अब बद्री-केदार मंदिरों को अपनी कलाई पर बांध सकेंगे आप

य़कीकन हम में से बहुत कम लोगों को ये बात पता होगी कि अब बद्रीनाथ और केदारनाथ के मंदिर आपकी कलाई पर बैठकर आपको समय भी बता सकते हैं। जी हां, ये मुमकिन किया है जयपुर वॉच कंपनी की खास घड़ियों की सिरीज़ ने।

इसी साल अप्रैल में लॉंच की गी इस सिरीज की घड़ियों के बारे में कंपनी के निदेशक गौरव मेहता बताते हैं कि, “ये घड़ियां खासतौर पर बद्री-केदार मंदिर समिति के लिये बनाी गई है। हम फिलहाल राज्य सरकार से बातचीत कर रहे हैं जिसके बाद राज्य के अन्य मंदिरों के लिये भी इसी तरह की घड़ियां बनाई जा सकती हैं।”

The proud owner of JWC at his retail show in Select CityWalk

मंदिर समिति के लिये बनाई गई इन खास घड़ियों को बनाने में सफेद एमओपी केसिंग: 43 मिमी, स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल किया गया है। ये घड़ियां गोल्ड प्लेट और स्टेनलेल स्टील में चमड़े के स्ट्रेप में मौजूद हैं। इनके अंदर बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिरों के तस्वीरें अंकित की गई हैं।

जहां केदारानाथ इस घड़ी में सर्दियों मे ंबर्फ से से घिरे बाबा केदार के मनोरम दृश्य की झलक देता है, वहीं बद्रीनाथ भगवान विष्णु के अलौकिक तेज और सौंदर्य की मनोरम और दिव्य झलक दिखाता है।

ये पहली बार नही है जब इस कंपनी ने इस तरह की घड़ियों का निर्माण किया हो। इससे पहले भी कंपनी ने तीन पैसे वाले किंग जार्ज-VI के पोस्टल स्टैंप वाली घड़ी बनाई है। जयपुर वॉच कंपनी एक “मेड इन इंडिया” ब्रैंड है जो अपनी बैंगलोर स्थित फैक्ट्री में राजस्थानी राजशाही को नये जमाने की तकनीक से जोड़कर ये खास घड़ियां बनाता आ रहा है। यहीं कारण है कि आज जयपुर वॉच कंपनी जो “जेडब्ल्यूसी” के नाम से भी जानी जाती है, वो घड़ियों में पारंपरिक कला और नये जमाने की तकनीक के संगम का दूसरा नाम बन गया है। इस ब्रैंड की घड़ियां आपको दिल्ली के सेलेक्ट सिटी मॉल में देखने और खरीदने को मिस सकती हैं।

अपने रीटेल स्टोर के बारे में मेहता कहते हैं कि “रीटेल दुकान हमारे लिये एक बड़ा मील का पत्थर है। इस स्टोर के जरिये हम अपने ग्राहकों के बीच और आसानी से पहुंच सकेंगे, खासतौर पर वो ग्राहक जो ऐसी घड़ियों के कदरदान होते हैं।”

इस दुकान पर आपको फैशन और घड़ियों के बारे में खास ट्रैनिंग ले चुका स्टाफ मिलेगा। जो आपको कंपनी की मौजूदा रेंज की घड़ियों से लेकर कस्टमाईज घड़ियों तक खरीदने के लिये पूरी मदद करेगा।

आने वाले समय में उत्तराखंड के लोगों को यही इंतजार है कि कब राज्य के चार घामों के साथ-साथ बाकि जगह भी इन खास घड़ियों पर अपनी जगह बनाकर लोगों की कलाई पर सज सकें।