छठ पर्व की तैयारी शुरू — गंगा के तट पर बहेगी पूर्वांचली संस्कृति की बयार

ऋषीकेश में पुर्वान्चालियो के पर्व छठ की तैयारियां पूरी हो चुकी है। सूर्य की उपासना के इस पर्व को मानाने के लीये उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के पूर्वांचली बड़ी संख्या में ऋषीकेश के त्रिवेणी घाट पहुंचते हैं जहां छठ पूजा समिति एक बड़ा आयोजन करती है। इस आयोजन में पूजा की व्यवस्था और लोकगीतों  की अनुपम छठा देखने को मिलती है। इस बार के छठ पूजा महोत्सव की सारी तेयारिया पूरी हो गयी हैं। त्रिवेणी घाट को श्रधालुओं के स्वागत के लिये सजाया जा रहा है। ऋषीकेश उत्तराखंड का मिनी पूर्वांचल कहा जाता है। यहाँ गंगा के तट पर छठ की रौनक देखने लायक होती है।

ऋषीकेश के त्रिवेणी के संगम पर सूर्य की उपासना के पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। छठ पर्व के लिए देश-विदेश से भी बड़ी संख्या में लोग ऋषिकेश का रुख करते है जिसको देखते हुए गंगा घाटों की साफ़ सफाई का काम भी पूरा हो चूका है। साथ ही पूजा के लिए गंगा के तटों पर पंडाल बनाये जा रहे है ताकि पूजा के लिए आने वाले लोगों को किसी तरह की दिक्कत न हो। छठ समिति के अध्यक्ष रामकृपाल गौतम ने बताया की “इस साल समिति ने छठ पर्व को सफल बनाने के लिए विशेष इंतजाम किये हैं, पूजा अर्चना के साथ साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जा रहा है जिससे पूर्वांचली संस्कृति को यहाँ देखा जा सकेगा।”

उत्तर प्रदेश और बिहार से बड़ी संख्या में लोग माँ गंगा के आशीर्वाद के साथ सूर्य देव को अर्क देने गंगा घटपन की तरफ पहुंचते हैं। छठ में विशेष तरह के फल और सब्जियों से सूर्य देव को अर्क दिया जाता है जिनमे जड़ वाले फलो और सब्जियों का महत्व ही अलग है। बिहार से श्रद्धालु ऋषिकेश गंगा में पूजा के लिए आ रहे है। आयोजकों की माने तो इस साल पिछले सालों के मुकलबले ज्यादा श्रद्धालु ऋषिकेश के घाटों पर आएंगे जिनके रुकने से लेकर पूजा तक के सरे इंतजान कर दिए गए है। ऋषिकेश के त्रिवेणी संगम में छठ देखने लायक होती है दूर -दूर से श्रद्धालु छठ मैया को पूजा करने आते है। पूरा ऋषिकेश इन दिनों पूर्वांचल के रंग में रंग जाता।