नागपुर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने विजयदशमी उत्सव समारोह में कहा कि देश की मौजूदा सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर साबित किया है कि उसमें देशहित में कठोर निर्णय लेने का साहस है। इसके लिए सरकार ने पूरी तरह से वैधानिक रास्ता अपनाते हुए राज्यसभा और लोकसभा में बहुमत के साथ इसपर फैसला लिया। देश के जनमानस के अनुरूप यह फैसला लेने के लिए उन्होंने केंद्र सरकार की प्रशंसा की।
विजयदशमी उत्सव कार्यक्रम में आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 सहित अर्थव्यवस्था, मॉब लिंचिंग की घटनाओं, हिंदुत्व, महिला सुरक्षा, स्वदेशी, शिक्षा आदि विभिन्न विषयों पर विस्तार से अपने विचार रखे। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि,”लिंचिंग भारतीय समाज का शब्द नहीं है और न ही इसका अतीत में कोई प्रमाण है। उन्होंने कहा कि संघ देश के विभिन्न समुदायों की एकता का पक्षधर है। संघ समुदायों के टकराव को रोकने का काम करता है और ऐसे मामलों में फंसने वाले का किसी भी स्तर पर बचाव नहीं करता। बल्कि संघ इस बात का पक्षधर है कि ऐसे मामलों को रोकने के लिए सख़्त से सख्त कानूनी कार्रवाई हो और जरूरत पड़ने पर इससे संबंधित और भी कड़े कानून बनाए जाने चाहिए। उन्होंने ईसा मसीह का जिक्र करते हुए उस घटना का जिक्र किया जिसमें भीड़ एक महिला पर पत्थर बरसा रही थी लेकिन ईसा मसीह ने भीड़ से कहा कि महिला ने पाप किया है तो उसपर पत्थर वही बरसाए जिसने पाप न किया हो। सरसंघचालक ने कहा कि लिंचिंग भारतीय संस्कृति का शब्द नहीं है। यह देश को बुद्ध की परंपराओं को मानने वाला है। उन्होंने प्रश्न किया कि इतनी विविधताओं और मतभिन्नताओं के बावजूद क्या दुनिया का कोई दूसरा देश है जो आज भी शांति से रह रहा है? डॉ. भागवत ने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंडेबकर ने भी कहा था कि नागरिकता का पालन करने वाला देशभक्त है।
सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने चंद्रयान-2 का जिक्र करते हुए कहा कि यह भले ही पूरी सफलता हासिल नहीं कर पाया लेकिन इसने साबित कर दिया कि भारतीय वैज्ञानिक वह कर सकते हैं जिसकी दुनिया ने विचार भी नहीं किया था। चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए गया, जहां किसी अन्य देश ने प्रयास भी नहीं किया। भारतीय वैज्ञानिकों के इसी कौशल के कारण पूरी दुनिया में भारत के इस प्रयास की सराहना हुई।
डॉ. भागवत ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और स्वदेशी की चर्चा करते हुए कहा कि विदेशों से आर्थिक संबंध खत्म करना स्वदेशी नहीं है बल्कि आर्थिक रूप से स्वाबलंबी बनकर विदेशी आर्थिक संबंध बनाना स्वदेशी है। अपनी शर्तों पर आर्थिक संबंध बनाना स्वदेशी है। उन्होंने कहा कि प्रचलित मौजूदा अर्थतंत्र अधूरा है। उन्होंने शिक्षा की गुणवत्ता पर भी जोर दिया।


















































