टिहरी बांध प्रभावित भी डर के साए में रहने को मजबूर

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टिहरी
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जोशीमठ की संवेदनशील स्थिति को देखते हुए टिहरी विधायक ने भी टिहरी बांध की झील के किनारे बसे प्रभावित गांवों का सर्वेक्षण करने को कहा है। उन्होंने कहा कि बांध की झील की वजह से आसपास के कई गांवों के भवनों में दरारें पड़ी है, जिसके कारण लोग डर के साए में जीने को मजबूर हैं।

विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि टिहरी बांध की झील बनने के बाद से क्षेत्र के कई गांवों में आवासीय भवन खतरे की जद में है, जिनका समय रहते निराकरण किया जाना जरूरी है, अन्यथा कभी कोई बड़ी जन हानि हो सकती है। उन्होंने कहा कि चंबा कस्बे के नीचे आलवेदर सुरंग बनने से चंबा कस्बे में भी कई मकानों में दरारें आई हैं, सुरक्षा की दृष्टि से समय पर क्षतिग्रस्त भवनों का आकलन कर लोगों को अन्यत्र स्थानों पर शिफ्ट किया जाना चाहिए।

उधर, दूसरी ओर वरिष्ठ अधिवक्ता तथा बांध प्रभावित पिपोलाखास के निवासी शांति प्रसाद भट्ट ने कहा कि बांध की झील का जल स्तर (रिजर्वायर) आरएल मीटर 820 मीटर से बढ़ाकर आरएल 832 मीटर कर दिया गया है, लेकिन अभी तक कई प्रभावित ग्रामीणों का विस्थापन नहीं किया है, जिसके कारण प्रभावित गांवों के लोग आए दिन विस्थापन को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहें हैं, लेकिन सरकार उनकी सुध लेने को तैयार नहीं है। उन्होंने बताया कि पिपोला खास के साथ झील के आसपास के कई गांवों में लोगों के आवासीय भवनों में झील के जलस्तर में उतार-चढ़ावा होने के पूर्व में दरारें आई है, जो धीरे-धीरे बढ़ रही हैं। उन्होंने पुनर्वास निदेशालय, टीएचडीसी और जिला प्रशासन से जल्द प्रभावित ग्रामीणों के विस्थापन की मांग की है।