रैनच, गदेरे एवं जलस्रोतों पर चैकडैम, सूखे पत्थर के चैकडैम, वाॅयर क्रेड चैकडैम व पक्के चैकडैम बनाने की व्यवस्था है। योजना को 14 जोनो में बांटा गया है। परियोजना का कैचमेंट एरिया 450 वर्ग किमी है। प्रो.जे.एस.रावत के सहयोग से यह प्रोजेक्ट बनाया गया है।
बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रमुख अभियंता सिंचाई डीपीआर के परीक्षण का प्रस्ताव शासन को उपलब्ध करायेंगे। जिस पर टीएसी का परीक्षण कराकर योजना पर व्यय वित्त समिति का अनुमोदन अविलम्ब प्राप्त कर लिया जायेगा। कोसी एवं रिस्पना नदियों के पुनर्जीवीकरण के लिए 05-05 करोड़ रूपये की नई मांग का प्रस्ताव प्रमुख अभियंता सिंचाई प्राप्त कर भेजेंगे। योजना का 90 प्रतिशत भाग आरक्षित वन क्षेत्र में आने के कारण वन विभाग उक्त परियोजना को अपने वर्किंग प्लान/वार्षिक प्लान में सम्मिलित करके भारत सरकार के अनुमोदन हेतु अविलम्ब प्रेषित करेंगे। योजना हेतु लगभग 05 लाख पौधों की आवश्यकता होगी। जिसके लिये वन विभाग एवं जिलाधिकारी अल्मोड़ा कार्य योजना बनायेंगे, जिसमें आगामी वर्ष में वांछित 05 लाख पौधों की उपलब्धता स्थानीय स्तर पर उपलब्धता कराना सुनिश्चित करेंगे। 

पौधों को बच्चों की तरह संवार बनाएं आर्थिकी का साधनः डीएम

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पौड़ी गढ़वाल, जनपद पौड़ी गढ़वाल के जिलाधिकारी सुशील कुमार ने विकास खंड पाबौ के ग्राम जितोली में उद्यान विभाग एवं मनरेगा योजना के संयुक्त तत्वाधान में पांच हेक्टेअर क्षेत्रफल में नाशपाती प्रजाति (रेडवार्टलेड) के 1250 पौधों का रोपण किया।

इस अवसर पर डीएम ने उपस्थित जन समुदाय से इन नाशपाती के पौधों को अपने बाल बच्चों की तरह संवार कर अपनी आर्थिकी का साधन बनाने को कहा। उन्होंने बताया कि राज्य की आर्थिक संपन्नता के लिए बागवानी एक सशक्त माध्यम है। जनसमुदाय की भागीदारी से योजनाएं बनाकर उसका क्रियांवयन धरातल पर फल पट्टी व सब्जी पट्टी के रूप में विकसित कर बागवानी के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि फल पट्टी व सब्जी पट्टी के माध्यम से स्वरोजगार और उद्यमिता विकास कर स्थानीय लोगों को रेाजगार की ओर जोड़ने की कार्यवाही भी की जाएगी ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध हो सके।

इस अवसर पर 80 से अधिक महिला जॉब कार्ड धारकों ने भाग लिया। मुख्य उद्यान अधिकारी डा. नरेंद्र कुमार ने बताया कि शीतकाल में उद्यान विभाग एवं मनरेगा द्वारा कुल 77 हेक्टेअर क्षेत्र में वृक्षारोपण का कार्य कलस्टर आधारित किया जाएगा और लोगों की आमदनी दोगुनी करने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंनं इस अवसर पर नाशपाती की खेती की तकनीकि जानकारियां काश्तकारों को उपलब्ध कराई।