साफ-सफाई में उत्तराखंड टाॅप 100 शहरों में भी नही

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शहरों में साफ-सफाई की व्यवस्था को लेकर करवाए गए केंद्र सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण में उत्तराखंड का कोई शहर देश के 100 साफ शहरों में भी नही आ पाया है । जबकि पडोसी हिमाचल प्रदेश के कई शहरों ने इस सूची में स्थान पाया है। वार्षिक प्रतियोगिता में भाग लेने वाले 500 में से आज 434 शहरों की जारी सूची में उत्तराखंड के छह शहरों का नाम आया है । इनमें तुलनात्मक रूप से सबसे अच्छा प्रदर्शन हरिद्वार के रूडकी शहर का रहा जिसे सूची में 218वां स्थान मिला जबकि तीर्थ नगरी हरिद्वार को 244वा, राजधानी देहरादून पिछड कर 316वें स्थान पर ही रह गई । इससे बेहतर तो उत्तर प्रदेश के पडोसी मैदानी शहर सहारनपुर, 295वां स्थान पर रहा जहां अभी बिना मेयर का नगर निगम चल रहा है। कुमांऊ के तीन शहरों को भी इस सूची में जगह जरूर मिली रूद्रपुर 325वें स्थान पर, 330वें स्थान पर नैनीताल और 395वें स्थान पर हल्द्वानी-काठगोदाम रहा।

केंद्रीय शहरी विकास मंत्री वैकैया नायडू की जारी इस सूची में मध्य प्रदेश का इंदौर शहर सबसे साफ साबित हुआ है। साल 2017 के स्वच्छ सर्वेक्षण के मुताबिक, स्वच्छता रैंकिंग में इंदौर पहले पायदान पर रहा, तो वहीं मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल दूसरे नंबर पर रहा। वहीं सफाई के मामले में यूपी सबसे फिसड्डी साबित हुआ। देश के दस सबसे गंदे शहरों पर चार यूपी के ही थे।

434 स्वच्छ शहर की सूची में उत्तराखंड के राजधानी समेत 6 शहर रूड़की, हरिद्वार, काशीपुर, नैनीताल और हल्द्वानी-काठगोदाम को शामिल किया गया था । देहरादून का 29 राजधानी शहरों में 28वे नंबर पर आना न सिर्फ हमारे नगर निगम के कुशासन और कुनीतियों का परिणाम है बल्कि आम जन मानस के स्वच्छता के प्रति तिरस्कार को भी बयान करता है। देहरादून के शिक्षित छात्रों के अलग-अलग संगठनों के मुताबिक हम इस नतीजे से व्यक्तिगत तौर पर लज्जित महसूस करते है। हम नगर निगम शासन से पुनः आग्रह करेंगे की वह हमारे द्वारा उन्हें प्रेषित की गयी स्वच्छता रिपोर्ट, पोस्टर्स रिपोर्ट एवं खाली प्लाटों का कूड़ाघर बनने की रिपोर्ट पर जल्दी अमल करें और साथ गई साथ पुनः चक्रीकरण की व्यवस्था जल्दी शुरू करें। अपने स्वयं सेवी अभियानों जैसे सफाई एवं जागरूकता अभियान, गन्दी पेशाब युक्त दीवारों का कायाकल्प अभियान के माध्यम से हम लोगों में सफाई को लेकर स्वाभाव परिवर्तन का अभियान और तेज़ गति से चलाएंगे।