“ख़ाकी में इंसान” की मिसाल पेश की उत्तराखंड पुलिस के इस जांबाज ने

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2017 में थाना ऋषिकेश क्षेत्र में आने वाले श्यामपुर में दो सगी बहनों (नाबालिक बच्चियों) के साथ दुष्कर्म के बाद उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गयी थी। इस केस में आरोपियों ने भी पुलिस के समक्ष अपना जुर्म स्वीकार कर लिया था। 14 गवाहों के बयान व पुलिस द्वारा दिए गए सबूतों को देखते हुए कोर्ट ने आरोपी सरदार परवान सिंह को इस प्रकरण में गुनहगार मानते हुए 23 अगस्त 2018 को सजा ए मौत(फांसी)की सजा सुनाई गई, जो उत्तराखंड के इतिहास में बलात्कार के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक निर्णय है।

गौरतलब है कि एक साल के अंदर इस रेप केस का फैसला आ गया था लेकिन ऋषिकेश थाने में मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही गुनहगारों के परिजनो द्वारा दोनों बच्चियों की माँ को केस बंद करने के लिए दवाव बनाया जा रहा था।

विपक्ष की धमकियों से परेशान होकर बच्चियों की मां ने इस घटना की जानकारी कोर्ट में उपस्थित उत्तराखंड पुलिस के पेरोकार जसवीर नेगी को दी। जसवीर नेगी ने अपनी तरफ से हर संभव मदद कर ना केवल महिला को इंसाफ मिलने में मदद की बल्कि इंसानियत के लिए एक मिसाल बनकर सामन आए हैं।

इस मामले में बात करते हुए जसबीर नेगी ने टीम न्यूजपोस्ट से बताया कि “साल 2017 में हुआ यह केस ना केवल समाज के लिए बल्कि हमारे क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका था। इस केस के दौरान बच्चियों की मां ने मुझसे शिकायत की थी कि वह अब गवाही देने नहीं आ पाऐंगी क्योंकि उन्हें विपक्ष से धमकी दी जा रही है। उन्होंने जब मुझसे यह बात कहीं मैने उस दिन उनकी मदद करने को ठान ली।”

जसबीर ने बताया कि एक पुलिसवाला होने के नाते मैं जितना कर सकता था उससे बढ़कर मैंने इस परिवर की मदद की क्योंकि उनके पास मदद के लिए कोई नहीं था। बच्चियों की मां के पास कई बार पैसे नहीं होते थे तो जसबीर अपनी जेब से पैसे देकर उन्हें ऋषिकेश से देहरादून बुलाता था। कई बार बीच में ऐसा वक्त भी आया जब विपक्ष ने पैसे का लालच देकर केस को बंद कराने की बात कही लेकिन ना जसबीर पीछे हटे और ना वो महिला।

आर्थिक रुप से मदद के साथ जसबीर ने इस पूरे केस को अपने मामले की तरह समझा और आखिरी में आरोपियों को सजा दिलवाकर ही शांत हुआ।पीड़ित परिवार इतना गरीब है कि उनके लिए निर्भया फंड से भी संस्तुति कराई ताकि कुछ पैसों से उनका काम चल सके।

वहीं इस मामले में बच्चियों की मां ने टीम न्यूजपोस्ट से बातचीत में बताया कि उत्तराखंड पुलिस की वह आभारी रहेंगी। खासकर जसबीर नेगी भईया की। उन्होंने बताया कि जसबीर ने ना केवल उनकी मदद की बल्कि उन्हें एक परिवार की तरह समझा और आखिरी तक उनका साथ दिया। “अपनी बेटियों के साथ हुए इस अन्याय की सजा शायद मैं अकेले लड़कर कभी ना दिला पाती लेकिन जसबीर भईया जैसे लोगों की वजह से यह मुमकिन हुआ है।” बच्चियों की मां बताती है कि सजा सुनने के बाद मैं बहुत भावुक थी क्योंकि मेरे पास किसी को देने के लिए कुछ नहीं था,खासकर जिन्होंने मेरी इतनी मदद की।

किसी भी राज्य की पुलिस हो आयेदिन आम जनते के निशाने पर ही रहता है, लेकिन जसबीर जैसे पुलिस कर्मी बार बार ये साबित करते हैं कि वाकई ख़ाकी में इंसान बसता है।