अपराधियों को पकड़ने में रामबाण साबित होगा उत्तराखंड पुलिस का नया सॉफ्टवेयर

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उत्तराखंड पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने अपराध के खिलाफ अपनी जंग में तकनीक का और इस्तेमाल करने की तैयारी कर ली है। पुलिस ने हाल ही में एक फेस रिक्गनिशन सऑफ्टवेयर का इस्तेमाल शुरू किया है। इसकी मदद से पुलिस को अपने डाटा बेस में से अपराधियों की शिनाख्त करने में आसानी होगी। इस नए साफ्टवेयर की मदद से, एसटीएफ में पुलिस द्वारा सूचीबद्ध सभी अपराधियों की तस्वीरें होगी ताकि किसी भी स्थान पर उनकी गिरफ्तारी पर उनके चेहरे को मिलाया जा सके।

एसएसपी, एसटीएफ, रिधीम अग्रवाल ने कहा कि, “यह सॉफ्टवेयर योजना प्रतिबिंब (रिफ्लेक्शन) के अंर्तगत इस्तेमाल किया जा रहा है।हमने इस सॉफ्टवेयर को लेकर पहले से ही काम कर लिया है, अब हम डेटाबेस पर काम कर रहे हैं। हमें फिलहाल अपराधियों की जानकारी अपलोड करने की जरूरत है और शुरुआती काम लगभग पूरा हो गया है। हम जिलों के लिए एक सप्ताह के भीतर टर्मिनल देगें और फिर जिलों के कर्मियों को प्रशिक्षण के बाद, वे भी इस पर काम शुरू कर सकते हैं।”

उत्तराखंड पुलिस द्वारा इस्तेमाल होने वाला यह सॉफ्टवेयर यू.एस की फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) जैसी दुनिया की प्रमुख जांच एजेंसियों द्वारा उपयोग की जाने वाली लाइनों पर काम करेगा। इससे राज्य पुलिस को फरार होने वाले अपराधियों को पकड़ने में मदद मिलेगी चाहे पुलिस के पास अपराधी की अपडेटेड तस्वीर हो या ना हो।

इस सॉफ्टवेयर को एक भारतीय कंपनी से लिया गया है। एसएसपी अग्रवाल ने सॉफ्टवेयर के बारे में बताते हुए कहा कि,”यह संचालन थोड़ा अलग और जटिल है। यह न केवल एक संदिग्ध या गिरफ्तार अपराधी के चेहरे और बाहरी चेहरे को पहचानता है बल्कि यह चेहरे की हड्डी संरचना को भी पहचानता है। इसके साथ ही, अगर पुलिस के पास फरार अपराधी की 20 साल पुरानी तस्वीर भी हुई, तो यह सॉफ्टवेयर अपराधी की मौजूदा फोटोग्राफ को अपने डेटाबेस में पुराने के साथ मिलाएगा। यह सॉफ्टवेयर चेहरे हड्डी के ढ़ाचे को मैच करके बता देगा कि दोनों तस्वीरे आपस में मेल खाती है।”

उत्तराखंड के अलावा, कुछ पड़ोसी राज्यों में पुलिस भी इस तरह के सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करने और आपस में क्राईम कम करने और उसमें सुधार के लिए एक दूसरे के साथ अपने डेटाबेस को जोड़ने के लिए तैयार हो गई है। जिन राज्यों ने अपने संबंधित पुलिस विभागों के लिए ऐसे सॉफ्टवेयर लगाने के लिए सहमति व्यक्त की है, उनमें पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा शामिल हैं। अपराध के मामले में उत्तराखंड के लिए उत्तर प्रदेश सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसी राज्य है, इसलिए पहले डेटाबेस को उनके और फिर दूसरों के साथ जोड़ने का प्रयास चल रहा है।