उत्तराखंड में योगाचार्य हो रहे उपेक्षित

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पूरे विश्व में योग का आयोजन बढ़-चढ़ कर किया जा रहा है। इसके बाद भी योग के मुख्य केंद्र उत्तराखंड में विभिन्न संस्थानों से योग की डिग्री ले चुके योग शिक्षक आज बेराजगार हैं। योग को जीवन यापन का आधार बनाने वाले योग शिक्षक विश्व योग दिवस पर भी उपेक्षित हैं। इसका कारण इनका कहीं समायोजन ना किया जाना है। योग शिक्षकों का मसला कई बार विधानसभा सत्र में भी उठा है। मंत्रिमंडल में भी इस पर चर्चा हुई लेकिन निर्णय कुछ नहीं हुआ।
शुक्रवार को बातचीत के दौरान योग शिक्षक महासंघ के राकेश सेमवाल का कहना है कि सरकार उनकी कोई सुध नहीं लेती। योगाचार्यों के लिए कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है जिसके कारण हजारों योग शिक्षक बेरोजगार हैं। योग जैसी महत्वपूर्ण विधा के जानकारी की यह उपेक्षा वह भी योग भूमि में काफी कष्टकारी है।
उत्तराखंड में वर्तमान में करीब 20 हजार योग शिक्षक हैं जो डिग्री लेने के बाद भी बेरोजगार। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि योगाचार्यों के रोजगार के लिए उचित कदम उठाई जाए।
युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी मानते हैं कि योग शिक्षकों को रोजगार का पूर्ण अवसर मिलना चाहिए।हालांकि उन्होंने कहा कि सरकार की भी अपनी मजबूरियां है लेकिन इस विषय पर निश्चित रूप से महत्वपूर्ण कदम उठाया जाना चाहिए।