पहाड़ी आलू के शौकीनों को होना पड़ सकता है मायूस

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    आलू

    पहाड़ी आलू को शौकीनों को इस बाद चमोली जिले की निजमूला घाटी के आलू का स्वाद से महरूम होना पड़ सकता है।
    इस बार घाटी में आलू की पैदावार को अतिवृष्टि के चलते खासा नुकसान हुआ है, जिससे जहां पहाड़ी आलू के शौकीनों को घाटी के आलू के स्वाद नहीं मिल सकेगा वहीं काश्तकारों को भी बड़ा आर्थिक नुकसान देखने को मिल रहा है।

    चमोली जिले की निजमूला घाटी के गांवों में बड़े पैमाने पर काश्तकारों की ओर से आलू और चैलाई की फसलों का व्यावसायिक उपयोग के लिये उत्पादन किया जाता है। घाटी के आलू की मांग स्थानीय बाजारों के साथ ही हल्द्वानी, रामनगर जैसी बड़ी मंडियों में भी है। लेकिन इस वर्ष बरसात के मौसम के हुई अत्यधिक बारिश के चलते घाटी के गांवों में आलू की फसल को खासा नुकसान हो गया है। खेतों में आलू जहां अधिक नमी के चलते खराब हो गया है, वहीं बचे आलू पर भी बीमारी लगने से आलू खराब हो रहा है। जिससे काश्तकारों के साथ ही पहाड़ी आलू के शौकीनों में भी मायूसी है।

    ईराणी के ग्राम प्रधान मोहन सिंह नेगी, सुलभ सिंह, नत्थी सिंह और कुंवर सिंह का कहना है कि घाटी में आलू उत्पादन से काश्तकार अच्छी आय प्राप्त करते हैं। लेकिन इस वर्ष इन दिनों आलू की खुदाई शुरु करते ही काश्तकारों को मायूसी हाथ लगी है। बताया कि खेतों में नमी की अधिकता के चलते आलू फसल 50 फीसदी से अधिक खराब हो गई है। इधर, उद्यान विभाग के सहायक विकास अधिकारी रघुवीर सिंह राणा का कहना है कि इस वर्ष जिले में बीते वर्षों की अपेक्षा अधिक वर्षा होने से आलू की फसल के खराब होने की जानकारी मिल रही है। बताया कि अति वृष्टि के चलते आलू पर बीमारियां लगने यह स्थिति पैदा हुई है।